बंगाल के कलिम्पोंग में है आर्ट का खजाना, देख लोगे तो खुश हो जाओगे

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अगर आप सोचते है बंगाल की सारी खूबसूरती दार्जिलिंग में बसती है तो शायद आपने अबतक कलिम्पोंग की यात्रा नहीं की है। दार्जिलिंग के पास बसा ये शहर किसी नगीने से कम नहीं है। ये उन चुनिंदा जगहों में से है जिनकी खूबसूरती को अक्सर नजरअंदाज कर दिया जाता है। ऐसा दो वजहों से हो सकता है। या तो इन जगहों के बारे में बहुत कम लोगों को पता होता है। या ये जगह किसी मशहूर शहर के पास होती है जिसकी वजह से लोग इसकी खामोशी को अच्छे से पढ़ नहीं पाते हैं। कलिम्पोंग के साथ शायद कुछ ऐसा ही हुआ है। लेकिन अच्छी बात ये है इस शहर के मखमली एहसास को महसूस करने के लिए अब काफी लोग आने लगे हैं।

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अगर आप हिल स्टेशन पर जाना चाहते हैं लेकिन भीड़ से दूर भी रहना चाहते हैं तो कलिम्पोंग आपके लिए बेस्ट जगह होगी। सुरम्य नजारे, विचित्र गलियाँ, रिच कल्चर और लाजवाब खाना, कलिम्पोंग में ये सब कुछ है। इन सबके बावजूद इस शहर में एक चीज ऐसी है जो सबसे अलग है। पिछले कुछ समय से कलिम्पोंग में समकालीन आर्ट को लेकर काफी जगहें बनाई गई हैं। इन सभी जगहों पर आप आर्ट और कल्चर के साथ-साथ कलिमपोंग के इतिहास के बारे में भी जान सकते हैं इसलिए आपको अब और देर नहीं करनी चाहिए।

1. आर्ट कैफे

कलिम्पोंग के मुख्य थाना दारा की पहाड़ियों में बना ये कैफे यहाँ के लोकल लोगों की सोच का बढ़िया उदाहरण है। इस कैफे की शुरुआत प्रवेश छेत्री और याचना रिजालव्हिच ने की है। ये दोनों लोग कलिम्पोंग के रहने वाले हैं जिन्होंने मिलकर अपनी इस सोच को आकार दिया है। इस कैफे के पीछे एक खास मकसद है। इस कैफे की रचना कलिम्पोंग के लोकल कलाकारों और संगीतकारों को बढ़िया प्लेटफॉर्म देने के उद्देश्य से की गई है जिससे इनके टैलेंट को बाकी लोगों भी जान सकें।

अच्छी बात ये है कि समय-समय पर कैफे में अपने कार्यक्रम भी होते रहते हैं जिन्हें प्रवेश और याचना मिलकर होस्ट करते हैं। ये सभी इवेंट भी लोकल म्यूजिशियन और कलाकारों को बढ़ावा देने के लिए किए जाते हैं। कैफे की सजावट सुंदर होने के साथ-साथ सरल भी है। इसलिए ये जगह आपको खूब पसंद आएगी। अगर आप कभी कलिम्पोंग जाएँ तो इस कैफे में कॉफी के साथ इनका मशहूर कैरट केक का स्वाद जरूर लें। यकीन मानिए कंचनजंगा के खूबसूरत नजारों से सजा ये कैफे आपका मन मोह लेगा।

2. कैफे कलिम्पोंग

मुख्य शहर से लगभग 10 मिनट की पैदल दूरी पर बना ये कैफे आर्ट शो, प्रदर्शनियों और लोकल हैंडीक्राफ्ट की बिक्री के लिए लोकप्रिय जगह है। ये कैफे इतना सुंदर है कि आपको पहली नजर में प्यार होना तय है। कैफे में एग्जिबिशन के अलावा कई म्यूजिकल इवेंट्स का आयोजन किया जाता है जिसमें कलिम्पोंग के स्थानीय कलाकारों को बढ़ावा दिया जाता है। प्रवीण छेत्री और यवन राय की इस रचना के पीछे एक सोच भी है। इस कैफे के जरिए वो कलिम्पोंग की लोकल संस्कृति, आर्ट और क्राफ्ट को बढ़ावा देना चाहते हैं।

कैफे की खास बात है यहाँ से दिखाई देने वाले बेहतरीन नजारे। अगर आपकी किस्मत अच्छी रही और मौसम साफ रहा तो आप इस कैफे से नाथूला दर्रा आसानी से देख सकते हैं। इस कैफे के नजारे जितने आकर्षक हैं उतना ही लाजवाब यहाँ का खाना भी है। कैफे में आप पिज्जा और स्मूदी के साथ-साथ स्पेशल दार्जिलिंग चाय का मजा ले सकते हैं। प्रकृति की गोद में बने इस कैफे की खूबसूरती को देखने के लिए आपको अब और देर नहीं करनी चाहिए।

3. द स्कूल फॉर नेचुरल हिस्ट्री आर्ट

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श्रेय: एलबीबी

कलिम्पोंग की हरी-भरी पहाड़ियों के बीच स्थित ये जगह एक आर्ट स्टूडियो है। स्टूडियो में ऊँची छत और काँच की बड़ी खिड़कियाँ हैं जिसकी वजह से दिन के समय ये जगह प्राकृतिक रोशनी से भरी रहती है। स्टूडियो में समय-समय पर तमाम आर्ट वर्कशॉप्स और इवेंट होते रहते हैं जिसका संचालन हेमलता प्रधान द्वारा किया जाता है। हेमलता प्रधान ने लंदन के रॉयल कॉलेज ऑफ आर्ट से पढ़ाई पूरी की जिसके बाद उन्हें यूके के रॉयल हॉर्टिकल्चरल सोसायटी के गोल्ड मेडल से भी नवाजा गया है। इस स्टूडियो में बोटैनिकल आर्ट से जुड़ी वर्कशॉप्स भी होती हैं जो बहुत शानदार होती हैं। इसके अलावा स्टूडियो में हर वीकेंड भी कुछ वर्कशॉप्स होती हैं जो रोज होने वाली क्लास से थोड़ी अलग होती हैं। अगर आप चाहें तो इन वर्कशॉप्स में हिस्सा ले सकते हैं। खास बात ये है कि आपके पास हेमलता प्रधान और उनके स्टूडेंट्स की बनाई हुई आर्ट को खरीदने का ऑप्शन भी है। अगर आपको भी कला में रुचि है तो ये जगह आपको बहुत अच्छी लगेगी।

4. क्रुकेटी हाउस

ये शानदार कॉटेज एक समय पर हेलेना रोयरिच का घर हुआ करता था। उन्होंने अपनी जिंदगी के आखिरी सात साल इसी कॉटेज में बिताए थे। अगर आपको आर्ट और पेंटिंग में रुचि है तो आपने मशहूर पेंटर निकोलस रोएरिच का नाम जरूर सुना होगा। हेलेना उन्हीं की पत्नी हैं। निकोलस के निधन के बाद हेलेना भारत आ गईं और कुछ समय दिल्ली और खंडाला में रहीं। इसके बाद 1949 में वो कलिम्पोंग के शांत हिमालई शहर में आकर रहने लगीं। द क्रुकेटी हाउस का निर्माण अंग्रेजो ने 1940 के समय में करवाया था। उस समय भी ये जगह उतनी ही खास थी जितनी कि आज है। 1940 के जमाने में ये जगह अध्यात्म और फिलॉस्फी में रुचि रखने वाले लोगों के लिए जन्नत जैसी थी। हेलेना की मृत्यु के बाद इसे म्यूजियम में बदल दिया गया जिसकी देख रेख अब रोएरिच परिवार के कुछ प्रसंशक करते हैं। अगर आप कलिम्पोंग में किसी शांत और मन को छू लेने वाली जगह की तलाश में हैं तो आपको क्रुकेटी हाउस आना चाहिए।

5. हिमालयन हैंडमेड पेपर इंडस्ट्री

पहाड़ों में रहने वाले लोगों के लिए पर्यावरण संरक्षण कोई नई चीज नहीं है। इको-फ्रेंडली चीजों में सबसे जरूरी चीज है हैंडमेड पेपर। स्थानीय भाषा में पहाड़ी कागज के नाम से फेमस इस पेपर को शुरुआत में कलिम्पोंग के भागधारा में गंजोंग पेपर उद्योग में बनाया जाता था। बाद में इसे हिमालयन हैंडमेड पेपर इंडस्ट्री ने एक पूरे कारोबार में बदल दिया। जिसकी वजह से कलिम्पोंग में आज भी उन्हीं पुराने तरीकों से इस कागज को बनाया जाता है। हैंडमेड पेपर बनाने की पूरी प्रॉसेस में सैकड़ों लीटर पानी का इस्तेमाल किया जाता है। अगर आप ये सोच रहे हैं इससे पानी की बरबादी होती है तो ऐसा नहीं है। पेपर बनाने में इस्तेमाल किए जाने वाले पानी को रेनवेटर हार्वेस्टिंग की मदद से इकट्ठा किया जाता है जिससे पानी का संरक्षण होता है। बाद में इस पेपर पर तरह-तरह के पैटर्न छापकर इसे अंतिम रूप दिया जाता है। अगर आप शुरू से हैंडमेड पेपर को बनते हुए देखना चाहते हैं तो आपको यहाँ सुबह आना होगा। ये जगह शहर से कुछ 15 मिनट की दूरी पर है। यहाँ से आप स्टेशनरी और हैंडमेड पेपर से बना हुआ बढ़िया सामान खरीद सकते हैं। यकीन मानिए ये जगह आपको खुश कर देगी।

6. लेपचा म्यूजियम

अगर आप आर्ट और कल्चर के दीवाने हैं तो आपको कलिम्पोंग के लेपचा म्यूजियम में आना चाहिए। म्यूजियम में लेपचा लोगों की जिंदगी से जुड़े बहुत सारे पहलुओं को आर्ट के माध्यम से दिखाया है जो आपको जरूर पसंद आएगा। ये म्यूजियम लेपचाई संस्कृति और हेरिटेज का खजाना जैसा है। कलिम्पोंग में लेपचा समुदाय के लोगों का खास प्रभाव रहा है। कलिम्पोंग उनके लिए घर जैसा है। कलिम्पोंग के मुख्य शहर के पास बना ये म्यूजियम लेपचा संस्कृति के साथ प्राकृतिक नजारों से भी सजा हुआ है। ये म्यूजियम एक तरह से हिमालई सुंदरता की गोद में है। म्यूजियम में आप लेपचा समुदाय से जुड़ी चीजों के साथ-साथ उनके पूजा पाठ के सामान, म्यूजिकल इंस्ट्रूमेंट, मस्क और हैंडीक्राफ्ट भी देख सकते हैं।

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