कालानाग का डरावना सफर, बनाया वर्ल्ड रिकॉर्ड.

Tripoto
6th May 2022
Photo of कालानाग का डरावना सफर, बनाया वर्ल्ड रिकॉर्ड. by Pankaj Mehta Traveller
Day 1

कालानाग सुन कर सबसे पहले दिमाग़ में एक तस्वीर आती है एक महा काला नाग फन फैलाये खड़ा है,आपको डसने के लिए।ठीक वैसा ही है कालानाग पर्वत।उत्तराखंड के उत्तरकाशी जिले में सरस्वती रेंज का सबसे ऊँचा 6387 मीटर पर्वत ख़तरनाक फन फैलाये खड़ा है आपके इंतजार में।

Photo of कालानाग का डरावना सफर, बनाया वर्ल्ड रिकॉर्ड. by Pankaj Mehta Traveller
Photo of कालानाग का डरावना सफर, बनाया वर्ल्ड रिकॉर्ड. by Pankaj Mehta Traveller

हमारे गुरु देव श्री श्री अभिराम दास Anuj Pandey महाराज जी यानि ट्रेक्किंग वाले बाबा जी ने तो इसका नामकरण किया काला कोबरा। आगे से देखने में काला नहीं दिखता इतनी हाईट में है की हमेशा बर्फ की सफ़ेद चादर ओढे रहता है।पीछे से देखा नहीं शायद दिखता हो कालानाग की तरह।

Photo of कालानाग का डरावना सफर, बनाया वर्ल्ड रिकॉर्ड. by Pankaj Mehta Traveller
Photo of कालानाग का डरावना सफर, बनाया वर्ल्ड रिकॉर्ड. by Pankaj Mehta Traveller

जैसा भी हो पहली बार देख कर मन खुश हो जाता है. कुछ फैक्ट बताता हूँ आपको कालानाग के बारे में।कालानाग को ब्लैक पीक भी बोलते हैं।कालानाग पर्वत का बेस कैंप संसार में किसी भी पर्वत के मुकाबले रोड और एयरपोर्ट से सबसे ज्यादा दूर है। इतना एवेरेस्ट या किसी भी पर्वत का नहीं है। इसका बेस कैंप रोड जो की तालुका तक जाती है वहाँ से 50 km से ज्यादा दूर है।मतबल इसके बेस कैंप तक जाने में आपको सबसे ज्यादा ट्रेक करना पड़ता है। जल्द ही रोड ओसला और सीमा तक जाने वाली है तब शायद ये ताज इस से छीन जाऐ।

Photo of कालानाग का डरावना सफर, बनाया वर्ल्ड रिकॉर्ड. by Pankaj Mehta Traveller
Photo of कालानाग का डरावना सफर, बनाया वर्ल्ड रिकॉर्ड. by Pankaj Mehta Traveller

दूसरी बात दुनिया में जितने भी पर्वत हैं उनमें से किसी भी पर्वत की उसके समिट कैंप से एलिवेशन कालानाग से ज्यादा नहीं है। कालानाग का समिट कैंप करीब 5500 मीटर है और समिट की हाइट है 6387 मीटर।यानि समिट कैंप से आपको करीब 887 मीटर से ज्यादा हाइट गेन करनी है।एवेरेस्ट समिट में भी इतना स्ट्रेच नहीं है।

चलिये अब आते हैं अपने कालानाग के सफर पर । ट्रेक्किंग करते हुए करीब 7 साल हो गया है। हिम अच्छादित शिखरों को बहुत बार करीब से देखा है लेकिन कभी सोचा नहीं था की उनके टॉप पर जाऊ हाँ एक बार स्टोक काँगरी करने का विचार मन में घर कर गया था, लेकिन फिर लद्दाख सरकार ने उसको बैन कर दिया जैसे साला उनको पता चल गया था ट्रैवेलर आ रहा है गन्ध मचा जाय उस से पहले इसको बंद कर दो.

Photo of कालानाग का डरावना सफर, बनाया वर्ल्ड रिकॉर्ड. by Pankaj Mehta Traveller
Photo of कालानाग का डरावना सफर, बनाया वर्ल्ड रिकॉर्ड. by Pankaj Mehta Traveller

लेकिन सोच लिया था साल 2022 में कुछ तो बड़ा करना है कम से कम एक चोटी जो 6000 मीटर से ऊपर की है छू कर आनी ही आनी है। बहुत सारे पीक थे मन में जैसे लद्दाख की कांग्यास्ते 2, एवेरेस्ट रीजन की नेपाल में आइलैंड पीक या मेरा पीक।पता नहीं अचानक ये कालानाग कहाँ से दिल में जगह कर गयी पता ही नहीं चला।

सबसे पहले पता किया वहाँ कितना खर्चा आयेगा पता चला कंपनी वाले 1 लाख रूपये तक लेते हैं ये चोटी के ऊपर ले जाने के उसमें भी कुछ तो गरुड़ पीक तक ही ले जा कर बोल देते हैं हो गया समिट। बेचारा उनका थका क्लाइंट भी सोचता है बहुत हुआ एक फोटो यहाँ पर ही क्लिक कर के चलते हैं नीचे की ओर जय माता दी 🙏🙏......

Photo of कालानाग का डरावना सफर, बनाया वर्ल्ड रिकॉर्ड. by Pankaj Mehta Traveller
Photo of कालानाग का डरावना सफर, बनाया वर्ल्ड रिकॉर्ड. by Pankaj Mehta Traveller

भाई अपने पास इतने पैसे नहीं की किसी को 1 लाख दे दें वो भी इतनी आसानी से. हम तो वो हैं जो एवेरेस्ट बेस कैंप भी सिर्फ 15000 में कर के आ जाते हैं और ये तो अपने ही देश में है। इस बार प्लान था गुरप्रीत भाई के साथ ये चोटी फतह करने का और एक बार फिर से डंका बजाने का।

गुरप्रीत भाई के EBC से लौटने के बाद से ही प्लान बनने लगा. कब जाना है,कैसे जाना है कितना खर्चा करना है,कितने लोगों को साथ में ले जाना है। पहले ये लगा जितने ज्यादा लोग साथ होंगे उतना खर्चा कम होगा। फिर ये सोचा ज्यादा लोग होंगे तो सबकी सोच एक सी नहीं होगी। फिर सोचा कम लोग चलेंगे एक जैसी सोच वाले चलेंगे।

Photo of कालानाग का डरावना सफर, बनाया वर्ल्ड रिकॉर्ड. by Pankaj Mehta Traveller
Photo of कालानाग का डरावना सफर, बनाया वर्ल्ड रिकॉर्ड. by Pankaj Mehta Traveller

टीम भी अच्छी चाहिए थी जिसने अच्छे ट्रेक किये हों और माउंटेंनरिंग कोर्स भी किया हो।टीम बनी गुरप्रीत उसके साथ गुरजीत और राम मैं और मेरे साथ महारज जी यानि अनुज पांडे जी।महाराज जी ने कोर्स नहीं किया था लेकिन पंच केदार, पंच कैलाश और विंटर में 6 महीना केदारनाथ रहने का अनुभव उनके पास था।जिसके उनको अपने साथ ले जाने में मुझे कोई परेशानी नहीं हुई।

Day 2

चलिये अब आगे बढ़ते हैं, कल जो जानकारी बताई थी ब्लैकपीक के बारे में उसमें कुछ चीज़ों को और जोड़ते हैं।क्या आपको पता है कालानाग जाने के रास्ते पर पांडव भी चल चुके हैं।जब पांडव अपने ऊपर लगे कुलहत्या के पाप का प्रायश्चित करने के लिए भगवान शिव को ढूंढ रहे थे, तब पांडव भगवान शिव की तलाश में हर की दून घाटी में भटके थे और कालानाग पर्वत के ठीक सामने स्वर्गारोहिणी चोटी से स्वर्ग को गये थे।पांडवो की भगवान शिव की तलाश केदारनाथ में ख़त्म हुई थी। मतलब पांडव हर की दून कालानाग होते हुए केदारनाथ गये थे. जबकि मैं केदारनाथ होते हुए कालानाग गया था।

Photo of कालानाग का डरावना सफर, बनाया वर्ल्ड रिकॉर्ड. by Pankaj Mehta Traveller
Photo of कालानाग का डरावना सफर, बनाया वर्ल्ड रिकॉर्ड. by Pankaj Mehta Traveller

मतलब मैं बिल्कुल पांडवो का उल्टा हूँ. मतलब मैं नर्करोहिनी से नर्क की ओर जाऊँगा. मुझमें और पांडवो में एक बात की समानता भी है,वो ये की दोनों शिव की तलाश में हैं पांडवो को तो मिल गये देखना ये है की मुझे मिलेंगे या नहीं............... वैसे कालानाग समिट कैंप जाते हुए अर्जुन के नाम से एक जगह भी मिलती है उसका नाम है अर्जुन झारी। मतलब जहाँ कभी अर्जुन गये थे वहाँ भी मैं जा चूका हूँ गिनो एक और समानता मिल गयी मुझे।

प्लानिंग करने में और जुगाड़ निकालने में गुरप्रीत भाई का कोई सानी नहीं और प्लान को कैसे सफल बनाना है ये काम मेरा होता है। मतलब पंजाबी और पहाड़ी की जोड़ी सुपरहिट है। वैसे एक बात और बता दूँ इस एक्सपीडिशन में जितने भी सदस्य थे वो आज तक एक दूसरे से कभी मिले नहीं थे।सिर्फ आभासी दुनियाँ के दोस्त थे। ये वो एक्सपीडिशन था जो 5 दोस्तों को आभासी दुनियाँ से निकाल कर रियल लाइफ में ले जा कर पटकने वाला था 6387 मीटर के ऊपर।

Photo of कालानाग का डरावना सफर, बनाया वर्ल्ड रिकॉर्ड. by Pankaj Mehta Traveller
Photo of कालानाग का डरावना सफर, बनाया वर्ल्ड रिकॉर्ड. by Pankaj Mehta Traveller

फाइनल प्लान ये बना की मैं पहले केदारनाथ जाऊँगा 5 मई को और 6 मई को केदारनाथ से महारज जी अनुज पाण्डेय जी को ले कर निकल लूँगा सांकरी के लिए। गिरी भाई और उनके साथी देहरादून से एक्सपीडिशन का खाने पीने का सामान और कुछ जरुरी सामान ले कर 5 मई को ही सांकरी पहुँच जाएंगे और वहाँ से ही रेंट पर रोप, आइस एक्स, क्रैम्पोन और डोम टेंट ले लेंगे।

प्लान के मुताबिक गिरी भाई एंड गैंग पहुंच गया 5 को मैं और महारज जी निकल गये 6 को केदारनाथ से बाबा का आशीर्वाद ले कर और सांकरी पहुँच गये 7 की शाम को 5 बजे। वहाँ पर जहाँ हमारे भाई लोग रुके हुए थे उस होटल का नाम भी स्वर्गारोहिणी ही था।

सांकरी पहुँच कर पहली बार मिलना हुआ गिरी भाई से जिससे मैंने न जाने कितनी जानकारी ली थी EBC की एवेरेस्ट बेस कैंप ट्रेक करने से पहले। यश पंवार भाई ने फोन कर के हमको ये बताया आपके साथ गाइड के तौर पर जायेगा जय चंद्र पवार। जय चंद्र पवार बस इस बन्दे को ही हम खोज रहे थे कबसे। जितने भी यू ट्यूब में वीडियो देखे और जितनी भी जानकारी हमारे पास थी उनसे ये लगा की जय चंद्र जी का गाइड होना मतलब 80% सफलता हाथ लगना।

Photo of कालानाग का डरावना सफर, बनाया वर्ल्ड रिकॉर्ड. by Pankaj Mehta Traveller
Photo of कालानाग का डरावना सफर, बनाया वर्ल्ड रिकॉर्ड. by Pankaj Mehta Traveller

100% इसलिए नहीं बोल रहा हूँ क्युकी जय चंद्र जी तो 100 % समिट तक चले जायेंगे लेकिन आप नहीं जा पाएंगे. जय चंद्र नामक गाइड का होना हमारे लिए सुकून की बात थी। रात में पास में ही एक रेस्टोरेंट में हम लोग खाने के लिए गये और वहाँ ही हमारे गाइड और पोटर जगदीश राणा से हमारा मिलना हुआ। खाते खाते हम लोग आगे की योजना बनाने लगे। गाइड की बातों से ये लग रहा था ये सफर बहुत ही अद्भुत और साहसिक होने वाला है।

Day 3

सांकरी से सीमा

रात में हुई कालानाग अभियान पर चर्चा ने दिमाग़ में कालानाग की एक अगल छवि बना दी थी। ये तो सिद्धू ( Giri Gurpreet Sidhu ) के पिछले mt kun के अभियान से ये हमको पता चल गया था की सारी कंपनी लोगों से डर का पैसा लेती हैं।दिमाग़ में इतना डर भर दिया जाता है की लोग अभियान में किसी भी बुरी घटना से बचने के लिए कंपनी को लाखो रूपये देने के लिए तैयार हो जाते हैं। जबकि अगर ये अभियान खुद पे भरोसा रख कर खुद से ही गाइड और पोटर की मदद से किया जाय और उपयोग में आने वाले इक्विपमेंट रेंट में ले लिए जाय तो खर्चे को 75 % कम किया जा सकता है।

Photo of कालानाग का डरावना सफर, बनाया वर्ल्ड रिकॉर्ड. by Pankaj Mehta Traveller
Photo of कालानाग का डरावना सफर, बनाया वर्ल्ड रिकॉर्ड. by Pankaj Mehta Traveller

यू ट्यूब पर जितने भी कालानाग के वीडियो हैं उनको देख कर लगा था की कालानाग आराम से किया जा सकता है,लेकिन गाइड की पिछली रात की बातों को सुन कर ये लगा की भाई जितना आसान हम लोग समझ रहे हैं उतना है नहीं। 8 मई की सुबह सुबह हम लोगों ने सांकरी से रेंट में 3 जोड़ी क्रैम्पोन, 3 आइस एक्स, एक टेंट,1 रोप, 2 स्लीपिंग मैट और 2 स्लीपिंग बैग ले लिए. मेरे पास अच्छा वाला स्लीपिंग बैग जो माइनस टेम्प्रेचर पर भी काम करता है है नहीं इसलिए रेंट में लेना पड़ा। कोई सुन रहा है मुझे स्लीपिंग बैग की जरुरत है. कोई अमीर इंसान ये पोस्ट पढ़ रहा है तो मुझे एक अच्छा सा स्लीपिंग बैग गिफ्ट दे सकता है 😄😄......

पहले दिन का सफर शुरू हुआ सुबह 9 बजे। सारा सामान एक गाड़ी के पीछे डाला और उस पर बहुत सारे लोग बैठ गये कुछ सामान के ऊपर और कुछ गाड़ी की छत के ऊपर।कुछ लोग गाड़ी के अंदर भी थे। गाड़ी चल दी सांकरी से तालुका की ओर कुछ दूर चलते ही केदारकान्ता का ट्रेक जहाँ से शुरु होता है वो पॉइंट आ गया। सांकरी से तालुका की पूरी रोड बहुत बेकार थी। 11 km का गाड़ी का सफर 10 बजे तालुका में जा कर ख़त्म हुआ। गाड़ी से अपना सारा सामान निकालकर पास ही एक ढाबे में रखकर वहाँ पर ही हमने नाश्ता किया और फिर शुरू कर दिया अपना ट्रेक। बहुत समय से कोई ट्रेक नहीं किया था. काफी समय बाद ट्रेक कर रहा था मैं। रास्ते की शुरुवात ही सुपीन नदी के किनारे से हुई।

Photo of कालानाग का डरावना सफर, बनाया वर्ल्ड रिकॉर्ड. by Pankaj Mehta Traveller

नदी के किनारे किनारे होते हुए जंगलो में आ गये जंगलो के बीच में एक दुकान थी जहाँ पर बुराश का जूस पिया और खुद को रेफ़्रेस किया। एक वाकिया बताता हूँ जिस दिन हम लोग उस जंगल से वापसी कर रहे थे तो एक लड़कियों का ग्रुप हर की दून जा रहा था, वो सारे अलग अलग हो गये थे। सारे के सारे थक गये थे। पहले एक लड़की आयी उसने हमसे पूछा लंच वाली दुकान कब आएगी हमने बोला अभी 1 घंटे बाद आएगी। उसके कुछ समय बाद एक और लड़की आयी उसका भी सेम प्रश्न और हमारा भी सेम जबाब। फिर ऐसे ही एक एक कर के बहुत सारी लड़कियां आयी सबने वो ही पूछा ऐसा लग रहा था जैसे कोई उनसे जबरजस्ती भूखे पेट ट्रेक्किंग करा रहा हो। लास्ट में जो लड़की आयी उसने भी ये ही पूछा लंच वाला पॉइंट कब आयेगा तब हमने उस से बोला जैसी तुम्हारी स्पीड है न कल सुबह तक तो आ ही जायेगा और फिर हम जोर जोर से हंस पड़े।

बुराश का जूस पी कर आगे चल दिए एक गाँव दिखाई दिया ओसला और एक गाँव जो हमारे गाइड का था वो तो ओसला से भी ऊपर था। उस गाँव का नाम मुझे याद नहीं लेकिन मैंने उसका नाम रखा ओसला का घोंसला। उस हिमालय में वीरान जगह में उन गाँव का होना एक अच्छी अनुभूति थी हमारे लिए तभी गिरी भाई बोला इन गाँव को पता भी है क्या की भारत आजाद हो गया है 😄😄।

Photo of कालानाग का डरावना सफर, बनाया वर्ल्ड रिकॉर्ड. by Pankaj Mehta Traveller

ओसला के ठीक सामने ही था सीमा। सीमा तक का 14 km का ट्रेक पूरा हो चूका था। 3 बजे हम लोग सीमा पहुँच चुके थे. सीमा में हमने एक पुराना पहाड़ी मकान 200 रूपये रेंट पर बूढ़ा जी से ले लिया. बूढ़ा जी का वहाँ एक ही काम था सारे खाली पड़े मकानों को रेंट में लगाना। वो तो GMVM के खाली पड़े बँगले को भी अपना बता कर किराये में लगा देते थे।जो कमरा हमने लिया था वहाँ चूहला भी था। कुछ समय बाद बारिश भी शुरू हो गयी तब तक हमने लकड़ियों का जुगाड़ कर लिया था।चाय बना कर चाय के साथ बारिश का मजा लिया।

Photo of कालानाग का डरावना सफर, बनाया वर्ल्ड रिकॉर्ड. by Pankaj Mehta Traveller
Photo of कालानाग का डरावना सफर, बनाया वर्ल्ड रिकॉर्ड. by Pankaj Mehta Traveller

रात का खाना बनाया और खा कर सो गये।

Day 4

सीमा से रुईनसारा ताल

सीमा की सुबह सुहानी थी, वैसे भी पहाड़ों की सुबह हल्की ठण्ड वाली सुहानी ही होती है। गर्मी में अगर कोई पंछी सुबह सुबह चह चाह रहा है तो उस पर उतना ध्यान नहीं जाता जितना सीमा की उस सुबह चह चाह रहे उस पंछी की आवाज मधुर लग रही थी।जय चद्र भै जी वादा कर के गये थे की सुबह ७ बजे आ जाऊँगा और एक और गाइड जो जगदीश राणा से बढ़िया होगा उस को ले कर आऊँगा।

पहले हम लोगों ने 1 पोटर और एक गाइड के साथ ही ये एक्सपीडिशन करने का सोचा था, किन्तु एक बंदा और लेना उचित लगा। सोचा अगर कोई बंदा बीमार हो गया या पीछे रह गया तो दूसरा पोटर काफी काम का रहेगा हमारे लिए। फिर वैसे भी जगदीश इतनी बकैती करता था, की उसको 6 लोगों को झेलना मुश्किल था और अगर 7 हो जाय तो झेकना थोड़ा कम पड़ेगा।

सीमा में ब्रेकफास्ट किया तब तक जयचंद भै जी भी आ गये और साथ मैं आया सुंदर हमारा एक और नया पोटर। थोड़ी देर में जगदीश भी आ गया और अब हमको 8 बजे के करीब सीमा छोड़ना था। सीमा को तो मैं तब भी नहीं छोड़ना चाहता था और आज भी नहीं साली थी ही इतनी खूबसूरत एक लड़की दूसरी ये जगह।सीमा मेरी ८ नहीं नहीं ९ नंबर की गर्लफ्रेंड थी।लेकिन इंसान जो चाहता है वो होता कहाँ है छोड़ना पड़ा दोनों को दोबारा मिलने का वादा कर के।

Photo of कालानाग का डरावना सफर, बनाया वर्ल्ड रिकॉर्ड. by Pankaj Mehta Traveller

सीमा में बनी पंचक्की

Photo of कालानाग का डरावना सफर, बनाया वर्ल्ड रिकॉर्ड. by Pankaj Mehta Traveller

8 बजे सीमा से चले रास्ता चढाई वाला था अगर हम लास्ट दिन ओसला रुके होते तो रास्ता चढाई वाला नहीं मिलता। सीमा से आगे रास्ता चढाई वाला था और कुछ समय के लिए बोर करने वाला भी था।कुछ समय जंगल में चलने के बाद बुग्याल आया सुंदर सा सबसे आगे मैं था।पीछे से जगदीश चिल्लाया पंकज सर लेफ्ट को निचे की ओर जाना है। मुझे लेफ्ट की ओर कोई रास्ता नजर नहीं आ रहा था जब थोड़ा लेफ्ट आया तो रास्ता दिखा।

Photo of कालानाग का डरावना सफर, बनाया वर्ल्ड रिकॉर्ड. by Pankaj Mehta Traveller
Photo of कालानाग का डरावना सफर, बनाया वर्ल्ड रिकॉर्ड. by Pankaj Mehta Traveller

नीचे उतर कर पुल पार किया अभी तक हम नदी के राइट में चल रहे थे और पुल पार करने के बाद लेफ्ट।थोड़ा आगे चले थे की बारिश आने लगी हल्की हल्की सी एक पत्थर के नीचे अपना सामान रखा। गाइड और सुंदर काफी पीछे थे हमसे तब तक हमने एक एक चाय बनाई। जब तक जय चंद्र और सुंदर आते तब तक हमारे मसाला ओट्स भी तैयार थे।सब लोगों के आने के बाद ओट्स खा कर फिर चल दिए आज की मंजिल थी रुईनसारा ताल।

Photo of कालानाग का डरावना सफर, बनाया वर्ल्ड रिकॉर्ड. by Pankaj Mehta Traveller
Photo of कालानाग का डरावना सफर, बनाया वर्ल्ड रिकॉर्ड. by Pankaj Mehta Traveller
Photo of कालानाग का डरावना सफर, बनाया वर्ल्ड रिकॉर्ड. by Pankaj Mehta Traveller

रुईनसारा ताल पहुँचने से पहले एक जगह आयी गाइड ने बोला आज यहाँ ही स्टे करेंगे मैंने साफ मना कर दिया बोला आज रुईनसारा जाना है भै जी। जय चंद्र भैजी बोले वहाँ खाना बनाने के लिए लड़कियां सॉरी लकड़ियाँ नहीं मिलेंगी। तो हमने बोला चलते हुए जो लकड़ियाँ मिलेंगी हम उठाते हुए चलेंगे। हम लोगों ने ऐसा ही किया। 3 बजे हम रुईनसारा लेक पर थे टेंट लगा लिए और उसके बाद हमारा स्वागत किया जोरदार बारिश ने......

Day 5

रुईनसारा ताल से क्यारकोटि

रुईनसारा ताल को अगर सांकरी से निकलने वाले ट्रेक की धुरी बोला जाय तो गलत नहीं होगा।हर की दून, बाली पास, धूमधार कांडी, कालानाग सारे ट्रेक इसके इर्द गिर्द घूमते हैं। जगह भी बिल्कुल स्वर्ग. घड़ी में 8 बजने को आतुर थे. नाश्ता खा कर हम लोग चल दिए आगे की ओर।

आज की मंजिल ज्यादा दूर नहीं थी, आज हमको सिर्फ 7 km का ट्रेक करना था। कल 18 km चलने का यह फायदा हुआ की आज कम चलना था. हमारा टार्गेट था 12 बजे से पहले क्यारकोटि बेस कैंप पहुँच जाना है। जिस से हमको उस हाई ऑलटिटूड में अपने शरीर को ढालने का समय मिल जाय और हम अच्छे से

अˈक्‍लाइमटाइज़्‌ हो सके।

Photo of कालानाग का डरावना सफर, बनाया वर्ल्ड रिकॉर्ड. by Pankaj Mehta Traveller
Photo of कालानाग का डरावना सफर, बनाया वर्ल्ड रिकॉर्ड. by Pankaj Mehta Traveller

रास्ता खूबसूरत था बाली पास भी नजर आ रहा था। मौसम हमेशा की तरह खुला हुआ था। जैसा सोचा था 12 बजे से पहले ही हम क्यारकोटि पहुँच चुके थे।सामान नीचे पटका और जल्दी se टेंट लगा लिया. अब मौसम का मिजाज भी बदलने लगा था। क्यारकोटि में पहले से ही एक बड़ा किचेन टेंट लगा हुआ था।ये टेंट उत्तरकाशी की एक कंपनी का था जिनकी 1 शेरपा 3 पोटर और 3 क्लाइंट की टीम आज कालानाग समिट के लिए समिट कैंप से निकली हुई थी। कंपनी के 2 बन्दे क्यारकोटि पर ही रुके हुए थे जो की समिट टीम से वाकी टाकी से सीधे जुड़े थे।

उन 2 लोगों से बात करने पर पता चला उनकी टीम रात को 1 बजे समिट कैंप से चल दी थी और अभी दिन के 1 बजने वाला था लेकिन उनका समिट अभी तक हुआ नहीं था। थोड़ा और बात करने पर पता चला उस कंपनी ने अपने एक क्लाइंट से 1 लाख रूपये लिए हैं समिट कराने के। थोड़ी देर बाद उन्होंने शेरपा को वाकी टाकी पर कॉल दी शेरपा ने बताया सभी ने सफलतापूर्वक समिट कर लिया है और थोड़े देर में सब समिट कैंप पहुँच जाएंगे। ये सुनकर हमको भी अच्छा लगा। अब हमको ये पता चल गया था की रुट ओपन हो चूका है और अगर ज्यादा बर्फबारी नहीं हुई तो हमको टॉप तक पहुँचने में ज्यादा दिक्कतों का सामना नहीं करना पड़ेगा।

थोड़े देर बाद जोरदार बारिश होने लगी और हम सब अपने टेंट में दुबक गये। दिन और रात को खाना बनाया और खा कर सो गये पहले हम सोच रहे थे की एक दिन और क्यारकोटि में रुकेंगे लेकिन सोने से पहले हमने अगले दिन एडवांस बेस कैंप चलने का निर्णय लिया।

Day 6

क्यारकोटि से एडवांस बेस कैंप

मौसम हमेशा सुबह सुहाना रहता था लेकिन दोपहर होते होते रोज बारिश हो जाती थी।क्यारकोटि का भी मौसम सुबह सुबह सुहाना था.8 बजे के आस पास ट्रेक स्टार्ट कर दिया। आज का रास्ता काफ़ी खरतनाक था। पुरे रास्ते पत्थर गिरने का खतरा था. एक दो जगह आगे गये ग्रुप ने रोप भी फिक्स की थी जिसका फायदा हमको मिल गया।

Photo of कालानाग का डरावना सफर, बनाया वर्ल्ड रिकॉर्ड. by Pankaj Mehta Traveller
Photo of कालानाग का डरावना सफर, बनाया वर्ल्ड रिकॉर्ड. by Pankaj Mehta Traveller
Photo of कालानाग का डरावना सफर, बनाया वर्ल्ड रिकॉर्ड. by Pankaj Mehta Traveller
Photo of कालानाग का डरावना सफर, बनाया वर्ल्ड रिकॉर्ड. by Pankaj Mehta Traveller

पुरे रास्ते में कदम रखने की भी सही से जगह नहीं थी। मैं सबसे आगे चल रहा था बार बार रुक कर पीछे देखना पड़ता था की सब लोग सही हैं या नहीं। करीब 10 बजे हम धरो की उड़ायारी पहुँच चुके थे अभी तक 4 km चलना हो चूका था। हमारे पास 2 ऑप्शन थे.पहला ये की आज यहाँ ही रुका जाय जिस से हमारे शरीर को यहाँ के वातावरण में ढलने में आसानी हो और हमको आगे AMS की दिक्कत न हो।

दूसरा ऑप्शन ये था की हम आज ही समिट कैंप पहुँच जाय और कल समिट का प्रयास करें। ऐसा करने से हमारा समिट 5 दिन में हो सकता था।अभी तक कोई भी कालानाग को 7 दिन से पहले फतह नहीं कर पाया है। ये एक बड़ी उपलब्धि होती हमारे लिए. मगर ऐसा करना हमारे लिए ख़तरनाक हो सकता था। ऐसा करने से AMS के चांस बड़ जाते और ये भी हो सकता था हम समिट तक पहुँच ही नहीं पाते।

Photo of कालानाग का डरावना सफर, बनाया वर्ल्ड रिकॉर्ड. by Pankaj Mehta Traveller
Photo of कालानाग का डरावना सफर, बनाया वर्ल्ड रिकॉर्ड. by Pankaj Mehta Traveller
Photo of कालानाग का डरावना सफर, बनाया वर्ल्ड रिकॉर्ड. by Pankaj Mehta Traveller

हमने वहाँ ही रुकना उचित समझा। टेंट लगा लिया और आस पास थोड़ा घुमा. कुछ समय बाद फिर से बारिश शुरू हो गयी. आज हम करीब 4600 मीटर की ऊंचाई पर थे।

Photo of कालानाग का डरावना सफर, बनाया वर्ल्ड रिकॉर्ड. by Pankaj Mehta Traveller
Day 7

एडवांस बेस कैंप से समिट कैंप

आज ट्रेक करते हुए हमको 4 दिन हो गया था। आज हमारा पाँचवा दिन था।हम 8 मई को सांकरी से चले थे और आज 12 मई था। अभी हम थे एडवांस बेस कैंप धरों की उड़यारी पे. आज समिट कैंप तक का रास्ता तो छोटा ही था करीब 4 km का लेकिन था बहुत चलेंजिंग। पहले तो पत्थरो के गिरने वाला रास्ता और उसके बाद ग्लेशियर और क्रिवासेज से भरा हुआ रास्ता।

पत्थर गिरने वाले रास्तो का मुझे खासा अनुभव था लेकिन ग्लेशियर पर कभी ज्यादा नहीं चला था।सितम्बर 2021 में मैंने कागभूसण्डी ट्रेक किया था जहाँ थोड़ा ग्लेशियर पर चलने को मिला था. सुबह 8 बजे हम लोग जैसे ही जाने को तैयार हुए गुरजीत बोला तुम लोग जाओ मैं नहीं जाऊँगा। हमने बोला भाई क्या हुआ तो बांगू बोला हुआ कुछ नहीं लेकिन जाने का मन नहीं कर रहा है तुम लोग चले जाओ।

Photo of कालानाग का डरावना सफर, बनाया वर्ल्ड रिकॉर्ड. by Pankaj Mehta Traveller
Photo of कालानाग का डरावना सफर, बनाया वर्ल्ड रिकॉर्ड. by Pankaj Mehta Traveller
Photo of कालानाग का डरावना सफर, बनाया वर्ल्ड रिकॉर्ड. by Pankaj Mehta Traveller
Photo of कालानाग का डरावना सफर, बनाया वर्ल्ड रिकॉर्ड. by Pankaj Mehta Traveller
Photo of कालानाग का डरावना सफर, बनाया वर्ल्ड रिकॉर्ड. by Pankaj Mehta Traveller

हम लोगो ने एक टेंट और कुछ खाने का सामान बांगू के लिए वहाँ ही छोड़ दिया। हम धीरे धीरे आगे जाने लगे कुछ समय बाद हमको वो टीम वापस आते हुए मिली जिसने 2 दिन पहले समिट किया था। हमने उनको बधाईयां दी। हमने उनसे पूछा क्या क्रैम्पोन की जरुरत पड़ी। उन्होंने बताया की क्रैम्पोन की जरुरत तो नहीं पड़ी लेकिन कपलास शूज की जरुरत पड़ी।तब उन्होने पूछा आपके पास कपलास शूज हैं न। हमने बोला हमारे पास सिर्फ वाटरप्रूफ ट्रेक्किंग शूज हैं।

उन्होंने सीधे मना कर दिया की आप लोग समिट तक नहीं पहुँच पाओगे बिना कपलास शूज के ऊपर बहुत ठंडा है और आपके जूतों के अंदर बर्फ और पानी चला जायेगा चलना मुश्किल हो जायेगा। हमने बोला कोई नहीं हम चले जायेंगे बाय बाय।

Photo of कालानाग का डरावना सफर, बनाया वर्ल्ड रिकॉर्ड. by Pankaj Mehta Traveller
Photo of कालानाग का डरावना सफर, बनाया वर्ल्ड रिकॉर्ड. by Pankaj Mehta Traveller

जैसे ही हमने पत्थरो मोरेन वाला रास्ता पार किया हम एक अलग ही दुनियाँ में पहुँच चुके थे।हमारे पीछे था स्वर्गरोहिनी पर्वत शिखर, हमारे बाएं तरफ था धूमधारकंडी दर्रा जो हर्षिल की ओर जाता था और हमारे ठीक सामने था कालानाग।मानो हम जन्नत में खड़े हो बस कमी थी तो अप्सरा की।

अब पूरा रास्ता बर्फ वाला था थोड़ा आगे गया ही था की मेरा पूरा पैर घुटनों तक बर्फ के अंदर अचानक घुस गया और नीचे एक बड़ा पत्थर था जिस से मेरे घुटने छिल गये। आगे का पूरा रास्ता बर्फीला और फिसलन से भरा था। 1 km ऐसे ही चलने के बाद एक बर्फ की सीधी खड़ी दीवार आ गयी उसमें चढ़ने के लिए हमको रोप की जरुरत थी लेकिन एक कुशल गाइड के होने से हमारी ये जरुरत भी जरुरत न रही।

Photo of कालानाग का डरावना सफर, बनाया वर्ल्ड रिकॉर्ड. by Pankaj Mehta Traveller
Photo of कालानाग का डरावना सफर, बनाया वर्ल्ड रिकॉर्ड. by Pankaj Mehta Traveller
Photo of कालानाग का डरावना सफर, बनाया वर्ल्ड रिकॉर्ड. by Pankaj Mehta Traveller
Photo of कालानाग का डरावना सफर, बनाया वर्ल्ड रिकॉर्ड. by Pankaj Mehta Traveller

बिना रस्सी के 70 डिग्री की दीवार को भी हम लोग आइस एक्स और ट्रेक्किंग स्टिक की मदद से पार कर गये अब हम करीब 5100 मीटर की ऊंचाई पर आ चुके थे।अब भी रास्ता बिल्कुल खड़ा था. अब हमको अपने नीचे बहुत सारी क्रिवासेज ( हिम दरार ) दिखाई दे रही थी। पूरा रास्ता फिसलन वाला था जैसे तैसे हमारा गाइड आगे का रास्ता बना कर हमको आगे ले जा रहा था।अब हमारी पुरी जिंदगी हमारी आइस एक्स के भरोसे थी।अगर हमारा पैर थोड़ा भी फिसल जाता तो हम सीधे क्रिवासेज में चले जाते जहाँ हम हमेशा हमेशा के लिए दफ़न हो जाते।अगर पैर फिसला तो जिसके पास आइस एक्स है वो बच जायेगा और जिसके पास नहीं है वो तो गया।

12 बजे हम लोग 5500 मीटर पर अपने समिट कैंप पर पहुँच चुके थे अब बर्फबारी भी शुरू हो चुकी थी। जल्दी से टेंट लगा कर घुस गये उसके अंदर.........

Photo of कालानाग का डरावना सफर, बनाया वर्ल्ड रिकॉर्ड. by Pankaj Mehta Traveller
Day 8

समिट डे

समय रात के 12 बजे - गुरप्रीत भाई पोट्टी लग रही है मुझे।

गिरी भाई - भाई थोड़ा रोक लो 1 बजे का अलार्म लगा रखा है तब फ्रेश हो लेना उसके बाद समिट के लिए चले जायेंगे।

मैं - भाई लूज़ मोशन हो गया है लगता है मुझे रोकना मुश्किल है।

रात को 12 बजे रात को टेंट के बाहर निकला और थोड़ा आगे जा कर बैठ गया रात चांदनी थी।चाँद के उजाले में मुझे ठीक मेरे ऊपर कालानाग पर्वत दिखाई दे रहा था गजब का खूबसूरत लग रहा था कमीना. मुझे देख कर मुस्कुरा भी रहा था. अपने पास बुला रहा था। उसको देखते देखते हल्का हो गया मैं।साला पेट को भी अभी ही ख़राब होना था जिस दिन समिट करना था।

Photo of कालानाग का डरावना सफर, बनाया वर्ल्ड रिकॉर्ड. by Pankaj Mehta Traveller

निवृत हो कर टेंट में दुबक गया तापमान माइनस 20 के करीब रहा होगा वैसे मुझे तो माइनस के नीचे कितना भी हो एक जैसा ही लगता है. नींद तो वैसे भी नहीं आती हाई ऑलटिटूड में। थोड़े देर बाद अचानक तेज तेज बहुत ज्यादा तेज हवाएं चलने लग गयी। ऐसा लग रहा था जैसे इन हवाओ को मेरे पोट्टी करने का ही इंतजार था। हिमालय जैसे सोच रहा हो कब ट्रैवेलर पोट्टी करे और कब मैं अपना रौद्र रूप इनको दिखा कर डरा दूँ।

ठंडी ठंडी हवाओं का चलना हिमालय में आम बात है लेकिन इतनी तेज हवा का चलना मेरे साथ पहली बार था। सबसे किनारे में गिरी सोया था और हवाओं के कारण सारा टेंट उड़ कर उसके ऊपर आ रहा था। सबको डर लग रहा था लेकिन बोल कोई नहीं रहा था। सब के सब सोने का नाटक कर रहे थे,लेकिन हमारे महाराज जी अनुज पाण्डेय जी शायद सही में सो रहे थे। राम भाई की भी हालत टाइट थी लेकिन बोल कोई नहीं रहा था।थोड़ी देर में गिरी भाई बोला पंकज भाई टेंट पूरा ऊपर आ रहा है क्या करू मैंने बोला ऐसे ही दबा कर सोते रहो अभी कुछ नहीं कर सकते।

Photo of कालानाग का डरावना सफर, बनाया वर्ल्ड रिकॉर्ड. by Pankaj Mehta Traveller
Photo of कालानाग का डरावना सफर, बनाया वर्ल्ड रिकॉर्ड. by Pankaj Mehta Traveller

डर ये लग रहा था कहीं एवलांच न आ जाय इन हवाओं के चलने से वैसे समिट कैंप है भी ऐसी जगह जिसमें हमेशा एवलांच का खतरा बना रहता है और आज रात तो तूफान भी अपने चर्म पर था।अच्छी खबर सिर्फ एक ही थी वो ये की मौसम साफ था बर्फबारी नहीं हो रही थी लेकिन तूफान के कारण ऊपर की सारी बर्फ हमारे टेंट के पास जमा होती जा रही थी। हमारे टेंट में एक छोटा सा छेद भी था जिसकी वजह से पुरी बर्फ हमारे जूतों के अंदर आ गयी थी ये हमने सुबह देखा।

अलार्म बजा दूसरे टेंट से गाइड चिल्लाया फ़ौजी साहब क्या करना है हवा चल रही है।मैंने बोला भै जी गाइड आप हो आप बताओ क्या करना है मैं तो चलने को तैयार हूँ। गाइड बोला ना भाई जी अभी हवा बहुत तेज है अभी ऊपर जाने में खतरा है। ऊपर से हवा के साथ बर्फ आ रही है उड़ने का खतरा है अगर थोड़ा पैर फिसला तो हवा के साथ हिमदरार में सदा के लिए समा जाने का खतरा है। वैसे मेरा मानना है जिंदगी और मौत हमेशा ऊपर वाले के हाथ में है लेकिन मौत का खतरा करीब होने पर आ बैल मुझे मार वाले काम नहीं करने हैं।

Photo of कालानाग का डरावना सफर, बनाया वर्ल्ड रिकॉर्ड. by Pankaj Mehta Traveller

मैंने बोला गाइड भाई सो जाओ जब हवा कम हो जाएगी तब चलेंगे। अब समस्या ये थी की समिट के लिए हमारे पास समय कम होगा और 10 बजे के बाद वहाँ के मौसम का कोई भरोसा नहीं होता कब बर्फबारी शुरू हो जाय और आज रात के मौसम ने सबको वैसे भी डरा दिया था।सुबह 4 बजे हवाओं का चलना कम हो गया मैंने गाइड को आवाज मारी पवार जी उठो चलना है दूसरे टेंट से आवाज आयी मैं तैयार हूँ। लेकिन सुंदर और जगदीश हमारे दोनों पोटर यहाँ ही रुकेंगे वो आगे जाने से मना कर रहे हैं।

मैंने बोला ई न चलबो।अगर हमारे किसी सदस्य की तबियत बीच रास्ते में ख़राब होती है तो उनको कौन लाएगा नीचे उठाओ दोनों को। सुंदर चलने को तैयार हो गया।जगदीश तो ॐ जय जगदीश करते हुए सोया रहा। अपने जूतों की हालत देख कर रोना आ रहा था सारी जगह बर्फ ही बर्फ थी जूतों में बर्फ निकाल कर थोड़े देर स्टोव में जूतों को गर्म किया। टेंट से बाहर निकले और जय माता दी बोलते हुए सुबह 4 बज कर 45 मिनट पर अपना कालानाग अभियान सुरु कर दिया. बुरा मत मानना हम पहाड़ी श को स बोलते हैं इसलिए सुरु कर दिया।

मौसम साफ था लेकिन कब तक रहेगा इसकी कोई गारंटी नहीं थी। समिट कैंप से थोड़ा नीचे को आ कर हमको एक सीधी खड़ी बर्फ की दिवार चढ़नी थी और कब तक चढ़नी थी ये नहीं पता क्युकी 5500 मीटर से हमको जाना था 6387 मीटर अब आप खुद ही समझ जाओ। उजाला भी करीब करीब हो ही चूका था रात को 2 बजे जाते तो आइस हार्ड होती जिससे चढ़ने में आसानी होती अभी तो आइस कहीं हार्ड थी कहीं सॉफ्ट. कहीं फिसल कर हिमदरार में जाने का डर कहीं पुरे पैर का बर्फ के अंदर जाने का डर. ये डर भी न साला एक दिन जान ले लेगा।

Photo of कालानाग का डरावना सफर, बनाया वर्ल्ड रिकॉर्ड. by Pankaj Mehta Traveller

सीधी खड़ी दिवार एक आइस एक्स गाइड के पास एक गिरी भाई के पास और एक राम भाई के पास मेरे और महारज जी के पास hiking stick। सबसे आगे गाइड एक्स से रास्ता बना रहा था और हम एक एक कर के उसके क़दमों का अनुशरण कर रहे थे.इतने ऊपर थे की इंसान सांस लेते लेते थक जाय फिर ये रास्ता बनाने वाला काम इतना भी आसान नहीं था।थोड़ी देर में गाइड जी थक गये फिर गिरी भाई ने कमान संभाली। फिर भाई भी फुस्स हो गये। अब ये समझ में आया अगर ऐसे ही जायेगे तो रात हो जाएगी और हम टॉप तक पहुँच भी न पाएंगे. अब हमारे गाइड ने निकला देशी जुगाड़। जूतों को एड़ी से मार मार कर रास्ता बनाने का ये आसान भी था और कम थकाने वाला भी था।

गाइड थका तो मैंने कमान सभाल ली फिर ऐसे ही आगे बढ़ते रहे. अब स्पीड भी अच्छी हो गयी थी हमारी।पैर बहुत बार पूरा बर्फ में चले जाते थे। जिससे जूतों के ऊपर से बर्फ जूतों के अंदर तक चली गयी थी। सबके पैर अब सुन्न हो गये थे। अहसास क्या होता है पैर होने का वो भी समझ में नहीं आ रहा था बस चल रहे थे जैसे तैसे। गरुड़ पीक के ऊपर धुप आ चुकी थी जो धीरे धीरे हमारी ओर बड़ रही थी।पैर धीरे धीरे उखड़ रहे थे।पैर नाम की कोई चीज मानव शरीर में होती है इसका भी इल्म नहीं हो रहा था उस समय। अब तो हाथों का भी ये ही हाल हो रहा था ग्लोव्स अच्छे ग्लोव्स हाथों को गरम रखते हैं ये बात भी काल्पनिक लग रही थी।

Photo of कालानाग का डरावना सफर, बनाया वर्ल्ड रिकॉर्ड. by Pankaj Mehta Traveller
Photo of कालानाग का डरावना सफर, बनाया वर्ल्ड रिकॉर्ड. by Pankaj Mehta Traveller

मैं और गाइड बाकि लोगों से करीब 100 मीटर आगे थे पीछे से गिरी भाई की आवाज आयी पंकज भाई....... अब न हो पायेगा. मेरे और राम के पैरों ने काम करना बंद कर दिया है फरोस्ट बाईट हो सकती है हमको वापस जाना होगा।बाय आप लोग पूरा कर के आना उनकी मजबूरी मैं समझ सकता था लेकिन अगर वो साथ रहते तो मनोबल बड़ा रहता। उनका अभी नीचे जाना ही सही था। मैंने उनको बाय बोला।अब हम 4 लोग. गाइड, सुंदर भाई, महारज जी और मैं ही बचे थे। हालत तो मेरी भी बहुत ज्यादा ख़राब थी लेकिन जूनून सवार था कालानाग का।

महाराज जी ने तो ठाना था जहाँ तक पंकज दाज्यू जाएंगे वहाँ तक जाना है बस उनके पीछे पीछे चलते चले जाना है। सुंदर भी गरुड़ पीक जाने से पहले हार मान चूका था। बोला भाई जी मैं भी वापस जा रहा हूँ। मैं बोला ऐसे कैसे सुंदर तुम पहाड़ी हो याद रखो उसको बहुत मोटिवेट करना पड़ा उस समय तब जा कर वो तैयार हुआ। गरुड़ पीक के नीचे हम जैसे ही पहुंचे फिर सुंदर बोल पड़ा मैं जा रहा हूँ. मुझे फिर से उसको याद दिलाना पड़ा की वो पहाड़ी है।

Photo of कालानाग का डरावना सफर, बनाया वर्ल्ड रिकॉर्ड. by Pankaj Mehta Traveller
Photo of कालानाग का डरावना सफर, बनाया वर्ल्ड रिकॉर्ड. by Pankaj Mehta Traveller

एक कहावत है हम पहाड़ों को नहीं जीतते न ही उनपर फहत पाते हैं हम जीतते हैं तो सिर्फ और सिर्फ अपने आपको और अपने आप पर फतह पाते हैं। ये सही में होता है पहाड़ों पर और आज अपने आपको ही जितने की जद्दोजहद में 4 मानव लगे थे कालानाग शिखर की ओर.4 नहीं 3 क्युकी हमारा गाइड इस से पहले भी 2 बार अपने आपको जीत चूका था।

गरुड़ पीक के पास पहुँच कर गाइड बोला सर ज्यादातर कंपनी यहाँ तक ही ले जाती हैं और यहाँ ही समिट बोल कर वापस ले जाती हैं। आपको क्या करना है मैंने बोला आगे चलो।गरुड़ पीक के पास पहुंचते ही गाइड और मेरी नजर पड़ी एक रस्सी पर जो थोड़ा सा दिख रही थी बाकि पुरी बर्फ के अंदर थी। रस्सी को खींचा,बहुत लम्बी थी। गाइड बोला सर ये पुरी समिट तक जाएगी लग रहा है। रस्सी का सहारा लेते हुए हम आखिरकार समिट तक पहुँच ही गये।0935 पर हम ऊपर थे 10 मिनट रुक कर वापस नीचे आ गये उस दिन ही हम रुईनसारा पहुँच गये और अगले दिन यानि सातवे दिन सांकरी।

Photo of कालानाग का डरावना सफर, बनाया वर्ल्ड रिकॉर्ड. by Pankaj Mehta Traveller
Photo of कालानाग का डरावना सफर, बनाया वर्ल्ड रिकॉर्ड. by Pankaj Mehta Traveller

6 दिन में ही हमने कालानाग जीत लिया।इतने कम दिन में ये कारनामा किसी से नहीं किया है, और ये एक वर्ल्ड रिकॉर्ड है।हालांकि रिकॉर्ड बनाने का हमारा कोई मकसद नहीं था।अगर रिकॉर्ड का सोच कर ये किया होता तो इसको हम 5 दिन में भी कर सकते थे।

कैसा लगा आपको यह आर्टिकल, हमें कमेंट बॉक्स में बताएँ।

बांग्ला और गुजराती में सफ़रनामे पढ़ने और साझा करने के लिए Tripoto বাংলা और Tripoto ગુજરાતી फॉलो करें

रोज़ाना Telegram पर यात्रा की प्रेरणा के लिए यहाँ क्लिक करें।

Further Reads