किसी भी सफर में दोस्तों का साथ में होना बहुत ज़रूरी है। आप चाहे कितने ही मंझे हुए यात्री क्यों न हो,आपको आज भी सफर में किसी साथी की तलाश ज़रूर रहती होगी। इसमें संकोच करने की कोई बात नहीं है। हम में से ज़्यादातर लोगों को सफर में नए लोगों से मिलना और उनके जीवन को जानना पसंद होता है।
हमेशा अपनी ही धुन में रहने वाले आप में से कई ऐसे भी लोग होंगे जो मुझे अकेलेपन के बेहतरीन अनुभव के बारे में ज्ञान देंगे। पर अपने अनुभव से तो मैंने यही सीखा है की अपने सूटकेस के साथ सफर में अगर एक और साथी मिल जाए तो खुशियाँ दुगनी ही होती हैं।
तो चलिए और समय ज़ाया ना करते हुए मैं आपको बताती हूँ वो कुछ नुस्खे जो मैंने कई बार सफर में नए लोगों से मिलने और बातचीत करने के लिए इस्तेमाल किए। क्या पता आपको भी यह पढ़ कर सफर में कोई नया दोस्त मिल जाए!
अपनी बातों से सभी को जोड़ें
कई बार ऐसा होता है कि सफर में अजनबियों के साथ बातें करते समय हम अपनी यात्राओं के अनुभव बाँटते हैं। जब भी आप ऐसी बातें करें तो ध्यान रहे की अपनी कहानी के अंत में अपने श्रोताओं से सवाल ज़रूर पूछें। जैसे की, "स्पीति के मेरे सफर में मुझे बहुत कठनाईयाँ हुई। क्या आप वहाँ गए हैं?" अगर आपको लंबे सफर के साथी मिल गए हैं तो ध्यान रहे की उनसे बात करते समय आप बहुत धीरे-धीरे और उनकी सहमति के साथ ही उनके निजी जीवन के बारे में पूछताछ करें।
सभी के नाम याद रखें
यह बात सुनने में शायद आपको अजीब लगे पर नए लोगों से मिलने पर अच्छा होगा की आप अपने में बातों में कई बार अपने नाम इस्तेमाल करें। इससे लोगों को आपका नाम याद रहेगा और उनको आपसे बात करने में सहूलियत होगी, जैसे , "मैं और मेरी दोस्त को एक बार दौड़ कर बस पकड़नी पड़ी। मेरी दोस्त चिल्लाती रही, "स्रष्टि, जल्दी।" ऐसे बातों से सामने वाले को आपका नाम भी पता चल जाता है और आप बातें करते हुए किसी सेल्समैन जैसे भी नहीं लगेंगे।
कहानियों में ज्यादा वक़्त ज़ाया न करें
अगर आपने सफर में नए लोगों से पहले बात की है तो आपको पता ही होगा की किसी को भी वो इंसान पसंद नहीं आता जो जिसे सब कुथ पता हो। कब आप ओबामा से मिले, कब आपने मोदी के साथ चाय पी, या कब आप माउंट एवेरेस्ट चढ़ गए। कई बार ऐसा भी होता है की अपने गुड़गान करने वाला आदमी सामने वालों को घमंडी लगता है। इसलिए ध्यान रखें की आपकी बातों में दिखावा न हो।
अकेले मन न लगे तो और यात्री दल ढूढें
हम में से ऐसे कई लोग होते हैं जिनको ढेरों बातें करना और नए लोगों से अनुभव बाँटना बहुत पसंद होता है। ऐसे में अकेले सफर कर रहे हों ज़ाहिर है कि आपका ज़्यादातर समय अकेले ही बीतेगा। मान लें कि आपको एक सहयात्री मिल भी गया तो हो सकता है कि उसे ज्यादा बात करना ना पसंद हो। ऐसे में बेहतर यही होगा की आप किसी यात्री दल से मिले-जुलें। लोगों के समूह में दिलचस्प लोगों से मिलने की संभावना और भी बढ़ जाती है।
सवालों के ज़रिए लोगों को जानें
यह जानना ज़रूरी है की सवाल पूछने से बात-चीत की गहराई और बढ़ती है। कब, कहाँ और कैसे, ये सभी शब्द आपको सामने वाले इंसान को अच्छे से जानने और समझने में मदद करते हैं।बातों बातों में ही आप कई बार आप कई बातें जान सकते हैं। बस सलीका आना चाहिए। जैसे की, "दिल्ली में तो आजकल बहुत गर्मी है। पता नहीं और शहरों में क्या हाल होगा!"
सभी का ख्याल रखें
इस बात को अपने जीवन का मूल मंत्र बना लें की 'जैसा आप औरों के प्रति व्यवहार करेंगे, वैसे ही आपके साथ भी होगा।' इसीलिए अच्छा व्यवहार होना ज़रूरी है। जब भी कोई अपने देश, राज्य या शहर के बारे में बताए तो ध्यान से सुनें। यह बात आप के लिए भी फायदेमंद हो सकती है। अगर आप उस जगह के बारे में कुछ ना जानते हों तो किसी भी समुदाय या उसकी संस्कृति का मज़ाक ना उड़ाएँ।
क्या आप अपने सफर के दौरान दिलचस्प किस्म के लोगों से मिलें है? हमको उनकी कहानियांँ बताएँ और किस तरह से उन्होंने आपका सफर सुहाना बनाया। अपनी कहानी लिखने के लिए यहाँ क्लिक करें।