तालों में ताल नैनीताल के पास एक अद्भुत दर्शनीय स्थल *कैंची धाम आश्रम*
वैसे तो उत्तराखण्ड के कुमाऊँ क्षेत्र का पर्यटन स्थल नैनीताल को झीलों का शहर कहा जाता है। जो पहाड़ों पर स्थित झीलों से घिरा है । बर्फ से ढके पहाड़ जो आपको प्राकृतिक सौंदर्य में सराबोर कर देंगे। नैनीताल दर्शनीय स्थल आपको मंत्र मुग्ध कर देगा | इतना खूबसूरत नज़ारा शायद ही आपको कहीं देखने को मिले। झीलों से गिरता पारदर्शी जल आपकी आँखों को सुकून देगा।
आइए ! चलते है नैनीताल और वहाँ के आस पास के भ्रमण पर जहाँ आपको केवल आनंद और उत्साह मिलेगा |
नैनीताल कैंची धाम आश्रम के प्रांगण में हरियाली और साफ-सुथरे कमरों के साथ एक शांत और आत्मीय वातावरण होता है जो आपकी भागदौड़ भरी जिंदगी को सुकून का अहसास करता है |
भारत के उत्तराखंड की अलौकिक वादियों में से एक दिव्य लुभावना स्थल कैंची धाम है । जिसे नीम करौली धाम भी कहा जाता है, उत्तराखंड का एक ऐसा तीर्थस्थल है, जहां वर्ष भर श्रद्धालुओं का तांता लगा रहता है। भारी संख्या में भक्तजन व श्रद्धालु यहां पहुचकर अराधना व श्रद्धा पुष्प श्री नीम करौली बाबा के चरणों में अर्पित करते है। इस मंदिर को हिन्दू धर्म के भक्तों द्वारा प्रासंगिक माना जाता है। नीम करौली बाबा का मंदिर श्रद्धालुओं के लिए प्रमुख पर्यटन स्थलों में से एक है।
इस जगह का नाम कैंची धाम नाम क्यों पड़ा ?
यहां दो घुमावदार मोड़ होने के कारण जो कैंची के आकार के हैं इसलिए इसे कैंची धाम आश्रम कहा जाता है ---
यह मंदिर नैनीताल जिले के निकट स्थित है, इस तीर्थ स्थल पर हर साल अनेक प्रकार के पर्व आयोजित किए जाते हैं और लाखों की संख्या में भक्त यहाँ आते हैं | यह आश्रम धार्मिक श्रेणी में आता है | कैंची धाम की यात्रा का सबसे अच्छा समय मार्च से जून और सितंबर से नवंबर के बीच का है। इन महीनों के दौरान, मौसम सुहावना होता है और आश्रम का प्राकृतिक परिवेश सबसे अच्छे रूप में होता है।
कैंची धाम के महत्वपूर्ण बिन्दु _________
खुलने का समय: सुबह 6:30 बजे से शाम 6:30 बजे तक
* कैंची धाम में कोई प्रवेश शुल्क नहीं है | इसमें निःशुल्क प्रवेश है |
* आश्रम आगंतुकों को मामूली कीमतों पर साधारण शाकाहारी भोजन प्रदान करता है।
* शयनगृह से लेकर निजी कमरे तक यहाँ पर 200 रुपये प्रतिदिन की लागत से शुरू होती है।
* कैंची धाम सभी आगंतुकों के लिए खुला है चाहे उनका धर्म या राष्ट्रीयता कुछ भी हो।
कैंची धाम की स्थापना –
अपने जीवन- काल में नीम करौली बाबा जी ने अनेकों स्थानों का भ्रमण किया। महाराज ने 100 से भी अधिक मंदिरों और आश्रमों का निर्माण करवाया था, जिसमे से वृंदावन और कैंची धाम आश्रम मुख्य है। कैंची धाम आश्रम में नीम करौली बाबा जी अपने जीवन के अंतिम दशक में सबसे ज्यादा रहे,आरम्भ में यह स्थान दो स्थानीय साधुओं, प्रेमी बाबा और सोमवारी महाराज के लिए यज्ञ हेतु बनवाया गया था साथ ही यहाँ पर एक हनुमान मंदिर कि स्थापना भी उसी समय पर की गई।
देश और विदेश में सभी जगह बाबा के भक्त –
फेसबुक फाउंडर मार्क जुकरबर्ग फेसबुक को लेकर कुछ तय नहीं कर पा रहे थे तो किसी ने ही उन्हें कैंची धाम जाने की सलाह दी थी। उसके बाद जुकरबर्ग ने यहां की यात्रा की और एक स्पष्ट विजन लेकर वापस लौटे। पं. गोविंद वल्लभ पंत, डॉ सम्पूर्णानन्द, राष्ट्रपति वीवी गिरि, देश के पहले प्रधानमंत्री पं. जवाहर लाल नेहरु और भी ऐसे अनेक लोग बाबा के दर्शन के लिए आते रहते थे। एप्पल की नींव रखने से पहले स्टीव जॉब भी कैंची धाम आए थे। आप भी देर ना करें, जल्द से जल्द आप भी कैंची धाम जाने की योजना बनाएँ |
कैंची धाम का प्राकृतिक सौन्दर्य ---
नीम करौली बाबा के मंदिर को चारों ओर सुंदर प्राकृतिक सौंदर्य और शांतिपूर्ण वातावरण के लिए भी प्रसिद्ध किया जाता है। यहां पर आने वाले लोग अपने आत्मा को शुद्धि, शांति और सकारात्मक ऊर्जा के लिए प्राप्त करते हैं। नीम करौली बाबा मंदिर उत्तराखंड की संतानों के बीच एक मान्यता और श्रद्धा का केंद्र है जो इसे राष्ट्रीय और अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर प्रसिद्ध बनाता है।
कौन थे बाबा नीम करौली ?---
कौन थे नीम करौली बाबा ? यह प्रश्न बार बार आप सभी के मन में उमड़ रहा होगा तो आइये कैंची धाम जाने से पहले जान लेते हैं उनके बारे में ------
एक प्रमुख हिंदू संत जो राजस्थान के करौली जिले में नीम करोली गाँव में जन्मे थे। उनका जन्म सन् 1377 में हुआ था | नीम करौली बाबा को महत्वपूर्ण धार्मिक गुरु और साधु माना जाता है। उन्होंने भारतीय संत मत का प्रचार किया और जनता को धार्मिक उद्देश्यों की दिशा में मार्गदर्शन किया। उनकी शिक्षाओं में सामाजिक समानता, निष्काम कर्म, ध्यान, तप, और सेवा के महत्व पर जोर दिया गया है। नीम करौली बाबा के उपदेशों और उनके जीवन अनुसार, उन्होंने संसारिक संतुष्टि, शांति और समृद्धि की प्राप्ति के लिए सदा प्रयत्नशील रहने का संदेश दिया। उनका मंदिर राजस्थान में एक प्रमुख धार्मिक स्थल है जो हर साल लाखों भक्तों को आकर्षित करता है।
प्रतिवर्ष यहाँ 15 जून को एक विशाल मेले व भंडारे का आयोजन होता है। इस दिन इस आश्रम का स्थापना दिवस मनाया जाता है | भक्तजन यहां आकर अपनी श्रद्धा व आस्था को व्यक्त करते है। कहते है कि यहां पर श्रद्धा एवं विनयपूर्वक की गयी पूजा कभी भी व्यर्थ नहीं जाती है। यहां पर मांगी गयी मनोकामना हमेशा पूर्ण होती है।