हिन्दू तीर्थ स्थलों का जब भी ज़िक्र आता है तो लोग बाबा अमरनाथ, वैष्णो देवी, चार धाम को याद करते हैं लेकिन एक कठिन यात्रा ऐसी भी है जिसके लिए भारत के बाहर जाना पड़ता है। वो है कैलाश मानसरोवर यात्रा, जो तिब्बत से शुरू होकर चीन पर ख़त्म होती है। तो चल पड़ते हैं एक ख़ुशनुमा सफ़र की खोज में।
कैलाश मानसरोवर का इतिहास
नाम सुनकर ही पता लग जाता है कि कैलाश पर्वत जगह भगवान शिव का दरबार है। हिन्दू मान्यता के अनुसार भगवान शिव अर्धांगिनी माँ पार्वती और अपने बेटे गणेश और कार्तिकेय के साथ यहाँ पर रहते थे।
लेकिन कैलाश मानसरोवर केवल हिन्दुओं नहीं, जैनियों व बौद्धों के लिए भी तीर्थ स्थल है। जैनियों के प्रथम तीर्थंकर भगवान ऋषभदेव ने इसी पर्वत के अष्टपाद नामक स्थल पर मोक्ष प्राप्त किया था। पहले तीर्थंकर होने के कारण इसका महत्त्व और बढ़ जाता है।
वहीं बौद्धों में कैलाश पर्वत को मेरु पर्वत कहा जाता है। वज्रयान बौद्धों के अनुसार यह पर्वत, बौद्धों के परम आनंद का प्रतिनिधित्व करने वाले गुरू डेमचोक का घर हुआ करता था।
कैलाश मानसरोवर का रहस्य
कैलाश पर्वत सिर्फ़ पौराणिक कथाएँ नहीं बल्कि आज के ज़माने में विज्ञान का अनसुलझा रहस्य भी ख़ुद में समेटे है। दुनिया के सबसे ऊँचे पहाड़ माउंट एवरेस्ट को बहुत लोगों ने फ़तह किया है लेकिन कैलाश पर्वत को आज तक कोई फ़तह नहीं कर पाया। जब भी किसी ने इस पर पाँव रखने की कोशिश की तो कभी हिमस्खलन तो कभी कुछ, लेकिन कोई भी आज तक इस पहाड़ तक नहीं पहुँच सका है।
कहा जाता है कि कैलाश पर्वत को केवल वो ही आदमी पार कर सकता है जिसने अपने जीवन में रत्ती भर भी ग़लत काम न किया हो। और ऐसा काम करने वाले कितने हैं, आप स्वयं जानते हैं।
मानसरोवर यात्रा की जानकारी
सुन्दर नज़ारों से भरी कैलाश मानसरोवर यात्रा के लिए सरकार हर साल सैकड़ों यात्रियों को भेजती है लेकिन उसके पहले बहुत लम्बी प्रक्रिया से गुज़रना पड़ता है। अगर आपको कैलाश मानसरोवर की यात्रा करनी है तो ये सारी अर्हताओं को पूरा करना होगा।
1. आपके पास कम से कम 6 महीने की वैध अवधि वाला पासपोर्ट होना चाहिए।
2. आपकी आयु 18 वर्ष से अधिक लेकिन 70 वर्ष से कम होनी चाहिए।
3. आपका बीएमआई यानी बॉडी मास इंडेक्स 25 यूनिट से कम होना चाहिए। आप अपना बीएमआई इस तरह से जाँच सकते हैं। बस अपने वज़न (कि.ग्रा. में) को अपनी लंबाई (से.मी. में) से भाग कर दीजिए। आपको अपना बीएमआई मिल जाएगा।
4. अपनी योग्यता के लिए आपको दिल्ली के हार्ट एवं लंग इंस्टीट्यूट द्वारा किए जाने वाले परीक्षण में सफल होना होगा।
5. अगर आप भारत के नहीं, बल्कि विदेशी नागरिक हैं तो भारत के पास इसकी कोई सुविधा नहीं है।
6. यात्री को उच्च रक्तचाप (ब्लड प्रेशर), मधुमेह (डायबटीज़), दमा, हृदय रोग, मिर्गी इत्यादि रोगों से पीड़ित नहीं होना चाहिए, अगर है तो समझ लीजिए कट गया पत्ता।
ज़्यादा जानकारी के लिए आप भारत सरकार की कैलाश पर्वत की वेबसाइट पर जा सकते हैं।
कैलाश मानसरोवर: घूमने के लिए जगहें
1. मानसरोवर झील
मानसरोवर झील के ठंडे और साफ़ पानी में अपने सभी पाप धुलने के लिए लोग मानसरोवर झील का रुख़ करते हैं। एडवेंचर ट्रिप वाले लोग भी खुले आसमान में टेंट लगाने का आनंद लेने यहाँ आते हैं।
2. यम द्वार
स्वर्ग जैसी इस धरती पर मौत के देवता यम का यम द्वार पर्वतारोहियों का दिल जीत लेने वाली जगह है। नाम भले ही इसका यम द्वार हो लेकिन जगह स्वर्ग से कम नहीं है।
काठमांडू घाटी की यूनेस्को द्वारा चुनी गई 8 प्रसिद्ध जगहों में इस मंदिर का नाम सबसे ऊपर है। नेपाल की राजधानी काठमांडू में बना पशुपतिनाथ का मंदिर कैलाश मानसरोवर की यात्रा करने वालों की सबसे धार्मिक जगहों में से है। हिन्दू लोग अपनी अंतिम यात्रा पर भी यहाँ आते हैं।
4. गौरी कुंड
गौरी कुंड को लोग पार्वती सरोवर के नाम से भी जानते हैं। गणेश जी की नाक की जगह सूँड़ लगाने की कहानी गौरी कुंड से ही जुड़ी है। भगवान शिव कई वर्षों बाद माता पार्वती से मिलने यहाँ पर आए, उस वक़्त माता पार्वती स्नान कर रही थीं। गणेश जी और शिव जी दोनों ही अनजान थे पिता पुत्र के संबंध से। अन्दर घुसने लगे शिव जी को गणेश जी ने रोका। इसी पर भगवान शिव इतना क्रोधित हुए कि उन्होंने गणेश जी का सिर धड़ से अलग कर दिया।
यह देखकर माता पार्वती बाहर आईं और भगवान शिव को अपनी ग़लती का एहसास हुआ। आगे की कहानी आप जानते हैं कि किस तरह गणेश जी को हाथी का सिर मिला।
5. अष्टपाद तीर्थ
भगवान ऋषभदेव, जो कि जैन धर्म के प्रथम तीर्थंकर रहे, ने यहीं पर मोक्ष प्राप्त किया था। उनकी शिक्षाओं को सब तक पहुँचाने के लिए उनके पुत्र चक्रवर्ती राजा भारत ने यहाँ पर एक स्मारक तथा एक मंदिर का निर्माण कराया।
घूमने के नज़रिये से अष्टपाद तीर्थ एक चुना हुआ स्थल है जहाँ पर प्रकृति का अद्भुत स्वरूप दिखाई देता है।
इनके अलावा घूमने के लिए मुक्तिनाथ मंदिर, रक्षस ताल, नंदी पर्वत, तीर्थपुरी, दामोदर कुंड ट्रेक भी बहुत प्रसिद्ध है।
पर्वतारोहियों के सभी शौक़ इस पूरी यात्रा में तृप्त हो जाएँगे। इसका दावा करता है कैलाश पर्वत और कैलाश मानसरोवर की यात्रा।
कैसे पहुँचें कैलाश पर्वत
कैलाश पर्वत की यात्रा के लिए केन्द्र सरकार ने दो रास्ते दिए हैं।
1. नाथूला पास से होकर
बुज़ुर्ग लोगों को इसी रास्ते से जाने की सलाह दी जाती है। नाथूला पास, सिक्किम से होकर गुज़रने वाला कैलाश पर्वत तक जाने और वापस आने का रास्ता कुल 21 दिन (18 दिन + दिल्ली में तैयारी के लिए 3 दिन) में पूरा होता है। इसमें 50 लोगों का एक जत्था होता है और ऐसे कुल 10 जत्थे भेजे जाते हैं। एक यात्री पर लगभग 2 लाख रुपए का खर्च आता है।
इस सफ़र में हंगू झील और विशाल तिब्बती पठार देखकर आपका ट्रैवलर फिर से ज़िन्दा हो जाएगा।
2. लिपुलेख पास से होकर
लिपुलेख पास, उत्तराखंड से होकर गुज़रने वाला कैलाश पर्वत तक जाने और वापस आने का रास्ता कुल 24 दिन (21 दिन + दिल्ली में तैयारी के 3 दिन) में पूरा होता है। इसमें 60 लोगों का एक जत्था होता है और ऐसे कुल 18 जत्थे भेजे जाते हैं। एक यात्री पर लगभग 1.5 लाख रुपए का खर्च आता है।
इस सफ़र की ख़ासियत ये है कि इसमें आपको पाताल भुवनेश्वर और नारायण आश्रम के भी दर्शन हो जाते हैं।
कैलाश मानसरोवर यात्रा पर आपके क्या अनुभव हैं, हमारे साथ कमेंट बॉक्स में साझा करें।