पर्यावरण का जानकार और उत्साह से भरपूर मुसाफिर होना थोड़ा मुश्किल हो सकता है। ये लाज़मी है कि सस्टेनेबल ट्रैवल करते हुए एक संतुष्टि मिलती है वहीं कई बार ऐसी जगहों ठहरते हुए संसाधनों का खराब इस्तेमाल देखकर मन दुःखी हो जाता है। बड़े-बड़े होटलों और रिज़ॉर्ट कितना कचरा पैदा करते हैं ये तो सभी को पता है और अब ये मुसीबत बढ़ती ही चली जा रही है। ऐसे में कुछ ऐसी जगहों का मिलना जो आरामदायक भी हों और पर्यावरण का खयाल भी रखती हो, तो क्या कहनें।
केरल के हरे-भरे मैदान, अनानास के बगीचे, मसाले के खेतों जैसे खूबसूरत नज़ारों के बीच बनी एक ऐसी ही जगह ने तो मानों मेरा दिल ही चुरा लिया। इस शांत जगह पर बसी ये जगह लज़ीज़ खाने और आरामदायक वातावरण के साथ ही होमस्टे का खुशनुमा अनुभव देती है।
यहाँ से जुड़ी दिलचस्प कहानी
होमस्टे के नाम के बारे में पूछने पर फूड-टेक कंपनी के मैनेजर पियूष ने बताया कि तमिल में “ऊर” मतलब “होमटाउन” होता है। बाइबल में अब्राहम के घर का नाम ऊर ही है। मेरे पिता के सपनों के इस घर के लिए इससे बेहतर नाम और कुछ नहीं हो सकता।
पीयूष के पिता अब्राहम पी कुरियन और ऊर विलेज के मालिक ने इस घर को अपने माता-पिता के लिए एक सस्टेनेबल घर के तौर पर बनाया था। फिर इसे बुजुर्गों की सेवा के लिए समुदाय आधारित सिस्टम में बदल दिया गया। लेकिन ये जगह कभी उनके माता-पिता का घर नहीं बन पाई। फिर अपने बेटे की मदद से अब्राहम ने रियूज्ड या रिसाइकल्ड सामान से इस घर को बनाने में खुद को समर्पित कर दिया।
अपनी किस्मत और कड़ी मेहनत के बल पर अब्राहम पिछले 25 वर्षों से सामाजिक क्षेत्र में काम कर रहे हैं। एजेंसी की तरफ से अब्राहम को पूरे केरल में लगभग 28 इमारतों से मिली पुरानी सामग्रियों से अद्भूत संरचना बनाने में मदद की। करीब 2 सालों तक लगातार हुए काम के बाद मल्लप्पल्ली को अपना पहला 100 फीसदी सस्टेनेबल होमस्टे मिल गया जिसने 2018 में अपने सबसे पहले मेहमान की मेज़बानी की।
यहाँ दिलचस्प बात ये है कि इस होमस्टे को बनाते वक्त एक भी पेड़ को नहीं काटा गया। इमारत में जो चीजें इस्तेमाल की गई हैं उसके कुछ हिस्से करीब 950 साल पुराने हैं जिसकी वजह से यह इमारत मानो चमत्कार बन गई है।
ऊर विलेज रिट्रीट: होमस्टे से कहीं बढ़कर
इसे पूरी तरह टिकाऊ बनाने के साथ-साथ ऊर विलेज ने अपने आस-पास के गाँवों से गृहणियों को रोज़गार देकर इसे एक कदम और बढ़ाने का फैसला लिया। इसे आम लोगों के लिए खोलने से पहले करीब 1 साल तक कर्मचारियों को ट्रेनिंग दी गई। यहाँ काम करने वाले लोगों को समान मज़दूरी दी जाती है, भले ही उनका काम कुछ भी हो।
ये होमस्टे अपने आसपास के इलाकों में सहायक सेवाएँ भी मुहैया करता है जैसे पेड भोजन, डे केयर सुविधा आदि। इसके अलावा हर वीकेंड पर पारंपरिक मलयाली भोजन दिया जाता है, जो स्थानीय लोगों के बीच काफी लोकप्रिय है। फिलहाल पीयूष इसे एक लग्जरी होमस्टे में शिफ्ट करना की योजना बना रहे हैं।
हर किसी की पसंद का रखा गया है ख्याल
केरल के केंद्र में स्थित ऊर विलेज रिट्रीट पूरी तरह से रिसाइकल्ड सामग्रियों से निर्मित है। इसे स्थानीय बुजुर्गों के लिए सुलभ बना दिया गया है। हालांकि अब तो यह हर आयु वर्ग के मुसाफिरों और रिसर्चर्स के बीच काफी लोकप्रिय हो चुका है। सोलो यात्री हों या छात्र, जोड़े हों या परिवार सभी वर्ग के लोग यहाँ ईको-फ्रेंडली स्टे के लिए आते हैं। प्रकृति प्रेमियों और पाठकों के लिए इसकी इन हाउस लाइब्रेरी और ओपन गार्डन एरिया तो स्वर्ग के समान हैं।
कमरे और अन्य सुविधाएँ
पीयूष के पिता अब्राहम एक बेहतरीन कुक हैं और खाने की हर चीजों को संभाल कर रखते हैं। यहाँ ठहरने पर आपको मलयाली भोजन का अनुभव मिलेगा। लेकिन ये मेन्यू का एकमात्र आकर्षण नहीं है। कभी-कभी पीयूष के पिता सीफूड भी बनाते हैं। विशेष अनुरोध पर यहाँ उत्तर भारतीय, चाइनीज़ और दुनिया के अन्य हिस्सों के व्यंजन भी बनाए जाते हैं।
आसपास क्या है ख़ास?
ऊर विलेज रिट्रीट थिरुमलाइदा महादेवा मंदिर से 1 कि.मी., वहीं कोट्टायम से 29 कि.मी., अल्लेपी समुद्र तट से 40 कि.मी. दूर स्थित है। यह होमस्टे मल्लाप्पल्ली के हरे-भरे पहाड़ी इलाकों के बीच बसा है। जहाँ से आप सुरमयी नज़ारों के साथ शाम की सैर का आनंद उठा सकते हैं।
लागत
यहाँ प्रति रात कमरे की कीमत ₹2,000 से शुरू होती है। इसमें नाश्ता व रात का खाना भी शामिल है।
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यात्रा के लिए बेस्ट समय
मल्लाप्पल्ली में वैसे तो पूरे साल मौसम अच्छा रहता है। जबकि बाकी केरल घूमने के लिए सबसे अच्छा समय सितंबर से मार्च के बीच का होता है।
कैसे पहुँचें?
फ्लाइट द्वारा: इसका निकटतम हवाई अड्डा कोच्चि एयरपोर्ट है। यह शहर से करीब 98 कि.मी. की दूरी पर स्थित है। कोच्चि के लिए दिल्ली के साथ-साथ अन्य महानगरों से भी अक्सर सीधी फ्लाईट्स मौजूद हैं।
ट्रेन द्वारा: मल्लाप्पल्ली का निकटतम रेलवे स्टेशन तिरुवल्ला है। इसकी दूरी मल्लाप्पल्ली से 6 कि.मी. है।
अपनी यात्रा को यादगार और असरदार बनाने के लिए पर्यावरण के करीब जाकर ठहरने से बेहतर अनुभव और क्या हो सकता है!
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ऊर विलेज रिट्रीट में 14 डबल और 2 सिंगल कमरे हैं। इसमें हाथों से बने इको-फ्रेंडली अथांगुडी टाइल्स लगे हैं। ये टाइल्स बगैर किसी एसी के ही कमरे को ठंडा रखते हैं। भारत की कई प्राचीन इमारतों में इसी टाइल्स का इस्तेमाल किया जाता है, जैसे मैसूर पैलेस। इस विलेज के सभी कमरे में अलग-अलग निजी बालकनियाँ भी हैं।
इसके निर्माण के दौरान सीमेंट की बजाय मिट्टी, चूना और भूसी आदि को चिपकाने के लिए इस्तेमाल किया गया था। ऐसे मिश्रण का उपयोग प्राचीन काल में किया जाता था, जिससे संरचना को पर्यावरण के अनुकूल और विश्वसनीय बनाया जाता था। इसके फर्श को खूबसूरत बनाने के लिए विशेष कलर थीम को अपनाया गया है जिससे कमज़ोर नज़र वाले लोगों को आसानी से चलने में मदद मिलती है। कमरों में लकड़ी वाले फर्श, बड़े होटलों की तरह 9 ईंच के गद्दे, शौचालय, पैंट्री टेबल के अलावा पारंपरिक लकड़ी की छतें भी बनी हुई हैं। यहाँ लकड़ी का सामान रिसाइक्ल्ड लकड़ियों से बना है।
यहाँ रुकने के लिए फ्री वाई-फाई, एक लाइब्रेरी, 400 लोगों की क्षमता वाला एम्फीथियेटर, 50 हजार लीटर क्षमता वाला एक रेन वॉटर हार्वेस्टिंग टैंक, एक बायोडिग्रेडेबल गैस प्लांट, आउटडोर डायनिंग एरिया समेत दूसरी विश्व स्तरीय सुविधाएँ भी हैं।
पहले यहाँ मेहमानों के लिए तीन स्तरों में से सिर्फ दो ही खुलते थे। हाल ही में इसके तीसरे लेवल को भी लोगों के लिए खोल दिया गया है। इसके कमरे तीन तरफ खिड़कियों के साथ डिजाइन किए गए हैं जहाँ से आपको बाहर के हरे-भरे खूबसूरत नज़ारों को देखने का आनंद मिलेगा।