ज्योलिकोट और कसार: उत्तराखंड में छिपे सुंदर कस्बे जिनके बारे में कम ही लोग जानते हैंं!

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Photo of ज्योलिकोट और कसार: उत्तराखंड में छिपे सुंदर कस्बे जिनके बारे में कम ही लोग जानते हैंं! by Saransh Ramavat

शहर की चकाचौंध, ऑफिस का रोज़ का झंझट और अन्य जिम्मेदारियों का ढेर, फिलहाल चल रहे हालातों ने हमें इससे कुछ देर के लिए छुट्टी सी दे दी है। यानि अब हमारे पास वक्त हैं उन जगहों के बारे में जानने का जहाँ हम सुकून से अच्छे पल फिर से जी सकें। अगर आप वास्तव में खुद के लिए एकांत व शांति  से भरी जगह के बारे में जानना चाहते हैं तो यह जगह हिमालय की सबसे अच्छी जगहों में से एक है।

कासर और ज्योलिकोट उत्तराखंड के छिपे हुए खज़ानो में से एक है । इन जगहों के बारे में ज्यादा लोग नहीं जानते है इसीलिए यहाँ घूमने और नयी चीज़ें ढूँढने के लिए बहुत कुछ है । मैंने कुछ वक्त पहले में इन स्थानों का दौरा किया है और आप यकीन मानिए मैं अभी तक उनकी खूबसूरती से बाहर नहीं निकल पाया हूँ । अगर आप एक प्रकृति प्रेमी हैं और हिमालय में ऐसी कोई जगह के बारे में जानना चाह रहे है जो आपको बाहरी दुनिया से अलग कर दे, तो आपको उत्तराखंड के कुमाऊँ क्षेत्र के इन छोटे गाँवों के बारे में जानकारी लेनी चाहिए। आप हिमालय के लुभावने नज़ारो से मंत्रमुग्ध हो जाएँगे; क्रिस्टल क्लियर लैगून से लेकर शानदार हिलटॉप्स तक, इन छोटे गाँवों में बहुत कुछ है। तो आपकी बकेट लिस्ट को अपडेट करने और इन दो स्थानों को उनमे जोड़ने का समय आ गया है।

कैसे पहुँचा जाए

निकटतम रेलवे स्टेशन काठगोदाम है जहाँ से आप ज्योलिकोट और कासर तक पहुँचने के लिए साझा या निजी टैक्सी और स्थानीय बसें ले सकते हैं। ज्योलीकोट 17 कि.मी .दूर है जबकि कासर काठगोदाम से 89 कि.मी. दूर है। आप पहले ज्योलीकोट और फिर कासार जाने की योजना बना सकते हैं। कासर पहुँचने के लिए आप ज्योलिकोट से एक स्थानीय बस ले सकते हैं।

अन्य निकटतम रेलवे स्टेशन - हल्द्वानी (जोलीकोट से 24 कि.मी.), रुद्रपुर (ज्योलिकोट से 55 कि.मी)।

निकटतम हवाई अड्डे पंतनगर (51 कि.मी.) और देहरादून (274 कि..मी) हैं।

आप नई दिल्ली, देहरादून, चंडीगढ़, लखनऊ और कानपुर जैसे प्रमुख शहरों से हल्द्वानी के लिए सीधी बसें पा सकते हैं। और फिर इन जगहों तक पहुँचने के लिए हल्द्वानी से कैब और स्थानीय बसें उपलब्ध हैं।

जाने का सबसे अच्छा समय

ज्योलिकोट और कासार की यात्रा का सबसे अच्छा समय सितंबर है क्योंकि तब मॉनसून अंतिम दौर में ही होता है जिससे पूरी घाटी हरी भरी रहती है। हालांकि इन जगहों पर साल भर घूमने जा सकते हैं क्योंकि हर मौसम की अपनी खूबसूरती होती है। सर्दियों का मौसम अक्टूबर में शुरू होता है और फरवरी तक जारी रहता है जिसमे तापमान -10 डिग्री सेल्सियस तक गिर सकता है। गर्मी का मौसम मार्च से जून तक देखा जाता है, जब घाटी में वन्यजीवों की भरमार होती है। आप मैदानी क्षेत्रों की गर्मी की लहरों से बच सकते हैं और गर्मियों के दौरान घाटी में समय बिता सकते हैं।

ज्योलिकोट में कहाँ ठहरें?

आपको ज्योलिकोट में रहने के लिए बहुत सारे विकल्प मिलेंगे। लेकिन मैं भारत के पहले हाईकिंग हॉस्टल HOTS- हार्ट ऑफ ट्रैवलर्स की सिफारिश करूँगा। यहाँ हरे भरे जंगल के बीच स्थित है, आपको 700 मीटर की पगडंडी से गुज़रना होगा। HOTS के उदार कर्मचारी हमेशा, यहाँ तक की रात के दौरान भी आपका मार्गदर्शन करने के लिए तैयार रहेंगे। आप HOTS में डॉर्मस के साथ-साथ ठहरने के लिए एक प्राइवेट कमरा भी ले सकते हैं। इस जगह पर वनस्पतियों के लिए एक बहुत बड़ी जगह है, यह संपत्ति लगभग 130 साल पहले अंग्रेजों द्वारा बनाई गई थी। ये मज़े करने के लिए सबसे अच्छी जगह है क्योंकि यहाँ आप बहुत सारे यात्रियों से मिलेंगे।

आप यहाँ बाहर बैठ सकते है और कैफे से कुछ अच्छा खाना और ड्रिंक्स के साथ प्रकृति की आवाज़ों और नज़ारों का आनंद लें सकते है ।

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ज्योलिकोट का होट्स हॉस्टल

घूमने की जगहें

1. लैगून ट्रेक

हम HOTS हॉस्टल से आगे ट्रेकिंग करके उस रास्ते पर चल पड़े जो की एक बेहद सुंदर खाड़ी की तरफ जाता है । हम पहाड़ी के नीचे गए और ज्योलिकोट की प्राकृतिक सुंदरता का आनंद लेते हुए तकरीबन 25 मिनट के ट्रेक के बाद, हम अपनी मंजिल पर पहुँच गए। सोचिए घने जंगल के बीच क्रिस्टल साफ ठंडे पानी के साथ एक लैगून और उसी ठंडे पानी में एक डुबकी शायद शास्त्रों में इसे ही शुद्ध आनंद कहाँ गया है ।

2. ज़ीरो पॉइंट ट्रेक

जीरो पॉइंट ट्रेक सूर्यास्त देखने के लिए लोकप्रिय जगह है। यह होट्स हॉस्टल से ऊपर की तरफ एक कठिन चढ़ाई है जो आपको ज्योलिकोट के लुभावने नज़ारों के बीच से ले जाती है । आपको इस ट्रेक को पूरा करने मे काफी मशक्कत करनी पड़ेगी क्योंकि इसमे कुछ स्थानों पर खड़ी चढ़ाई है, लेकिन यह मेहनत उन नज़ारो के सामने कुछ नहीं है जो आप ऊपर पहुँचने के बाद देखेंगे । इसके अलावा, आप कई ग्रामीणों से मिलेंगे, बस उनका अभिवादन करें और उनकी मुस्कान का जादू देखें। इस शानदार ट्रेक को समाप्त करने में आपको लगभग 40 मिनट लगेंगे।

पहाड़ी के चोटी पर एक मंदिर है, भूधुमिया मंदिर। ज्योलिकोट के ग्रामीणों के लिए इसका बहुत धार्मिक महत्व है। सूर्यास्त देखने के लिए, पहाड़ी पर बैठें और आसमान में रंगो का शो शुरू होने का वेट करें, और जब सूरज ढलने लगेगा आपको सभी पहाड़ और ज़्यादा शानदार और जादुई दिखेंगे।

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ज्योलिकोट का शानदार सनसेट

3. नौकुचियाताल

यह झील ज्योलीकोट से 33 कि.मी. दूर है, यह नैनीताल के पास अन्य झीलों वाली जगहों के मुक़ाबले में कम भीड़-भाड़ वाली जगह है । कहा जाता है कि इसके नौ कोने हैं, लेकिन एक बार में सभी नौ कोनों को देखना संभव नहीं है। नौकुचियाताल से सटी एक और झील है, कमलताल जो कमल के फूलों से भरी हुई है। नौकुचियाताल झील इतनी शानदार दिखती है की आप खुद को झील में बोटिंग करने के लिए शिकारा नाव को किराए पर लेने से नहीं रोक पाएँगे । झील के आस पास के नज़ारे फोटोग्राफरों के लिए तो उनकी मनचाही मुराद मिलने जैसा है। जब आप झील के पीछे खड़े सीधे पहाड़ो को देखोगे तो आप उनकी फोटो लेने से खुद को रोक नहीं पाओगे। अगर आप एक एडवेंचर लवर है तो नौकुचियाताल में पैराग्लाइडिंग भी उपलब्ध है।

4. कांचीधाम

कांचीधाम एक प्रसिद्ध दिव्य स्थान है जहाँ महाराज नीम करोली बाबा ने हनुमान मंदिर बनवाया था। मंदिर के बगल में एक नदी बहती है। दुनिया भर से भक्त यहाँ हनुमानजी और बाबा के दर्शन करने के लिए तो आते ही है आप इस बात का अंदाजा इस बात से लगा सकते है की मार्क ज़ुकरबर्ग और बिल गेट्स भी यहाँ आ चुके है । हल्द्वानी वापस आने के लिए आप धाम की यात्रा कर सकते हैं क्योंकि यह कासार के रास्ते पर स्थित है।

और हाँ, ज्योलीकोट फल प्रेमियों के लिए एक स्वर्ग है। इसमें प्रसिद्ध फलों का बाज़ार है इसलिए यहाँ स्ट्रॉबेरी, आड़ू, खुबानी, प्लम या सेब जरूर खरीदे।

कासर

Day 4

कासर देवी मंदिर

यह हिल स्टेशन ऐसी जगह है जिसके सभी यात्री सपनें देखते हैं। यहाँ की आबादी तो कम है ही इस जगह पर पर्यटकों की कम भीड़भाड़ है, और इसकी सुंदरता के तो क्या कहने जो एक बार देख ले बस, दीवाना हो जाए । कसार हर तरह से एक छिपा हुआ खज़ाना है क्योंकि बहुत से लोग यहाँ रुकने के लिए नहीं आते हैं। कासर हालांकि कासर देवी मंदिर के लिए बहुत कम जाना जाता है क्योंकि यह जगह अभी तक अनछुई है । हमने 2 दिनों के लिए यहाँ रुकने का प्रोग्राम बनाया और यकीन मानिए यह हमारे जीवन का सबसे अच्छा समय था।

कसार में ठहरने के लिए

यहाँ कुछ गेस्ट हाउस भी हैं लेकिन हमने कसार मे भी HOTS हॉस्टल में रुकना सही समझा क्योंकि यह यहाँ उपलब्ध एकमात्र हॉस्टल था। यहाँ डॉर्म और निजी कमरे भी उपलब्ध हैं । अपनी सुबह की कॉफी पीने के लिए जागना व मंद पीली रोशनी में हिमालय को देखना इन नज़ारो का कुछ ऐसा मंजर था जिस हम ज़िंदगी भर नहीं भूल पाएँगे ।

कसार में घूमने की जगहें

आप एक स्कूटी किराए पर ले सकते हैं और कसार देवी मंदिर और बिनसर वन्यजीव अभयारण्य की यात्रा कर सकते हैं। बस आप यह सुनिश्चित करें कि आप अपने स्कूटी के टैंक को पूरा भर लें क्योंकि इसके बाद कोई पेट्रोल पंप नहीं है। वैज्ञानिकों का दावा है कि कासर देवी मंदिर वान एलन बेल्ट के प्रभाव में है जो की सौर पवन द्वारा निर्मित एक शक्तिशाली विद्युत चुम्बकीय क्षेत्र होता है।

इन दो जगहों को देखने के बाद, कसार में जंगल के बीच से सूर्योदय के समय की शांति को अनुभव करने के लिए पंचाचूली बुनकर प्वाइंट तक ट्रेक करें, पर याद रहे कि यह ट्रेक लंबा और थका देने वाला है । लैगून ट्रेक के लिए HOTS हॉस्टल के लोग आपको अच्छी जानकारी देंगे। इन जगहों को देखने के लिए दो दिन काफी हैं, लेकिन आप कसार में कुछ और वक्त बिता सकते है और यहाँ पर नयी जगहों को ढूँढ सकते है ।

HOTS हॉस्टल मे गाजर का केक, और बाबा कैफ़े में बनोफी पाई, काफल कैफ़े में मसाला चाय और डोलमा में मोमोज़ ज़रूर आज़माएँ।

इसलिए अगली बार जब भी आप उत्तराखंड की यात्रा की योजना बना रहे हैं, इन एकांत जगहों, ज्योलिकोट और कासर की यात्रा करें। धुंधले पहाड़, सुबह की ओस, चहकते हुए पक्षी और देवदार के पेड़ों की महक आपका इंतज़ार कर रही है। और हम दावा करते हैं कि आपको हिमालय की गोद में बिताए एक भी पल का कभी अफसोस नहीं होगा।

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