भारत की खूबसूरती बर्फीली वादियों से लेकर हरे-भरे जंगलों और पहाड़ियों, अंतहीन समुद्र तटों में बसती है। देश के अछूते और अज्ञात इलाके अपनी लुभावनी खूबसूरती से लोगों को आश्चर्यचकित कर देते हैं। फैमिली, नौकरी में उलझी जिंदगी के बीच क्या आप खुद के लिए थोड़ा समय निकाल सकते हैं? पहाड़ों में ट्रेकिंग के लिए सिर्फ एक लंबा सप्ताहांत रिजर्व रख सकते हैं? देखिए जुलाई-अगस्त में लॉन्ग वीकेंड आने वाला है। वीकेंड के आगे या पीछे दो-तीन दिन की छुट्टी ले कर इन पाँच छोटे, खूबसूरत और आसान ट्रेकों पर चल कर आप सुकून को ले कर घर लौटेंगे। जुलाई में मुहर्रम के दौरान एक-दो दिन और अतिरिक्त और अगस्त में 12-16 के दौरान एक दिन सोमवार को छुट्टी ले कर इस ट्रिप पर निकल सकते हैं।
कहाँ जा सकते हैं?
1. करेरी लेक ट्रेक
कहां?
हिमाचल प्रदेश
ट्रेकिंग मार्ग- धौलाधार पर्वत शृंखला के बीच और धर्मशाला के घेरा गाँव से बेकलताल होते हुए
खासियत- यह एक खूबसूरत और उत्कृष्ट शीतकालीन ट्रेक माना जाता है।
ट्रेकिंग के लिए उपयुक्त अवधि- तीन दिन
अगर आप सर्दियों के मौसम का शौकीन हैं तो यह ट्रेक आपको बहुत पसंद आएगा। हालांकि, यह ब्रह्मताल तक ही आसान यात्रा है। जो जमी हुई हिमनद झील है। यह ट्रेक अपने आप में अनोखा है। सर्दियों के दौरान यानि आप जनवरी में भी यहां जा सकते हैं। लेकिन अगर बहुत बर्फबारी हो रही हो तो चुनौती खड़ी कर सकती है। इसलिए पूरी तैयारी के साथ जाने की सलाह देना चाहूंगा। इस ट्रेक ट्रेल का अधिकांश भाग जंगलों और बर्फ से ढके हुए हैं। मॉनसून के दौरान भी बहुत सावधान रहना पड़ता है। आप बहुत आसानी से नंदा घुंटी और त्रिसूल जैसी चोटियों को चलते हुए कैमरे में कैद कर सकते हैं। बेकलताल पहुंच कर झील के किनारे कैंपिंग करने का रोमांचक अनुभव जीवन भर याद रहेगा।
आप करेरी ट्रेक बुक करने और अधिक जानकारी के लिए 7018093520 पर संपर्क कर सकते हैं।
2. संदकफू-तुमलिंग ट्रेक
कहाँ?
पश्चिम बंगाल
ट्रेकिंग मार्ग- धोत्रे से तुमलिंग से टोंग्लू से संदक्फू
खासियत- यह देश में स्थित दुनिया की कुछ सबसे ऊंची चोटियों में से एक है। इस पहाड़ी जगह का नजारा, भारत-नेपाल सीमा पर घूमना और टी हाउस में ठहरने का मौका ऐसी कई बातें हैं, जो आपके इस ट्रेकिंग ट्रिप को यादगार बना सकती है।
ट्रेकिंग के लिए उपयुक्त अवधि- दो दिन (तुमलिंग तक पहुँचने के लिए) और चार दिन (संदक्फू पहुँचने के लिए)
दार्जिलिंग से 11 किमी दूर स्थित धोत्रे से खूबसूरत सैर करने निकल सकते हैं। जो अपने लाल पांडा के लिए प्रसिद्ध सिंगालीला नेशनल पार्क से होकर तुमलिंग तक पहुँचती है। जो नेपाल के इलाम जिले में स्थित है। इसके आसपास भारत-नेपाल सीमा भारतीयों के आवाजाही के लिए खुला रहता है। तुमलिंग से आगे पश्चिम बंगाल की सबसे ऊंची चोटी संदक्फू तक पहुँचने के लिए दो दिवसीय यात्रा है। पूरे रास्ते में आप दुनिया का चौथी सबसे बड़ी चोटी ल्होत्से (8516 मीटर), कंचनजंगा (8586 मीटर), मकालू (8481 मीटर) और माउंट एवरेस्ट (8,848.86 मीटर) के सुंदर दृश्य देखते हुए आगे बढ़ते हैं। आपके पास एक विकल्प तुमलिंग से टोंग्लू तक एक घंटे तक पैदल मार्ग भी है। इस मार्ग से यह ट्रेक और भी आसान हो जाता है। जहाँ आप कंचनजंगा पर्वतों के बीच सुविधाजनक स्थान पर भोजन भी कर सकते हैं। इसके बाद आप तुमलिंग वापस आ कर एक बेहतरीन टी हाउस में रुक सकते हैं। अगली सुबह उठकर आप धोत्रे वापस लौट सकते हैं।
कैसे पहुँचें?
संदकफू के लिए सबसे अच्छा दार्जिलिंग, सिलीगुड़ी से पहुँचना आसान है।
3. नाग टिब्बा ट्रेक
कहाँ?
उत्तराखंड
ट्रेकिंग मार्ग- टीहड़ी गढ़वाल के पंतवारी से खतियान फिर यहाँ से नाग टिब्बा से पंतवारी वापसी
खासियत- नाग टिब्बा तक दिल्ली से पहुँचना आसान है और आकर्षक बंदरपूँछ श्रेणी की चोटियों का दृश्य आपको मोह लेती है।
ट्रेकिंग के लिए उपयुक्त अवधि- तीन दिन पर्याप्त है
उत्तराखंड के टीहड़ी गढ़वाल में स्थित यह नाग टिब्बा ट्रेक आसान माना जाता है। आप दिल्ली से पंतवारी तक सड़क द्वारा पहुँच सकते हैं। इसके बाद नाग टिब्बा तक आठ किमी की यात्रा कर सकते हैं और बिना एक भी दिन गँवाए वापस लौट सकते हैं। नाग टिब्बा ट्रेक के लिए बच्चों को भी लाया जा सकता है। ट्रेकिंग की शुरुआती चढ़ाई पहाड़ी उबर-खाबर इलाके से होती है और जल्द ही आप ओक और रोडोडेंड्रोन जंगलों के बीच से गुजरते हैं। जैसे-जैसे आप ऊंचाई पर चढ़ते हैं वैसे-वैसे खूबस्यरती आपको अपने आगोश में लेती है। यहाँ सर्दियों के दौरान पाउडर जैसे बर्फ आपका स्वागत करती है; गर्मियों में हरियाली से पूर्ण पहाड़ियों का रंग पीला हो जाता है। अंततः आप नाग टिब्बा के बेस पर पहुँचते हैं। जहाँ एक नाग देवता का मंदिर स्थित है। यह स्थानीय लोगों के बीच बहुत लोकप्रिय है। यहाँ से थोड़ी दूर बढ्ने पर बंदरपूंछ श्रृंखला की चोटियाँ (श्रीकांत और कालानाग) दिखाई देने लगती हैं।
कैसे पहुँचें?
सबसे पहले नाग टिब्बा ट्रेक के लिए आप देहरादून पहुँचें। इसके बाद लगभग पाँच किमी का ड्राइव करके पंतवारी पहुँचें।
आप नाग टिब्बा का ट्रेक बुक करने के लिए +91 7500389369 और +91 9012453324 पर गौर ट्रेकिंग और टेंट से संपर्क कर सकते हैं।
4. हिले-वर्सी ट्रेक
कहाँ?
सिक्किम
ट्रेकिंग मार्ग- हिले से वर्सी फिर हिले तक वापसी
खासियत- मार्च और अप्रैल में वर्सी रोडोडेंड्रोन अभयारण्य में प्रचुर मात्रा में फूल खिलते हैं
ट्रेकिंग के लिए अवधि- दो दिन काफी है
यह ट्रेकिंग अपेक्षा कृत थोड़ा आसान है। क्योंकि हिले से वर्सी कम ढलान वाला ट्रेक है। इसलिए यह तीन घंटे का ट्रेक एक दिन में भी किया जा सकता है। दोस्तों जब आप वर्सी पहुंच जाएं तो एक रात जरूर बिताएं और सिक्किम सरकार द्वारा उपलब्ध कराए गए आवास में रहने की कोशिश करें। यह एक वर्से रोडोडेंड्रोन अभ्यारण्य के पास स्थित है। जो 104 वर्ग किमी में फैला है और अच्छा समय व्यतीत करने के लिहाज से बेस्ट है। वसंत ऋतु के दौरान यह ट्रेकिंग मार्ग और अभयारण्य लाल, गुलाबी, पीले और सफेद रंगों में खिलने वाले रोडोडेंड्रोन फूल से भर जाते हैं। मैगनोलिया, सिल्वर फायर और हेमलॉक जैसे पेड़ यहां की हरियाली और वातावरण में चार चांद लगाते हैं। चूंकि हिली, सिंगलिला राष्ट्रीय उद्यान और कंचनजंगा राष्ट्रीय उद्यान के बीच में स्थित है इसलिए यहां से पर्वत चोटियों का दृश्य अविश्वसनीय है।
कैसे पहुँचें?
हिले का नजदीकी हवाईअड्डा बागडोगड़ा में है। जो पश्चिम बंगाल में स्थित है। वही निकटतम रेलवे संपर्क की बात करें तो पश्चिम बंगाल का ही न्यू जलपाईगुड़ी रेलवे स्टेशन हिले के सबसे नजदीक है। आप दार्जिलिंग से भी किफायती ढंग से हिले तक आ सकते हैं।
5. देवरिया ताल से चोपता / चंद्रशिला ट्रेक
कहां?
उत्तराखंड
ट्रेकिंग मार्ग- सरी गाँव से देवरियाताल से चोपता से चंद्रशिला से चोपता तक
खासियत- पक्षी विहार, बेहद ऊंचाई वाली चोटियां और वसंत ऋतु में ट्रैकिंग के लिए बिल्कुल सही माना जाता है।
ट्रेकिंग के लिए उपयुक्त अवधि- तीन दिन
दोस्तों इस ट्रेक मार्ग पर गढ़वाल मंडल की सबसे शानदार चोटियां दिखाई देती हैं। वनस्पति, देवरियाताल (एक आश्चर्यजनक और सुंदर झील), तुंगनाथ मंदिर, जो लगभग 12,000 फीट की ऊंचाई पर दुनिया का सबसे ऊंचा शिव मंदिर है और चंद्रशिला शिखर तक एक सुंदर ट्रेल देख कर दिल थाम लेंगे। चोपता तक का रास्ता थोड़ा आरामदायक है, लेकिन चंद्रशिला (तुंगनाथ हो कर) थोड़ा कठिन है। यहां से आगे की ट्रेकिंग के लिए आपको बहुत सावधानी बरतनी पड़ेगी। मैं यह आपसे जरूर कहूंगा कि आप इसे आज़माएं। आपने सुना होगा डर के आगे जीत है।
कैसे पहुँचें?
आपको रुद्रप्रयाग जिला में उखीमठ के समीप सारी गाँव तक आना है। यही से यह ट्रेक का शुरुआत होता है।
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