यदि आप अपने रोज़ के रूटीन से बोर हो गए हैं और वीकेन्ड पर एक छोटा सा जोशीला और उत्साह भरा बदलाव चाहते हैं तथा साथ ही साथ आप वाइल्ड लाइफ़ लवर भी हैं तो समझिये आपकी समस्या का हल हो गया है।
नेचर लवर्स के लिए जिम कॉर्बेट नेशनल पार्क एक परफेक्ट डेस्टिनेशन है।
हिमालय की तलहटी में, ऊँची नीची पहाड़ियों से घिरे हुए जंगली घास के मैदान, नदियों के घुमावदार चैनल्स, दल दल से भरे गड्ढे और बड़ी से झील के बीच यहाँ की अनोखी वाइल्ड लाइफ किसी स्वर्ग से कम नहीं। दुनियाभर के पर्यटकों के आकर्षण का केंद्र, यह पार्क विभिन्न प्रकार की वनस्पतियों और जीवों की प्राकृतिक सम्पदा से भरा हुआ है। यह स्थान 100 से भी अधिक प्रकार के जंगली जानवरों तथा 600 से भी अधिक पक्षियों की प्रजातियों का नेचुरल हैबिटेट है जो लम्बे समय से पर्यटकों और वाइल्ड लाइफ़ प्रेमियों को रोमांचित करता रहा है।
यह भारत का सबसे पुराना राष्ट्रीय उद्यान है जिसे, 1936 में, लुप्त होते हुए बंगाल टाइगर के संरक्षण और उसके अस्तित्व को बचाने के लिए ‘हैली नेशनल पार्क’ के रूप में स्थापित किया गया था। इसमें 488 प्रकार के विभिन्न प्रजातियों के पौधे और अनेक प्रकार के जंगली जीव शामिल हैं।
कॉर्बेट पार्क में सभी जगह घूमने की अनुमति नहीं है, केवल कुछ चुनी हुई निर्धारित जगहों पर ही पर्यटक घूम सकते हैं। पिछले कुछ सालों में यहाँ आने वाले लोगों की संख्या काफ़ी बढ़ गयी है।ऐसा अनुमान है कि यहाँ के हर मौसम में, भारत और दुनियाभर से आने वाले लोगों की संख्या 70,000 के करीब बताई जाती है। यह पार्क केवल 15 नवंबर से 15 जून तक ही पर्यटकों के लिए खुला रहता है। बाकि के महीनों में बारिशों के कारण वहाँ पानी भर जाता है।
इस रिज़र्व में करीब 200 टाइगर हैं और यदि जंगल सफ़ारी के दौरान आपको बाघ दिखाई दे जायें तो समझिए आप भाग्यशाली हैं क्योंकि यह उनका प्राकृतिक हैबिटैट है और यहाँ उनकी किसी भी गतिविधि को ट्रैक नहीं किया जाता। उन्हें देखने का सबसे अच्छा मौका अप्रैल से मध्य जून के दौरान होता है क्योंकि उस समय जंगल भी घना नहीं होता और पानी की तलाश में सभी जीव जंतु बाहर निकलते हैं।
रामगंगा नदी के तट पर हिमालय की तलहटी में स्थित इस खूबसूरत नेशनल पार्क में घने ग्रास्लैंड, साल वृक्षों के घने जंगल, रिवर हैबिटैट और बाघ के अलावा भिन्न भिन्न प्रकार के अन्य जंगली जीवों और पक्षियों की इतनी वैरायटी देखकर पर्यटक बहुत रोमांचित हो जाते हैं।
यहाँ 200 से 300 जंगली हाथी, काले भालू, लंगूर, बंदर, मोर, ऊदबिलाव और कई प्रकार के हिरण जिसमें, चीतल, सांबर, हॉग हिरण और भौंकने वाले हिरण शामिल हैं। इसके अलावा तेंदुए, मगरमच्छ, घड़ियाल, मॉनिटर लिज़र्ड, जंगली सूअर और गीदड़ भी बहुत हैं। खासकर मध्य दिसंबर से मार्च के अंत तक रामगंगा लेक में बड़ी संख्या में प्रवासी पक्षी भी आते हैं।
सड़क और रेल के द्वारा दिल्ली जैसे महत्वपूर्ण शहरों से आसान कनेक्टिविटी भी इस पार्क को पर्यटकों के बीच लोकप्रिय बनती है।राज्य परिवहन की बसें दिल्ली से रामनगर तक नियमित रूप से चलती हैं और रामनगर से दिल्ली के लिए एक सीधी ट्रेन भी उपलब्ध है।
यहाँ की ट्रिप के लिए मैंने स्टेट की ऑफिशल टूरिज़्म साईट से वोल्वो बस की ऑनलाइन बुकिंग की।मेरी इस पैकेज यात्रा का खर्च 10,000 रुपए था जिसमें रहना और ट्रेवल शामिल था।
मेरे रहने की व्यवस्था ढिकाला के एक रिसॉर्ट में की गयी थी जो इस नेशनल पार्क के काफी अंदर है।ढिकाला, ठहरने के लिए और यहाँ की वाइल्ड लाइफ को अनुभव करने के लिए सबसे अच्छा रिसोर्ट है और इसको बुक करने का सबसे अच्छा तरीका रामनगर का रिसेप्शन सेंटर है।हालाकिं अपमार्केट रिसॉर्ट्स की तुलना में जो कि काफी महंगे हैं, रामनगर शहर में भी ठहरने की सस्ती जगहें उपलब्ध है।
जिम कॉर्बेट नेशनल पार्क के अलावा यहाँ घूमने के लिए एक संग्रहालय भी है। किन्तु यह राष्ट्रीय उद्यान ही इतना बड़ा है जो अपने आप में ही बहुत है और जिसको एक्सप्लोर करने के लिए एक पूरा सप्ताहांत चाहिए।मैंने भी ऐसा ही किया जिसने मुझे पूरी तरह मोहित कर दिया।
जिम कॉर्बेट नेशनल पार्क
कॉर्बेट नेशनल पार्क में पाँच ज़ोन हैं, जिनके नाम हैं, बिजरानी, ढिकाला, डोमुंडा, झिरना और सोनानाडी।ढिकाला इस पार्क का मुख्य आकर्षण है जो रिजर्व का आंतरिक निर्धारित कोर क्षेत्र है। यहाँ बाघों की सबसे अधिक मात्रा पाई जाती है। यह केवल 15 नवंबर से 15 जून तक ही खुला रहता है।
जिम कॉर्बेट म्यूजियम
रामनगर से 26 कि मी दक्षिण पूर्व, कालाढूंगी में, जिम कॉर्बेट के पूर्व बंगले को संग्रहालय बनाया गया है जिसमें यहाँ की सभी प्रकार की वाइल्ड लाइफ का इतिहास है।इस संग्रहालय में जिम कॉर्बेट के बारे में सारी जानकारी, उनका सामान, पत्र, फोटो आदि के अलावा नेशनल पार्क में पाए जाने वाले सभी जंगली जीवों के पुतले भी दर्शाये गए हैं और उनका विस्तृत विवरण दिया हुआ है। इसे देखने का समय सुबह 8 बजे से शाम 5 बजे तक है और एन्ट्री फीस 50 रुपए के लगभग है।
ढिकाला फॉरेस्ट रेस्ट हाउस
जिम कॉर्बेट नेशनल पार्क के ढिकाला ज़ोन में स्थित ढिकाला फॉरेस्ट रेस्ट हाउस,1937 में, ब्रिटिश राज के दौरान बनाया गया था।यह रेस्ट हॉउस पार्क के काफी अंदर स्थित है और ज्यादा महँगा भी नहीं है तथा सभी ज़रूरी आवश्यकताओं की पूर्ती करता है।