बात जब पहाड़ों की आती है तो हमारे ज़हन में उत्तराखंड ज़रूर आता है। उत्तराखंड में भी अगर कहा जाए कहाँ? तो उसमें नैनीताल का नाम शायद सबसे ऊपर आए। यहाँ के ऊँचे और खूबसूरत पहाड़, झीलों का अंबार, मंदिर और चारो तरफ फैली हरियाली आपको दीवाना बना देगी। नैनीताल को झीलों का शहर भी कहा जाता है। अगर आप रोज की बोरिंग और थकाऊ जिंदगी से ऊब चुके है तो आपको इस शांत और सुंदर शहर में आना चाहिए।
जहाँ गर्मियों में आपको नैनीताल में सुकून मिलेगा और सर्दियों में ये जगह स्वर्ग बन जाती है। सर्दियों में नैनीताल में बहुत बर्फबारी होती है। गर्मियों में नैनीताल टूरिस्टों से भर जाता है लेकिन सर्दियों में उतनी भीड़ भी नहीं मिलती। नैनीताल में घूमने के लिए बहुत कुछ है। एक समय में यहाँ 60 से ज्यादा झीलें हुआ करती थीं। लेकिन जानकारी के अभाव में आप इस शहर को अच्छी तरह नहीं देख पाओगे। इसलिए नैनीताल के बारे में हम आपको दे रहे हैं पूरी जानकारी जिससे आपको नैनीताल घूमने में कोई परेशानी नहीं आएगी।
नैनीताल
नैनीताल को जानने के लिए थोड़ा उसके इतिहास को भी जान लेते हैं। इसकी खोज 1841 में एक अंग्रेज चीनी व्यापारी ने की। बाद में अंग्रेजों ने इसे अपने हिसाब से विकसित किया। नैनीताल चारों तरफ से ऊँचे-ऊँचे पहाड़ो के बीच में समुद्रतल से 1,938 मीटर की ऊँचाई पर बसा है। यहाँ की लेक में बत्तखों के झुंड, रंग-बिरंगी नावें और ठंडी हवा यहाँ की खूबसूरती में चार चाँद लगा देते हैं। गर्मियों में लेक का पानी हरा दिखाई देता है, बरसात में मटमैला और सर्दियों में हल्का नीला।
इन जगहों पर जाएँ
नैनीताल को स्कंद पुराण के मानस खंड में त्रिऋषि-सरोवर कहा गया है। यहाँ तीन साधु अत्री, पुलस्थ्य और पुलाहा ऋषि ध्यान कर रहे थे। इस इलाके में जब उन्हें कहीं पानी नहीं मिला तो उन्होंने यहाँ एक बड़ा सा गड्ढा किया और उसमें मानसरोवर का पवित्र जल भर दिया। उसी सरोवर को आज नैनीताल के नाम से जाना जाता है। इसके अलावा इसके नाम की एक और कहानी है। नैनीताल को 64 शक्ति पीठों में से एक माना जाता है। माना जाता है कि जब भगवान शिव माता सती के शव को लेकर पूरे ब्रह्मांड में भटक रहे थे तब माता सती की आँखें यहीं गिरी थी। तब से इस जगह का नाम नैनीताल पड़ा। यहाँ माता सती की नैयना देवी के रूप में पूजा की जाती है। अगर आप यहाँ आएँ तो इन जगहों पर जाना न भूलें।
1. तल्लीताल और मल्लीताल
नैनीताल का ऊपरी हिस्सा मल्लीताल और निचला भाग तल्लीताल कहलाता है। मल्लीताल में एक खुला मैदान है। शाम को ये जगह बहुत खूबसूरत होने लगती है। इसलिए यहाँ टूरिस्ट आना पसंद करते हैं। यहाँ भोटिया मार्केट में गर्म कपड़े, कैंडल और बेहतरीन गिफ्ट भी मिलते हैं। यहाँ आप नैयना देवी के मंदिर ज़रूर जाएँ। मल्लीताल से तल्लीताल को जोड़ने वाली सड़क को मॉल रोड के नाम से जाना जाता है। मॉल रोड पर जगह-जगह लोगों के बैठने और आराम के लिए बेंच लगी हुइ हैं। टूरिस्ट इस दूरी को पैदल ही शाॅपिंग करते हुए तय कर सकते हैं।
2. नैना पीक
नैनीताल की सात चोटियों में से चाइना पीक सबसे ऊँची चोटी है। चाइना पीक की दूरी नैनीताल से लगभग 6 कि.मी. है। यहाँ से हिमालय की ऊँची-ऊँची चोटियाँ दिखाई देती है। अगर आप बर्फ से ढके पहाड़ों का शानदार नज़ारा देखना चाहते हैं तो नैना पीक ज़रूर जाएँ। यहाँ से नैनीताल लेक और शहर का शानदार दृश्य दिखाई देता है।
3. टिफिन टाॅप
टिफिन टाॅप नैनीताल से चार कि.मी. की दूरी पर है। टिफिन टाॅप की ऊँचाई समुद्र तल से 2,290 मीटर है। यहाँ से हिमालय के शानदार नज़ारे दिखाई देते हैं। सिर्फ भारत ही नहीं नेपाल की ऊँची-ऊँची पहाड़ियाँ भी यहाँ से दिखाई देती हैं। इस जगह के नाम की एक कहानी है। एक अंग्रेज ने अपनी पत्नी डेरोथी की याद में इस पहाड़ की चोटी पर कब्र बनाई और उसका नाम डेरोथीसीट रख दिया। तभी से ये जगह डेरोथीसीट के नाम से जानी जाती है।
4. बर्फ ही बर्फ
नैनीताल तब और खूबसूरत हो जाता है जब चारों तरफ बर्फ की चादर फैली होती है। अगर आप सर्दियों में नैनीताल जा रहे हैं तो आप यहाँ बफ के मज़े ले पाएँगे। नैनीताल से 2.5 कि.मी. की दूरी पर 2,270 मीटर की ऊँचाई पर एक जगह है जिसे हवाई पर्वत के नाम से जाना जाता है। यहाँ जाने के लिए आपको रोपवे का सहारा लेना होगा। रोपवे से आपको चारों तरफ खूबसूरती ही नज़र आएगी। यहाँ से आपको हिमालय भी सफेद दिखेगा और नैनीताल भी। यहाँ से एक चोटी है स्नोव्यू और उसके ठीक बगल में दूसरी चोटी हनी-बनी है।
5. इको केव
यहाँ की सबसे मशहूर जगहों में से एक है इको केव। इसमें कई सारी गुफाएँ हैं। इन गुफाओं की सबसे खास बात ये है कि बाहर चाहे जैसा भी मौसम हो लेकिन इस गुफा में हमेशा ठंडक ही रहती है। यहाँ से स्नो व्यू पॉइंट भी देखा जा सकता है। इस गुफा के आसपास कई सारी बॉलिवुड फिल्मों की शूटिंग भी हुई है।
6. शानदार सनसेट
नैनीताल के मुक्तेशवर मंदिर से सनसेट का खूबसूरत नज़ारा देखने को मिलता है। आप इस मंदिर में शिवलिंग के दर्शन कर सकते हैं। इसके बाद आप सनसेट का खूबसूरत नज़ारा भी देख सकते हैं। ज्यादातर लोग इस नज़ारे को अपने कैमरे में कैद कर लेते हैं ताकि इस खूबसूरत जगह को हमेशा याद रख सकें।
7. राज भवन
राज भवन को गर्वनर हाउस के नाम से भी जाना जाता है। ये उत्तराखंड के गर्वनर का आवास है। हमारे देश में कुछ ही गर्वनर हाउस हैं जो आम जनता के लिए खुले हैं, ये भी उनमें से एक है। 220 एकड़ में फैला ये राज भवन देखने में बेहद खूबसूरत और भव्य है।
घूमने की अन्य जगहें
1. भीमताल और नौकुचियाताल
नैनीताल जाएँ तो उसके आसपास भी कुछ जगहें हैं, जहाँ आपको ज़रूर जाना चाहिए। ऐसे ही दो ताल हैं, भीमताल और नौकुचिया ताल। दोनों ताल बहुत खूबसूरत हैं। भीमताल लेक तो नैनीताल लेक से भी बड़ी है। जबकि नौकुचियाताल के नौ कोने हैं। भीमताल लेक नैनीताल से 22 कि.मी. की दूरी पर है, वहीं नौकुचियाताल, नैनीताल से 26 कि.मी. की दूरी पर है। नौकुचियाताल में आप रंग-बिरंगे पक्षियों को देख सकते हैं। इसके अलावा यहाँ रोईंग, पैडिंग और याटिंग की भी सुविधा है। आप भीमताल में बोटिंग भी कर सकते हैं। भीमताल लेक के बीच एक टापू है, जहाँ बेहद सुंदर एक्वेरियम है। इसके अलावा यहाँ 17वीं सदी का भीमेश्वर मंदिर है और 40 फीट ऊँचा बांध भी देखने लायक है।
2. पटुवा डांगर
नैनीताल से हल्द्वानी जाने वाली रोड पर 15 कि.मी. दूर चीड़ के जंगल के बीच एक छोटी-सी बस्ती है। इसी बस्ती को पटुवा डांगर कहते हैं। यहाँ उत्तराखंड का सबसे बड़ा वैक्सीन संस्थान है। अगर आप नैनीताल जा ही रहे हैं तो यहाँ जरुर जाएँ।
नैनीताल के फेमस मेले
1. शरदोत्सव
हर साल नैनीताल में शरदोत्सव या हेमंतोत्सव मेला लगता है। इस फेस्टिवल में कलाकार, सिंगर मुंबई से आते हैं। इसमें आप कुमाऊँ के संस्कृति से रूबरू हो सकते हैं। इस मेले में नैनीताल का माहौल जबरदस्त हो जाता है। इस मेले को देखने के लिए टूरिस्ट दूर-दूर से आते हैं। ये मेला नैनीताल में हर साल नवंबर के पहले पखवाड़े में 4 दिन तक होता है।
2. हरेला मेला
हरेला पूरे कुमाऊँ क्षेत्र में मनाया जाता है। यह साल में तीन बार चैत्र नवरात्र और श्रावण नवरात्र के अलावा अश्विन माह में मनाया जाता है। श्रावण हरेला श्रावण महीने के पहले दिन (जुलाई के अंतिम दिनों में) मनाया जाता है। यह हरियाली आने का संकेत है। इस मौके पर पूरे कुमाऊं क्षेत्र में संक्रांति मनाई जाती है और जगह-जगह मेलों का आयोजन होता है। हरेला मेले का आयोजन भीमताल शहर में हर साल हरेला त्योहार के मौके पर 16 व 17 जुलाई को होता है।
3. नंदाअष्टमी मेला
नंदाअष्टमी मेले वैसे तो पूरे कुमाऊँ में होता है लेकिन नैनीताल में नंदादेवी मंदिर और भुवाली का मेला सबसे खास है। सितंबर-अक्टूबर के शुक्ल पक्ष अष्टमी के मौके पर नंदाअष्टमी मनाई जाती है। टूरिस्ट खासतौर पर नंदाअष्टमी मेला देखने के लिए ही नैनीताल आते हैं।
4. गर्जिया मेला
रामनगर से करीब 12 किमी दूर कॉर्बेट जंगल में कोसी नदी के बीच एक पहाड़ की चोटी पर माता गिरिजा का मंदिर है। गिरिजा मंदिर में वैसे तो पूरे साल भक्तों का तांता लगा रहता है लेकिन इस मेले में टूरिस्टों की धूम मची रहती है। ये मेला कार्तिक पूर्णिमा के मौके पर लगता है।
कैसे पहुँचे?
नैनीताल एक फेमस डेस्टिनेशन है, जो झीलों के लिए जाना जाता है। आप यहाँ सड़क मार्ग, ट्रेन और फ्लाइट से यहाँ पहुँच सकते हैं। यहाँ सबसे नज़दीकी रेवले स्टेशन काठगोदाम है। काठगोदाम से नैनीताल की दूरी 36 कि.मी. है। आप यहाँ फ्लाइट से भी जा सकते हैं। नैनीताल से सबसे नजदीकी एयरपोर्ट पंतनगर एयरपोर्ट है। आप चाहें तो यहाँ सड़क मार्गो से भी आ सकते हैं। नैनीताल बड़े शहरों से अच्छी तरह से जुड़ा है। जब आप नैनीताल आएँ तो दो दिन घूमने के लिए ज़रूर निकालें।