रानी लक्ष्मीबाई के गौरवमयी इतिहास का साक्षात् प्रमाण है ऐतिहासिक नगर झाँसी

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Photo of रानी लक्ष्मीबाई के गौरवमयी इतिहास का साक्षात् प्रमाण है ऐतिहासिक नगर झाँसी by Rishabh Dev

कई बार ऐसा होता है कि किसी जगह के बारे में जानते सब हैं लेकिन वहाँ जाने के बारे में बहुत कम सोचते हैं। वो उस जगह को घूमने के लिए सही नहीं मानते हैं जबकि यहाँ घूमने को बहुत कुछ होता है। अक्सर अच्छी जगहों को लोग नजरंदाज कर देते हैं। ऐसी ही जगह है, उत्तर प्रदेश की झांसी। झांसी के बारे में हर किसी ने इतिहास की किताब में या फिर रानी लक्ष्मीई की वो कविता जरूर पढ़ी होगी, खूब लड़ी मर्दानी वो तो झांसी वाली रानी थी। जब इस शहर का इतिहास अपने आप में एक खजाना है तो क्या यहाँ घूमने को कुछ भी नहीं होगा? झांसी में घूमने को इतना कुछ है कि आप एक बारे में इसे पूरा घूम ही नहीं पाएंगे।

झांसी बुंदेलखंड का हिस्सा है। यहाँ की एक लोक कहावत है, झांसी गले की फाँसी और दतिया गले का घर। ये कहावत किसी और संदर्भ के लिए है लेकिन इससे आप यहाँ की संस्कृति का अंदाजा लगा सकते हैं। यहाँ घुमक्कड़ों के लिए बहुत कुछ है। बड़े-बड़े किले हैं, पुराने तालाब हैं, म्यूजियम और सैंक्चुरी हैं। यकीन मानिए ये शहर बहुत बड़ा नहीं है लेकिन यहां की रग-रग में स्थानीयपन भरा पड़ा है। झांसी के शहरीपन में भी गाँव की झलक मिलेगी। आप एक बार यहाँ आएंगे तो आपका बार-बार यहाँ आने का मन करेगा। यकीनन आपको इस खूबसूरत शहर से प्यार हो जाएगा। जब आपका मन बड़े और फेमस जगहों से ऊब जाएं तो आप बुंदेलखंड के झांसी घूमने का प्लान बनाइए। ये जगह आपको निराश नहीं करेगी।

झांसी

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झांसी उत्तर प्रदेश का एक जिला है और बुंदेलखंड का बेहद अहम हिस्सा। किसी जमाने में झांसी को बलवंत नगर के नाम से जाना जाता था और इस पर चंदेल राजाओं का शासन था। 17वीं शताब्दी में ओरछा के राजा वीर सिंह जूदेव ने झांसी में कई इमारतें बनवाईं। झांसी शहर के नाम की भी एक कहानी है। कहा जाता है कि एक दिन ओरछा में राजा वीर सिंह जैतपुर राजा के साथ बात कर रहे थे। तभी जैतपुर राजा को बलवंत नगर किला थोड़ा-सा दिख रहा था। जिसको देखकर उन्होंने कहोंने कहा कि बलवंत नगर ‘झाईं सी‘ सा दिख रहा है। वीर सिंह को ये नाम इतना पसंद आया कि उन्होंने बलवंत नगर का नाम बदलकर झाईं सी कर दिया। जो आगे जाकर झांसी हो गया।

चंदेल राजाओं के इतिहास के लिए इस शहर को याद नहीं किया जाता है। इस शहर को याद किया जाता है एक वीर महिला के लिए, रानी लक्ष्मीबाई। रानी लक्ष्मीबाई ने 1857 के प्रथम स्वतंत्रता संग्राम में झांसी से नेतृत्व किया था। तब झांसी शहर के लिए अंग्रेजों से युद्ध किया और हराया भी लेकिन अंग्रेजों के साथ हुए युद्ध में अपने जीवन का बलिदान दे दिया। 1861 में अंग्रेजों ने झांसी को ग्वालियर राज्य का हिस्सा बना दिया और 1886 में ग्वालियर से वापस ले लिया। गौरव और शौर्य से भरा झांसी को इतिहास की बताने को काफी है कि यहाँ देखने को बहुत कुछ है।

क्या देखें?

झांसी शहर में और आसपास देखने को बहुत कुछ हैं। अगर आपको झांसी को सिर्फ देखना है तो जल्दी-जल्दी देख लेंगे लेकिन अगर आपको झांसी को समझना है तो इस जगह को समझने के लिए कुछ वक्त देना होगा। इसलिए जब झांसी घूमने आएं तो कुछ दिनों का प्लान बनाकर आएं। कहते हैं न टूरिस्ट सब कुछ जल्दी देख लेना चाहता है और घुमक्कड़ हर चीज, हर जग इत्मीनान से देखता है।

1- झांसी किला

जो भी झांसी जाता है सबसे पहले इस शहर की सबसे फेमस किले को देखने जाता है। लगभग 400 साल पुराना किला आज भी शान से खड़ा है। झांसी किले को 1613 में राजा वीर सिंह जूदेव ने बंगरा की पहाड़ी पर बनवाया था। इस किले में दस दरवाजे हैं, इनको खंडेराव गेट, दतिया, ओरछा, सागर, उन्नाव, झरना, लक्ष्मी, सैंयर और चांद गेट के नाम से जाना जाता है। इस किले में रानी झांसी गाॅर्डन, शिव मंदिर, गुलाम गौस खान, मोती बाई और खुदा बख्श की मजार है। इस के किले में एक तोप भी है जिसे आप देख सकते हैं। इसके अलावा यहाँ मूर्तियों का संग्रह है जिसे आप देख सकते हैं। झांसी की घुमक्कड़ी इसे किले को देखे बिना अधूरी है इसलिए झांसी आएं तो इस किले को जरूर देखें।

2- रानी महल

झांसी के रानी महल को 18वीं शताब्दी में रघुनाथ द्वितीय ने बनवाया था। राजा गंगाधर राव के मरने के बाद रानी लक्ष्मीबाई में इसी महल में रहती थीं। वे यहीं से झांसी पर राज करती थीं। दो मंजिला इस इमारत में एक फाउंटेन है और आंगन भी है। इस किले की नक्काशी में आप उस समय की बुंदेलखंड की झलक को देख सकते हैं। ये महल अंदर से बेहद रंगीन हैं। पहली मंजिल में कमरे और शस्त्रागर है और दूसरी मंजिल पर दरबार। इस महल का ज्यादातर हिस्सा 1857 के संग्राम में अंग्रेजों ने तोड़ दिया था फिर भी इस जगह पर देखने के लिए बहुत कुछ है। रानी महल किले के बहुत पास ही है। रानी महल को म्यूजियम में बदल दिया गया है। आपको इस महल और म्यूजियम को जरूर देखना चाहिए।

3- गंगाधर राव की समाधि

अक्सर झांसी में इस जगह को लोग नजरंदाज कर देते हैं और वे इस जगह को देखने नहीं जाते हैं। राजा गंगाधर राव रानी लक्ष्मीबाई के पति थे और उनके मरने के बाद ही लक्ष्मी बाई ने झांसी की गद्दी संभाली थी। झांसी किले से 2 किमी. दूर लक्ष्मी तालाब के किनारे गंगाधर राव की समाधि है। यहाँ एक मंदिर भी है जहाँ लोग बड़ी संख्या में आते हैं। इस शहर की जगह-जगह इतिहास से भरी हुई है। उसी इतिहास को जानने के लिए आपको इस जगह पर आना चाहिए।

4- गढ़कुण्डार किला

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श्रेय: बेहेंस।

गढ़कुण्डार किला, झांसी से कुछ ही दूरी पर गढ़कुण्डार गाँव में है। इस गाँव का नाम इस किले के नाम पर ही है। ये किला वैसे तो मध्य प्रदेश में आता है लेकिन ये झांसी से बहुत पास में है। जब आप यहाँ आएंगे तो आपको समझ आ जाएगा कि यूपी-एमपी बाॅर्डर कैसे यहाँ आँख मिचोली खेलता है। लगभग पाँच मंजिला वाला ये किला 11वीं सदी में बना था। जिसकी दो मंजिल जमीन के नीचे हैं और तीन ऊपर हैं। इस किले की तरह इसकी बनावट भी रहस्मयी है। दूर से ये किला दिखाई देता है लेकिन नजदीक से किला दिखाई देना बंद हो जाता है। कहा जाता है इस किले को देखने कुछ बाराती गए थे लेकिन वापस कभी नहीं लौटे। इस वजह से इसे रहस्मयी किला भी कहा जाता है। जब आप झांसी आएं तो इस किले को देखने जरूर जाएं।

5- बरूआसागर

झांसी से 21 से किलोमीटर की दूरी पर एक छोटा कस्बा है, बरुआसागर। बरुआसागर का नाम एक बड़ी झील के नाम पर रखा गया है। जो इस कस्बे की खूबसूरती की बढ़ाती है। इस झील को राजा उदित सिंह ने बनवाई थी। पहले इसे घुघुआ मठ कहा जाता था। यहां गुप्त काल का एक मठ है जिसे जराय का मठ कहा जाता है। इस झील के पास में किला भी है जो बेहद खूबसूरत है। आप यहां आएंगे तो आपको यहां की खूबसूरती अंदाजा होगा। झांसी आएं और बरुआसागर न देखें तो फिर झांसी देखना कुछ अधूरा रहेगा।

6- ओरछा

गढ़कुण्डार की तरह ओरछा भी मध्य प्रदेश में आता है लेकिन ओरछा झांसी से बिल्कुल सटा हुआ है। झांसी से ओरछा की दूरी सिर्फ 12 किमी. है। इस छोटे-से कस्बे में देखने को बहुत कुछ है। यहाँ आप जहांगीर महल, किला, राजाओं की छत्रियों, कंचना घाट, भूलभुलैया और राजा राम मंदिर देख सकते हैं। कहते हैं इस शहर को रुद्र प्रताप सिंह जू बुंदेला ने बसाया था। आज ये कस्बा भारत ही नहीं पूरी दुनिया में फेमस है। यहां खूबसूरती तो है ही इसके अलावा सुकून भी आपको यहीं मिलेगा।

7- राय प्रवीण महल

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श्रेय: होलिडे।

इस महल के बारे में बहुत कम लोगों को पता है। ये महल टीकमगढ़ में है और किसी समय ओरछा का ही हिस्सा था और यहीं पर राजकुमार प्रवीण कुमार का महल है। ये महल नक्काशी और बनावट के लिहाज से बेहद खूबसूरत है। टीकमगढ़ झांसी से सिर्फ 18 किमी. की दूरी पर है। अगर आप कोई नई जगह पर जाना चाहते हैं तो प्रवीण महल इसके लिए बेस्ट रहेगा।

झांसी के आसपास

झांसी के आसपास देखने को बहुत कुछ है। आप ग्वालियर जा सकते हैं और छिपी हुई जगह दतिया को देख सकते हैं। यहाँ पास में ही चंदेरी है जो बेहद खूबसूरत है और लोगों को इसके बारे में पता तक नहीं हैं। यहीं पास में ही चित्रकूट है जो धार्मिक और घूमने के लिहाज से बढ़िया जग है। अगली बार कोई पूछे कि झांसी में देखने के लिए क्या है तो कह देना कि इतना कि आप घूम नहीं पाएंगे।

कब जाएँ?

झांसी कोई पहाड़ी शहर नहीं है कि यहाँ आने के लिए आपको रूकना पड़ेगा। झांसी आप कभी भी आ सकते हैं लेकिन गर्मियों में आने से यहाँ बचें। गर्मियों में आप ज्यादा जगहों को देख नहीं पाएंगे इसलिए आप कोशिश करें कि यहाँ सर्दियों में आएं। जब यहाँ का मौसम बेहद ठंडा और सुहावना रहता है। तब आप झांसी की हर जगह आराम से घूम सकते हैं। यहाँ रूकने के लिए आपको कोई दिक्कत नहीं आएगी। झांसी में आपको कई बड़े औरी छोटे होटल मिल जाएंगे। इसी तरह ओरछा में भी बहुत सारे होटल हैं।

कैसे पहुँचे?

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अगर आप झांसी फ्लाइट से आना चाहते हैं तो सबसे नजदीकी एयरपोर्ट ग्वालियर है। ग्वालियर से झांसी की दूरी 103 किमी. है। आप ग्वालियर से बस या टैक्सी बुक करके झांसी से आ सकते हैं। अगर आप झांसी ट्रेन से आने का सोच रहे हैं तो रेलवे स्टेशन झांसी में ही है। देश के सबसे मुख्य रेलवे स्टेशन में से एक है झांसी। यहाँ के लिए आपको कहीं से भी ट्रेन मिल जाएगी। अगर आप सड़क मार्ग से आना चाहते हैं तो झांसी देश के कई बड़े शहरों से अच्छी तरह से कनेक्टेड है।

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