झालावाड़: इतिहास के गलियारों में डूबी एक जगह जहाँ का राजस्थानी रंग देखने लायक है

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Photo of झालावाड़: इतिहास के गलियारों में डूबी एक जगह जहाँ का राजस्थानी रंग देखने लायक है by Deeksha

हर घुमक्कड़ को भारत की समृद्ध विविधता का अधिकतम फायदा उठाना चाहिए। भारत में देखने और जानने के लिए इतना सबकुछ है कि कुछ महीनों की यात्रा भारत दर्शन के लिए बहुत कम है। हर घुमक्कड़ को भारत की यात्रा कुछ ऐसे तरीके से करनी चाहिए जिसमें उन्हें देश के हर रंग को देखने का मौका मिले। राजस्थान एक ऐसा राज्य है जो इतिहास, संस्कृति और रंग-बिरंगे मिज़ाज वाले लोगों से भरा हुआ है। अपने क्षेत्र के हर नुक्कड़ और कोने में सांस्कृतिक रत्नों को संजोए हुए ये राज्य वाकई देखने लायक है। राजस्थान एक ऐसी जगह है जो परिवार, पार्टनर या सोलो, तीनों तरीकों से ट्रेवल करने के लिए परफ़ेक्ट है। इस जगह का संगीत और नृत्य आपको इसके किलों और रेत के टीलों की तरह इसकी ताल से रूबरू कराता है।

राजस्थान में ऐतिहासिक जगहों की कमी नहीं है। ऐसा ही एक शहर है झालावाड़, जिसकी गलियों में भटकने वाला हर घुमक्कड़ मंत्रमुग्ध हो जाता है। विशाल किलों से लेकर असंख्य मंदिरों वाली इस जगह को आपको भी ज़रूर देखना चाहिए।

झालावाड़

ऐसा माना जाता है कि ऐतिहासिक रूप से झालावाड़ शहर की स्थापना पहली बार 1791 ईस्वी में झाला जालिम सिंह ने की थी और इसका नाम इसके संस्थापक के नाम पर ही रखा गया था। झाला जालिम सिंह इतिहास में कोटा जिले के दीवान थे। उस समय के दौरान बस्ती हरे-भरे जंगलों और विशाल वन्य जीवन से घिरी हुई थी। ऐसा कहा जाता है कि झाला जालिम सिंह अक्सर शिकार करने के लिए इस क्षेत्र में आया करते थे। उन्हें इस जगह से इतना अधिक लगाव था कि वो इसे एक बस्ती के रूप में विकसित करना चाहते थे जिससे मराठा आक्रमण से क्षेत्र की रक्षा करने में मदद मिल सके। बाद में अंग्रेजों द्वारा इस जगह को झाला मदन सिंह को सौंप दिया गया था, जो झाला जालिम सिंह के पोते थे। आगे चलकर वो झालावाड़ शहर के पहले शासक भी बने और वर्ष 1838 से 1845 तक शहर पर राज किया। राज्य की राजधानी शहर होने के बाद, झालावाड़ जल्द ही राजपुताना क्षेत्र के प्रमुख शहरों में से एक बन गया।

राजस्थान के दक्षिण पूर्वी हिस्से में स्थित, झालावाड़ उन सभी लोगों के लिए एक परफेक्ट जगह है जो प्राइवेसी से समझौता किए बिना घुमक्कड़ी का मजा उठाना चाहते हैं। यदि आपको भीड़भाड़ वाले पर्यटन स्थलों पर जाना पसंद नहीं है तो झालावाड़ आपके लिए एकदम सही जगह है। राजस्थान में घूमने के लिए सबसे अच्छे शहरों से तुलना की जाए तो झालावाड़ के बारे में काफी कम लोग जानते हैं जिसके कारण ये राज्य की सबसे खूबसूरत ऑफबीट जगहों में शामिल है।

क्या देखें?

झालावाड़ में देखने और घुमने के लिए तमाम जगहें हैं। इतिहास के गलियारों से भरी ये जगह वकाई में घूमक्कड़ी के लिए बहुत खास है।

1. झालावाड़ फोर्ट

झालावाड़ फोर्ट, जिसको गढ़ पैलेस के नाम से भी जाना जाता है, इस शहर का सबसे बड़ा और मुख्य आकर्षण है। झालावाड़ फोर्ट शहर के बीच में बना हुआ है। ये महज एक किला नहीं है, ये शहर की वो जगह है जो शहर के लोगों के दिलों में भी बसी हुई है। झालावाड़ फोर्ट का निर्माण 19वीं शताब्दी में महाराजा राणा मदन सिंह ने करवाया था। तब से लेकर अबतक ये किला अपने गौरवशाली इतिहास और प्राचीन काल के राजसी माहौल का वर्णन करता हुआ मजबूती से खड़ा हुआ है। हरदोई वास्तुकला का बेहतरीन नमूना पेश करते हुए इस किले की दीवारों पर पेंटिंग और तरह तरह की नक्काशी की गई है। झालावाड़ किले के अंदर रानियों के महल की चमक भी देखने लायक है। यदि आप झालावाड़ घूमने जाने का मन बना रहे हैं तो शहर की ये जगह आपकी लिस्ट में जरूर शामिल होनी चाहिए।

2. झालरापाटन

झालावाड़ से लगभग 7 किमी. की दूरी पर स्थित पाटन चारों ओर से दीवारों से घिरा हुआ है। झालावाड़ पाटन के ठीक बगल में चंद्रभागा नदी बहती है जिसके आकर्षक नजारे देखने लायक होते हैं। पाटन असल में तमाम मंदिरों के समूह को नाम दिया गया है जिसमें सबसे महत्वपूर्ण 100 फीट ऊँचा सूर्य मंदिर है। हरा-भरा बगीचा, नदी का झरझर बहता पानी और राजस्थान के कोटा जिला से प्रेरित नक्काशी इस्तेमाल करके बनाया गया झालावाड़ पाटन वाकई देखने लायक जगह है। यदि आप उन लोगों में से हैं जिन्हें शांत और सौम्य माहौल में चित्रकारी करना पसंद है तो ये जगह आपको बहुत अच्छी लगेगी।

3. भवानी नाट्यशाला

भवानी नाट्यशाला झालावाड़ की वो जगह है जहाँ कला, थिएटर और कल्चर का बेहतरीन प्रदर्शन देखने के लिए मिलेगा। 20वीं शताब्दी में महाराजा भवानी सिंह द्वारा बनवाई गई ये नाट्यशाला खासतौर से अभिनय को बढ़ावा देने के मकसद से तैयार कराई गई थी। पुराने समय में इस नाट्यशाला में थिएटर और तमाम प्ले का आयोजन किया जाता था। फिलहाल ये जगह कला में रुचि रखने वालों के लिए बेहद खास है। एक समय पर इस नाट्यशाला में तमाम पारसी नाटकों का भी आयोजन किया जाता था जिनकी खनक आज भी नाट्यशाला की दीवारों में सुनाई देती है। इस नाट्यशाला में एक गुप्त सुरंग भी है जिसका इस्तेमाल नाटकों के दौरान किया जाता था। सफेद और लाल रंग में लिपटी ये इमारत देखने में बेहद खूबसूरत है।

4. चंद्रभागा मंदिर

चंद्रभागा नदी के ठीक किनारे बने चंद्रभागा मंदिरों को देखकर आपका दिल खुश हो जाएगा। चंद्रभागा मंदिरों की वास्तुकला से लेकर मंदिर का माहौल तक सभी चीजें बेहद खूबसूरत हैं। इन मंदिरों की बनावट में 11वीं शताब्दी में चलने वाली वास्तुकला की साफ झलक दिखाई देती है। मंदिर के स्तंभ और सीलिंग को भी खास तरीके से डिजाइन किया गया है जो देखने में बेहद आकर्षक हैं। चंद्रभागा मंदिर समूह का सबसे खास और देखने लायक मंदिर शांतिनाथ जैन मंदिर है। ये यहाँ के सभी मंदिरों में सबसे महत्वपूर्ण है। शांतिनाथ जैन मंदिर की दीवारों पर आपको खूबसूरत तरीके से की गई नक्काशी और पेंटिंग देखने के लिए मिलेंगी। यदि आप झालावाड़ जाने का मन बना रहे हैं तो आपको अब और देर नहीं करनी चाहिए।

5. गागरोन फोर्ट

यूनेस्को द्वारा संचालित वर्ल्ड हेरिटेज साइट सूची में शामिल और झालावाड़ की शान कहा जाने वाला गागरोन फोर्ट इतिहास के पन्नों में दर्ज खूबसूरत विरासत है। गागरोन फोर्ट की लोकेशन ऐसी है कि इसको पर्वत और पानी किले के नाम से भी जाना जाता है। इस किले के ठीक सामने से अहु, काली और सिंध नदियाँ बहती हैं जो इस किले के सौंदर्य को और भी बढ़ा देती हैं। ये किला आसपास जंगलों से घिरा हुआ है जिसके कारण यहाँ से दिखाई देने वाली हरियाली हर पर्यटक का मन मोह लेती है। किले के अंदर भगवान शिव, गणेश और देवी दुर्गा की मूर्तियाँ स्थापित की गई हैं। किले के ठीक बाहर सूफी गायक मिठेशाह का मकबरा है जो मोहर्रम के समय जश्न से झूम उठता है।

कब जाएँ?

गर्म और उमस भरे क्षेत्र में स्थित होने के कारण झालावाड़ जाने का सबसे सही समय ठंड का मौसम है। यदि आप सुकून और अच्छे से झालावाड़ घूमना चाहते हैं तो आपको अक्टूबर से फरवरी के बीच यहाँ आने का प्लान बनाना चाहिए। उस समय झालावाड़ का मौसम सबसे अच्छा होता है। दिन के समय आपको मखमली धूप मिलेगी और रात में आप सर्द हवाओं से घिरे हुए होंगे। इन्हीं कारणों से झालावाड़ घूमने जाने के लिए सही तरीके से पैकिंग करना बेहद आवश्यक हो जाता है। आपको गर्म कपड़े और ऊनी मोजे जरूर से रखने चाहिए।

कहाँ ठहरें?

झालावाड़ में ठहरने के लिए आपको हर बजट में होटल और गेस्ट मिल जाएंगे। अच्छा होगा आप जाने से पहले ही होटल की बुकिंग कर लें जिससे आपको झालावाड़ पहुँचकर परेशानी ना हो।

कैसे पहुँचें?

राजस्थान जैसे भव्य राज्य का हिस्सा होने के बावजूद झालावाड़ पहुँचने के लिए साधन मिलना आसान नहीं है। झालावाड़ के लिए आपको सीधी फ्लाइट और ट्रेन नहीं मिलेंगी इसलिए आपको नजदीकी एयरपोर्ट या स्टेशन से टैक्सी और बस लेकर झालावाड़ आना होता है।

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फ्लाइट से: यदि आप फ्लाइट से झालावाड़ आना चाहते हैं तो आपको भोपाल के राजा भोज एयरपोर्ट आना होगा। राजा भोज एयरपोर्ट झालावाड़ से लगभग 230 किमी. की दूरी पर है। एयरपोर्ट से आप बस या टैक्सी से झालावाड़ पहुँच सकते हैं।

ट्रेन से: ट्रेन से झालावाड़ आने के लिए आपको रामगंज मंडी स्टेशन आना होगा जो झालावाड़ से महज 25 किमी. की दूरी पर स्थित है। रामगंज मंडी स्टेशन से आपको झालावाड़ के लिए आसानी से बस और टैक्सी मिल जाएंगी। झालावाड़ में एक नया रेलवे स्टेशन है जिसका नाम "झालावाड़ सिटी" है। फिलहाल आप 'झालावाड़-कोटा पैसेंजर' ट्रेन लेकर कोटा जंक्शन स्टेशन से लगभग 2 घंटे में "झालावाड़ सिटी" स्टेशन पहुँच सकते हैं।

वाया रोड: सड़क के रास्ते झालावाड़ आने के लिए आपको राष्ट्रीय हाईवे 12 पर आगे बढ़ना होगा। वाया रोड आने के लिए आपको देश के लगभग सभी हिस्सों से आसानी से बस मिल जाएंगी जिससे आप झालावाड़ पहुँच सकते हैं।

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