यह पुरी दुनिया अनेक प्रकार के रहस्यों और चमत्कारों से भरी पड़ी है।जिनका आज तक कोई भी पता नहीं लगा सका।भारत भूमि पर भी आपको कई सारे ऐसे मंदिर और देव स्थान मिल जायेंगे जो रहस्यों और चमत्कारों से भरे पड़े हैं। आज हम आपको देव भूमि हिमाचल के एक ऐसे ही शिव मंदिर के बारे में बताएंगे जो ना सिर्फ रहस्य से भरा है बल्कि यह मंदिर एशिया के सबसे ऊंचाई पर स्थित भगवान शिव का मंदिर है।इस मंदिर के बारे में कहा जाता हैं कि यहां के पत्थरों को थपथपाने पर डमरू की ध्वनि सुनाई देती हैं।तो आइए जानते है भगवान शिव के इस अनोखे मंदिर के बारे में।
जटोली शिव मंदिर
हिमाचल प्रदेश के सोलन में स्थित जटोली शिव मंदिर भगवान शिव को समर्पित एशिया के सबसे ऊंचाई पर स्थित भगवान शिव का मंदिर है।कहते है इस मंदिर का निर्माण स्वामी कृष्णानंद परमहंस ने सन् 1950 में करवाया था।इस मंदिर को बन कर तैयार होने में 39 वर्षों का समय लग गया।निर्माण कार्य के दौरान ही स्वामी कृष्णानंद परमहंस जी ने 1983 मे ही समाधि ले ली और मंदिर का कार्य ट्रस्ट को सौंप दिया गया।इस मंदिर का निर्माण केवल दान के पैसे से ही किया गया जिसके कारण इसके निर्माण में इतना समय लग गया। हर साल सावन महीने में और शिवरात्रि के अवसर पर यहां भव्य मेले का आयोजन किया जाता हैं।दूर दूर से श्रद्धालु यहां भगवान शिव का आशीर्वाद लेने आते है।
मंदिर का इतिहास
इस अनोखे शिव मंदिर के बारे में कहा जाता हैं की यह स्थान कभी भगवान भोलेनाथ का विश्राम स्थल था अर्थात कभी भगवान भोलेनाथ ने यहां पर एक रात बिताई थी और आज भी भगवान शिव का यहां वास है। यह मंदिर भगवान भोलेनाथ के सबसे प्राचीन मंदिरों में से एक है । इस मंदिर में एक शिवलिंग रखा है जिसे बारे में कहा जाता है की यह काफी प्राचीन है और कब से यहां स्थापित है कोई नही जानता।
मंदिर की वास्तुकला
वास्तुकला की बात करे तो यह दिखने में बहुत ही खूबसूरत और भव्य मंदिर है।विशिष्ट दक्षिणी-द्रविड़ शैली में निर्मित यह मंदिर कलाकारी की अद्भुत उदाहरण है।इस मंदिर का निर्माण तीन पिरामिडों में किया गया है।पहले पिरामिड पर भगवान गणेश की विभिन्न छवियों के दर्शन होते है।दूसरी पिरामिड में आप शेष नाग की छवि देखेंगे और तीसरे पिरामिड पर आप भगवान शिव और माता पार्वती के विभिन्न स्वरूपों को देख सकते है।कुल मिलाकर यह मंदिर जितना ऊंचाई पर है उतना ही भव्य भी है।
एशिया का सबसे ऊंचा मंदिर है यह
सोलन स्थित जटोली शिव मंदिर को भारत ही नहीं बल्कि पूरे एशिया का सबसे ऊंचा मंदिर होने का गौरव प्राप्त है।इसकी मंदिर ऊंचाई करीब 124 फुट है।इस खूबसूरत और विशालकाय मंदिर के चारो ओर देवी और देवताओं की मूर्तियां स्थापित है।साथ ही इस मंदिर में भगवान भोलेनाथ की एक स्फटिक मणि शिवलिंग भी स्थापित है।स्फटिक मणि को सकारात्मक ऊर्जा का स्त्रोत माना जाता है।यदि आप सूर्योदय के समय इस शिवलिंग के पास बैठेंगे तो आपको एक अलग ही ऊर्जा का अनुभव होगा।इस मंदिर के ऊपरी छोर पर 11 फुट ऊंचा एक विशाल सोने का कलश भी स्थापित है जो इसके आकर्षण का मुख्य कारण है।
अद्भुत है यहां का जल,गंगा के समान माना जाता है पवित्र
मंदिर का पास ही एक कुंड है जिसके जल को गंगा जल के समान ही पवित्र माना जाता है।लोगो की ऐसी मान्यता है की इस कुंड के पानी में औषधि गुण पाए जाते है जिससे कई प्रकार के रोगों से छुटकारा मिलता है।
मंदिर के पत्थरों से आती है डमरू की आवाज
जटोली शिव मंदिर को चमत्कारिक इस लिए माना जाता है क्योंकि लोगो का मानना है की मंदिर के पत्थरों को थपथपाने से उन में से डमरू की ध्वनि सुनाई देती है।स्थानीय लोगों का माना है कि ऐसा भगवान की उपस्थिति के कारण होता है।लोगो का मानना है कि आज भी भगवान शिव यहां विराजमान हैं।इसी कारण यह ध्वनि सुनाई देती है।
कैसे पहुंचें
जटोली शिव मंदिर पहुंचने के लिए आपको हिमाचल प्रदेश के सोलन पहुंचना होगा उसके लिए पर्यटक बस ट्रेन और हवाई मार्ग का प्रयोग कर सकते हैं, यहां का सबसे नजदीकी एयरपोर्ट चंडीगढ़ है जो सोलन से 66 किमी दूर है, इसके अलावा यदि आप ट्रेन से आते हैं तो सीधे सोलन स्टेशन पर उतर सकते हैं।सड़क मार्ग से भी यहां पहुंचा जा सकता है उसके लिए आपको हिमाचल परिवहन की बसे भी मिल जायेगी।
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