केरल में यूं तो कई तरह के पर्यटन स्थल है, लेकिन एक और टूरिस्ट स्पॉट है जिसका नाम आपने शायद ही सुना होगा।आइए आपको बताते हैं केरल के ऐसे ही एक टूरिस्ट स्पॉट के बारे में।दरअसल, हम बात कर रहे हैं जटायु अर्थ सेंटर चाडयमंगलम की, जो केरल के कोल्लम में स्थित है।ये केरल के उन मौजूदा पर्यटन स्थलों में से एक है जहां पर्यावरण का पूरा ख्याल रखा गया।जटायु नेचर पार्क सड़क से चार सौ फीट ऊपर बना है। यहां की खूबसूरती बेहद ही आकर्षक है। इस पार्क को महिला सम्मान और और महिला सुरक्षा को समर्पित किया गया है।
जटायु अर्थ सेंटर
केरल को पर्यटन के लिहाज से यूं भी दुनियाभर में ख्याति प्राप्त है। अपने शांत समुद्री तटों के लिए प्रसिद्ध यह राज्य अब विश्व की सबसे बड़ी पक्षी प्रतिमा देखने के लिए भी पर्यटकों का आकर्षण बनेगा। भारतीय पौराणिक शास्त्रों में प्रसिद्ध रामायण के चर्चित जटायु पक्षी की अवधारणा पर इस सेंटर का निर्माण किया गया है।
इस स्थान पर एक विशाल पहाड़ी की चोटी पर जटायु का शिल्प बनाया गया है। यह शिल्प 200 फीट लंबा, 150 फीट चौड़ा और 70 फीट ऊंचा है। 65 एकड़ के इस जटायु पर्वत की चोटी पर चट्टानों को तराश कर जटायु के पंख बनाए गए है। ये स्थल केरल में सबसे बड़ी निजी-सार्वजनिक पर्यटन परियोजनाओं में से एक है, जहां केबल कार की सवारी, हैली आनंदित, साहसिक केंद्र, सिद्ध गुफा हीलिंग सेंटर और कई अन्य सुविधाएं हैं।फिल्ममेकर अंचल ने इस जगह को इसलिए चुना क्योंकि इस जगह से काफी मिथक जुड़े हुए हैं। कहा जाता है कि 'जटायुपारा' नामक जिस जगह पर उस रेप्लिका को रखा गया है, यह वही जगह है जहां रावण से युद्ध के दौरान जटायु का पंख कटकर गिरा था।। उसी तरह इस मूर्ति का भी एक पंख नहीं बनाया गया है।पहाड़ की चट्टान पर ही बगीचा बनाया गया है। रेन वाटर हार्वेस्टिंग की व्यवस्था की गई है, आर्गेनिक फार्मिंग की व्यवस्था भी है और कुल मिलाकर तमाम आधुनिक सुविधाएं यहां मौजूद है।
स्विटजरलैंड से मंगाए गए रोप वे लगाए गए है। जिनमें बैठकर ऊपर पहाड़ी पर जाते हुए आकाश में उड़ने का आभास ले सकते है। करीब 1000 फीट ऊंची पहाड़ी से आप घाटी के विशाल जंगलों को देख सकते है। जटायु की प्रतिमा बनाने में चट्टानों के अलावा कांक्रीट का उपयोग भी किया गया है। आप यहां बगीचे की सैर करने के अलावा म्युजियम में भी ज्ञानवृद्धि कर सकते है और यहां लगातार होने वाले रंगमंच के कार्यक्रम भी देख सकते है। 400 रूपए और टैक्स के भुगतान से आप रोप वे की यात्रा का अंतर्राष्ट्रीय स्तर का लुत्फ ले सकते है।यहां आकर पर्यटकों को एहसास होगा कि रावण के पुष्पक विमान को रोकने के लिए जटायु ने युद्ध किया होगा तो क्या हालात हुए होंगे। यह स्थान प्रकृति, मानव, पक्षी और अन्य प्राणियों के बीच सामंजस्य का प्रतिक है।
रामायण काल से जुड़ी है यहां की कहानी :-
जटायु रामायण का एक प्रसिद्ध पात्र है। जब रावण सीता का हरण करके लंका ले जा रहा था तो जटायु ने सीता को रावण से छुड़ाने का प्रयत्न किया था। इससे क्रोधित होकर रावण ने उसके पंख काट दिये थे जिससे वह भूमि पर जा गिरा। जब राम और लक्ष्मण सीता को खोजते-खोजते वहाँ पहुँचे तो जटायु से ही सीता हरण का पूरा विवरण उन्हें पता चला।उसी जटायु के जिसने सीता के अपहरण करने वाले रावण के साथ आकाश में युद्ध किया था और रावण को अपहरण करने से रोकने की कोशिश की थी। बदले में रावण ने जटायु के पंख काट दिए थे, जिससे वह जमीन पर आ गिरा था।
केरल पर्यटन विकास निगम और फिल्म निर्देशक राजीव अंचल की परिकल्पना है जटायु पर्वत। पहाड़ की चट्टान पर ही बगीचा बनाया गया है। रेन वाटर हार्वेस्टिंग की व्यवस्था की गई है, आर्गेनिक फार्मिंग की व्यवस्था भी है और कुल मिलाकर तमाम आधुनिक सुविधाएं यहां मौजूद है।
अन्य गतिविधिया:-
यहां जटायु एडवेंचर सेंटर भी स्थापित किया गया है, जो एडवेंचर की गतिविधियों को बढ़ावा देगा। यहां ट्रेकिंग भी की जा सकेगी और अन्य गतिविधियां भी चलाई जा सकेगी। स्काय साइकिलिंग, स्काय वाचिंग, बर्ड वाचिंग आदि की गतिविधियां भी यहां आसपास की तीन पहाड़ियों में की जा सकती है।
कैसे पहुँचे:-
जटायु नेशनल पार्क की यात्रा के लिए सभी आवश्यक संसाधन उपलब्ध हैं। निकटतम एयरपोर्ट तिरूवनंतपुरम एयरपोर्ट है। तिरूवनंतपुरम एयरपोर्ट से जटायु नेशनल पार्क की दूरी करीब 80 किलोमीटर है। पर्यटक कोच्चि एयरपोर्ट से भी जटायु नेशनल पार्क की यात्रा कर सकते हैं। कोच्चि एयरपोर्ट से जटायु नेशनल पार्क की दूरी करीब 150 किलोमीटर है। निकटतम रेलवे स्टेशन कोल्लम जंक्शन है। पर्यटक सड़क मार्ग से भी जटायु नेशनल पार्क की यात्रा कर सकते हैं।
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