भारत का दिल कहे जाने वाला राज्य मध्य प्रदेश अपनी संस्कृति,विरासत और प्राकृतिक भंडार के लिए जाना जाता है।इसके अलावा एक और चीज है जिसके लिए यह राज्य जाना जाता है और वो है यहां के धार्मिक स्थान।यह भारत का ऐसा राज्य है जहां भगवान शिव के 12 ज्योतिर्लिंगों में से 2 ज्योतिर्लिंग स्थापित है।इसके अलावा भी आपको यहां और भी कई भगवान शिव को समर्पित मंदिर और गुफाएं मिल जाएंगी जिनका महत्व और उल्लेख आपको पुराणों में भी मिल जायेगा।उन्ही में से एक है जटाशंकर गुफाएं जिसका जिक्र शिव पुराण में भी किया गया है और जिसे भगवान शिव का धरती पर दूसरा घर माना जाता है तो आइए जानते है इस गुफा के कुछ रहस्य।
जटा शंकर गुफाएं
जटाशंकर गुफाएं मध्य प्रदेश के होशंगाबाद जिले के पंचमढ़ी क्षेत्र में स्थित एक प्राकृतिक गुफा है।यह गुफा एक गहरी घाटी में स्थित है जिसके ऊपर एक विशाल शिलाखंड है।जैसा की इसके नाम से पता चलता है जटा जिसका अर्थ है बाल और शंकर यानि शिव।ये गुफा शिव जी के जटाओं के तरह दिखाई देता है।इसके इसी विशिष्ट आकृति के कारण इसका नाम जटाशंकर पड़ा।इस गुफा में जो शिवलिंग है वो प्राकृतिक रूप से स्टैलेग्माइट्स से बना हुआ है। इसके अलावा भी इस गुफा में 108 शिवलिंग है जो प्राकृतिक रूप से ही बने हैं।इस गुफा में किसी अज्ञात बिंदु से जल बहता है ।यह पानी की धारा कहा से निकलती है आज तक कोई भी नही जान सका।इस जल धारा को गुप्त गंगा के नाम से जाना जाता है।इस इलाके में झरने के पास 2 तालाब भी है जिसे गर्म तथा ठंडे पानी के कुंड के नाम से जाना जाता है।ऐसी मान्यता है कि इसमें स्नान करने से सभी प्रकार की बीमारियां दूर हो जाती है।जटाशंकर मार्ग पर एक हनुमान मंदिर है, जहां हनुमान की मूर्ति एक शिलाखंड पर उकेरी गई है। गुफ़ा के नजदीक ही हारपर्स गुफ़ा है। इस गुफ़ा में वीणा बजाते हुए एक व्यक्ति का चित्र है।
पौराणिक मान्यता
इस गुफा की पौराणिक मान्यता है कहा जाता है की जब भगवान शिव का वरदान पाकर भस्मासुर अहंकार से चूर हो गया और वरदान देने वाले भगवान शिव को ही भस्म करने के लिए उनके पीछे भागने लगा तो भगवान भोले नाथ ने अपनी रक्षा हेतु स्वयं को इसी गुफा में छुपा लिया और कई वर्षो तक थी छुपे रहे ।इसी कारण इस गुफा को भगवान शिव का दूसरा घर कहा जाता है।बाद में भगवान विष्णु ने मोहानी रूप धारण कर के भस्मासुर का संहार किया और भोले नाथ को इस गुफा से मुक्त किया। तभी से यह स्थान श्रद्धालुओं के बीच काफी लोकप्रिय हो गया खास कर शिव भक्तों के लिए।
शिवरात्रि पर लगता है मेला
इस गुफा में स्थित शिवलिंग जो की एक प्राकृतिक शिवलिंग है ऐसा माना जाता है की शिवरात्रि के दिन इस पर जलाभिषेक करने से सारी मनोकामनाएं पूर्ण होती है।इस दिन यहां काफी संख्या में श्रद्धालु एकत्र होते है और यहां लगने वाले मेले का भी आनंद लेते है।इसके अलावा नागमंचमी के दिन भी यहां मेले का आयोजन किया जाता है।
दरबार तक ऐसे पहुंचते हैं श्रद्धालुगण
इस गुफा तक पहुंचने के लिए आपको ट्रैकिंग का सहारा लेना पड़ेगा क्योंकि यह गुफा घने जंगल के बीच एक पहाड़ी पर स्थित है।दरबार में पहुंचने के लिए आपको सोनहरी मुख्य मार्ग से दस किलोमीटर भीतर घने जंगलों में कच्ची सड़क से होकर जाना होता है।उसके बाद चपलीपानी से होकर 730 सीढिय़ों से उतरकर आप जटाशंकर धाम तक पहुंच सकते है और भगवान के दर्शन कर सकते है।करीब चालीस साल से लोग जटाशंकर धाम में पूजा-अर्चना करने आ रहे हैं। बताया जाता है कि पहले यहां ऋषि मुनि रहा करते थे। वर्तमान में महंत शिवदास भोलेनाथ की सेवा कर रहे है। पहाड़ी की गुफा ऐसी है कि कितनी भी बारिश हो, पानी गुफा के भीतर प्रवेश नहीं करता है।
कैसे पहुंचे?
यहां तक पहुंचने के लिए सबसे नजदीकी हवाई अड्डा भोपाल है जोकि 221 किमी और सबसे नजदीकी रेलवे स्टेशन पिपरिया रेलवे स्टेशन से 51.7 किमी दूर पर स्थित है। यहां से आप ट्रैकिंग के द्वारा दर्शन के लिए जा सकते है।
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