ताज महल का नाम तो हम सब ने सुना है,प्यार की इस निशानी को मुगल बादशाह शाहजहां ने अपनी बेगम मुमताज के याद में बनाया था,जोकि मुगल वास्तुकला का अद्भुत उदाहरण है।पर क्या अपने राजस्थानी वास्तुकला का ताज महल देखा है,नही देखा तो आपको एक बार जरूर जोधपुर स्थित मेवाड़ का ताज महल अवश्य देखना चाहिए।जिसे सब जसवंत थड़ा के नाम से जानते है।इस महल की खूबसूरती किसी भी मायने में आगरा स्थित ताज महल से कम नहीं हैं।तो आइए जानते है आखिर क्या खास है इस महल में और क्यो इसे मेवाड़ का ताज महल कहा जाता है।
जसवंत थड़ा
जसवंत थड़ा राजस्थान के जोधपुर में मेहरानगढ़ किले के पास ही स्थित एक बेहद ही खूबसूरत स्मारक है।यह स्मारक जसवंत सिंह के बेटे महाराजा सरदार सिंह के द्वारा 1899 में निर्मित करवाया गया था।जिसे उन्होंने जसवंत सिंह द्वितीय के सम्मान और स्मृति में बनाया था।आज भी इस स्मारक को मारवाड़ के शाही परिवार द्वारा एक श्मशान घाट के रूप में प्रयोग किया जाता है।इसकी खूबसूरती के कारण ही इसे मेवाड़ का ताज महल कहा जाता है,और लाखो पर्यटक इसे देखने आते है।
जसवंत थड़ा का इतिहास
राजस्थानी शैली में बने इस खूबसूरत इमारत का इतिहास भी काफी दिलचस्प है।आपकी जानकारी के लिए बता दें कि यह स्मारक कोई राज महल नही जहां कोई राजा महाराजा रहते हैं बल्कि यह महल भी ताजमहल की भाती एक श्मशान घाट है।इस महल में जोधपुर के नरेशो और उनके वंशवालियो के नाम की छतरिया बनी हुई है।महाराजा जसवंत सिंह के स्मृति में बने इस स्मारक का निर्माण उनके पुत्र सरदार सिंह के द्वारा किया गया था।जसवंत सिंह की इच्छानुसार उनका अंतिम संस्कार किले की तलहटी में स्थित देवकुंड के किनारे पर किया गया, तब से जोधपुर नरेशों की इसी जगह पर अंत्येष्टि की जाती है।महल को बनाने के लिए सफेद संगमरमर का इस्तेमाल किया गया है और इस महल को बनाने में कुल 2,84,678 रुपए खर्च किया गया था।
जसवंत थाडा की वास्तुकला
इस खूबसूरत इमारत की वास्तुकला ऐसी है की कोई भी इसका कायल हो जायेगा।चारो तरफ़ से बहुस्तरीय उद्यान और एक खूबसूरत झील इस महल के प्रांगण में सुशोभित है।संगमरमर की इतनी खूबसूरत नक्काशी इनकी दीवारों पर उकेरी गई हो मानो दीवार स्वयं ही इसकी कहानी कह रहा हो।इस महल में तीन सेनोटाफ भी स्थित हैं।आपकी जानकारी के लिए बता कि यहां का श्मशान केवल शाही परिवार के लिए आरक्षित है।महल में कई सारे गुम्बद बने हुए है जिसके कारण ही इसकी तुलना ताज महल से की जाती है।राजस्थानी शैली के साथ ही साथ यह महल मूर्तिकला और स्थापत्य कला का अद्भुत उदाहरण है।
क्या खास है यहां
अब आप कहेंगे की ऐसा क्या खास है इस महल में तो हम आपको बताते हैं की क्यों आपको बताते हैं इस महल की खासियत।सबसे पहले जब आप यहां जायेंगे तो आपका स्वागत यहां के लोक कलाकार करेंगे तो जो यहां की संस्कृति,सभ्यता और ऐतिहासिकता को दर्शाता है।महल के अंदर की सजावट आपको राजस्थानी संस्कृति से मिलवाएगी साथ ही यहां की दीवारों पर स्थित मेवाड़ी नरेशों की चित्रकारी आपको उनके इतिहास से अवगत कराएगी।तक महल की ही भाती यह महल भी एक खूबसूरत झील के किनारे स्थित है जो इसकी खूबसूरती में चार चांद लगाने का कार्य करता है।
जसवंत थड़ा घूमने का समय
अगर आप यहां घूमने जाना चाहते है तो आपको बता दें कि यह महल पर्यटकों के घूमने के लिए प्रतिदिन सुबह 9.00 बजे से शाम 6.00 बजे तक खुला रहता है। अगर आप यहां घूमने जाते है तो 2-3 घंटे का समय ले कर ही जाए जिससे आप पूरा महल अच्छे से एक्सप्लोर कर सके।
जसवंत थड़ा की एंट्री फीस
आपकी जानकारी के लिए बता दें की इस महल में जाने के लिए आपको एंट्री फीस देनी होगी।
*भारतीय पर्यटकों के लिए एंट्री फीस 20 रूपये प्रति व्यक्ति है।
* विदेशी पर्यटकों के लिए यह फीस 30 रूपये प्रति व्यक्ति है।
*जबकि आपको कैमरे के लिए 25 और वीडियो कैमरे के लिए 50 रूपये की टिकट अलग से लेनी होगी।
जसवंत थडा घूमने का सबसे अच्छा समय
अगर आप भी राजस्थान के इस महल को देखने का प्लान बना रहे है तो आपकी जानकारी के लिए बता दें की यहां जाने के लिए सबसे अनुकूल समय अक्टूबर से मार्च तक का होता है।जैसा कि हम सब जानते है कि ग्रीष्मकालीन में यहां का तापमान बहुत ज्यादा होता है तो ऐसे में इस जगह की यात्रा से बचे, क्योंकि इस दौरान आपको बहुत सी परेशानियों का सामना करना पड़ सकता है।
कैसे पहुंचे
जसवंत थड़ा राजस्थान के एक बड़े शहर जोधपुर में स्थित है तो आप यहां आसानी से पहुंच सकते है।अगर आप हवाई जहाज से यहां आना चाहते है तो आपको जोधपुर हवाई अड्डे पर पहुंचना होगा यहां से आप टैक्सी या कैब की सहायता से यहां पहुंच सकते है।ट्रेन से आने पर नजदीकी रेलवे स्टेशन जोधपुर ही है। इसके अलावा सड़क मार्ग से भी जोधपुर देश के विभिन्न शहरों, खास तौर पर दिल्ली से अच्छी तरह से जुड़ा हुआ है।
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