जाफू पीक नागालैंड की दूसरी सबसे ऊँची चोटी है। इसकी ऊँचाई 3048 मीटर है। नागालैंड की सबसे ऊँची चोटी सारामती है जिसकी ऊँचाई 3826 मीटर है।
जाफू पीक का ट्रेक किंगवेमा में जाफू क्रिस्चियन कॉलेज के पास से शुरू होता है। ट्रेक छोटा है। शुरुआत में बहुत ही ज्यादा आसान है।
हाल ही में हॉर्नबिल फेस्टिवल देखने के लिए नागालैंड जाना हुआ। रात में हॉर्नबिल फेस्टिवल देखने में काफी समय लग गया। हॉर्नबिल में आपको रेशमी कीड़ा, सांप, कुत्ता, चिकन से ले कर चूहे तक का मीट बहुत आसानी से मिल जाता है। अगर आप नॉन वेज खाने के शौक़ीन हैं और नये नये स्वाद लेना चाहते हैं हॉर्नबिल आपके लिए स्वर्ग है और अगर आप वेज खाने पर भरोसा करते हैं मेरी तरह तो भाई बहुत सर्च करना पड़ेगा तब भी नहीं मिलेगा।
हॉर्नबिल में लोकल राइस बियर बहुत अच्छी मिलती है कम से कम 6 टाइप का स्वाद तो मैंने ही लिया।
हॉर्नबिल फेस्टिवल देखने और खाना खाने में 11 बज गए तब ऐसे ही मन में ख्याल आया पहाड़ी इलाका है ट्रेक तो होना चाहिए पास ने जुको वैली ट्रेक के बारे में तो पता था वो तो 4 साल पहले ही कर लिया था। दूसरा ट्रेक पता चला होटल वाले नागा से जाफू पीक का।
ट्रेक हो और मुझे नींद आये ऐसा हो ही नहीं सकता अपनी कार में ही स्लीपिंग बैग ओढ़ कर सो गए और 3 बजे का अलार्म रख लिया। 4 बजे गाड़ी स्टार्ट और पहुँच गये बेस कैंप। कार वहाँ ही खड़ी की 2 बिस्किट्स के पैकेट,2 बोतल पानी और बन्दे 3 नाइंसाफी तो थी न ट्रेक का रास्ता पता न दुरी न कोई गाइड बस चल दिए।
बेस कैंप से भी 3 रास्ते कौन सा सही कौन सा गलत सुबह सुबह कोई बताने वाला भी नहीं। अनुभव बहुत गहरा था ट्रेक्किंग का तो सही रास्ता चुनना आसान ही था मेरे लिए वैसे पहाड़ में सही रास्ता चुनना बहुत जरुरी है।
1 km चले फिर 2 रास्ते फिर दिमाग़ लगाया फिर से सही रास्ता चुना। आसान रास्ते पर 3 मुसाफिर चले जा रहे थे अचानक खुला रास्ता झाड़ियों फिर जंगलो में तब्दील हो गया। झाड इतने बड़े की झुक कर जाने पर मजबूर करें। न धुप निचे तक पहुंचे।
शुरुआत में जंगल मे सुबह सुबह जानवर निकले का डर लग रहा था बाद में याद आया हम नागा लोगों के देश में हैं यहाँ गली में कुत्ते और पेड़ पर चिड़ियाँ दिखना असंभव है।
जंगल भी बहुत घना था जंगल खत्म करते ट्री लाइन के ऊपर जाते ही ट्रेक टेक्निकल हो गया। साला हिमाचल, उत्तराखंड, नेपाल, सिक्किम, अरुणाचल तक में कोई टेक्निकल ट्रेक नहीं देखा लेकिन नागाओं के लैंड में हम रस्सीयों के सहारे पहाड़ चढ़ रहे थे।
9 बजे समिट पर थे व्यू जबरा था बहुत सारे हिमालय पीक से भी ज्यादा। सामने जुको वैली का रास्ता नजर आ रहा था। मन किया जुको भी दोबारा निपटा दिया जाय। कुछ समय तक बांस के झाड़ों जहाँ आगे कौन सा ऊ टर्न आ जाय पता न चले वहाँ चलने पर आगे खायी पीछे जाफू पीक जब ये नजर आया तो जुको जाने की आशाएं धूमिल हो गयी लौट के बुद्धू जाफू पीक को आये।
12 बजे तक हॉर्नबिल के पास थे करीब 10 km का ट्रेक सुपर फ़ास्ट स्पीड में निपट चूका था......