हिमाचल प्रदेश को पृथ्वी पर सबसे खूबसूरत जगहों में से एक के रूप में जाना जाता है। ये राज्य 14 शानदार घाटियों का घर है जिन्हें एक्सप्लोर करने के लिए आप ज़िंदगी भर की बकेट-लिस्ट बना सकते हैं। इन्ही शानदार और खूबसूरत घाटियों में से एक है, कांगड़ा घाटी ।
हाल ही में, पार्वती घाटी सभी प्रकार के पर्यटकों का केंद्र सा बन गई है। यहाँ पर मिलने वाले एक विशेष पौधे से लोगों का इतना प्रेम बढ़ गया है की शहरों से बड़े-बड़े ग्रुप्स के ग्रुप्स यहाँ चले आते है पर इससे यह इलाका बहुत ज्यादा प्रदूषित हो गया है । हालांकि कांगड़ा घाटी में देवदार के जंगलो की बहुतायत है जो ना केवल आपको शुद्ध हवा मे सांस लेने मे मदद करेंगे (और आप और हम तो जानते ही हैं कि हमें इसकी कितनी ज़रूरत है), बल्कि इनसे गुज़रते समय आप में एक ट्रैवलर और एक्सप्लोरर वाली फील अपने आप ही आ जाएगी । कांगड़ा घाटी तिब्बती शरणार्थियों के एक बड़े समुदाय का भी घर है, जिन्होंने हिमाचल के शांतिपूर्ण और शानदार पहाड़ों मे एकांत व शांति को बनाया हुआ है।
कांगड़ा घाटी को एक्सप्लोर करने के लिए, आपको कम से कम सात दिन (अगर आप दिल्ली से शुरू कर रहे हैं) लगेंगे । अगर आप सही मायनों में कांगड़ा घाटी को एक्सप्लोर करना चाहते है तो ये अवधि 15 दिनों तक बढ़ सकती है।
(सुविधा के लिए, मैं दिल्ली को के रूप में ले रहा हूँ।)
दिल्ली से मंडी के लिए रात की बस लें। कई बसें शाम 5 बजे से 8 बजे के बीच दिल्ली से रवाना होती हैं और सुबह के समय मंडी पहुँचती हैं, और यह बसें रात के खाने और नाश्ते के लिए रुकती हैं।
मंडी को कांगड़ा घाटी के विकसित पहाड़ी शहरों में से एक माना जाता है। एक लंबी रोड-ट्रिप के बाद आप यहाँ आराम करने के लिए यहाँ के लोकल मार्केट्स को एक्सप्लोर कर सकते है।
अगर आपको पाराशर लेक जाना है तो मंडी बस स्टैंड पहुँच जाए और आप वहाँ से बग्गी गाँव के लिए बस या टैक्सी ले सकते हैं। टैक्सी का किराया ₹600 है, और एक राउंड ट्रिप के लिए ड्राइवर आप से ₹2000 लेंगे। आप बग्गी से पाराशर लेक तक ट्रेक करके भी जा सकते हैं। झील के पास एक छोटा सा गेस्टहाउस है, लेकिन अगर आप चाहे तो आप वही झील के पास ही अपना कैंप भी लगा सकते है ।
आप बैजनाथ बस स्टॉप तक की एक बस ले सकते है (फिर बीर के लिए एक साझा टैक्सी ले ) या सीधे बीर के लिए एक टैक्सी ले सकते है । यह मंडी से केवल 70 कि.मी. दूर है और यहाँ तक की राइड में आपको शानदार नज़ारे देखने को मिलेंगे । बीर, धर्मशाला की तुलना में थोड़ा शांत है और यहाँ एक तिब्बती शरणार्थीयों की बस्ती भी है। बीर में आप कुछ बौद्ध मोनेस्ट्री संरचनाएं और शैक्षिक केंद्र हैं।
चौका मठ
मोनेस्ट्री में सबसे प्रतिष्ठित मठ, चौकालिंग मठ है। इस मठ में एक विशाल परिसर मे स्तूप, मंदिर, भिक्षुओं के क्वाटर्स और एक थ्री इयर रिट्रीट-सेंटर है । चीनी आक्रमण से बचकर तिब्बतियों के निकलने के बाद 1960 में चौखलिंग मठ की स्थापना हुई । यह मठ बीर की तिब्बतीयन कॉलोनी में स्थित है और यहाँ आसानी से पैदल पहुँचा जा सकता है ।
डियर पार्क इंस्टीट्यूट
अगर आप बीर आए है तो आपको डियर पार्क इंस्टीट्यूट तो देखना ही चाहिए । यह भारतीय शास्त्रीय ज्ञान परंपराओं के अध्ययन के लिए दलाई लामा के संरक्षण में मार्च 2006 में दजंगसर ख्यांटसे रिनपोछे द्वारा स्थापित एक सेंटर है। सेंटर में ऐसी कई प्रथाएँ हैं जो आपका ध्यान आकर्षित करेंगी, जैसे कि रचनात्मक रूप से प्लास्टिक सामग्री का पुन: उपयोग, और समुदाय के बच्चों को पढ़ाने के लिए वॉलंटियर करना । यकीन मानिए यह कांगड़ा घाटी में एक लोकप्रिय पर्यटक आकर्षण है।
स्टे: आप यहाँ तिब्बती कॉलोनी में किसी भी गेस्ट हाउस में स्टे कर सकते है । और चॉक्लिंग मठ का अपना एक गेस्टहाउस और कैफे भी है, जहाँ एक कमरे का किराया प्रति रात ₹1,000 है।
खाओ: एमाहो बीर बिस्ट्रो जो की एक साधु अमित नेगी द्वारा चलाया जाता है, नाश्ते के लिए एक शानदार जगह है। चौकलिंग कैफे स्वादिष्ट तिब्बती भोजन के लिए मशहूर है और गार्डन कैफे में आप दोपहर के भोजन का स्वाद ले सकते हैं।
बिलिंग घाटी
आप आज बीर की पैदल यात्रा करते हुए बिता सकते हैं । आप तिब्बती कॉलोनी से ऊपरी बीर तक हाइक कर सकते हैं जिसमें आपको शानदार नज़ारे देखने को मिलेंगे। आप यहाँ पैराग्लाइडिंग भी कर सकते हैं और ये ध्यान रहे की बीर-बिलिंग को भारत की पैराग्लाइडिंग राजधानी के रूप में जाना जाता है। बीर में कई एडवेंचर टूर ऑपरेटर्स में से किसी भी एक को अप्रोच करें और अपने अंदर के साहसिक व्यक्ति को बाहर निकाले ।
आप उसी दिन धर्मशाला जा सकते हैं । बीर से धर्मशाला तक की यात्रा में दो घंटे से कम समय लगता है। सबसे अच्छा विकल्प एक शेयर टैक्सी लेना है ( जिसकी कुल लागत ₹1400 है, जो सभी यात्रियों मे बाँटा जाएगा) जो आपको सीधे धर्मशाला और मैकलॉडगंज छोड़ देगी ।
मैकलॉडगंज में नाश्ता करने के बाद, आप या तो तिब्बती बाज़ार और दलाई लामा मंदिर को एक्सप्लोर कर सकते हैं या सीधे ही त्रिउंड के लिए निकल सकते हैं।
कहाँ खाएँ : निक इटेलियन कैफे, पीस कैफे
त्रियुंड हिल
त्रियुंड ट्रेक को ट्रेक शुरू करने के लिए आपको सबसे पहले धर्मकोट पहुँचना पड़ेगा। आप चाहे तो यहाँ चल कर जा सकते है या फिर धरमकोट प्राइमरी स्कूल के लिए ₹60 में ऑटो कर सकते है। जंगल की ट्रेल्स पर चलना शुरू करें और आपके रास्ते का पहला लैंडमार्क गल्लु देवी मंदिर पड़ेगा।
(अगर आप भागसू नाग से जा रहे हैं, तो जर्मन बेकरी के बाईं ओर खड़ी पगडंडी लें सकते है, जो आपको दुकानों के रास्ते होते हुए आपको गल्लु देवी मंदिर के पीछे की तरफ ले जाएगी।)
स्टॉप: आप श्री थापा के सन एंड मून कैफे मे थोड़ी देर के लिए आराम कर सकते है ।
यहाँ बने निशानों का पीछा करते रहे जिससे आप कैफे से ऊपर की तरफ पहुँच जाएँगे और फिर आपको अगले 3-4 घंटे इसी पगडंडी पर चलना होगा ।
स्टॉप: श्री जोगिंदर शर्मा द्वारा मैजिक व्यू कैफे
(कृपया पगडंडी पर गंदगी ना करें। ये एक लोकप्रिय और शानदार रास्ता है, लेकिन गैर-जिम्मेदार यात्रियों के कारण यह अपनी सुंदरता खोता जा रहा है । अगर आप इसे साफ नहीं कर सकते है तो इसे गंदा भी मत कीजिये)
हिल टॉप पर पहुँचने के बाद, आप वन विभाग के गेस्ट हाउस में रात गुज़ार सकते हैं (जिसकी बुकिंग धर्मशाला पुलिस स्टेशन के पास वन परिसर में की जा सकती है) या फिर आप कैंप किराए पर ले सकते हैं।
जल्दी उठे और त्रिकुंड पहाड़ी पर एक शानदार सनराइस देखे और मैकलोडगंज के लिए निकल जाए ।
कांगड़ा घाटी मे रोड कनेक्टिविटी बहुत अच्छी है तो आपको धर्मशाला से डलहौजी के लिए बसें आसानी से मिल जाएँगी जो चार घंटे से भी कम समय मे डलहौजी पहुँचा देगी।
(अगर आप सीधे खजियार के लिए जाना चाहते हैं तो भी आपको सीधी बस मिल जाएगी)
आप सुभाष चौक से डलहौजी में अपनी यात्रा शुरू कर सकते हैं और इन तीनों में से किसी एक पर जा सकते हैं। लक्कड़ मंडी से होते हुए, कालाटॉप वन्यजीव पार्क, खजियार और दैकुंड पीक की ओर जाती है। इसलिए, खजियार जाने से पहले, आप काला टॉप और दैकुंड दोनों के लिए हाइक पर जा सकते हैं। इन चोटियाँ से आपको कांगड़ा घाटी के शानदार नज़ारे देखने को मिलेंगे ।
एक बार जब आप खजियार पहुँच जाते हैं, तो सरकारी गेस्टहाउस या उस एरिया के किसी भी होटल में एक रात बिता सकते है ।
आप खजियार में अपना दिन खजियार के मशहुर खजियार लेक और ग्राउंड देखते हुए बिता सकते है । ज़ॉरबिंग उन कई मज़ेदार गतिविधियों में से एक है जो आप खजियार के मैदान पर कर सकते हैं।
अगर आपको कैलाश पर्वत श्रृंखलाओं के शानदार नज़ारे देखने हो तो आप कैलाश-व्यू ग्राउंड पर जा सकते है । खजियार को अपना नाम खजियार नाग मंदिर से मिला है, जो कि झील के ठीक बगल में स्थित है, अगर आप खजियार मे है तो आपको इसे देखने ज़रूर जाना चाहिए।
खाओ: यकीन मानिए यहाँ का तिब्बती बाजार शानदार एशियाई खाना परोसने के लिए मशहूर है ।
खजियार में एक दिन आराम करने के बाद, आप या तो मंगला के खूबसूरत गाँव के रास्ते होते हुए चंबा तक जा सकते हैं या अगले दिन धर्मशाला लौट सकते हैं।
(डलहौजी से चंबा तक आप तीन दिनों में पैदल भी जा सकते है। यूथ हॉस्टल डलहौजी से एक ट्रेक ऑर्गनाइज़ करता है, जो कलगी टॉप कैंप पर खजियार के रास्ते में रुकते हुए अंत में चंबा घाटी के मंगला गाँव तक जाता है।)
अगरआप चाहें तो आप धर्मशाला में एक और दिन बिता सकते हैं या कांगड़ा घाटी के सबसे बड़े शहर कांगड़ा की ओर रुख कर सकते हैं।
कांगड़ा का किला
कांगड़ा शहर मंडी की तरह ही है, जो इतिहास में मज़बूत जड़ों वाला एक विकसित पहाड़ी शहर है। आप कांगड़ा आए और, प्रसिद्ध कांगड़ा किले का दौरा ना करें तो आपकी यात्रा ही अधूरी रह जाएगी । यह किला कटोच राजवंश द्वारा बनाया गया था और हिमालय का सबसे बड़ा किला माना जाता है । कांगड़ा किले के आस-पास महाराजा संसार चंद कटोच संग्रहालय है, जिसमें आप राजवंश के इतिहास को देख सकते है। आप संग्रहालय से ऑडियो गाइड भी ले सकते हैं । कांगड़ा का किला धर्मशाला से केवल एक घंटे की दूरी पर ओल्ड कांगड़ा में है।
हिमाचल के इतिहास से जुड़ने के बाद, आप या तो कांगड़ा शहर में रात बिता सकते हैं या धर्मशाला / मैकलॉडगंज में वापस लौट सकते है और इन दोनों मे से किसी को भी अपना लास्ट स्टॉप बना सकते है।
ये दिन आपके लिए अपने घर जैसे आराम को अनुभव करने का ही है । हिमाचल एक ऐसी जगह है जिसे आप अपनी ज़िंदगी भर भी एक्सप्लोर करे तो शायद कम है । यहाँ कुछ और या कई दिन बिताने के बाद भी आपको सिर्फ इसका कुछ ही पार्ट देखने को मिलेगा । देवी और भंगाल की भूमि के रूप में जाने वाले हिमाचल को जब आप घूमना शुरू करेंगे तब आपको सच में इसकी खूबसूरती देखकर अलग ही दुनिया मे चले जाएँगे ।
सिर्फ इसलिए कि यात्रा कार्यक्रम समाप्त हो गया है, इसका मतलब यह नहीं है कि आपकी यात्रा भी खत्म हो गया है । बैग पैक करो, और निकल जाओ अपने नए सफर पर !
अपनी यात्रा की कहानियाँ और अनुभव यहाँ लिखें।
बांग्ला और गुजराती में सफ़रनामे पढ़ने और साझा करने के लिए Tripoto বাংলা और Tripoto ગુજરાતી फॉलो करें
Tripoto हिंदी के इंस्टाग्राम से जुड़ें और फ़ीचर होने का मौक़ा पाएँ।
यह एक अनुवादित आर्टिकल है, ओरिजनल आर्टिकल पड़ने के लिए यहाँ क्लिक करें।