बराड़सर ट्रेकः ट्रेकिंग के दीवाने हो! इस लंबे और कठिन ट्रेक के बारे में जानते तक नहीं

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पहाड़ों में जाना, उनके बीच देखना, घंटो निहारना और ऊँचे-ऊँचे रास्तों पर चलना, इन्हीं सबके लिए तो बार-बार जाते हैं इन वादियों में। अक्सर पहाड़ों को दो तरह से देखा जाता है। एक तो किसी हिल स्टेशन पर जाकर उस जगह को देखा जाए और दूसरा ट्रेकिंग। पहला ऑप्शन कठिन नहीं है मगर बुरा भी नहीं। दूसरा ऑप्शन कठिन तो है लेकिन रोमांच से भरा हुआ है। इस रोमांच के लिए ही तो जाते हैं इन मुश्किल भरे रास्तों पर। भारत में कई छोटे-बड़े ट्रेक हैं। इनमें से कई बहुत फेमस हैं तो बहुतों के बारे में अब भी लोगों को नहीं पता। ऐसा ही एक खूबसूरत, कठिन और लंबा ट्रेक है, बराड़सर लेक ट्रेक।

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बराड़सर लेक टेक उत्तराखंड के गढवाल मंडल में है और समुंद्र तल से इसकी ऊँचाई 14,400 फीट है। यहाँ सर्दियों में बहुत बर्फ गिरती है जिससे रास्ता पूरी तरह से बंद हो जाता है और सर्दियों में ये जगह खतरे से खाली नहीं होती है। इसलिए बराड़सर ट्रेक सर्दियों में नहीं होता है। इस ट्रेक पर आपको बर्फ पर नहीं, हरी-हरी घास पर चलना होगा। यहां आने का सबसे अच्छा समय अगस्त से लेकर नवंबर तक है। लगभग नौ दिनों का ये लंबा ट्रेक कठिन तो है मगर खूबसूरत भी बहुत है। आपको हर दिन कुछ नई खूबसूरती और नजारे देखने को मिलेंगे जो आपको तरोताजा कर देंगे। अगर आप ट्रेक करते रहते हैं तब तो आपको इस ट्रेक के लिए कम मेहनत की जरूरत पड़ेगी। इसके बावजूद आपको इस ट्रेक के बारे में अच्छे से जान लेना चाहिए। अगर आप पहली बार ट्रेकिंग पर जाने की सोच रहे हैं तब बहुत प्लानिंग करने की जरूरत है। कम रिसर्च और प्लानिंग आपके ट्रेक को खराब कर सकती है। इसलिए हम बराड़सर ट्रेक के बारे में पूरी जानकारी दे रहे हैं।

1- कैसे पहुँचे?

बराड़सर ट्रेक के लिए आपको देहरादून आना होगा। बराड़सर ट्रेक हिमारी से शुरू होता है। देहरादून से हिमारी की दूरी 207 किमी. है। हिमारी तक पहुँचने के लिए आपको सांकरी गाँव पहुँचना होगा। जहाँ से केदारकंठा ट्रेक शुरू होता है। देहरादून से सांकरी के लिए मसूरी बस स्टैंड से सुबह-सुबह बसें चलती हैं। अगर आप बस से जाना चाहते हैं तो आप हर हालत में देहादून सुबह पहुँच जाइए। इसके अलावा आप गाड़ी बुक करके भी सांकरी तक जा सकते हैं हालांकि ये बहुत महंगा ऑप्शन है। अगर आपका ग्रुप बहुत बड़ा है तब तो ये किया जा सकता है। देहरादून से सांकरी पहुँचने में लगभग 10 घंटे का समय लगता है। वहाँ रात रूककर अगले दिन हिमारी पहुँच सकते हैं। सांकरी से हिमारी की दूरी 7 किमी. है।

2- कहाँ रूकें?

कहीं भी घूमने जाएँ तो सबसे बड़ा सवाल ही यही होता है कि कहाँ ठहरा जाए। अगर आप पहले से पैकेज बुक कराककर आएँ हैं तब तो आपको रहने-खाने की कोई दिक्कत नहीं होगी। आपके लिए हर जगह, हर चीज की पहले से व्यवस्था रहती है। लेकिन अगर आप कोई पैकेज लेकर नहीं आए हैं तो हर छोटी से छोटी चीज के लिए जूझना पड़ेगा। उसमें ठहरने की व्यवस्था करना भी बड़ी बात होगी। वैसे इसका भी अलग मजा है। अच्छी बात ये है कि यहाँ बहुत सारे होमस्टे हैं जहाँ आप रात गुजार सकते हैं। वैसे भी आपको सिर्फ सांकरी में ही रात गुजारनी है उसके बाद तो हर रोज अपने टेंट में ही रहना होगा।

3- पैसा मांगता है

ये ट्रेक खूबसूरत है और प्यारा है। लेकिन अगर आपको कुछ चीजों के बारे में नहीं पता तो यही ट्रेक आपको झुंझलाहट और परेशान कर देगा। यहां की सबसे बड़ी समस्या है नेटवर्क। जिसकी वजह से यहां न कोई एटीएम है और न ही आपको मोबाइल काम करेगा। इसलिए आप यहाँ आएं तो कैश साथ लेकर आएं। ये भी ध्यान देने वाली बात है कि कैश थोड़ा एक्सट्रा हो। क्या पता कहाँ जरूरत पड़ जाए? तब यहाँ आपकी कोई मदद नहीं करेगा। इसलिए पहले से ही पूरी तरह से तैयार होकर आइए।

4- जरूरी सामान

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श्रेय: किमकिम।

ये ट्रेक बर्फ वाला नहीं है इसलिए आपको ज्यादा सामान लेने की जरूरत नहीं पड़ेगी। फिर भी जैसे-जैसे आप ऊपर जाएंगे ठंड काफी होगी। इसलिए आपके पास गर्म कपड़े, अच्छी क्वालिटी के जूते, बोतल, टाॅर्च और चाॅकलेट्स होनी चाहिए। जो ट्रेक करते समय एनर्जी बनाए रखने में बहुत काम आती हैं। इसके अलावा आपके पास टेंट और स्लीपिंग बैग होना चाहिए। अगर आप पैकेज बुक करके आते हैं तो आपको इन चीजों को लाने की कोई जरूरत नहीं है। अगर आप बिना पैकेज के जा रहे हैं तो आपके पास ये सामान होने ही चाहिए। आप इन सामान को ट्रेक के लिए रेंट पर भी ले सकते हैं।

5- नियम और शर्तें

बराड़सर ट्रेक में कुछ नियम ऐसे हैं जिनको आपको न चाहते हुए भी मानना पड़ेगा। जिसमें से एक तो ये है कि आपको अपने साथ एक गाइड रखना ही पड़ेगा। ये ट्रेक गोविंद वाइल्डलाइफ सैंक्चुरी नेशनल पार्क में आता है। इसलिए यहाँ सेना के जवान तैनात हैं जिनकी एंट्री के बिना आप ट्रेक करने नहीं जा सकते हैं। उन्होंने कछ लोगों को गाइड का अधिकार दिया है। इसलिए आप ध्यान रखें कि आपने जिसको अपना गाइड बनाया है वो रजिस्टर्ड गाइड है या नहीं। गाइड के बिना एंट्री तो क्या आपको टेंट, स्लीपिंग बैग जैसी चीजें भी रेंट पर नहीं मिलेंगी। इसलिए आपके पास गाइड होना बहुत जरूरी है। इस ट्रेक की परमिट फीस प्रति व्यक्ति 150 रुपए है। इसके अलावा आप टेंट ले जा रहे हैं तो उसके अलग से 50 रुपए।

6- ट्रेक के बारे में

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9 दिन के इस ट्रेक में आपको एक दिन तो बस में बैठे-बैठे निकल जाएगा। देहरादून से सांकरी शाम तक पहुँचेंगे। यहाँ रात गुजारिए और सुबह-सुबह हिमारी पहुँच जाइए। जहाँ से अपने गाइड के साथ सरुताल के लिए निकल पड़िए। दूसरे दिन आपको 6-7 किमी. चलना होगा। 7 किमी. के इस ट्रेक को करने में लगभग 6-7 घंटे लगेंगे। रास्तें में कई गाँव मिलेंगे। जहाँ आप पहाड़ों की लोगों की जिंदगी को देख पाएँगे। पहले दिन का रास्ता बहुत सरल है लेकिन शुरूआती समय में चलने की वजह से थकावट बहुत आएगी। क्योंकि रोजमर्रा की जिंदगी में इतना चलने की आदत जो नहीं होती है।

तीसरे दिन का ट्रेक थोड़ा कठिन होगा। सरुताल से बडांग का ये ट्रेक 7 किमी. से कुछ ज्यादा का है और चढ़ाई भी थोड़ी कठिन है। 1 किमी. के ट्रेक के बाद आपको चीड़ और देवदार के जंगलों से गुजरना होगा। पहाड़ों में ऐसा ही नयापन देखकर अच्छा लगता है। वैसे तो पूरा रास्ता नाॅर्मल है लेकिन आखिरी के दो किमी. थोड़े थका देने वाले होंगे। आप रूक रूककर ट्रेक कर सकते हैं लेकिन ये ध्यान रहे कि शाम होने से पहली अपनी मंजिल तक हर हाल में पहुँचना है।

तीसरे दिन आपको बडांग से दालधार के लिए ट्रेक करना पड़ेगा। 5 से 6 घंटे का ये ट्रेक कई लाजवाब नजारे दिखाता है। शुरूआती 3-4 घंटे आपको जंगलों से ही गुजरते रहते हैं। विजय टाॅप पर आप खुले आसमान के नीचे आ जाते हैं। मसुंधाधार के कुछ घंटे बाद आप धालधार पहुँचते हैं। ट्रेक के पांचवे दिन का सफर धालधार से देव वासा तक का है। इस दिन का ट्रेक बहुत छोटा होता है क्योंकि आने वाले दिन में और कठिन रास्ता होता है। धालधार से देव वासा पहुँचने में सिर्फ दो घंटे का समय लगेगा। वहीं पास में ही एक जगह है जहाँ से आप पानी ले सकते हैं। आप इस दिन आसपास की जगहों को देखिए, पहाड़ों को निहारिए।

अगले दिन का ट्रेक सबसे लंबा और कठिन होता है। इस दिन आप लगभग 13 किमी. पैदल चलते हैं। इसके अलावा आप जैसे-जैसे आगे बढते हैं चढ़ाई कठिन होती जाती है। ऊँचाई पर बहुत कम चलने पर भी बहुत ज्यादा थकावट आ जाती है। बर्फ पिघलने से रास्ता फिसलन भरा रहता है इसलिए भी ट्रेकिंग और भी कठिन हो जाती है। शाम होने तक आप बराड़सर रिज पहुँच जाइए। रात रूकिए और अगले दिन बराड़सर लेक की तरफ चल पड़िए। कुछ घंटों के बाद आप उस जगह पर पहुँच जाएँगे। जिसके लिए आपने इतना लंबा और कठिन रास्ता तय किया है। यहाँ एक बेहद खूबसूरत झील है जो रूपिन और सुपिन वैली के बीच में स्थित है। कहा जाता है कि यहाँ पर जो भी मुराद मांगेंगे वो जरूर पूरी होगी।

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इस खूबसूरत जगह पर कुछ समय गुजारने के बाद उसी दिन वापस देव बासा आ जाइए। देवबासा में रात रूककर अगले दिन राहला गाँव पहुंचिए। यहीं पर सुपिन नदी और ओबरा नदी का संगम होता है। यहीं एक गाँव है जखोला। वहाँ से आप गाड़ी बुक करके सांकरी पहुँच सकते हैं। आप उसी शाम को सांकरी से देहरादून निकल सकते हैं या फिर अगले दिन सुबह। जब आप लौट रहे होंगे तब भी आपके दिमाग में बराड़सर लेक ट्रेक ही चल रहा होगा। इस खूबसूरत सफर को आप जब भी याद करेंगे खुश हो उठेंगे।

क्या आपने कभी बराड़सर लेक ट्रेक किया है? अपने सफर का अनुभव यहाँ लिखें।

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