अभी हाल फिलहाल की बात है । घर पर टीवी पर सन 2006 में प्रदर्शित हुई प्रचिलित फिल्म विवाह देख रहा था। उसके एक सीन में मैने इस मंदिर को देखा । यूं तो मैं दिल्ली के नजदीक रहता हूँ। लेकिन मेरा मन उत्तराखंड और हिमाचल की तरफ बहुत लगता है। क्या पता किसी जन्म में पहाड़ों से रिश्ता रहा हो ।
बस एक बार पहाड़ों का जिक्र शुरू होना चाहिए। रुका ही नही जाता बात करने से । पहाड़ों की दुश्वारियां, पहाड़ों की दुर्गम जिंदगी, पहाड़ों की सादगी , पहाड़ के लोगो का अपनापन , रहन सहन ,खान पान, आदर सत्कार , संस्कृति, इत्यादि । ये सब मुझे बहुत आकर्षित करता है ।
विवाह फिल्म में दिखाई दिए इस मंदिर ने मुझे बहुत आकर्षित किया। बेहद ही शानदार ,आकर्षक ,मनमोहक मंदिर मुझे यह देखने में लगा बस फिर क्या था। जानकारी निकलनी ही थी की इतना आकर्षक मंदिर कहा पर है। पहले आप कुछ तस्वीरे देखिए फिर आगे बढ़ते हैं।
जागेश्वर मंदिर के बारे में
जानकारी निकालने पर पता चला यह तो अपने उत्तराखंड में ही है। उत्तराखंड के कुमाऊं मण्डल में अल्मोड़ा जिले में यह मंदिर परिसर स्थित है। अल्मोड़ा से लगभग इसकी दूरी 30 किलोमीटर है। यहां छोटे बड़े मिलाकर लगभग 150 से 180 मंदिर है।
भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण विभाग की जानकारी के अनुसार इन मंदिरों का निर्माण लगभग 7 वी सदी से 12 वी सदी के बीच हुआ है। एक ही स्थान पर इतने खूबसूरत मंदिर आपको आश्चर्य चकित कर देंगे। सम्पूर्ण मंदिर परिसर बड़े बड़े देवदार के पेड़ो से घिरा हुआ है जो इस स्थान को और भी खूबसूरत बनाता है।
मंदिर परिसर लगभग 1800 मीटर की ऊंचाई (समुंदर तल से ) पर स्थित है। सर्दियों के मौसम में अच्छी खासी बर्फ बारी भी होती है। मंदिर का वातावरण बेहद ही शांत है जो इसको खास बनाता है। आप यहां आकर आपने आप को खुद से जोड़ सकते हो। तथा भगवान के साथ भी साक्षात्कार हो सकता है। कुछ कुछ इसी तरह के मंदिर समूह आपको बटेश्वर ( मध्य प्रदेश ) तथा दक्षिण भारत में एक अनाम जगह पर भी देखने को मिलेंगे। यह थोड़ा रहस्यमई भी प्रतीत होता है की एक ही जगह पर इतने खूबसूरत मंदिर क्यों बनवाए गए।
मंदिर वैसे भी वो जगह है जहां आप परमात्मा से खुद को जोड़ सकते हो। मंदिर परिसर में एक सकारात्मक ऊर्जा होती है। तो फिर यह जगह तो और भी खास हो जाती है। आस पास के पूरे परिक्षेत्र में यह मंदिर काफी प्रसिद्ध है और अब इस मंदिर की प्रसिद्धि दूर दूर तक होने लगी है। उत्तराखंड को यू ही देवभूमि नही कहा जाता। यहां के कण कण में देवताओं का वास है ।
कैसे पहुंचे?
सड़क मार्ग से आप हल्द्वानी होते हुए या रामनगर होते हुए अल्मोड़ा आ सकते है । अल्मोड़ा भी एक दर्शनीय पर्यटन स्थल है । अल्मोड़ा से लगभग 30 किलोमीटर की दूरी पर यह मंदिर स्थित है। नैनीताल से इसकी दूरी लगभग 100 किलोमीटर है ।
रेलवे: भारतीय रेलवे के लिए नजदीकी स्टेशन काठगोदाम है । जहा से आपको अल्मोड़ा के लिए बस तथा टैक्सी आसानी से मिल जायेगी। अल्मोड़ा से आप निजी टैक्सी लेकर मंदिर देखने आ सकते है ।
हवाई मार्ग: सबसे नजदीकी एयरपोर्ट पंत नगर है।
तो अगर आपका आना कभी उत्तराखंड हो तो इस मंदिर को देखने जरूर जाईए। आपको बेहद ही सुखद अनुभूति होगी।
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