हमे में से कितने ही शौक़ीन लोग होंगे जो फिल्में देख के कहाँ घूमने जाना है, ये तय करते हैं! मैं तो हमेशा फिल्मों में अभिनेता छोड़ कर किस लोकेशन पे शूट हुआ है, ये ही देखती हूँ! मैंने हमेशा मनाली को एक व्यावसायिक पर्यटन स्थल माना है, और ऐसी जगहों से मैं हमेशा दूर रहती हूँ! मैंने नारकंडा, स्पीती, सराहन, और हिमाचल के कई अंदरूनी स्थलों पे भ्रमण किया है लेकिन मनाली मैंने हमेशा टाला, क्यूंकि वहां बहुत पर्यटक जाता है और मुझे भीड़ नहीं पसंद!
पर जब वी मेट देखने के बाद, पहली बार मुझे मनाली जाने का मन हुआ! हमारे जीवन मैं फिल्मों के प्रभाव को कौन झुठला सकता है , फैशन हो, कार्स हों, या सुन्दर जगह पैर शूटिंग, हर बार फिल्में हमें प्रभावित करती हैं!
पहले " दिल चाहता है" ने गोवा घुमाया, जब वी मेट की वजह से मैंने मनाली देखा और फिर "ज़िन्दगी ना मिलेगी दोबारा" ने दुनिया को एडवेंचर्स के लिए प्रेरित किया! फिर "क्वीन" ने सोलो ट्रेवल करने का हौसला दिया, यश जोहर की फिल्मों ने पहले ही यूरोप के सपने सजवा रखे थे !
खैर, मेरे मनाली जाने का अहम कारण "जब वी मेट" थी फिल्म में मनाली इस ढंग से दिखाया की मैंने बुकिंग कर ली!
विशेषकर रोहतांग पास तो देखना ही था, तो अपने इंग्लैंड से लौटने के बाद मैंने भारत ट्रेवल एजेंसी से एक ट्रिप बुक किया! पर ये ट्रेवल एजेंट इतना ख़राब था की मेरा पूरा ट्रिप बेकार ही हो गया था और मुझे समझ आ गया मनाली जैसे मैंने पहले सोचा था वैसे ही एक व्यावसायिक प्रर्यटक स्थल है!
एजेंट ने हमें एकदम थर्ड क्लास होटल्स दिए, और रोहतांग पास की फीस लेने के बाद भी उन्होंने हमारी यात्रा रद्द कर दी और अंत मैं मुझे बुकिंग होते हुए भी सब खुद प्लान करना पड़ा! ये ट्रिप अपने आप आसानी से प्लान की जा सकती है , और वो भी बजट मैं! पहले दिन के ख़राब अनुभव के बाद मैंने अगले दिन खुद ही ट्रिप करने की ठानी और टैक्सी स्टैंड से बहुत आसानी से रोहतांग पास की परमिट होल्डर टैक्सी मिल गयी!
हालाँकि मुझे कोई रिफंड नहीं मिला पर ये समझ आगया की मनाली जाने के लिए कभी ट्रेवल एजेंट नहीं बुक करना चाहिए , मैं हमेशा खुद ही सारा कार्यक्रम बनती हूँ पर क्यूंकि मेरी मम्मी भी जा रही थी तो मैंने सोचा ट्रेवल एजेंट से बुक करना ज्यादा सुविधाजनक होगा!
खैर हर यात्रा का अपना एक सबक होता है मैंने अपना सबक ले लिया था, की फिल्मों मैं जितना साफ़ सुथरा सुन्दर दिखते हैं वो जगह एकदम अलग ही होती है..
बर्फ की सफ़ेद दीवारें काली थीं , पूरा रोहतांग पर्यटकों से भरा पड़ा था, पर उस भीड़ और भसड़ मैं भी कहीं न कहीं मैंने वो "जब वी मेट " वाले मनाली की झलक ले ही ली!
इतनी भीड़ के बावजूद इस जगह की सुंदरता बानी होना किसी चमत्कार से काम नहीं है!
भीड़ की चिंता छोड़ के मैंने भी बर्फ के खूब मज़े लिए
कुछ बेहतरीन नज़ारे जो मैंने अपने कैमरा मैं कैप्चर किये
मेरे जब वी मेट वाले मनाली की झलक
भारत मैं सुन्दर और रमणीक स्थलों की कमी नहीं है पर, ये हम सब पर निर्भर करता है की हम अपने स्थलों को कैसे साफ़ सुथरा और सुन्दर रखें!
विदेश मैं साधारण जगहों पे भी लोग अपना उत्तरदायित्व निभाते हैं, हमारे देश मैं जगह कहीं ज्यादा सुन्दर है, कमी है तो हमारे अनुशासित होने की और उन जगहों का सम्मान करने की !
यात्रा ज़रूर करें पर अपने जोश मैं जगह को दूषित न करें जिससे की आने वाली पीढ़ी भी भारत की प्राकृतिक सम्पदा का लुत्फ़ उठा सके उन्हें बेहतरीन पर्यटन अनुभव करने के लिए देश से बहार जाने की आवश्यकता न हो!
शुभ यात्रा!
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