जानिये विश्वप्रसिद्ध रामदेवरा मेले के बारे में ,पैदल चल कर आती हैं लाखो की भीड़

Tripoto
Photo of जानिये विश्वप्रसिद्ध रामदेवरा मेले के बारे में ,पैदल चल कर आती हैं लाखो की भीड़ by Rishabh Bharawa

अभी कुछ ही दिनों पहले मेरे एक परिचित मध्य प्रदेश से राजस्थान की तरफ घूमने आये थे। उन्हें पुष्कर ,गोरम घाटी ,कुम्भलगढ़ की तरफ घूमना था। वो मेरे से लगातार सम्पर्क में थे रुट प्लान के लिए। इस यात्रा के दौरान उनका एक बार कॉल आया - "ऋषभ भैया ,ये हर तरफ ,रास्तों में लोग झंडे लेकर ,पैदल पैदल कहा जा रहे हैं ? ना बारिश देख रहे हैं ,ना सड़कों की हालत। आदमी हो ,औरत हो ,बच्चे हो या वृद्ध ,हर तरफ नजर आ रहे है ,मुझे भी जाना हैं ये जिस भी मंदिर जा रहे हैं।"

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मैं समझ गया था कि वो रामदेवरा जाने वाले श्रद्धालुओं की बात कर रहे है। 29 अगस्त से 7 सितम्बर तक इस साल राजस्थान के जैसलमेर जिले के रामदेवरा में विश्वप्रसिद्द मेला भरेगा। हर साल भरने वाले इस मेलें में राजस्थान ,गुजरात यहाँ तक कि हरियाणा और दिल्ली से भी कई श्रद्धालु पैदल चल कर पहुंचते हैं।इस साल करीब 35 से 40 लाख श्रद्धालुओं के यहाँ आने का अनुमान हैं। यह मंदिर पोकरण के पास रूणिचा धाम में बना हुआ हैं।पोकरण वही जगह ,जहाँ 1974 और 1998 में कुल तीन बार परमाणु परीक्षण हुए थे,यहाँ से मंदिर केवल 12 किमी की दूरी पर ही हैं।जोधपुर से जैसलमेर जाते हुए हर यात्री बीच में पड़ते रामदेवरा मंदिर में दर्शन करने जरूर जाते हैं। जैसलमेर भी यहाँ से करीब 100 किमी दूर ही पड़ता हैं और यहाँ से आगे रोड बहुत ही शानदार।

रामदेवरा मंदिर असल में राजस्थानी लोकदेवता 'रामदेव जी ' को समर्पित मंदिर हैं।इन्होने समाज के लिए कई कार्य किये। कई चमत्कारी किस्से भी बाबा रामदेव के बारे में प्रचलित हैं। कहते हैं ,मुस्लिम धर्म के भी कई लोग इन्हे मानते हैं। 1459 ई. में 33 वर्ष की आयु में इन्होने जीवित समाधी ली थी ,उसी जगह पर यह मंदिर बना हुआ है। मंदिर में रामदेव बाबा के परिवार के सदस्यों की भी समाधिया बनी हुई हैं।

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इस मंदिर का निर्माण बीकानेर के राजा गंगसिंह जी ने करवाया था।रामसरोवर तालाब ,बावड़ी ,रूणिचा कुआँ ,डालीबाई का कंगन आदि यहाँ दर्शनीय जगहें हैं।रहने के लिए शानदार होटल्स और धर्मशालाए यहाँ बनी हुई हैं,जहाँ बहुत ही वाजिब दरों में बढ़िया कमरे आप ले सकते हैं,मारवाड़ी कल्चर का फील ले सकते हैं, मारवाड़ी केर सांगरी की सब्जी का लुत्फ़ ले सकते हैं। अगर सर्दी में जाओ इधर तो ,सुबह सुबह किसी चाय की थड़ी पर बैठकर ,इस रेतीली सुखी जमीन पर हल्की-हल्की ठंड में चाय-बिस्किट का मजा ले सकते हैं।कुछ ही किलोमीटर आगे रेतीले धोरे हैं ,रोड ट्रिप के लिए शानदार सड़क हैं ,जैसलमेर किला ,कुलधरा हॉन्टेड गाँव , तनौद माता मंदिर ,लोंगेवाला बॉर्डर ,हर चीज तक पहुंचने के लिए यह जगह एक तरह से एंट्री पॉइंट ही हैं।

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फोटो : 2020 की रामदेवरा मंदिर की हैं। जो पैदल यात्रियों की फोटो हैं वो कुछ ही दिन पहले की भीलवाड़ा -अजमेर रोड की फोटो हैं।अभी मारवाड़ में हर तरफ और मेवाड़ के कुछ इलाकों में इन यात्रियों के खाने और रहने के लिए हर तरफ लंगर/भंडारे भी लगे दिखेंगे।

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-ऋषभ भरावा

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