एवरेस्ट बेस केम्प का असली सफर लोबुचे के बाद ही शुरू होता हैं। लोबुचे से यात्रियों को गोरकक्षेप पहुंचना होता हैं।गोरकशेप एवेरेस्ट के पास सबसे आखिरी गाँव हैं। इसके आगे कोई बस्ती नहीं मिलती ,ना टी हाउस ,ना रेस्टोरेंट्स। लोबुचे से गोरकक्षेप और गोरकक्षेप से एवेरेस्ट बेस केम्प तक का सफर वाकई में काफी दुर्गम रहता हैं। इस एरिया में ऑक्सीजन स्तर भी काफी कम रहता हैं ,खतरनाक ठंडी हवाएं बहती हैं और कई पहाड़ों पर हिमस्खलन भी देखने को मिल जाता हैं।
जब हम इस जगह से आगे बढ़ रहे थे तभी अचानक एक विस्फोट जैसी आवाज़ पहाड़ों के बीच गुंजी और जब हमने चारों तरफ देखा तो पाया कि एक पहाड़ पर हिमस्खलन हो रहा था।मैंने उसको मेरे चैनल Rishabh Bharawa vlogs के आज के एपिसोड में डाला हैं। आप इस एपिसोड में देख सकते हैं कि कैसे मेरे अन्य साथी पुरे ट्रेक पर चुप थे और जब मैं वीडियो रिकॉर्ड करने की कोशिश कर रहा था तो मेरे हाथ भी काँप रहे थे और सांस फूलने की वजह से बोला भी नहीं जा रहा था।
गोरकशेप में ही आकर अधिकतर यात्री बीमार पड़ते हैं या AMS का शिकार बनते हैं। गोरकशेप में जिस टी हाउस में हम ठहरे ,एक दिन पहले वही एक व्यक्ति रात को सोया और फिर कभी उठा ही नहीं।गोरकशेप से ही काला पत्थर की चढ़ाई भी शुरू होती हैं। कालापत्थर से सूर्योदय देखने और एवेरेस्ट का विशाल रूप देखने के लिए यात्री रात को दो बजे ट्रेक के लिए निकलते हैं और आधे से ज्यादा यात्री कुछ ही किलोमीटर में बीमार पड़ जाते हैं। यह सब आप आज के एपिसोड में देख सकते हैं।वीडियो देखने के लिए कमेंट में जाए।
Gorakshep,दिसंबर 2022