इतिहास में तांक-झांक: नवाबी शान की याद दिला देंगी लखनऊ की ये हवेलियाँ 

Tripoto

लखनऊ का नाम सुनते ही नवाबी तहज़ीब, चिकनकारी और टुंडे कबाब, झट से दिमाग में आ जाते हैं। इन्हीं की तरह लखनऊ की हवेलियाँ और कोठियाँ भी इस शहर के गौरवशाली इतिहास को आज भी उसी शान से संजोए हुए है। बड़ा और छोटा इमामबाड़ा तो लखनवी इतिहास और वास्तुकला का नयाब नमूना है ही, लेकिन यहाँ और भी नगीने हैं, जिनमें से कुछ आज भी सीना ताने खड़े हैं तो कुछ वक्त की धूल तले दबे हैं। तो चलिए आज लखनऊ के इतिहास में झांकते हैं।

Photo of छत्तर मंजिल, Mahatma Gandhi Marg, Qaisar Bagh, Lucknow, Uttar Pradesh, India by Bhawna Sati

इस इमारत को ये नाम इसके छत्री-नुमा गुंबद की वजह से मिला है। नवाब गाज़ी उद्दीन हैदर द्वारा बनवाई गई इमारत भारतीय, यूरोपीय और नवाबी वास्तुकला का संगम है। गोमती नदी के किनारे बनी छत्तर मंज़िल आज भी मज़बूती से खड़ी है और अब इसे केंद्रीय औषधि अनुसंधान संस्थान (CDRI) के ऑफिस में तब्दील कर दिया गया है।

छत्तर मंजिल

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जनरल कोठी

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इस कोठी का नाम पड़ा है यहाँ रहने वाले हशमत अली के नाम पर। दरअसल हशमत आर्माी के चीफ थे और खुद को जनरल कहलवाना पसंद करते थे। बस तभी से इसे जनरल या जरनैल कोठी के नाम से जाना जाता है।

रोशन- उद- दौला कोठी

रोशन-उद-दौला कोठी मोहम्मद हुसैन खान की रिहाइशी इमारत का नाम है जो ब्रिटिश राज के ज़माने में यहाँ एक मुख्य मंत्री हुआ करते थे। अब यहाँ राज्य पुरात्तव विभाग का ऑफिस है, इसलिए इस इमारत का रख-रखाव भी हो रहा है।

श्रेय: ब्रिटिश लाइब्रेरी

Photo of दिलकुशा कोठी, NER Colony, Cantonment, Lucknow, Uttar Pradesh by Bhawna Sati

18वीं सदी में बनी ये कोठी अंग्रेजी वास्तुकला में ढली हुई है। इसे उस वक्त हंटिंग लॉज और गर्मियों में रिज़ॉर्ट का काम करता था। 1857 में हुए विद्रोह के वक्त इसे भारी नुकसान हुआ और आज तो यहाँ इमारत के खंडहर हुए कुछ खंबे ही बचे हैं।

लाल बारादरी

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लाल बारादरी लखनवी इतिहास में एक खास जगह रखता है। ये नवाब सादत अली खान के राज (1798 -1814) में बनाया गया था। इसे अवध शासकों से राज्याभिषेक, सिंहासन कक्ष और सभा कक्ष के तौर पर इस्तेमाल किया जाता है। आज ये इमारत लखनऊ विश्वविद्यालय के कैंपस में मौजूद है, हालांकि इसकी हालत खस्ता हो चुकी है।

ब्रिटिश रेसिडेंसी

Photo of इतिहास में तांक-झांक: नवाबी शान की याद दिला देंगी लखनऊ की ये हवेलियाँ by Bhawna Sati

जैसा नाम से ही ज़ाहिर है ये इमारतों का समुह ब्रिटिश रेसिडेंट जेनेरल की रहने के लिए बनवाया गया था। लेकिन 1857 विद्रोह के वक्त यहाँ भी हमला किया गया और आज यहाँ सिर्फ उस ज़माने की याद दिलाते खंडहरों ही हैं।

ला मार्टिनियर

श्रेय: साहब खान

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लखनऊ की कुछ सबसे खूबसूरत इमारतों में से एक है ला मार्टिनियर। ये एक फ्रेंच अफसर क्लॉड मार्टिन के घर के तौर पर बनाई गई थी जिसे बाद में स्कूल में तब्दील कर दिया गया। इस इमारत की खूबसूरत फ्रेंच वास्तुकला और सौम्य रंगों में रंगी दीवारें देख कर ऐसा लगता है जैसे किसी ने घड़ी की सुई को उल्टा घुमा दिया हो। ये लखनऊ की सबसे अच्छी तरह संरक्षित की गई इमारतों में से एक है।

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तो अब जब भी आप लखनऊ की गलियों का ज़ायका लेने निकलें, इसके इतिहास को इन कोठियों के ज़रिए फिर से जीने का मौका मत छोड़ना।

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