अगर 2020 की बात करें तो ये साल खट्टी मीठी यादों के एक पिटारे जैसा रहा है। एक तरफ जहाँ कोरोना ने हम सभी को घरों में बंद कर दिया वहीं दूसरी तरफ दुनिया भर के घुमक्कड़ों ने इसी कोरोना के समय में घूमने के नए रास्ते खोज निकाले। कुल मिलाकर ये साल ऐसे ही जांबाज घुमक्कड़ों के नाम रहा। जब हम घुमक्कड़ी की बात करते हैं तो अकसर दो बातें हैं जिनका जिक्र आना लगभग तय होता है। पहला है सोलो ट्रैवल और दूसरा होता है ग्रुप के साथ ट्रैवल करना। लेकिन अगर अभी के समय के मुताबिक देखा जाए तो सोलो ट्रैवल करना सबसे सेफ और अच्छा ऑप्शन होगा।
कोरोना के समय ट्रैवल करके ऐसे ही कुछ घुमक्कड़ों ने सोलो ट्रैवल के फायदों में कुछ नए कीर्तिमान जोड़ डाले। इसमें सबसे ज्यादा गर्व और गौर करने वाला नाम है यूएई की सोलो ट्रैवलर डॉ खवला अल रोमैथी का। इनके लिए ये साल बेहद रोमांचक और सफलता से भरा रहा। डॉ रोमैथी ने सबसे कम समय में पूरी दुनिया की यात्रा करके विश्व रिकॉर्ड बनाया। इस रिकॉर्ड को बनाने के लिए उन्होंने तीन दिनों, 14 घंटे और 46 मिनट में सभी 7 महाद्वीपों की यात्रा की जिसके बाद उनका नाम गिनीस बुक ऑफ वर्ल्ड रिकॉर्ड में शामिल हो गया है।
डॉ खवला बताती हैं उनका ये सफर आसान बिल्कुल नहीं था। वो कहती हैं यात्रा के दौरान उनका हर कदम उनके साहस और इच्छाशक्ति की परीक्षा जैसा था। क्योंकि उन्होंने ये यात्रा इतने कम समय में पूरी इसलिए अपने सफर में वो लगातार फ़्लाइट लेती थीं।
डॉ खवला ने गिनीस बुक में अपनी जगह बनाने के लिए कुल 208 देशों की यात्रा की। उन्होंने अपनी इस यात्रा को 13 फरवरी को ऑस्ट्रेलिया के सिडनी पहुँचकर खत्म किया। उन्होंने अपनी इस सफलता को दुनिया के साथ बांटते हुए अपनी इंस्टाग्राम प्रोफाइल पर एक पोस्ट भी शेयर किया है। पोस्ट में वो कहती हैं कि वो हमेशा से ही गिनीज बुक को लेकर रोमांचित रहती थी और आज जब मैं भी इस किताब का हिस्सा हूँ तो इस रिकॉर्ड का सर्टिफिकेट लेकर बहुत गर्व महसूस होता है। इस सर्टिफिकेट के आगे उनको यात्रा के दौरान हुई सभी परेशानियाँ बहुत छोटी लगती हैं।
अपनी यात्रा को याद करते हुए वो बताती हैं कि कई बार उनके मन में इस सफर को छोड़ देने का ख्याल भी आया। कुछ मौके ऐसे भी आए जब उन्हें लगा कि अब घर वापस चले जाना चाहिए। लेकिन वो इस सफर को पूरा करने का इतना कड़ा मन बना चुकी थीं कि ये सब सोचने के बाद भी उन्होंने अपनी यात्रा जारी रखी। डॉ रोमैथी अपनी इस सफलता का श्रेय अपने परिवार और दोस्तों को देती हैं और कहती हैं कि ये इन्हीं लोगों का विश्वास था जिसने उन्हें आगे बढ़ते रहने के लिए प्रोत्साहित किया।
डॉ रोमैथी कुल 208 देशों में घूमीं। इस ट्रिप में वो इन देशों की संस्कृति और परंपराओं को पास से जानना और समझना चाहती थीं। उनकी इस यात्रा ने साबित कर दिया कि औरतें, अगर मन बना लें तो, कुछ भी कर सकती हैं।
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