जयपुर का नाम सुनते ही सबसे पहले क्या दृश्य मन में आते हैं ? शायद आमेर का किला, नाहरगढ़ किला, सिटी पैलेस, हवामहल, जलमहल इत्यादि प्रसिद्ध पर्यटन स्थल । यह लेख एक अन्य स्मारक के बारे में हैं जिसे काफ़ी संख्या में पर्यटक और जयपुरवासी बाहर से कई बार देखते होंगे लेकिन कम ही लोगों को पता होता है कि उस स्मारक के अंदर भी जाया जा सकता है । मैं बात कर रहा हूँ "ईसरलाट सरगासूली" के बारे में जो कि जयपुर के परकोटे में छोटी चोपड़ और त्रिपोलिया द्वार के मध्य में स्थित है ।
थोड़ा इसके इतिहास में देखा जाय तो इस स्मारक के निर्माता महाराजा ईश्वरी सिंह का जन्म 1721 ई. में सवाई जयसिंह द्वितीय जिन्होंने जयपुर शहर की स्थापना की थी, के सबसे बड़े पुत्र के रूप में हुआ था । ईश्वरी सिंह के पिता चाहते थे कि उनके बाद वे जयपुर पर शासन करें। सवाई जय सिंह द्वितीय के बाद ईश्वरी सिंह का राज्याभिषेक हुआ । लेकिन मेवाड़ के महाराणा को यह स्वीकार्य नहीं था क्योंकि सिसौदिया राजकुमारी का विवाह जयसिंह के साथ इस शर्त पर हुआ था कि उसका पुत्र आगामी कच्छवाहा शासक होगा ।
महाराजा ईश्वरी सिंह और उनके सौतेले भाई माधोसिंह प्रथम के बीच आंतरिक विवाद बढ़ गए । यह विवाद बाद में युद्ध में बदल गया । 1 मार्च 1747 ई. को राजमहल (टोंक) में ईश्वरी सिंह और माधोसिंह के बीच युद्ध हुआ । ईश्वरी सिंह ने यह लड़ाई जीती और जयपुर के त्रिपोलिया बाजार में "इसरलाट" या "सरगासुली" (स्वर्ग की मीनार) का निर्माण कराया ।
सरगासूली एक सात मंजिला अष्टकोणीय संरचना है जिसे मुगल और राजपूत वास्तुकला शैलियों के मिश्रण से बनाया गया है और इसे गुलाबी रंग के विपरीत पीले रंग में रंगा गया है जो शहर की इमारतों और बाजार क्षेत्रों के गुलाबी रंग के बीच एक अलग झलक प्रस्तुत करता है ।
इस मीनार के सबसे नीचे एक छोटा दरवाज़ा 264 सीढ़ियों के प्रवेश द्वार की ओर ले जाता है, जहां से मीनार के शीर्ष तक ऊपर की ओर गुमावधार सीढ़ियां हैं । गोलाकार सीढ़ी को इस तरह से डिजाइन किया गया है कि मीनार के अंदर ताजी हवा और रोशनी आती रहे । मीनार को बाद में वॉच टावर के रूप में इस्तेमाल किया गया । मीनार में नीचे शहर का नजारा देखने के लिए खिड़कियां भी हैं ।
इसकी ऊंचाई और स्थान के कारण, गुलाबी शहर के बहुत से प्रमुख स्थलों और स्मारकों को सरगासुली से देखा जा सकता है । यहां से कोई भी नाहरगढ़ किला, हवा महल, गढ़ गणेश, सिटी पैलेस और जंतर मंतर को बहुत स्पष्ट रूप से देख सकता है ।
मीनार के शीर्ष से 360 डिग्री नज़ारा आता है लेकिन ऊपर ज्यादा जगह नही है इसलिए एक बार में 3-4 लोग ही आराम से खड़े रहकर शहर को निहार सकते हैं । सरगासुली सप्ताह के सभी दिन सुबह 9:30 बजे से शाम 4:00 बजे तक खुला रहता है।
यह स्मारक छोटी चोपड़ मेट्रो स्टेशन से बहुत ही पास है इसलिए सिन्धी कैम्प राजस्थान रोडवेज बस स्टैंड और जयपुर जंक्शन रेलवे स्टेशन से यहां काफी आसान, किफायती तरीके से मेट्रो द्वारा पहुँचा जा सकता है । आस पास के आकर्षण की बात करें तो सूची बहुत लंबी है, जयपुर के सबसे खास बाज़ार, गोविंद देवजी मंदिर, हवामहल, सिटी पैलेस, जंतर मंतर सभी यहां से बहुत पास हैं ।