कौन कौन मानता है कि प्रकृति के ज़्यादा क़रीब रहने से एक अलग क़िस्म का अच्छापन महसूस होता है हमको। सब बोलेंगे हाँ... शायद इसीलिए हम पापा मम्मी के साथ गर्मी की छुट्टियों में गाँव चले जाते थे। मिट्टी के कुल्हड़ में चाय पीना, पेड़ से अमरूद छुपछुप के तोड़ना, या फिर खेत में पानी डालने के लिए चाचा के साथ चले जाना। प्रकृति के क़रीब जीवन गुज़रे तो चिंताएँ नहीं होतीं। ऐसी ही एक जगह है ग्लैंप इको, मनाली के पास एक छोटी सी जन्नत। मिट्टी के घर में रहने का जो सुख है, वो यहाँ पर ही मिल पाता है।
किसके लिए है
जो लोग प्रकृति के पास थोड़ा सुकून और शान्ति की तलाश में हैं। थोड़ा सा एडवेंचर चाहते हैं और ये सब कम पैसों में चाहते हैं।
प्रॉपर्टी के बारे में
ग्लैंप इको में आपको दो चीज़ें ज़रूर मिलेंगी। ग्लैंपिंग और इको फ़्रेंडली रहना। ग्लैंपिंग वो कैंपिंग होती है, जहाँ पर आप कैंपिंग की तुलना में ज़्यादा लग्ज़री तरीके से रहते हैं। इकोफ़्रेंडली होने के कारण आप प्रकृति के क़रीब भी होते हो और प्रकृति को नुकसान भी नहीं पहुँचाते।
हंपता, हिमाचल प्रदेश कुल 12 किमी0 दूर है मनाली से, लेकिन मानो एक दूसरी ही दुनिया लगती है ये। न तो यहाँ पर्यटकों की भीड़ है, और न ही ढेर सारी गाड़ियों का शोर। एक शान्त नज़ारा, जहाँ से दिखते हैं अनन्त में फैले हुए गर्वीले पहाड़। समुद्र तल से 2,600 मीटर ऊपर इन पहाड़ों के क़रीब होने का रस तो आपको मिलेगा, वो अमृत से कम नहीं है।
ग्लैंप इको में आप यहाँ के पारम्परिक लोगों से मिलने ज़रूर जाएँ। यहाँ पर ख़ूब सारे प्यारे कुत्ते भी मिल जाते हैं, जिनके साथ तस्वीरें खींचने खिंचाने का आनन्द तो आपको मालूम ही है। इसके साथ ही यहाँ पर फ़्री वाइ-फ़ाइ के साथ तो इंस्टा और फ़ेसबुक पर तस्वीरें डालने का प्रोग्राम बनाना तो बनता ही है।
रहने के लिए
यहाँ पर दो क़िस्म के कमरे हैं। एक तो मिट्टी वाले कमरे, जहाँ पर भयंकर धूप में भी आपको गर्मी का ‘ग’ न पता लगे। और दूसरा जियोडेसिक टेंट।
मडहाउस
मडहाउस में पूरी तरह से आपकी बुनियादी ज़रूरतों का ख़्याल रखा जाता है और ये भी कि आपको इसके लिए किसी ऐसी चीज़ की ज़रूरत न हो जिससे प्रकृति को नुकसान पहुँचता हो। एक प्राइवेट कमरा, एक कॉमन कमरा, किचन और वॉशरूम। सर्दियों में यही कमरे आपको गर्म भी रखते हैं। बालकनी पर बैठकर आप प्रकृति का आनन्द लीजिए या फिर सामने सेब के बाग, देवदार के पेड़ के नज़ारे लें, मर्ज़ी आपकी। चार लोगों के लिए यहाँ पर आसानी से रुकने की सुविधा है। यहाँ आपको अपना निजी लॉकर, चार्जिंग पॉइंट और पढ़ने के लिए लैंप जैसी मूलभूत ज़रूरी चीज़ें भी मिलती हैं।
जियोडेसिक टेंट
अभी कुछ समय पहले ही इसे जोड़ा गया है। पहले आप सिर्फ़ मडहाउस में ही रह सकते थे। अनन्त तक फैली वादियों के सामने आपका ये छोटा सा डोम आपके सफ़र में नई ताज़गी ला देगा।
ज़ायका
पास्ता हो या फिर पैनकेक, आपकी फ़रमाइश पर हाज़िर है। आप यहाँ पर लंच या फिर डिनर का आनन्द उठा सकते हैं, वो भी मात्र 250 रु. तक में। सुबह का ब्रेकफ़ास्ट जिसमें पराँठे, पोहा, ब्रेड और अंडा होता है, बहुत महँगा नहीं पड़ता। सुबह और शाम की चाय आप चाहें तो यहाँ पर ज़रूर आज़माएँ।
नज़दीक में घूमने के लिए
नज़दीक में ही सेथन गाँव है जहाँ पर आप इग्लू देख सकते हैं। अगर स्कीइंग और स्नोबोर्डिंग का शौक़ रखते हैं आप, तो यहाँ पर तो आपको ज़रूर ही आना चाहिए। सुबह जल्दी उठकर यहाँ सूर्योदय देखने आना तो जैसे क़िस्मतवालों को ही नसीब है।
ट्रेकिंग का शौक़ रखने वालों को पता होना चाहिए कि यहाँ से बहुत बड़े ट्रेकिंग के रास्ते खुलते हैं। चाहे हंप्ता पास का पाँच दिन का ट्रेक हो, या फिर पहाड़ों पर छिपे अनेक नए रास्ते। पैराग्लाइडिंग और रॉक क्लाइंबिंग अभी नए नए यहाँ पर शुरू हुए हैं। अगर किन्हीं कारणों से मौसम ख़राब हुआ तो अन्दर आपके खेलने की भी सुविधा का ख़ास ख़्याल रखा गया है।
जाने का सही समय
मनाली तो जैसे पर्यटकों का दूसरा घर है। जब दिल करे चले आओ। ठीक वैसे ही गर्मियों या फिर सर्दियों में यह जगह आलीशान हो जाया करती है। आप कभी भी आ सकते हैं।
Tripoto स्पेशल
सेथन गाँव
महज़ 4 किमी0 की दूरी पर है सेथन गाँव। पैदल पैदल चलकर आप यहाँ आ जाइए। बमुश्क़िल 15-20 घर होंगे, तीन लोकल ढाबे, तीन स्तूप, एक बौद्ध गोम्पा, एक जलाशय और भारत का पहला इग्लू होने के लिए प्रसिद्ध। स्कीइंग और स्नोबोर्डिंग के लिए यहाँ का रुख़ करें।
हंप्ता पास ट्रेक
ग्लैंपइको में भी आप इसको लेकर बात कर सकते हैं। वो आपके लिए कुछ स्पेशल व्यवस्था कर देंगे। यहाँ का सबसे आसान ट्रेक है हंप्ता पास ट्रेक। हरे पहाड़ों की हवा के बीच में से होते हुए लाहौल की सूखी घाटियों का सफ़र, कितना कुछ है यहाँ पर। इस ट्रेक के लिए कम से कम 5 दिन लगेंगे, तो तैयारी भी उसी हिसाब की रखें।
कैसे पहुँचें?
हवाई मार्गः भुंतर हवाई अड्डा मनाली से 52 किमी0 दूर है जो कि सबसे पास है। यहाँ से लोकल टैक्सी ख़ूब चलती हैं। पब्लिक ट्रांसपोर्ट से आप प्रीनि पर उतर जाएँ, वहाँ से आपको अपनी निजी कैब से आना होगा।
रेल मार्गः सबसे नज़दीकी रेलवे स्टेशन जोगिंदर नगर रेलवे स्टेशन है जो क़रीब 166 किमी0 दूर है।
सड़क मार्गः दिल्ली से मनाली तक बस पकड़ें। वहाँ से हंप्ता गाँव तक कैब लें।
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