राजे रजवाड़ों का घराना रहा है हिन्दुस्तान। राजा, रानी, उनका बड़ा सा क़िला, सैकड़ों नौकर चाकर, असंख्य रीति रिवाज़, और उनकी क़िस्सागोई करते हम आम आदमी। '47 के बाद भले सब ख़त्म हो गए, लेकिन उनका अक्स आज भी यहाँ की नस्लों में है। सबका मन होता है कि ज़िन्दगी के एक दो दिन ही सही, उन राजाओं की तरह बिताए जाएँ। ख़ासकर हम जैसों के लिए, जो हर दुनिया जीना चाहते हैं।
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उड़ीसा के राजा का बेलगाड़िया पैलेस, जो अब एक बुटीक होमस्टे बन गया है, आपके ठहरने के लिए एक उत्तम स्थान है। राजाओं की सी भव्यता, दुनिया का सबसे चमकदार आकर्षण, राजाओं का सा अतिथि सत्कार, और वो सब, जिसकी इच्छा आप इस राजभवन में करना चाहते हैं।
बेलगाड़िया पैलेस
किनके लिए उपयुक्त है
उनके लिए, जो चाहते हैं कुछ दिन का बेहद सुखद आरामदायक होमस्टे, राजाओं का सा आतिथ्य चाहते हैं। साथ ही उनके लिए भी जो दिलचस्पी रखते हैं यहाँ के इतिहास में, क्योंकि बरसों यहाँ की पुश्तों ने इस राजघराने पर इतिहास समेट कर रखा है।
अपनी प्रेमिका या प्रेमी के साथ सुकून के कुछ आरामदायक पल बिताने के लिए भी सबसे उत्तम जगह है, उड़ीसा का बेलगाड़िया पैलेस।
क़िले की कहानी और भव्य इतिहास
उड़ीसा के मयूरभंज ज़िले का यह क़िला, 18वीं सदी की शुरुआत की पैदाइश है। महारानी विक्टोरिया के बंकिघम पैलेस की तर्ज पर बना यह क़िला, सालों से मयूरभंज राजघराने की विरासत रहा है।
इस ऐतिहासिक क़िले का कोना कोना अपने आप में अहम है। ऐतिहासिक कलाकृतियों का यह नमूना, प्राचीन आर्टवर्क की मिसाल है, कहते हैं महल का डेकोर राजा ने ख़ुद अपनी निगरानी में बनवाया था।
ख़ास बात ये भी है कि नेपाल और जैसलमेर के राजघराने के लिए भी महल का एक अहम हिस्सा छोड़ा जाता है।
2016 के बाद, जब इस महल को आम लोगों के लिए खोला गया, राजघरानों ने अपनी ओर से इस क़िले की साज सजावट और ख़ैरियत पर ध्यान दिया है। बेलगाड़िया महल में आदिवासी घरानों और आम जातियों से आने वाले ढेर सारे लोग काम करते हैं। राष्ट्रीय और अंतर्राष्ट्रीय ट्रैवलर्स के लिए मयूरभंज राजघराना हथकरघे के विस्तार के लिए टूर आयोजित करता है।
इसके साथ ही लोगों के आतिथ्य से मिलने वाले पैसे का सदुपयोग वहाँ काम करने वाले और आदिवासी लोगों के जीवन सुधारने पर किया जाता है। उपयोग के लिए इको फ़्रेंडली चीज़ें, साथ ही जल संचयन, फ़र्नीचर के पुनः उपयोग पर ध्यान दिया जाता है।
राजसी खान-पान
बेलागड़िया राजघराने का अपना खेत है, जिसमें अतिथियों के लिए ताज़े फल व सब्ज़ियाँ उगाई जाती हैं। खानसामा आपके लिए इन्हीं फल सब्ज़ियों से बेहद लज़ीज़ और राजघराने के अंदाज़ वाला भोजन सजाते हैं। चाय नोश फरमाने के लिए महल में एक विशेष कमरा निश्चित किया गया है। लोग यहाँ आकर चाय का लुत्फ़ तो उठाते हैं, चाय की चुस्कियों संग लम्बे क़िस्से कहानियों का दौर भी चलता है।
किराया
इस शाही घराने में एक दिन का किराया ₹6,000 रु. है, जिसमें सुबह का नाश्ता भी शामिल है। राजघराने वाले बाग़ के साथ एक शाही सूईट का बन्दोबस्त भी है जिसका कुल किराया लगभग ₹13,000 है। इस लिंक पर क्लिक कर और जानकारी जुटा सकते हैं आप।
कब जाना चाहिए
मयूरभंज भारत के दक्षिण पूर्व हिस्से में आता है। इसलिए सर्दियों के मौसम में जाना बेहतर रहेगा। अक्टूबर से मार्च के महीने में यह जगह आपके आने के लिए ठीक रहेगी।
राजघराने के नज़दीक ख़ास बातें
1. राजमहल तो घूम लीजिए पहले
अगर आपने ये मौक़ा बना लिया है तो सबसे पहले तो आपको पूरा महल घूमना चाहिए। घूमते-घूमते समय कब बीत जाएगा, पता ही नहीं चलेगा आपको। हर कमरा और पूरा महल एक ख़ास भारतीय कला पर आधारित है।
महल का वास्तु देखें या फिर अन्दर की बनावट, या फिर विक्टोरिया ज़माने का बना सब कुछ बेहद आलीशान है। आधा दिन तो लगभग पूरा महल घूमने में ही लग जाएगा। ख़ासकर कला के प्राचीन नमूने, जो इस महल की विरासत का हिस्सा है और वो बाग़ भी, जिन पर नंगे पाँव चलने बेहद सुखद एहसास है।
2. सिमिलिपाल राष्ट्रीय पार्क का आनंद लेना मत भूलिए
अगर आपने प्लान बनाया है बेलगाड़िया पैलेस का तो नज़दीक के सिमिलिपाल राष्ट्रीय पार्क में घूमना तो बिल्कुल मत छोड़ना। राज्य के सबसे प्रसिद्ध राष्ट्रीय पार्क और 100 से भी अधिक रॉयल बंगाल टाइगर से मिलने का मौक़ा सबको नहीं मिलता।
उनके बीच ही आपका वास्ता होता है एशियाई हाथियों से। भारतीय बाइसन, जंगली सुअर और तेंदुए भी आपको मटरगश्ती करते मिल जाएँगे।
3. देवकुण्ड का यह पवित्र जल जो बनाएगा आपकी तकदीर
महल से लगभग 2 कि.मी. दूर देवकुण्ड का पवित्र जल लोगों की सेहत और किस्मत, दोनों सँवारता है। देश भर से लोग इस पवित्र स्थान पर आते हैं। इस पवित्र जल में स्नान करने से लोगों की सेहत बन जाती है और मान्यता तो यहाँ तक है कि यह स्थान देवी देवताओं के स्नान करने का स्थान हुआ करता था।
कैसे पहुँचें बेलगाड़िया पैलेस
रेल मार्ग: दिल्ली से आपको बालासोर के लिए ट्रेन मिल जाएगी। कुल 24 घंटे का सफ़र है। स्लीपर किराया ₹1,140 और एसी 3 टियर ₹2,315। वहाँ से बारीपदा के लिए ट्रेन पकड़ सकते हैं आप, बारीपदा रेलवे स्टेशन कुल 1 घंटे का सफ़र है जिसके सेकेण्ड स्लीपर का किराया ₹70 , और चेयर कार किराया ₹305 है।
हवाई मार्ग: दिल्ली से कोलकाता के लिए आप फ़्लाइट देख सकते हैं। किराया ₹3,000 तक होगा। वहाँ से बारीपदा के लिए कैब कर सकते हैं आप। किराया ₹2,500 तक।
आप इस प्रकार के कौन से नए राजमहलों का आनन्द उठा चुके हैं, हमें कमेंट बॉक्स में बताएँ।
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