आपने अपनी ग्रेजुएशन पूरी करने के तुरंत बाद क्या किया? मुझे जितना याद है, फॉर्म भरने के लिए दौड़ना, कट-ऑफ लिस्ट पर ध्यान देना और यह देखना के दोस्तो में से कोई अपना दिमाग खराब ना कर ले।
इंडिया में, स्कूल की पढ़ाई पूरी करने का मतलब है तुरंत ही किसी दूसरे इंस्टीट्यूट में एड्मिशन लेना और फिर नए इंस्टीट्यूट के रुल्स और किताबों के बीच में बंध कर रह जाना। हम में से कुछ जो सपने देखने की हिम्मत करते हैं, वह एक अच्छे कोर्स में एडमिशन के बारे में सोचते हैं, लेकिन बस उतना ही।
लेकिन मोहित कपूर पूरी तरह से अलग करियर की राह पर निकल पड़े। 18 साल की उम्र में, उन्होंने अपनी साइकिल से, कश्मीर से कन्याकुमारी और मनाली से लेह तक की चुनौती भरा रास्ता जो तय कर लिया था!
जब उन्होंने स्कूल की पढ़ाई पूरी ली, तो ज़ाहिर तौर पर वो अब असल ज़िंदगी के अनुभव से नए पाठ पढ़ना चाह रहे थे, और इसके लिए ट्रैवल से अच्छा टीचर शायद ही कोई हो।
तो मोहित ने गैप इयर लिया और कुछ ऐसा था उनका ये एक साल:
"क्योंकि मुझे खाना बनाना और खाना पसंद है इसलिए मैं शेफ बनना चाहता था। तो मैंने एक साल का गैप लेने का फैसला किया और अपनी साइकल पर जयपुर से मलेशिया तक 9 देशों (भारत - नेपाल - भूटान - म्यांमार - थाईलैंड - लाओस - वियतनाम - कंबोडिया और मलेशिया) की यात्रा करने का फैसला लिया।"
यह महत्वाकांक्षी 19 साल का लड़का, जो लाइफ़ में सक्सेस पाने के लिए बहुत ज्यादा मेहनत कर रहा है, अपनी उम्र के बच्चों के लिए एक प्रेरणा बन रहा है , जो अपनी ज़िंदगी के इन कीमती सालों को समाज की इच्छाओं के बजाए अपने लक्ष्य तक पहुँचने के लिए जी जान लगा रहे है ।
सबसे अच्छी बात यह है कि अपनी पड़ाई से गैप लेने के बाद भी कपूर अपनी ट्रैवलिंग से बहुत कुछ सीख रहे हैं।
"इस यात्रा ने मुझे खुद का वजूद बनाने का मौका तो दिया ही है साथ ही साथ इन यात्राओं ने मुझे इस काबिल बनाया की में दुनिया का एक नया अनुभव ले सकूँ और दुनिया को एक अलग नज़रिए से देख सकूँ जो मैं कभी भी सिर्फ ब्लॉग, आर्टिकल और किताबें पढ़कर नहीं सीख सकता था । ये मेरा पैशन, टाइम, यात्राओं का अनुभव ही है जो आगे चलकर मेरी ज़िंदगी को एक नया आयाम देगा और ये मैं किसी किताब से तो पक्का नहीं सीख सकता था। "
दुनिया के खाना बनाने और खाने के तरीके को सीखने के मोहित के लक्ष्य ने उन्हें लोगों के जीने के तरीके का बार में भी बहुत कुछ सिखा दिया।
"इस यात्रा ने मुझे दिखाया कि खुशी और सफलता का मतलब रुपया या स्टेटस नहीं है, और ना ही हमारा आखिरी लक्ष्य बेकार का नाम कमाना है। मुझे सुंदर जगहों को देखने और तरह तरह के लोगों से मिलने का मौका देने के साथ-साथ, इस सफर ने मुझे अपनी खुद की समझ बनाने का मोका दिया है, मुझे उस दुनिया के बारे में बताया जिसमें हम रहते हैं और ये भी समझने का मौका दिया कि मैं उसमें कैसे रहना चाहता हूँ।
जैसा कि एक अमेरिकी इतिहासकार, मिरियम बियर्ड ने कहा, "यात्रा सिर्फ जगहों को देखना नहीं है, ये तो वो बदलाव है जो धीरे धीरे आपकी ज़िंदगी का हिस्सा बन जाते हैं”
फिलहाल, कपूर नेपाल पहुँच गए हैं और वहाँ के गाँव के नेपाली व्यंजनों के साथ एक्सपेरिमेंट करने में बिज़ी है। वो एक कलिनरी स्कूल में एडमिशन लेकर अपनी सीख और अनुभवों को प्लेटों पर ही उतारने के लिए उत्सुक है, लेकिन फिलहाल मोहित एशियन खाने के ज़ायके को समझने में लगे हुए हैं।
अपने साथी यात्रियों को मोहित दूसरों के सपनों का पीछा करने के बजाय, अपने सपनों को खोजने का संदेश देते हैं।
" सफर की सड़कों और प्रकृति से बहुत कुछ सीखने के लिए मिलता है या यू कह लें कि ये एक खुले स्कूल ककी तरह है। बस अंतर ये है कि आप यहाँ पर ज्यादा सीखेंगे लेकिन आपकी काबिलियत को आंकने वाला वाला कोई एग्ज़ाम नहीं होगा।"
आप मोहित के खाने और सफरनामे के बारे में और जानने के लिए मंचिंग ऑन द सैडल पर जा सकते हैं।
और अगर आप किसी भी तरह उनके सपनों की उड़ान को पूरा करने में हाथ बटाना चाहते हैं तो यहाँ क्लिक करें।
अगर आप भी ऐसे लोगों या यात्राओं के बारे में जानते हैं तो उनके बारे में यहाँ लिखें।
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