कहते हैं कि हर व्यक्ति दूसरे व्यक्ति से अलग होता है और साथ ही शौक भी अलग- अलग होते हैं, जैसे कई लोगों को एडवेंचर करना तो कुछ को रोड ट्रिप्स करना काफी पसंद होता है। लेकिन रोड ट्रिप करना एक आसान काम नही है। इसके लिए शारीरिक व आर्थिक तौर पर मज़बूत होने की आवश्यकता होती है। वही यदि अगर हम कार.. से क्रॉस-कंट्री रोड ट्रिप करने के बारे में सोचते हैं, तो आमतौर पर परमिट, वीजा आदि प्राप्त करने में बहुत सारी परेशानियां सामने आती है। लेकिन अगर जुनून हो, तो इंसान कुछ भी कर सकता है। अमेरिका में रहने वाले लखविंदर सिंह भी ऐसे ही जुनूनी शख्स हैं। उन्होंने अमेरिका से जालंधर तक का रास्ता अपनी कार से तय किया है। यह सफर लगभग डेढ़ महीने में उन्होंने पूरा किया।
कौन है लखविंदर सिंह?
लखविंदर सिंह अमेरिका के कैलिफोर्निया राज्य में स्थित सैक्रामेंटो शहर में रहते हैं और वहां उनके परिवार का बिजनेस है। उन्होंने कोरोना के समय में यह ठान लिया था कि अपने गांव अपनी गाड़ी से जाएंगे। लेकिन किसी कारणवश वे तब नहीं आ पाए थे। इसके बाद उन्होंने अब यह सफर पूरा कर दिखाया है। उनकी एक तस्वीर वायरल हो रही है जिसमें वे अपनी गाड़ी के साथ नजर आ रहे हैं।
कैसे तय किया उन्होंने अमेरिका से जालंधर तक का सफर
53 वर्षीय लखविंदर सिंह की इस रोमांचक यात्रा से जुड़ा वीडियो Ride and Drive यूट्यूब चैनल पर अपलोड किया गया था और इसमें लखविंदर ने अपनी पूरी जर्नी के बारे में बताया। सबसे पहले लखविंदर की टोयोटा टैकोमा समुद्र के रास्ते लंदन पहुंची और फिर इंग्लिश चैनल के रास्ते पैरिस पहुंची। इसके बाद उनकी असली रोड ट्रिप शुरू हुई, जिसमें फ्रांस, जर्मनी, स्विट्जरलैंड, हंगरी होते हुए तुर्की और फिर मिडल-ईस्ट कंट्री में ईरान होते हुए पाकिस्तान पहुंचे। मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक लखविंदर का कहना है कि ईरान में थोड़ा अलग अनुभव रहा क्योंकि वहां अमेरिकी कार चलाने की इजाजत नहीं थी। इसलिए वहां कार को टैक्सी के साथ बांधकर लानी पड़ी। पाकिस्तान से फिर वह भारत पहुंचे।
कितना खर्चा आया इस यात्रा के दौरान?
53 साल के लखविंदर सिंह ने आगे बताया कि 23 देश, 22,000 किलोमीटर की यूएस से जालंधर दूरी पूरी करने में 53 दिनों का समय लगा। इस रोड ट्रिप पर तकरीबन 1 करोड़ रुपए का खर्च आया, जो पूरी तरह से उनके द्वारा उठाया गया। Documentation process के दौरान आई समस्याओं के बारे में बात करते हुए उन्होंने कहा कि ईरान का वीजा प्राप्त करने में लगभग 1.5 साल लग गया और पाकिस्तान के वीज़ा के लिए भी काफी समय लगा। सफर के दौरान फ्यूल पर किए गए खर्च की पेमेंट भी उन्होंने अपने क्रेडिट कार्ड से ही की है। यात्रा के दौरान उनके पिकअप-ट्रक की स्पीड 250 Kmph की थी। ज्यादा स्पीड के कारण उन्होंने 4 बार (1 सर्बिया में, 2 तुर्की में और 1 पाकिस्तान में) जुर्माना देना पड़ा, जबकि यूरोप में ऑटोमेटिक सिस्टम के होने के कारण उन्हें चालान की जानकारी नहीं है।
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