घुमक्कड़ होना बहुत अच्छा होता है। लेकिन जिम्मेदारी के साथ घूमना आपको सफल घुमक्कड़ बना देता है। हम हिल स्टेशन और बीच की तरफ जाने के लिए हमेशा आकर्षित होते हैं। लेकिन क्या आपने कभी सोचा है कि भारत के गाँवों में भी देखने के लिए कितना कुछ है? हमें अक्सर लगता है गाँवों में देखने के लिए कुछ भी नहीं है। आधुनिक युग में गाँव से जाना अटपटा सा लगता है। लेकिन ऐसा बिल्कुल भी नहीं है। भारत के कुछ गाँव ऐसे भी हैं जिन्होंने शहरों से भी तेजी से विकास की रह पर चलना सीख लिया है। यहाँ मॉडर्न और इको फ्रेंडली तरीकों से बिजली उत्पादन किया जा रहा है। आज हमनें कुछ ऐसे ही गाँवों की सूची तैयार की है।
1. इरुंबई, चेन्नई
चेन्नई के विल्लुपुरम जिले में स्थित इरुंबई की दक्षिण भारत की खास पहचान है। इरुंबई दक्षिण भारत का पहला वो गाँव है जहाँ सोलर सोलर एनर्जी का इस्तेमाल करके घरों तक प्रकाश पहुँचाया जा रहा है। इरुंबई में एक सोलर फार्म बनाया गया है जिसका इस्तेमाल सौर्य ऊर्जा से बिजली बनाने के लिए किया जा रहा है। खास बात ये भी है कि ये सोलर फार्म इतना शक्तिशाली है कि ये गाँव की कुल बिजली आवश्यकता से 150 प्रतिशक ज़्यादा बिजली उत्पादन करने में सक्षम है। इरुंबई के इस सोलर फार्म के बाद अब गाँव के लोगों को बरसात के मौसम में भी अंधेरे में नहीं रहना पड़ेगा।
2. धरनई, बिहार
धरनई बिहार के बोध गया के नजदीक स्थित एक छोटा सा गाँव है। ये गाँव छोटा जरूर है लेकिन इस गाँव ने जो करिश्मा कर दिखाया है उसकी तुलना किसी से नहीं की जा सकती है। लगभग 30 सालों तक इस गाँव के लोगों को अंधेरे में जीवन गुजारना पड़ रहा था। लेकिन सोलर एनर्जी का उत्पादन शुरू होने के बाद अब इस गाँव की तस्वीर बदल दी है। लकड़ी और मिट्टी के तेल से चलने वाली लालटेनों पर निर्भर रहने वाले इस गाँव के हर घर में अब सोलर एनर्जी से चलने वाली लाईट हैं। यदि आप कुछ अनोखा देखना चाहते हैं तो धरनई आपकी बकेट लिस्ट में जरूर शामिल होना चाहिए।
3. फकीरपुर और चंदुहर, कन्नौज
आपको ये बात सुनकर शायद हैरानी होगी की स्वंतत्र होने के 68 सालों बाद तक भी कन्नौज के फकीरपुर और चंदुहर में सूरज ढलने के बाद लोगों की जिंदगी रुक जाया करती थी। वजह ये थी कि दोनों गाँवों तक कभी बिजली पहुँची ही नहीं। लेकिन अब ऐसा नहीं है। सोलर एनर्जी के सदुपयोग की वजह से ये दोनों गाँव भी रौशनी से प्रकाशित हो चुके हैं। इन दोनों गाँवों में सोलर एनर्जी से चलने वाली लाईट लगाई गई हैं जिससे लोगों की सहायता हो सके। गाँव के लगभग 450 घरों को भी सौर्य ऊर्जा से प्रकाशित किया जा चुका है। यदि आप बदलाव का सबसे सटीक नमूना देखना चाहते हैं तो आपको कन्नौज के फकीरपुर और चंदुहर की यात्रा ज़रूर करनी चाहिए।
4. छोटकेई, ओडिशा
ओडिशा का छोटकेई भी सोलर एनर्जी से प्रकाशित होने वाला गाँव है। एक समय था जब छोटकेई के लोगों को रोज की ज़रूरतों के लिए भी लालटेन पर निर्भर रहना पड़ता था। शाम होते ही ये पूरा गाँव अंधियारे में डूब जाता है। लेकिन आज ऐसा नहीं है। छोटकेई में एक बड़ी पॉवर ग्रिड लगाई गई है जो सोलर एनर्जी को इस्तेमाल करके बिजली उत्पादन करने में सक्षम है। छोटकेई के सभी घरों में अब सोलर एनर्जी से चलने वाले उपकरण हैं। इन सभी चीजों की वजह से छोटकेई में रहने वाले लोगों की ज़िन्दगी काफी आसान हो गई है।
5. नाना काजलियारा, जूनागढ़
जूनागढ़ से लगभग 30 किमी. की दूरी पर स्थित नाना काजलियारा भी सोलर एनर्जी से प्रकाशित होने वाले गाँवों में से एक है। नाना काजलियारा के लोगों के लिए सोलर एनर्जी प्लांट किसी तोहफे से कम नहीं है। सोलर एनर्जी प्लांट के पहले इस गाँव के लोगों को अपनी मामूली जरूरतों के लिए भी परेशान होना पड़ता था। शाम होते ही जैसे गाँव में जिंदगी की रफ्तार थम सी जाती थी। लेकिन अब ऐसा कुछ भी नहीं है। अब इस गाँव के हर घर में सोलर लाइट और सौर्य ऊर्जा से चलने वाले उपकरणों का बढ़िया इंतेजाम किया जा चुका है। यदि आप किसी मॉडर्न गाँव को देखना चाहते हैं तो आपको गुजरात के इस गाँव की यात्रा ज़रूर करनी चाहिए।
6. बारिपदा, ओडिशा
भुवनेश्वर से 25 किमी. की दूरी पर स्थित बारिपदा ओडिशा का ट्राइबल गाँव है। जानने वाली बात ये है कि बारिपदा ओडिशा का पहला गाँव है जहाँ सोलर एनर्जी का इस्तेमाल किया जा रहा है। इस गाँव में लगभग 61 घर हैं जो सोलर एनर्जी से प्रकाशित हो चुके हैं। इस गाँव में जगह-जगह पर सोलर एनर्जी से चलने वाली स्ट्रीट लाइट भी लगाई गईं हैं। केवल यही नहीं बारिपदा के सामुदायिक भवन में सोलर एनर्जी से चलने वाला टीवी भी लगाया गया है। बाकी गाँवों की तुलना में जहाँ एक विशाल प्लांट लगाया गया है, बारिपदा में हर घर का अपना अलग सोलर पैनल है। बारिपदा की यही खूबियाँ इसको देखने लायक बनाती हैं।
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