एक ज़माना था जब हम भारतीयों के लिए कहा जाता था कि हम घूमते कम हैं, हमारा जीवन घर-परिवार में ही निकल जाता है। लेकिन अब भारतीय घुमक्कड़ी के मामले में सबसे आगे हैं। कभी 13 साल की एक लड़की एवरेस्ट चढ़ जाती है तो कभी पता चलता है कि 56 साल के एक भारतीय शख्स ने 1,200 कि.मी. साइकिल चलाकर एक रिकाॅर्ड बना दिया। हमें हमेशा कहा जाता है कि लंबी ज़िंदगी के लिए स्वस्थ रहना ज़रूरी है क्योंकि जब आप अपनी ज़िदगी का आधा पड़ाव कर चुके होंगे तब आपकी हेल्थ ही आपको कुछ अलग करने का जज्बा देगी। वही जज्बा जो 56 साल के अनिल पुरी ने दिखाया है।
अनिल पुरी भारतीय सेना में लेफ्टिनेंट जनरल के पद पर हैं। अनिल पुरी भारतीय सेना के पहले ऐसे जवान हैं जिन्होंने 90 घंटे में 1200 कि.मी. साईकिल चलाई। अनिल पुरी ने फ्रांस के सबसे पुराने साइकलिंग इवेंट में हिस्सा लिया और 1200 कि.मी. का पेरिस-ब्रेस्ट-पेरिस का सर्किट पूरा किया। ये सब सुनकर हम भारतीय को गर्व हो रहा है लेकिन अनिल पुरी के लिए ये कतई आसान नहीं था। लगातार चार दिनों तक साइकिल चलानी थी, वो भी बिना सोये, बिना रुके। लेकिन इंडियन आर्मी के इस जवान ने बता दिया कि भारतीय सैनिक कहीं भी हो, जीतकर ही वापस लौटता है।
फ्रांस के सबसे पुराने साइकलिंग इवेंट में 60 देशों से 6,500 लोगों ने हिस्सा लिया था। जिसमें से भारत के 367 लोग शामिल थे। जिसमें से अधिकतर लोग बीच में थककर रूक गए। लगातार चार दिन तक साइकिल चलाकर इस ट्रेक को 80 लोगों ने पूरा किया। जिसमें से एक इंडियन आर्मी के लेफ्टिनेंट जनरल अनिल पुरी भी शामिल थे। अनिल पुरी के इस इवेंट में रिकाॅर्ड बनाने की जानकारी इंडियन आर्मी ने अपने ट्विटर अकाउंट से जारी की। जिसमें लिखा है, लेफ्टिनेंट जनरल अनिल पुरी इंडियन आर्मी के पहले जनरल हैं जिन्होंने फ्रांस की सबसे पुराने साइकिल इवेंट पेरिस-ब्रेस्ट-पेरिस सर्किट को पूरा किया। 56 वर्षीय इस ऑफिसर ने इस सर्किट को 90 घंटे में बिना रूके 23 अगस्त 2019 को पूरा किया।
आसान नहीं था ये करना
फ्रांस का ये साइकिल इवेंट 1931 से लगातार चल रहा है। इसे करना आसान नहीं है लेकिन अनिल पुरी ने 56 साल में ये करके उन लोगों का मुंह बंद कर दिया है जो कहते हैं कि इस उम्र में एक्टिव रहना आसान नहीं है। ये रेस कितनी कठिन थी उसका अंदाजा इस बात से लगाया जा सकता है कि एक कटेंस्टेंट को इस सर्किट के दौरान लगभग 31,000 फीट की ऊँचाई पर चढ़ना पड़ता है। आप बस कल्पना कीजिए कि 4 दिनों तक बिना सोए 31,000 हजार फीट की ऊँचाई पर चढ़ना कितना मुश्किल होगा। ये करना उतना ही कठिन है जितना माउंट एवरेस्ट को फतेह करना।
लेफ्टिनेंट अनिल पुरी ने इस सर्किट को पूरा करने के बाद बताया कि उनके लिए ये शानदार अनुभव था। इंसानी दिमाग बहुत ही खूबसूरत मशीन है, जिसे उत्साहित बनाए रखने की ज़रूरत होती है। दिमाग को ऊर्जा से भरपूर रखने के लिए हर तीन से पाँच साल में हमें अपने शौक को बदलते रहना चाहिए। आनंद पूरी ने बताया, रेस के दौरान कई प्वाइंट्स ऐसे आते हैं जहाँ 35 से 3 डिग्री सेल्सियस के तापमान को सहना पड़ता है,जो काफी कष्टदायक होता है। इसके अलावा दोनों दिशाओं से आने वाली तेज हवाएँ चलती हैं जो इस रेस को और कठिन बना देता है। जिसे पार करना आसान नहीं होता है।
लेफ्टिनेंट जनरल अनिल पुरी ने बताया कि हम भारतीय पहाड़ी इलाकों पर साइकिल नहीं चलाते हैं जिसकी वजह से हमें इसका अनुभव नहीं है। हमारे ज्यादातर शहर सपाट होते हैं, ऐसे में चढ़ाई के दौरान हम जल्दी थक जाते हैं। लेकिन अनिल पुरी ने इसकी पूरी तैयारी की थी। उनकी मेहनत का ही फल है जिसने उन्हें इस मुकाम तक पहुँचाया। उनकी इस उपलब्धि के बाद हर कोई उन्हें सैल्यूट कर रहा है। वो हर किसी के लिए प्रेरणा का काम कर रहे हैं। उन्होंने बता दिया कि किसी भी काम को करने की कोई उम्र नहीं होती है। चाहे वो पहाड़ पर चढ़ना हो या 1200 कि.मी. लंबी रेस को पूरा करना हो।