अब आप ट्रेन से भी जा सकते हैं नेपाल, 8 साल बाद भारत और नेपाल के बीच रेल सेवा हुई पुन: शुरू

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यदि आप नेपाल जाने की योजना बना रहे हैं तो आपके लिए एक ख़ुशख़बरी है। भारत और नेपाल के बीच नई रेल सेवा का शुभारंभ 3 अप्रैल 2022 से किया गया है। प्रधानमंत्री मोदी तथा नेपाली प्रधानमंत्री शेर बहादुर देउबा ने नई दिल्ली के हैदराबाद हाउस से वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के ज़रिए इसका उद्घाटन किया।

यह ट्रेन बिहार के मधुबनी ज़िले के जयनगर स्टेशन से नेपाल के जनकपुर धाम होेते हुए कुर्था स्टेशन तक जाएगी। इन स्टेशनों के बीच के 34.5 किमी की रेलवे लाइन का उद्घाटन किया गया।

इस रेल लाइन के माध्यम से दोनों राष्ट्रों के बीच जयनगर-बिजलपुरा-बर्दीबास को जोड़ा गया है। इसके पहले चरण में बिहार के मधुबनी ज़िले के जयनगर से नेपाल के जनकपुर धाम होते हुए कुर्था स्टेशन के बीच 34.5 किमी की रेलवे लाइन का उद्घाटन किया गया। विशेष बात यह भी है कि इसमें सिर्फ़ भारत और नेपाल के यात्री ही सफ़र कर सकेंगे।

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ये पहचान पत्र हैं मान्य

यदि आप इस ट्रेन में सफ़र करने की योजना बना रहे हैं तो आपको अपने साथ कोई एक पहचान पत्र रखना आवश्यक होगा। रेलवे ने उन पहचान पत्रों की सूची जारी की है जो इस यात्रा के दौरान आवश्यक होंगे। सूची इस प्रकार है-

- मान्य पासपोर्ट

- भारत सरकार/राज्य सरकार/केंद्र शासित प्रदेश द्वारा जारी पहचान पत्र।

- भारतीय चुनाव आयोग द्वारा जारी मतदाता प्रमाण पत्र।

- नेपाल स्थित भारतीय दूतावास/ भारतीय महावाणिज्य दूतावास द्वारा जारी आपातकालीन सर्टिफिकेट/परिचय प्रमाण पत्र।

- 65 साल से अधिक और 15 साल से कम उम्र के लोगों के पास फोटो परिचय पत्र जैसे- पैन कार्ड/ ड्राइविंग लाइसेंस/ सीजीएचएस कार्ड/ राशन कार्ड होने चाहिए।

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8 साल पहले बंद हुई थी रेल सेवा

ग़ौरतलब है कि वर्ष 2010 में भारत और नेपाल के बीच छोटी लाइन को बड़ी लाइन में तब्दील करने के लिए भारत सरकार ने 550 करोड़ रुपए की राशि मंज़ूर की थी। इस पर वर्ष 2012 में काम शुरु कर दिया गया था। वर्ष 2014 तक इस रुट पर तीन नैरोगेज ट्रेनों का संचालन किया गया था। किंतु, सफ़र लम्बा होने के कारण इसमें कोयले की बहुत खपत होती थी। लिहाज़ा, इन ट्रेनों को बंद करने का फ़ैसला लिया गया।

जुलाई 2021 में इसी रूट पर पुन: लाेकोमोटिव इंजन का स्पीड ट्रायल सफलतापूर्वक किया गया था।

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सड़क मार्ग के मुक़ाबले सस्ता सफ़र

अभी तक नेपाल जाने के लिए सड़क मार्ग या हवाई मार्ग ही विकल्प थे। साथ ही सड़क मार्ग से नेपाल प्रवेश करते हुए कई प्रकार की बंदिशों का सामना यात्रियों को करना पड़ता था। किंतु, अब रेलयात्रा की सुगमता से यात्रियों को परेशानी नहीं उठानी होगी। जहां जयनगर से जनकपुर तक सड़क मार्ग से जाने पर 200 रुपए तक की राशि ख़र्च हो जाती थी वहीं अब ट्रेन में मात्र 43.75 रुपए में यह सफ़र आराम से पूर्ण हो सकेगा।

नौलखा मंदिर, जनकपुर, नेपाल

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जनकपुर का विशेष महत्व

भारत में जनकपुर का धार्मिक महत्व बहुत अधिक है क्योंकि यही मां सीता की जन्मभूमि है। जनकपुर नेपाल में भारत की सीमा से 25 किमी की दूरी पर स्थित है। यहां माता जानकी को समर्पित संगमरमर का एक अद्भुत एवं भव्य मंदिर है, जो कि ‘नौलखा मंदिर' के नाम से भी लोकप्रसिद्ध है। इस ख़ूबसूरत मंदिर को नौलखा मंदिर इसलिए कहा जाता है क्योंकि टीकमगढ़ की महारानी वृषभानु कुमारी ने वर्ष 1895 ईस्वी में इस मंदिर का निर्माण शुरु करवाया था एवं 16 वर्ष में मंदिर का निर्माण पूर्ण हुआ था। उस समय इसकी लागत नौ लाख रुपए आई थी इसलिए यह नौलखा मंदिर के नाम भी जाना जाता है। यहां वर्ष 1967 ईस्वी से अखंड कीर्तन भी चल रहा है। यहीं पर वह विवाह मंडप है जहां पर प्रभु श्रीराम और माता जानकी का दिव्य विवाह सम्पन्न हुआ था। रामनवमी व सीताराम विवाह पंचमी पर बड़ी संख्या में श्रद्धालु यहां देवदर्शन हेतु जुटते हैं।

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