घूमने के लिए लोगों के पास बहाना होता है कि इसमें खर्चा बहुत आता है। लेकिन उससे भी बड़ी परेशानी होती है अपनी फैमिली मनाना। उनको बताना कि मैं क्यों घूमना चाहता हूँ? अगर आपके पास ऐसे पिता हों जो आपको खुद ट्रैवल के लिए ले जाएँ तो। शायद आप कहेंगे दुनिया में ऐसे पिता होते हैं क्या? शायद आपने एरिक स्टोइन का नाम सुना हो। जिन्हें सीएनएन ने दुनिया के चौथे प्रभावशाली ट्रैवलर्स में जगह दी है। एरिक 90 से ज्यादा देशों में घूम चुके हैं। लेकिन इंटरनेट पर उनके फेमस होने की वजह कुछ और है। एरिक तीन बच्चों के पिता हैं। ये तीनों बच्चे बहुत किस्मत वाले हैं जो उनको ऐसा पिता मिला है, जो खुद तो घुमक्कड़ है ही अपने बच्चों को भी वेकेशन पर दुनिया में किसी एक जगह पर घुमाने ले जाते हैं।
ये सब सुनकर आपको भी लग रहा होगा कि काश ये मेरे डैड होते। मैं भी यही सोच रहा था। मेरी दिली तमन्ना थी कि वो मुझे गोद ले लें और अपने साथ दुनिया घुमाएँ। ये सब तो हुआ नहीं, लेकिन मझे उनका इंटरव्यू लेने का मौका मिल गया। जिसमें वो अपनी नौकरी छोड़ने के बारे में और फैमिली के साथ वेकेशन पर बताते हैं। तो चलिए उस इंटरव्यू के ओर, जहाँ आपको घुमक्कड़ी के कुछ गुर सीखने को मिलेंगे।
सोलो ट्रैवलिंग और अपने बच्चों के साथ ट्रैवल करने में क्या अंतर रहा?
सोलो ट्रैवल, वाइफ और दोस्तों के साथ ट्रैवल करना बहुत आसान है। बच्चों के साथ ट्रैवलिंग करना बहुत चैलेंजिंग है। खास तौर पर तब जब बच्चों के हिसाब से ट्रिप की प्लानिंग होती है। ताकि उनकी शिकायतों से बचने के लिए हर रोज सब कुछ इंटरेस्टिंग हो। हालांकि, जब मैं प्लानिंग के अनुसार नहीं जाता तब भी मुझे कोई फर्क नहीं पड़ता। मैं बच्चों को समझाने की कोशिश करता हूँ कि सब कुछ सही से हो रहा है।
आपने अपनी नौकरी छोड़ दी और पूरी तरह से ट्रैवलर बन गए। क्या आप अच्छी इनकम वाली नौकरी छोड़ने से डरते थे, खासकर जब से आप पारिवारिक व्यक्ति हो गए थे?
नहीं, मैं कभी भी हेल्थकेयर (जहाँ मैंने 18 साल तक काम किया) के लिए जुनूनी नहीं था। जब मैंने नौकरी छोड़ी तब मुझे नहीं पता था कि मैं क्या करने जा रहा हूँ? लेकिन कुछ ऐसा चाहता था जिसके लिए मैं जुनूनी था। दुनिया में बहुत सारे लोग हैं जो अपने काम से प्यार करते हैं। मुझे लगता है कि सफलता जुनूनी होने से ही मिल सकती है। मैंने भी वही किया और अपनी यात्राओं के बारे में लिखना शुरू किया। जिसने दूसरों को प्रेरित किया और यह एक अद्भुत नए पेशे में बदल गया। क्या कुछ रिस्क था? बेशक! लेकिन मैंने इसके लिए पाँच साल का समय डिसाइड किया था। अगर मैं पाँच साल के बाद भी हेल्थकेयर वाली नौकरी से कम पैसा कमा पाया तब मैं वापस आकर नौकरी करूँगा। लेकिन मैं सिर्फ तीन साल में ही उस टारगेट तक पहुँच गया।
बच्चों के साथ ट्रेवल के दौरान कौन-सी नाॅर्मल प्राॅब्लम आती हैं, जिनका आपने सामना किया?
इकलौती बड़ी समस्या गर्म दिनों में होती है, जब बच्चे बहुत खराब मूड में होते हैं। तब हम बाहर घूमने कम जाते हैं और इनडोर एक्टिविटी ज्यादा करते हैं। अगर ऐसा नहीं हुआ तो भाई-बहन की लड़ाई शुरू हो जाती है। लेकिन ये लड़ाई भी वैसी ही होती है, जैसी घर पर होती है। इसके अलावा मेरी 13 साल की बेटी अब ट्रैवल करने की बजाय घर पर रहेगी। वह हर उस चीज का आनंद लेती है, जहाँ हम जाते हैं। लेकिन फिर भी वह अपने दोस्तों के साथ रहती है। हम जिस ट्रिप की प्लानिंग कर रहे हैं, उस पर अधिक से अधिक विचार किया जा रहा है।
जब बच्चों के साथ ट्रैवल करते हैं तो कौन-सी चीज़ है जिसे बच्चे नहीं छोड़ सकते?
इलेक्ट्रॉनिक गैजेट। जब उनके पास अपने ऐनटरटेनमेंट की चीजें होती हैं तो 16 घंटे की फ्लाइट उनको बोर नहीं करती। इसके अलावा हम ज़्यादा सामान कैरी करना नहीं पसंद करते, तो चीज़ों की बहुत बड़ी लिस्ट नहीं है।
आप एक पिता और ट्रैवलर दोनों है, ऐसे में ट्रिप पर होने वाले घमासान या मुश्किल वक्त का सामना कैसे करते हैं?
अपने कदप पीछे लें और कुछ देर के लिए अलग हो जाए। अपने आप को उस स्थिति से शारीरिक और मानसिक दोनों रूपसे थोड़ा दूर करें। अगर आवश्यक हो तो बच्चों को अलग करें। माँ-बाप आपस में बच्चों को कुछ देर के लिए बाँट ले और अलग- अलग एक्टिविटी करें।
वेकेशन पर बच्चों के लिए गतिविधियों की प्लानिंग के लिए आप लोगों को सुझाव देते हैं। क्या ये आपको एक वयस्क के रूप में कभी उबाऊ नहीं लगता?
नहीं, बिलकुल नहीं। हम तब तक उनके साथ हैं जब तक वो 18 साल के नहीं हो जाते और विश्वविद्यालय से बाहर नहीं जाते हैं। इन बच्चों के लिए ट्रिप को प्लान करना, कोई त्याग नहीं है। इसका मतलब सिर्फ बच्चों के म्यूजियम्स और खेल के मैदानों से नहीं है। इसका मतलब है कला वर्ग और खाना पकाने की कक्षाएँ। जहाँ हम सभी मजे करते हैं। किड-ओरिएंटेड सिटी और म्यूजियम टूर अभी भी बड़ों के लिए बहुत दिलचस्प हैं। अगर यहाँ के इतिहास को थोड़ा सरल किया जाता है तो सब कुछ मज़ेदार हो जाता है। फूड टूर हमेशा पूरे परिवार के लिए अच्छे होते हैं।
यात्राओं ने आपके बच्चों में किन गुणों को डेवलेप किया है?
हमारी यात्राओं ने बच्चों को एक पूरी दुनिया की शिक्षा दी है। जिस वजह से वे दूसरे कल्चर और लोगों का आदर करते हैं। वे अच्छा खाने के शौकीन हैं। इसलिए जब हम ट्रैवल करते हैं, तब हम लोकल खाने के बारे में जानना और सीखना पसंद करते हैं। बाद में घर आकर अपनी पसंदीदा चीजों को रात के खाने में बनाते हैं।
अभी आप ट्रैवल वेबसाइट चला रहे हैं और अपनी फैमिली के घूम रहे हैं। क्या ये सब सोचा था या जो हुआ, बस हो गया?
सच में, ये बस हो गया। जब मैंने अपनी नौकरी छोड़ी, तब मैंने ट्रैवल ब्लॉग के बारे में कभी सुना भी नहीं था। जब मेरे एक दोस्त ने इसको दिखाया, तब भी मुझे कोई आइडिया नहीं कि ये फायदेमंद हो सकता है। मैंने तो बस अपनी यात्रा के बारे में लिखना शुरू कर दिया। इस प्रक्रिया में फैमिली, यात्रा और फोटोग्राफी के लिए समय निकालता रहा। मैं सोचता रहता था कि इस नए पेशे के रूप में मैं क्या चाहता था? जब मेरा ब्लॉग और सोशल मीडिया पापुलर होने लगे। तब मैंने कुछ ब्लॉगिंग इवेंट्स में देखा कि कैसे दूसरे उनसे पैसे कमा रहे थे? तब मुझे एहसास हुआ कि यह मेरा नया पेशा हो सकता है!
क्या आपके बच्चे अपने साथियों के बीच स्पेशन महसूस करते हैं क्योंकि हर माता-पिता ट्रैवलिंग को प्राथमिकता नहीं मानते हैं? क्या यह उनके लिए अजीब है या आपके लिए?
नहीं, मैं लोंगों से बहुत प्रेरित होता हूँ, अपने बच्चों के पैरेंट्स से भी। बहुत से लोग ट्रैवल करते हैं और उनके बारे में बारीकी से बात करते हैं। लेकिन मेरे बच्चे कभी भी अपनी यात्रा के बारे में बात नहीं करते हैं। यात्रा ने उन्हें बनाया जो वे हैं, कई अलग-अलग तरीकों से। लेकिन वे इसकी डींग नहीं मारते कि वे कितने देश घूम चुके हैं। मेरे बच्चों के कई दोस्त हैं जो ट्रैवल करते हैं। इसलिए यह जरूरी नहीं है कि स्कूल ब्रेक के दौरान हर कोई क्रेजी हो।
आप पहले भी भारत आ चुके हैं और आपने कहा है कि आप अपने बच्चों को यहाँ लाने का इंतजार नहीं कर सकते। ऐसा क्या है जिसे आप उनको भारत में अनुभव करने के लिए सबसे अधिक उत्सुक हैं?
मेरा बेटा और मैं पिछले साल हमारी वर्ल्ड ट्रिप के दौरान मुंबई में रुके थे। जिससे उसका भारत के बारे में परिचय हुआ। लेकिन मुझे सच मैं रंगों से प्यार है, वाराणसी जैसे आध्यात्मिक जगह, राजस्थान के ग्रामीण इलाके, ताजमहल (दुनिया में मेरी तीन पसंदीदा इमारतों में से एक) और निश्चित रूप से हर जगह का भोजन।
क्या आपके लिए बच्चों को नई संस्कृतियों के बारे में सिखाना मुश्किल था जो वे अनुभव करने जा रहे थे?
नहीं। हम किसी जगह पर पहुँचने से पहले उस जगह के बारे में ज्यादा बात नहीं करते। बेशक हम सभी को ये जानकारी होती है कि हम कहाँ जा रहे हैं, चाहे वह जानकारी स्कूल से हो, दोस्तों से या फिर यूट्यूब से। लेकिन हम किसी भी जगह को मिलकर एक्सप्लोर करते हैं, स्थानीय लोगों से बात करते हैं। दुनिया को और वहाँ संस्कृतियों के बारे में समझ चर्चाओं की तुलना में अनुभवों से आती है। इसलिए यात्रा से पहले ऐसा करने से कोई लाभ नहीं होगा।
उन परिवारों के लिए आपके सुझाव क्या हैं जो अपने बच्चों के साथ ट्रैवल करना चाहते हैं?
बस कर दो! अपने बच्चों से पूछें कि वे कहाँ जाना चाहते हैं और फिर वहाँ की यात्रा के लिए सबसे अच्छा, कम से कम महंगा तरीका समझें। कुछ जगहें हैं जो एक बजट पर करना बहुत मुश्किल है। लेकिन दुनिया में बहुत सारी जगहें हैं जो बजट में देखी जा सकती हैं। खासकर जब आप गैर-पीक के समय ट्रैवल करते हैं। बच्चों के आसपास की यात्राओं की योजना बनाएँ। इससे कुछ फर्क नहीं पड़ता है कि आप क्या देखना चाहते हैं? बच्चों के साथ बिताया वो समय सबसे बेस्ट होगा। इसलिए ऐसा करने के लिए अच्छा तरीका खोजें।