हिमाचल के महत्वपूर्ण एयरपोर्ट! जानिए उनके बारे में सबकुछ

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हिमाचल घूमने की हसरत हर घुमक्कड़ में होती है। हर इंसान जिंदगी में एक बार हिमाचल की वादियों में जरूर भटक लेना चाहता है। यहाँ की घाटियों में ट्रेक करने से लेकर जंगलों और पहाड़ों को मन भरकर निहार लेने का मन सबका करता है। हिमाचल पहुँचने के लिए कई विकल्प हैं। ज्यादातर लोग दिल्ली से बस लेकर जाते हैं तो कुछ लोग ट्रेन से भी हिमाचल जाते हैं। लेकिन बहुत कम लोग ऐसे होते हैं तो फ्लाइट लेकर हिमाचल जाने के बारे में सोचते हैं। इसके पीछे की वजह बता पाना तो मुश्क है लेकिन यदि आप हिमाचल के एयरपोर्ट्स के बारे में जानना चाहते हैं तो उसकी पूरी जानकारी हम आपको दे देते हैं। हिमाचल में कुल 3 एयरपोर्ट्स हैं जो तीन अलग-अलग जगहों पर स्थित हैं। इन हवाई अड्डों के बारे में जानें और अगली बार हिमाचल जाने के लिए इनमें से किसी एयरपोर्ट पर लैंड करने के बारे में जरूर सोचें।

1. भुंतर एयरपोर्ट, कुल्लू

भुंतर एयरपोर्ट कुल्लू मनाली जिले के छोटे से शहर भुंतर में स्थित है। ये एयरपोर्ट मनाली और उसके आसपास के इलाकों तक पहुँचने का सबसे आसान रास्ता है। ब्यास नदी के किनारे बनाया गया ये एयरपोर्ट कुल्लू से लगभग 10 किमी. की दूरी पर है। वहीं अगर आप मनाली से इस एयरपोर्ट की दूरी देखें तो आपको लगभग 50 किमी. का रास्ता तय करना होता है। भुंतर एयरपोर्ट आने के लिए आपको दिल्ली से आसानी से फ्लाइट्स मिल जाएंगी। जिनसे आप शिमला के रास्ते भुंतर आ सकते हैं। भुंतर एयरपोर्ट के लिए आप जग्सन एयरलाइंस की फ्लाइट का भी इस्तेमाल कर सकते हैं। भुंतर आने के लिए आपको शायद के सभी हिस्सों से फ्लाइट्स ना मिलें। लेकिन यदि आप दिल्ली, पठानकोट या चंडीगढ़ से आना चाहते हैं तो उसमें आपको एकदम परेशानी नहीं होगी। दिल्ली और पठानकोट से भुंतर आने के लिए आप एयर इंडिया की फ्लाइट के सकते हैं। वहीं अगर आप चंडीगढ़ से भुंतर पहुँचना चाहते हैं तो आप डेक्कन चार्टर और जग्सन एयरलाइंस की फ्लाइट ले सकते हैं। जग्सन एयरलाइंस इस्तेमाल करने से आपको दिल्ली, धर्मशाला और कोलकाता से भी भुंतर के लिए फ्लाइट मिल जाएंगी।

3690 फीट लंबे रनवे वाले इस एयरपोर्ट ने पर्यटकों के लिए मनाली आना बहुत आसान कर दिया है। एयरपोर्ट के रनवे का ज़्यादातर हिस्सा एस्फाल्ट से बना हुआ है। ये एयरपोर्ट दिखने में बहुत सुंदर है। लेकिन जितना सुंदर ये दिखता है, यहाँ से उड़ान भरना उतना ही मुश्किल है। एयरपोर्ट चारों तरफ से ऊँचे पहाड़ों से घिरा हुआ है। पहाड़ों की तुलना में रनवे ऊँचाई काफी कम है जिसकी वजह से यहाँ से उड़ान भरना मजेदार लेकिन खतरनाक हो जाता है। पहाड़ों से काफी नीचे स्थित होने की वजह से कुछ समय पहले एयरपोर्ट में पानी भरने और दलदल जैसी परिस्थितियों का भी सामना पड़ चुका है।

कैसे पहुँचें?

भुंतर एयरपोर्ट से आसपास के इलाकों तक जाने में आपको कोई परेशानी नहीं आएगी। एयरपोर्ट के बाहर से ही आपको टैक्सी और कैब मिल जाएंगी जिनसे आप अपने डेस्टिनेशन तक पहुँच सकते हैं। एयरपोर्ट से आने जाने का रास्ता भी बेहद अच्छा है। सड़क साफ-सुथरी और चिकनी है जिसकी वजह से गाड़ी चलाने में भी कोई परेशानी नहीं आएगी। सड़क के दोनों तरफ जरूरी सामान के लिए बहुत सी दुकानें भी हैं। अगर आप कांगड़ा से भुंतर आना चाहते हैं तो उसके लिए आपको 200 किमी. का सफर तय करना पड़ेगा। वहीं यदि आप शिमला से भुंतर आना चाहते हैं तो उसके लिए आपको 220 किमी. लंबा सफर करना होगा।

2. गग्गल एयरपोर्ट, कांगड़ा

भुंतर के बाद हिमाचल का दूसरा सबसे महत्वपूर्ण एयरपोर्ट है कांगड़ा घाटी में बना गग्गल एयरपोर्ट। ये एयरपोर्ट, जिसको कांगड़ा एयरपोर्ट के नाम से भी जाना जाता है, हिमाचल प्रदेश के कांगड़ा जिले के गग्गल में स्थित है। ये एयरपोर्ट हिमाचल के बाकी सभी हिस्सों से अच्छी तरह जुड़ा हुए है। एक तरह से ये एयरपोर्ट धर्मशाला के साउथ वेस्ट से 14 किमी. की दूरी पर है। अगर आप धर्मशाला के मुख्य शहर में हैं तो इस एयरपोर्ट तक आने में आपको केवल 13 किमी. का सफर तय करना होता है। वहीं यदि आप कांगड़ा में हैं तो आप 8 किमी. की दूरी तय करके आसानी से गग्गल एयरपोर्ट आ सकते हैं। गग्गल एयरपोर्ट से आपको बहुत ज्यादा फ्लाइट तो नहीं मिलेंगी। लेकिन यदि आप दिल्ली या पठानकोट जाना चाहते हैं तो उसके लिए आपको आसानी से फ्लाइट मिल जाएगी। इसके अलावा यदि आप कुल्लू और चंडीगढ़ जाना चाहते हैं तो उसके लिए भी आप एयर इंडिया या स्पाइस जेट की उड़ानों को इस्तेमाल कर सकते हैं। भुंतर की तरह गग्गल एयरपोर्ट भी पहाड़ों से घिरा हुआ है। यहाँ से फ्लाइट लेना आपकी जिंदगी की सबसे शानदार फ्लाइट्स में से एक होगी।

भुंतर एयरपोर्ट के मुकाबले इस एयरपोर्ट की हवाई पट्टी 4620 फीट लंबी है। पूरे रनवे को एस्फाल्ट की मदद से बनाया गया है। इस एयरपोर्ट का एक रनवे 1408 मीटर लंबा है जिसकी चौड़ाई 30 मीटर है। ये रनवे 15/33 पर झुका हुआ है इसलिए यहाँ से उड़ान भरना बेहद खूबसूरत और रोमांचक अनुभव होता है। एयरपोर्ट से विमानों के खड़े होने के लिए भी काफी जगह है। एटीआर-72 जैसे विमान, जिसमें लगभग 100 यात्रियों के बैठने की जगह होती है, आसानी से इस एयरपोर्ट के रनवे पर उतर सकते हैं। इसके अलावा एयरपोर्ट को हाई टेक करने की भी पूरी कोशिश की गई है। एयरपोर्ट में आधुनिक सुविधाओं का इंतजाम किया गया है। रात के समय विमान आसानी से रनवे पर उतर सके उसने लिए खास लाइट लगाईं गई हैं। इसके अलावा एयरपोर्ट पर एयरोडोम बीकन और नेविगेशन में मददगार लाइट्स का भी इस्तेमाल किया गया है।

कैसे पहुँचें?

गग्गल एयरपोर्ट जाने के लिए आपको धर्मशाला के किसी भी हिस्से से आसानी से टैक्सी या कैब मिल जाएंगी। अगर आप गग्गल एयरपोर्ट पर लैंड कर रहे हैं तो आपको एयरपोर्ट के बाहर ही टैक्सी और कैब मिल जाएंगी जिससे आप अपने डेस्टिनेशन तक जा सकते हैं। इसके अलावा धर्मशाला के कई होटलों में एयरपोर्ट पिक उप और ड्रॉप कि सुविधा मौजूद है। आप अपने होटल में बात करके एयरपोर्ट पर टैक्सी भी मंगवा सकते हैं।

3. जुब्बड़हट्टी एयरपोर्ट, शिमला

इस एयरपोर्ट का नाम जितना अलग है उतनी ही रोचक इसकी पीछे की कहानी भी है। जुब्बड़हट्टी एयरपोर्ट को असल में पहाड़ काटकर बनाया गया है। सुनने में ये बात आपको अजीब जरूर लग सकती है लेकिन असल में ये एकदम सच है। इस एयरपोर्ट को बनाने के लिए पहाड़ को काटकर उसको समतल बनाया गया है। जिसपर फिर बाद में एयरपोर्ट बनाया गया है। शिमला आने वाले लोगों के लिए ये एयरपोर्ट हमेशा से काफी मददगार साबित हुआ है। अगर आप वाया रोड नहीं आना चाहते हैं तो शिमला से केवल 23 किमी. की दूरी पर स्थित ये एयरपोर्ट आपके लिए एकदम सही विकल्प है। अगर आप जुब्बड़हट्टी से जुड़े अन्य हवाई अड्डों के बारे में जानना चाहते हैं तो बता दें चंडीगढ़ एयरपोर्ट और दिल्ली एयरपोर्ट सबसे नजदीकी एयरपोर्ट हैं। जुब्बड़हट्टी की खास बात ये भी है कि इस एयरपोर्ट का इस्तेमाल प्रशिक्षण के लिए भी किया जाता है। नौसिखिया विमान चालकों को इस एयरपोर्ट के रनवे से विमान उड़ाने और उतारने कि ट्रेनिंग दी जाती है। हिमाचल प्रदेश के बाकी दोनों हवाई अड्डों की तुलना में ये एयरपोर्ट थोड़ा छोटा है। यहाँ एक बार में दो विमानों के खड़े होने की ही जगह है। इस एयरपोर्ट को साल 2017 में आम लोगों के लिए खोल दिया गया था।

ये एयरपोर्ट इतनी ऊँचाई पर बना है इसलिए यहाँ उतरने वाली सभी फ्लाइट्स में केवल 30 या उससे कम लोगों को बैठने की अनुमति दी जाती है। 2012 में इन्हीं कारणों की वजह से एयरपोर्ट को बंद भी कर दिया गया था। लेकिन 2017 में एक बार फिर खोले जाने के बाद भी इस एयरपोर्ट पर बहुत कम विमानों को उतरने कि इजाजत दी गई है। जिनमें एलायंस एयर के विमान शामिल हैं। 4035 फीट ऊँचे रनवे को बनाने के लिए ज्यादातर एस्फाल्ट का इस्तेमाल किया गया है। इस एयरपोर्ट में एक बार में केवल 50 लोगों की जगह है। आमतौर पर इस एयरपोर्ट पर उतरने वाली सभी फ्लाइट्स में 50 और एयरपोर्ट से टेक ऑफ करने वाले विमानों में 40 लोग ही सफर कर सकते हैं।

कैसे पहुँचें?

एयरपोर्ट आने जाने के लिए सबसे आसान तरीका है नजदीक स्थित बस अड्डा जहाँ से आपको आसपास के लिए बसें मिल जाएंगी। ये बस अड्डा एयरपोर्ट से लगभग 17 किमी. की दूरी पर है। एयरपोर्ट के पास एक रेलवे स्टेशन भी है जिसका नाम जटोघ स्टेशन है। ये स्टेशन एयरपोर्ट से 13 किमी. दूर है। अगर आप इन दोनों तरीकों को इस्तेमाल ना करके किसी तीसरे रास्ते से जाना चाहते हैं तो सबसे अच्छा तरीका है टैक्सी या कैब लेकर जाइए। देश के बड़े शहरों से शिमला के लिए आसानी से टैक्सी मिल जाती है इसलिए आपको कोई परेशानी नहीं आएगी। एयरपोर्ट के रख रखाव से लेकर यहाँ उतरने वाले सभी सामान और चीजें एयरपोर्ट्स अथॉरिटी ऑफ इंडिया की देख रेख में की जाती हैं।

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श्रेय: ट्रिपोटो

इन हवाई अड्डों के अलावा नाग चला में भी एक एयरपोर्ट प्रस्तावित है जिसको मंडी एयरपोर्ट से जाना जाएगा। इस एयरपोर्ट के लिए लगभग 698 एकड़ जमीन इस्तेमाल होने की बात की जा रही है। इसके अलावा सरकार के प्रोजेक्ट उड़ान के तहत हिमाचल प्रदेश में 2 अन्य हवाई अड्डों को बनाने की बात है। इस स्कीम के जरिए सरकार देश के 33 शहरों को फ्लाइट्स के माध्यम से जोड़ने की रूप रेखा तैयार कर रही है।

हिमाचल प्रदेश को बाकी देश से जोड़ने के लिए राज्य में 8 राष्ट्रीय हाईवे बनाए जा चुके हैं। जो अपने आप में बहुत अच्छा काम करते हैं। लेकिन हिमाचल प्रदेश में वाया फ्लाइट आना भी लोगों की बकेट लिस्ट में शामिल रहता है। पहाड़ों के ऊपर उड़ान भरना आखिर कौन नहीं चाहेगा। लेकिन मुश्किल की बात ये है कि खराब मौसम के चलते अक्सर फ्लाइट्स कैंसल होने की संभावनाएं बनी रहती हैं। क्योंकि ये तीनों हवाई अड्डे काफी ऊँचाई पर बने हुए हैं इसलिए यहाँ प्लेन उतारना सबके बस की बात नहीं है। इसके अलावा क्योंकि एक विमान में बहुत कम लोगों को बैठने की अनुमति दी गई है इसलिए बढ़ते खर्च के दबाव में आकर अधिकतर एयरलाइन्स को अपनी फ्लाइट कैंसल या बंद करने पर मजबूर होना पड़ रहा है। लेकिन चाहे जो भी हो, हिमाचल के शानदार पहाड़ों के बीच सजे इन तीनों एयरपोर्ट्स पर लैंड करना सचमुच किसी सुंदर सपने जैसा है।

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