मैं शहर से इस पहाड़ी गांव में बस गई और मेरी जिंदगी हमेशा के लिए बदल गई

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Photo of मैं शहर से इस पहाड़ी गांव में बस गई और मेरी जिंदगी हमेशा के लिए बदल गई by Rishabh Dev

हम सभी एक बार हिमालय में बसने के बारे में जरूर सोचते हैं। कौन होगा जो प्रकृति और प्यारे लोगों के बीच एक सरल और शांति से भरा जीवन नहीं जीना चाहेगा? छुट्टियां पहाड़ों पर जाने के लिए मेरे लिए कभी भी पर्याप्त नहीं थी। इस वजह से मैंने अपनी नौकरी के साथ महाराष्ट्र के पुणे से हिमाचल प्रदेश के रक्कर गाँव में कुछ समय बिताने का फैसला किया।

ठंडी नदी में डुबकी लगाना। फोटो क्रडिट: प्रियंका।

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मैंने हिमाचल प्रदेश के इस गाँव में 4 महीने बिताए। यकीन मानिए ये मेरे अब तक के सबसे अच्छे फैसलों में से एक था। यहाँ आकर मुझे एहसास हुआ कि शहर में रहना कितना आसान है। जहाँ हमें रोजमर्रा की चीजें आराम से मिल जाती हैं। यहाँ मैंने सीखा कि कुछ समय निकालकर अपने पसंदीदा काम को करने की आवश्यकता है। हिमाचल के इस गाँव में आकर लगा कि मैं फिर से अपने बचपन को जीने लगी। मैं इस छोटे-से पहाड़ी गाँव में कभी भी रहना पसंद करूंगी।

पहाड़ों में रहते हुए ऐसी बहुत सारी चीजें हैं जिनसे मुझे प्यार है। उनमें से कुछ ये रहीं:

फोटो क्रेडिट: विकीमीडिया।

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प्रदूषण मुक्त शांत वातावरण

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बर्फ से ढंके धौलाधार रेंज में स्थित एक छोटा-सा गाँव स्वर्ग से कम नहीं होगा। ये जगह बिल्कुल वैसी है। यहाँ की हवा में एक अलग प्रकार की महक है। दिल्ली से निकलकर जब आप यहाँ पहुंचेंगे तो फर्क आपको साफ नजर आएगा। यहाँ के लोग प्रकृति के साथ रहना पसंद करते हैं न कि उसकी कीमत पर। चारों तरफ आपको जंगल, घास के मैदान, धान के खेत और पहाड़ नजर आएंगे। इसके अलावा रात में तारों से भरे आसमां को देख पाएंगे।

फोटो क्रेडिट: विकीमीडिया।

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स्लो लाइफ

गाँव की दिनचर्या बेहद शानदार होती है। यहाँ आकर आपको सब कुछ धीमा लगने लगता है। यहाँ शहर की भागदौड़ और पागलपन छूट जाता है। सुबह उठकर आप देखेंगे कि ग्रामीण अपने काम में व्यस्त हैं। कोई आपके पास गुजर सकता है या आपकी नजर उससे मिलती है तो वो मुस्कुरा भी सकता है। यहाँ हर किसी के पास एक कप चाय और एक अच्छी-सी बात के लिए समय ही समय है।

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यहाँ पर कोई ट्रैफिक और हॉर्न नहीं है और न ही किसी को कहीं जाने की जल्दी है। इस गाँव में सभी लोग सुबह 4 बजे उठ जाते हैं और रात 9 बजे तक बिस्तर में चले जाते हैं। शुरू में मुझे तालमेल बिठाने में दिक्कत हुई लेकिन आखिरकार मैंने भी जल्दी उठना शुरू कर दिया। जब मैं जल्दी उठी तो पता चला कि मेरे पास करने के लिए बहुत समय था। अब मैं वीकेंड पर भी देर से नहीं उठ पाती हूं।

फार्म से ताज़ा ऑर्गेनिक फ़ूड

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फोटो क्रेडिट: विकीपीडिया।

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पहाड़ी खाने में दाल और चावल शामिल होते हैं। आप हिमाचल में कहीं भी हों, एक ढाबा जरूर मिल जाएगा। जहाँ पर स्वादिष्ट भोजन मिलेगा। खाने के लिए सब्जियां यहाँ के ऑर्गेनिक फार्म से आती हैं। इस जगह पर बड़ी संख्या में तिब्बती लोग भी रहते हैं। वे अपने स्थानीय व्यंजन बनाते हैं। मैंने रक्कर गाँव में तिब्बती फूड का स्वाद लिया जो मुझे काफी पसंद आया

नल से पानी पीना

क्रेडिट: विकीमीडिया।

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मेरे घर के ठीक पीछे एक बर्फीली नदी बह रही थी। मैंने इतनी साफ नदी को पहली बार देखा था। इस गाँव में कभी भी पानी की कमी नहीं होती है और लोग नल का पानी पीते हैं। पूछने पर उन्होंने बताया कि नल में पानी नदी से आता है। नदी हमेशा बहती रहती है इसलिए पानी ताजा और प्राकृतिक खनिजों से भरा होता है। उस दिन से मैंने भी नल से पानी पिया और मुझे कभी भी कोई समस्या नहीं हुई।

पढ़ने के लिए सुरम्य शांत जगह

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यह जगह मेरे बचपन की कल्पना से भी बाहर है। यहाँ पर बहुत सारी खूबसूरत जगह हैं जहाँ आप बैठ सकते हैं और खो सकते है। मेरी पसंदीदा जगह नदी के पास है। चारों तरफ धान के खेत, नदी, पहाड़ और जंगल का खूबसूरत दृश्य दिखाई पड़ता है। जहाँ तक नजर जाती है, सुंदरता ही सुंदरता देखने को मिलती है। जब मुझे आलस आता तो मैं बालकनी में आ जाती या छत पर चली जाती और चारों ओर शानदार पहाड़ों को देखकर सरप्राइज हो जाती।

पहाड़ी लोगों की एक्टिव जीवन शैली

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मैं बहुत ज्याद आलसी किस्म की हूं। शहर में आराम के लिए हमें थोड़ा-सा भी हिलने की जरूरत नहीं है। हम एक क्लिक से खाना, किराने का सामान, कपड़े और कुछ भी ऑर्डर कर सकते हैं। जब मैं आई तो मेरी जिंदगी अचानक से बदल गई। यहाँ पर हर चीज के लिए मेहनत करनी पड़ती है। ओला और उबर तो छोड़िए, यहाँ ऑटो रिक्शा भी नहीं है। आपको यहाँ पैदल चलना ही पड़ेगा। चारों तरफ यहाँ इतनी खूबसूरती है कि पैदल चलना उतना बुरा नहीं लगता है।

जिंदगी को जीना सीखा

क्रेडिट: विकीमीडिया।

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यहाँ पर सब कुछ आपको ही करना पड़ता है। खुद की सामान खरीदने जाना होता है, खाना भी खुद बनाना होता है और कपड़े भी हमें ही धोकर सूखने के लिए डालने होते हैं। अपने कूड़े को भी खुद ही मैनेज करना होता है। जब आप वीकेशन पर जाते हैं तो आपकी मदद करने के लिए होटल के लोग होते हैं लेकिन मैं यहाँ रह रही थी। मैं वो सब कुछ करना चाहती थी जो यहाँ के स्थानीय लोग करते हैं। मैंने कुछ तिब्बती डिशों को बनाना सीखा। मैं मटन करी को अच्छे से बना सकती हूं और पहाड़ों में कितनी भी दूर तक चल सकती हूं। मैंने अपने कूड़े का प्रबंध करना भी सीख लिया। मैंने छोटी-छोटी चीजों का महत्व समझा और जाना कि बमें कैसी खुशी से भरी जिंदगी की आवश्यकता है।

अंत में, मुझे यहाँ घर जैसा लगा

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हिमाचल प्रदेश के इस गाँव ने मेरा खुले दिल से स्वागत किया। एक हफ्ते में मुझे यहाँ घर जैसे फील होने लगा। मैं ऐसी जगह पर रह रही थी, जहाँ हर कोई हर किसी को जानता था और शांति से सभी लोग रहते थे। जब मैं वहाँ रह रही थी तो ऐसे लोगों से मिली जो मेरी तरह ही बाहरी थे लेकिन उन्होंने इस गाँव को हमेशा के लिए अपना घर बना लिया। मुझे यहाँ पर पता ही नहीं चला कि इतने जल्दी दिन बीत गये लेकिन मैं ये जानती हूं कोई भी दो दिन एक जैसे नहीं थे। मैंने हर दिन कुछ नया देखा औ सीखा। मैं यहाँ पर सबसे प्यारे लोगों से मिली जो मेरी मदद करने से पहले एक बार भी नहीं सोचते। मुझे हिमालय के एक गाँव में रहने का मौका मिला। इसके लिए मैं हमेशा आभारी रहूंगी।

अगर आप भी किसी हिमालयी गाँव में रहने का सपना देखते हैं तो ये बातें आपको जरूर जान लेनी चाहिए:

गाँव कैसे चुनें?

मैंने रक्कर गाँव को चुना जो धर्मशाला से 12 किमी की दूरी पर था, फिर भी यह बहुत सुंदर जगह थी। धर्मशाला तक पहुंचना आसान है। दिल्ली से सीधी बस या ट्रेन से पठानकोट और फिर तीन घंटे की बस से आप धर्मशाला पहुंच सकते हैं। धर्मशाला का निकटतम हवाई अड्डा गग्गल में कांगड़ा एयरपोर्ट है जो 13 किमी दूर है। ये हवाई अड्डा एयर इंडिया और स्पाइसजेट की उड़ानों से भारत के सभी प्रमुख शहरों से जुड़ा हुआ है। ज्यादातर पहाड़ी गाँव मुख्य शहर से दूर हैं जहाँ आपको महीने भर के लिए अपनी सप्लाई मिलती है। इसलिए आप अपनी पसंद का हिल स्टेशन चुन सकते हैं और बस उसके चारों ओर एक खूबसूरत गाँव ढूंढ सकते हैं।

कहाँ ठहरें?

भारत राजा।

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जिस भी गाँव को चुनें, वहाँ घर उपलब्ध होते हैं जिसे आप किराए पर ले सकते हैं। एक महीने का किराया 2000 रुपए से 6000 रुपए के बीच होता है। ज्यादातर लोगों के पास अपने घर में एक अतिरिक्त कमरा होता है और कुछ दिनों के लिए मेहमानों के साथ शेयर करने में कोई दिक्कत भी नहीं होती। घर खोजना आसान है। बस आपको सही लोगों से सही सवाल पूछना है। मैं रक्कर में दो महीने घूमकड़ फार्म में रही और फिर गाँव के दूसरे घर में शिफ्ट हो गई।

खाना कहाँ खाएं?

यदि आप रक्कर गाँव में हैं तो आप खाना बना सकते हैं या फिर सिद्धबाड़ी रोड के आसपास के कई ढाबों में खाना बना सकते हैं। सुंदर नोरबुलिंगका मठ के आसपास कई तिब्बती रेस्तरां हैं। जिसमें मेरा पसंदीदा तिब्बती किचन है। गाँव में कुछ भारतीय रेस्तरां भी हैं- कैफे बाय द वे और सत्यम में भी बहुत अच्छा खाना था।

गाँव में इंटरनेट कैसा है?

इस गाँव में रहते हुए मैं एक सॉफ्टवेयर इंजीनियर के रूप में पूर्णकालिक रूप से काम कर रही थी और इंटरनेट बहुत बढ़िया था। वाईफाई एयरजल्दी जैसे नेटवर्क ने दूरस्थ क्षेत्रों के विकास में काफी मदद की है। जिओ यहाँ भी बेहतरीन सर्विस दे रहा है तो चिंता न करें, बस आगे बढ़ें और उस काम को घर से करें। याद रखें घर इस दुनिया में कहीं भी हो सकता है।

अगर आपके पास नौकरी नहीं है तो आप गाँव में कैसे रह सकते हैं?

वॉलियंटर- रक्कर गाँव में वॉलियंटर करने के कई अवसर हैं। घूमकड़ फार्म और निष्ठा एनजीओ को हमेशा समुदाय के विकास में मदद करने के लिए लोगों की जरूरत होती है। आपको पैसे नहीं दिए जांएगे लेकिन आपके रहने और खाने का ध्यान रखा जाएगा। जब मैं पिछले साल बिर में रह रही थी तब धर्मालय में वॉलियंटर के अवसर थे। भले ही कोई औपचारिक अवसर उपलब्ध न हों लेकिन आप हमेशा कुछ सिखा सकते हैं या अपना खुद का कुछ शुरू कर सकते हैं।

कमाई- यदि आपके पास स्किल है तो आप दुनिया में कहीं भी हों आप पैसा कमा सकते हैं। मैं गाँव में रहने वाले उन लोगों से मिली जिन्होंने अपना खुद का बिजनेस शुरू किया है जैसे कि एक जैविक स्टोर से लेकर वेब डेवलेपमेंट तक। मैं फोटोग्राफरों और योग प्रशिक्षकों से भी मिला हूं। यह आसान है, बस यह जान लो कि आप अपना समय कैसे बिताना चाहते हैं?

सेविंग- अगर आप हर चीज से पूरा टाइम लेना चाहते हैं तो बचत आपके काम आएगी। आप इस समय का उपयोग वह सब कुछ करके कर सकते हैं जो आप हमेशा से करना चाहते थे लेकिन तब आपके पास समय नहीं था। मैं ऐसे लोगों से मिली जिन्होंने पेंटिंग की, सुंदर संगीत बनाया, खाना बनाया, जैविक खेती के बारे में सीखा, पढ़ाने में मदद की, किताबें लिखीं और पढ़ीं।

क्रेडिट: विकीमीडिया।

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क्या करें?

- नदी की धारा में डुबकी

- नोरबुलिंगका संस्थान में तिब्बती कला के बारे में जानें

- सबसे अच्छे व्यू पॉइंट के लिए सलोती माता मंदिर जाएं और वहाँ चाय पिएं

- खूबसूरत धर्मशाला स्टेडियम में क्रिकेट मैच देखने जाएं

- दलाई लामा मंदिर में दलाई लामा से मिलें। यदि ऐसा होता है तो वाकई में खुद को भाग्यशाली महसूस कीजिए।

- मैक्लॉडगंज और धर्मकोट के शानदार कैफे में खाएं

- भागसू फॉल और शिव कैफे के लिए ट्रेक करें

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