चार धाम हिन्दुओं की सबसे पवित्र जगहों में से एक है। चारधाम यात्रा को करने के लिए हर साल लाखों के लिए आते हैं। चार धाम यात्रा भारत के उत्तराखंड राज्य में स्थित बद्रीनाथ, केदारनाथ, यमुनोत्री और गंगोत्री में स्थित चार मंदिरों की यात्रा है। यह यात्रा हिमालय के श्रृंखलाओं में स्थित धार्मिक स्थलों को दर्शाती है। इस यात्रा को करने के लिए प्रत्येक श्रद्धालु को उत्तराखंड राज्य में होने वाले अगले स्थानों की यात्रा करनी होती है।यह यात्रा अप्रैल से नवंबर तक की जा सकती है। इस यात्रा को करने के लिए श्रद्धालु को कुछ तथ्यों और नियमों का पालन करना होता है। यह यात्रा धार्मिक और आध्यात्मिक लाभ के साथ-साथ दृश्य और वातावरण का भी आनंद देती है। इस यात्रा के दौरान श्रद्धालु उत्तराखंड की प्राकृतिक सुंदरता का भी आनंद ले सकते हैं।
ये चारों पवित्र धाम उत्तराखंड के गढ़वाल में स्थित हैं। परंपरागत रूप से चार धाम की यात्रा पश्चिम से पूर्व की ओर की जाती है। इस वजह से चार धाम की यात्रा यमुनोत्री से शुरू होती है और बद्रीनाथ पर जाकर ख़त्म होती है। आप अपनी सुविधा के अनुसार इस यात्रा को दिल्ली, देहरादून, हरिद्वार या ऋषिकेश से शुरू कर सकते हैं। यात्रा के पहले आपको एक पोर्टल पर पंजीकरण भी कराना पड़ता है। अगर आप उत्तराखंड के निवासी हैं तो आपको पंजीयन नहीं करना पड़ेगा। चार धाम की यात्रा को 11 दिन में कैसे पूरा करें? ये पूरी जानकारी हम आपको देने वाले हैं।
दिन 1: हरिद्वार
चार धाम की यात्रा के पहले दिन आपको हरिद्वार पहुँचना है। हरिद्वार पहुँचने के लिए आप सड़क मार्ग और रेल मार्ग किसी से भी आ सकते हैं। हरिद्वार भारत के सबसे प्रसिद्ध धार्मिक शहरों में से एक है। गंगा नदी के तट पर स्थित हरिद्वार हिंदू धर्म के अनुयायियों के लिए धार्मिक महत्व का एक प्रमुख केंद्र है। हरिद्वार का नाम संस्कृत शब्द "हरि" और "द्वार" से लिया गया है इसका मतलब होता है कि यह शहर भगवान विष्णु के द्वार रूप में जाना जाता है। हरिद्वार में बड़ी संख्या में श्रद्धालु गंगा घाट पर स्नान करते हैं। कहा जाता है कि जो गंगा में स्नान करता है उसके पाप धुल जाते हैं। इसके अलावा, हरिद्वार में चंडी देवी मंदिर, मानसा देवी मंदिर, गंगा माता मंदिर और दक्षेश्वर महादेव मंदिर समेत कई जगहें हैं जहां आप जा सकते हैं।
दिन 2: बरकोट
चारधाम की यात्रा में हरिद्वार के बाद दूसरे दिन आप बरकोट पहुँचते हैं। हरिद्वार से बरकोट लगभग 180 किमी. की दूरी पर है। बरकोट गढ़वाल में स्थित एक छोटा-सा शहर है। बरकोट का मूल नाम विराटनगर है और इसे पाण्डवों के वनवास के दौरान उनके आश्रय स्थल के रूप में भी जाना जाता है। इस शहर के आसपास कई तीर्थस्थल हैं जैसे कि गंगोत्री, यमुनोत्री, केदारनाथ और बद्रीनाथ जो चार धाम यात्रा के लिए प्रसिद्ध हैं। बरकोट में कुछ अन्य प्रसिद्ध धार्मिक स्थल हैं जैसे कि श्री कालीका देवी मंदिर, बालाजी मंदिर और नाग मंदिर। आप बरकोट में इन जगहों पर जा सकते हैं। रात में आप इस जगह पर ठहर सकते हैं।
दिन 3: यमुनोत्री
यमुनोत्री हिमालय की पहाड़ियों में स्थित एक प्रमुख तीर्थ स्थल है। चार धाम यात्रा की पहली जगह यमुनोत्री है। बड़ी संख्या में श्रद्धालु यमुनोत्री मंदिर के दर्शन करने के लिए आते हैं। यमुनोत्री समुद्र तल से 3,235 मीटर की ऊँचाई पर स्थित है। बरकोट से यमुनोत्री लगभग 50 किमी. की दूरी पर है। यमुनोत्री धाम पहुँचने के लिए आपको 13 किमी. का एक लंबा ट्रेक भी करना पड़ता है। यमुनोत्री यमुना नदी का मूल उद्गम स्थल भी है।
यमुनोत्री में एक प्राचीन हिंदू मंदिर है जो यमुना नदी के किनारे स्थित है। इस मंदिर को टिहरी गढ़वाल के राजा महाराजा प्रताप शाह ने बनवाया था। यह मंदिर गर्भगृह, मुख्य मंडप और समाधि स्थल से मिलकर बना है। मंदिर के पास हॉट वॉटर स्रोत हैं जो पर्यटकों के बीच काफ़ी लोकप्रिय है। यमुनोत्री में आप यमुनोत्री मंदिर के अलावा चौली की गुफा, सप्तर्षि कुंड और दिव्य शिला के दर्शन कर सकते हैं। शाम तक वापस बरकोट लौट आइए और बरकोट में ही रात गुजारें।
दिन 4: गंगोत्री
अगले दिन बरकोट से गंगोत्री पहुँचिए। बरकोट से गंगोत्री की दूरी लगभग 180 किमी. है। गंगोत्री चार धाम यात्रा का एक महत्वपूर्ण स्थान है। हिमालय की पहाड़ियों में स्थित गंगोत्री गंगा नदी का मूल उद्गम स्थल है। समुद्र तल से गंगोत्री 3,042 मीटर की ऊँचाई पर स्थित है। गंगोत्री में यात्री मार्ग पर जाकर भगीरथी नदी को पार करते हुए पहाड़ी रास्तों के माध्यम से श्रद्धालु गंगोत्री मंदिर पहुंचते हैं।
गंगोत्री मंदिर एक प्राचीन हिंदू मंदिर है जो गंगोत्री नदी के किनारे स्थित है। यह मंदिर गर्भ गृह, मुख्य मंडप और समाधि स्थल से मिलकर बना है। मंदिर के बाहर यात्रियों को गंगा आरती भी देखने को मिलती है। गंगोत्री में पर्यटक अन्य धार्मिक स्थलों के भी दर्शन कर सकते हैं जैसे सुंदरनंदा मंदिर, भगीरथी शिला, गौरीकुंड और सूर्यकुंड। आप अपने पूरे दिन की थकावट इसी पवित्र शहर में ठहरकर गुज़ार सकते हैं।
दिन 5: हर्षिल
यमुनोत्री के बाद अगले दिन का पड़ाव आपका हर्षिल होगा। गंगोत्री से हर्षिल सिर्फ़ 25 किमी. की दूरी पर है। भागीरथी नदी के किनारे स्थित हर्षिल समुद्र तल से 2,620 मीटर की ऊँचाई पर स्थित है। हर्षिल एक बेहद लोकप्रिय पर्यटन स्थल है। खूबसूरत पहाड़ों से घिरे इस शहर में आप सुंदरता, शांति और सुकून का आनंद ले सकते हैं। हर्षिल में एक धार्मिक स्थल भी है जिसे खरगंगा मंदिर के नाम से जाना जाता है। यह मंदिर श्री खरगंगा जी के लिए समर्पित है जो चार धाम यात्रा के लिए महत्वपूर्ण स्थलों में से एक हैं। हर्षिल जैसी सुंदर जगह पर होने किसी सपने से कम नहीं है। आप डिनर करने के बाद अपने कमरे में जाकर थकान को मिटा सकते हैं।
दिन 6: गुप्तकाशी
अगले दिन हर्षिल में ब्रेकाफास्ट करने के बाद आगे की यात्रा के लिए निकल पड़िए। हर्षिल से टिहरी और श्रीनगर होते होते हुए गुप्तकाशी पहुँचिए। हर्षिल से गुप्तकाशी लगभग 270 किमी. की दूरी पर है। समुद्र तल से गुप्तकाशी की ऊँचाई लगभग 1,319 मीटर है। गुप्तकाशी उत्तराखंड के चमोली जिले में स्थित एक शहर है जो चार धाम यात्रा के दौरान आता है। यह शहर बद्रीनाथ से लगभग 47 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है।
गुप्तकाशी एक धार्मिक स्थल है जहां पर्यटक विष्णुजी के एक मंदिर को दर्शन करते हैं जिसे गुप्तकाशी के नाम से जाना जाता है। गुप्तकाशी के पास दो गुफाएं हैं जो पर्यटकों के बीच बहुत लोकप्रिय हैं। पहली गुफा गुप्तकाशी नामक एक छोटी गुफा है जो बद्रीनाथ से लगभग 2.5 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है। दूसरी गुफा विशाल है और जिसका संबंध महाभारत काल से माना जाता है। गुप्तकाशी के पास एक और प्रसिद्ध पर्यटक स्थल है जो अर्धनारीश्वर मंदिर के नाम से जाना जाता है। यह मंदिर भगवान शिव और पार्वती को समर्पित है।
दिन 7: गौरीकुंड
गौरीकुंड उत्तराखंड के चमोली ज़िले में स्थित है। गौरीकुंड को केदारनाथ ट्रेक का बेस कैंप माना जाता है। यहीं से केदारनाथ का ट्रेक शुरू होता है। गुप्तकाशी से गौरीकुंड 30 किमी. की दूरी पर है। आप गुप्तकाशी से गौरीकुंड अपनी गाड़ी से आ सकते हैं। गौरीकुंड में एक गर्म पानी का कुंड है। इसके अलावा एक मंदिर भी है जो गौरी को समर्पित है। गौरीकुंड केदरनाथ यात्रा का एक भाग है। गौरीकुंड भी एक बेहद पवित्र और धार्मिक स्थलों में से एक है।
दिन 8: केदारनाथ
केदारनाथ हिन्दुओं की सबसे पवित्र जगहों में से एक है। सुंदर-सुंदर पहाड़ों से घिरा केदारनाथ मंदिर के लिए बेहद पॉपुलर है। यह तीर्थस्थल चार धाम यात्रा का एक हिस्सा है जो हिंदू धर्म का अहम तीर्थस्थल है। गौरीकुंड से केदारनाथ तक की दूरी लगभग 16 किमी. है। इस यात्रा को पूरा करने के लिए आपको ट्रेक करना ही पड़ेगा हालाँकि पालकी की सुविधा भी आपको मिल जाएगी।
केदारनाथ केदार पर्वत के पूर्वी भाग पर स्थित है जिसे महादेव शिखर भी कहा जाता है। केदारनाथ के मंदिर में शिव लिंग स्थापित है जो महादेव का प्रतीक है। मंदिर बहुत ही प्राचीन है और प्राचीनतम चार धामों में से एक है। इस तीर्थस्थल की सुंदरता, प्राकृतिक सौंदर्य और शांति यात्रियों को आकर्षित करते हैं। यह एक धार्मिक यात्रा होने के साथ-साथ एक अनुभव भी है जो हर व्यक्ति को एक बार ज़रूर लेना चाहिए। केदारनाथ में ठहरने के लिए कई सारे होटल और धर्मशालाएँ हैं जिनमें आप ठहर सकते हैं।
दिन 9: रुद्रप्रयाग
केदारनाथ की यात्रा को पूरा करके सबसे पहले गुप्तकाशी पहुँचिए और फिर वहाँ से रुद्रप्रयाग पहुँचिए। केदारनाथ से रुद्रप्रयाग लगभग 86 किमी. की दूरी पर है। रुद्रप्रयाग उत्तराखंड के धार्मिक शहरों में से एक है। रुद्रप्रयाग अलकनंदा नदी के पंच प्रयाग में से एक है। रुद्रप्रयाग अलकनंदा और मंदाकिनी नदी के संगम पर स्थित है। रुद्रप्रयाग का नाम ऋषि ऋषभनाथ के पुत्र ऋषि रुद्र के नाम से हुआ है जिन्होंने इस स्थान पर ध्यान और तपस्या की थी। रुद्रप्रयाग में अलकनन्दा नदी के किनारे एक पुराना मंदिर है जो ऋषि जमदग्नि को समर्पित है।
दिन 10: जोशीमठ
अगले दिन रुद्रप्रयाग से जोशीमठ पहुँचें। रुद्रप्रयाग से जोशीमठ 113 किमी. की दूरी पर स्थित है। समुद्र तल से 1,890 मीटर की ऊँचाई पर स्थित जोशीमठ उन चार मठों में से एक जिसकी स्थापना आदि शंकराचार्य ने की थी। जोशीमठ से बद्रीनाथ सिर्फ़ 44 किमी. की दूरी पर स्थित है। सर्दियों में जोशीमठ ही बद्रीनाथ का घर होता है और वे यहीं पर विराजमान होते हैं। जोशीमठ से औली भी पास में है। जोशीमठ से औली एशिया की सबसे ऊँची केबल कार से कनेक्टेड है। जोशीमठ में आप कल्पवृक्ष मंदिर और नरसिंह मंदिर के दर्शन कर सकते हैं। रात में आपको इसी शानदार शहर में ठहरना चाहिए।
दिन 11: बद्रीनाथ मंदिर
बद्रीनाथ भारत की सबसे पवित्र जगहों में से एक है और चार धाम में से एक है। बद्रीनाथ समुद्र तल से 3,133 मीटर की ऊँचाई पर स्थित है। बद्रीनाथ चार धाम यात्रा के चारों तीर्थस्थलों में सबसे पवित्र माना जाता है। अलकनंदी नदी के किनारे स्थित बद्रीनाथ मंदिर का निर्माण 9वीं शताब्दी में आदि शंकराचार्य द्वारा करवाया गया था।
बद्रीनाथ मंदिर भगवान विष्णु को समर्पित है जिसे बद्रीनाथ के नाम से जाना जाता है। इस मंदिर में भगवान विष्णु के अलावा शंकराचार्य का समाधि स्थान भी है। बद्रीनाथ के आसपास कई तालाब और उपवन हैं जो देखने लायक़ हैं। बद्रीनाथ के मंदिर से थोड़ी दूरी पर शानदार नजारों के बीच भारत-तिब्बत सीमा पर स्थित माणा पास है जो एक लोकप्रिय ट्रेकिंग स्थल भी है। बद्रीनाथ मंदिर के दर्शन के साथ चार धाम की यात्रा पूरी हो जाती है। इसके बाद अपने गंतव्य की ओर लौट सकते हैं।
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