जब भी मैं पहाड़ जाता हूँ तो मेरी कोशिश होती है ऑफबीट डेस्टिनेशन पर जाऊं जहाँ भीड़ न हो और होमस्टे में रुकूँ. पहाड़ों पर होटलों में रहना मुझे पसंद नहीं. इसलिए सफ़र शुरू करने से पहले मैं घंटों इंटरनेट पर होमस्टे के बारे में ढूंढता हूँ, जानकारी इकट्ठी करता हूँ.
दिसंबर 2021 के पहले सप्ताह में मैं अपने दोस्तों के साथ कौसानी गया. कोरोना काल के बाद ये मेरी पहली पहाड़ यात्रा थी, यानी 2019 दिसंबर के बाद. इसलिए मेरा एक्साइटमेंट लेवल बुर्ज खलीफा की ऊँचाइयों को छू रहा था. काफी सर्च करने और सोच विचारने के बाद Make My Trip से एक होमस्टे बुक किया, जिसका नाम था आश्रिता (Aashritha).
दिल्ली से करीब 12 घंटे का सफ़र करने के बाद जब हम कौसानी में अपने होमस्टे में पहुंचे तो वो हमारे लिए किसी जन्नत से कम नही था. होमस्टे के लॉन में कदम रखते ही 12 घंटे के सफ़र की सारी थकान दूर हो गई. इसकी वजह थी वहां से मिलता व्यू.
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त्रिशूल पर्वत, नंदा देवी, नंदाकोट सामने सीना ताने खड़ा था. आंखे नही थक रही थी उन्हें निहारते हुए. चाहे बालकनी में बैठे या लॉन में. हर जगह से एक सा नज़ारा. और उससे भी बड़ी बात कि ये होमस्टे कौसानी शहर से 2 किलोमीटर आगे था ऊपर की तरफ. जहां बिल्कुल आबादी नही थी. उसके बगल में बस KMVN का रेस्ट हाउस था और उसके बाद रास्ता खत्म. पत्थरों की दिवार और लकड़ी के छतों वाला खुबसूरत घर पहली नज़र में ही हमारा दिल जीत चुका था.
होमस्टे में मात्र 6 कमरे थे इस कारण यहां गेस्ट की भीड़ भी नही थी. वातावरण शांत तो इतना कि सुबह चिड़ियों की चहचआहट से नींद खुलती. वैसे सूर्योदय का नज़ारा देखने की एक्साइटमेन्ट ने चिड़ियों की आवाज से पहले ही हमें जगा दिया था. जब हम सुबह जागे तो हमारे नीचे कौसानी शहर कोहरे/बादल की चादर से ढका हुआ था लेकिन शहर से ऊपर अपने होमस्टे के लॉन में कुर्सी पर बैठ टांग पर टांग चढ़ा चाय की चुस्कियों के साथ सूरज की पहली किरण को त्रिशूल और नंदादेवी के मस्तक पर चमकते देख रहे थे.
यहां के लजीज खाने का स्वाद अभी तक जुबान पर है। मैं दोस्तों के साथ गया था। *खाने का स्वाद घर के खाने से भी उम्दा था* ये इसलिए नही लिख रहा कि अगर बीवी ने पढ़ लिया तो कहेगी जाओ उसी के यहां खाओ 😀। बिल्कुल सात्विक खाने जैसा. न ज्यादा तेल न ज्यादा मिर्च मसाले. पेट भर जाए लेकिन मन न भरे. पहाड़ी दाल के टेस्ट ने तो हमारा दिल जीत लिया ❤️
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अगर आप चाहे तो वहां से वर्क फ्रॉम हिल भी कर सकते हैं क्योंकि होमस्टे में हाईस्पीड वाईफाई सुविधा भी उपलब्ध थी. नेचर वाक करते हुए आप 2 किलोमीटर नीचे की तरफ चल कर कौसानी मार्केट भी जा सकते. वाकई में हमारे लिए तो 'आश्रिता' तो जन्नत ही था.
*आश्रिता होमस्टे की बुकिंग हमने Make My Trip से कराया था। प्राइस ऊपर नीचे होता रहता है।
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