मेरा पहला पॉड कैप्सूल स्टे – मुझे लगा मैं अंतरिक्ष यात्री बन गया हू 😁 #HomeawayfromHome

Tripoto
16th Jun 2023
Photo of मेरा पहला पॉड कैप्सूल स्टे – मुझे लगा मैं अंतरिक्ष यात्री बन गया हू 😁 #HomeawayfromHome by KAPIL PANDIT
Day 1

तो भईया शुरू करते है।अपन ठहरे फक्कड़ घुम्मकड़।आप फर्क तो समझ ही गए होंगे की टूरिस्ट और घुम्मकड़ में थोड़ा फर्क होता है। टूरिस्ट थोड़ा पैसे वाली पार्टी होताईच है।पर बाप घुम्मकड़ थोड़ा हटेला टाइप , पॉकेट टाइट बंदा होता है। एकदम रापचिक देशी टाइप मालूम।अपुन भी वुईच टाइप ब्रीड का बंदा है। एकदम सॉलिड हटेला टाइप।आप लोग सोच रहे होंगे क्या हो गया इस बंदे को पहले तो ऐसा कुछ नही लिखता था।आज ऐसी बहकी बहकी सी क्यों बाते कर रहा है। तो भईया बात ये है की किसी काम की वजह से पिछले साल मुंबई जाना हुआ।गलत मत समझिएगा।हीरो बनने के लिए नही।
वैसे हैंडसम और डैशिंग तो बचपन से ही था।पर कभी
घमंड नही किया।हा तो कहा थे। हा पिछले साल मुंबई जाना हुआ किसी व्यक्तिगत कारण से। इसलिए थोड़ी मुंबईया टपोरी बोली वो भी थोड़ा तड़का मारके एक दम रापचीक भाईलोग वाली मेरी कलम से निकल रेली है।तो सोचा इस बार रुकने के लिऐ इस बार होटल शोटेल या लॉज वोज नही लेंगे।वैसे एक दो बार हॉस्टल या एयर बीएनबी ट्राई किया था।सोचा कुछ और भी ट्राई कर सकते है। इंटरनेट की असीम शक्तियों से आज आदमी कुछ भी कर सकता है।हमने भी सोचा कुछ नया खोजा जाए इस बार। तो पता चला की मुंबई में पॉड कैप्सूल हॉस्टल जैसा कुछ नया कांसेप्ट आया है।तभी विचार कौंधा की इस बार इसी मे रुकेंगे।
अर्बन पॉड कैप्सूल – इंसान दिन दूनी रात चौगुनी तरक्की कर रहा हैं। हर पल कुछ न कुछ बदल रहा है।घूमने की दुनिया भी बदल रही है।पहले धर्मशालाएं और सराय हुआ करती थी।मुसाफिरो के रुकने के लिए फिर आया होटल, मोटेल,लॉजेस, आलीशान रिजॉर्ट का जमाना अब आधुनिक समय में और भी नए आयाम जुड़ते जा रहे है। जैसे होमस्टे,हॉस्टल ,एयर बीएनबी, और अब बिल्कुल नया कॉन्सेप्ट था पॉड कैप्सूल का। पहले कुछ झलकियां देखिए तब आपके दिमाग की बत्ती जलेगी की ये क्या बला है।

Photo of Urbanpod Hotel by KAPIL PANDIT
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तो भाई साहब ये कुछ इस तरह का था।ऑनलाइन बुकिंग पहले करवा ली थी। थोड़ा डर भी था की पता नही ये क्या बला है। कोई और दोस्त या जानने समझने वाला कोई और भी पहले ऐसे किसी पॉड कैप्सूल में नही रुका था। बस यूट्यूब पर कुछ वीडियो देखे थे।तो उसी पर भरोसा करके बुकिंग करवाई थी।
थोड़ा बता देता हु की ये क्या कॉन्सेप्ट है। मैं पढ़ाई के दिनो मे मार्केटिंग और इकोनॉमिक्स का छात्र रहा हु।तो वहा सीखा था की अपने आस होने वाले सभी संसाधनों का सही से उपयोग करके बड़ी से बड़ी सफलता पाई जा सकती है।
इस पॉड कैप्सूल कॉन्सेप्ट में भी यही नियम लागू हुआ है।
की कैसे कम से कम जगह का इस्तेमाल करके ज्यादा से ज्यादा जरूरी चीजों को जोड़कर एक से ज्यादा इंसानों को
कही रोका जा सकता है।पॉड कैप्सूल में आपके पास अपना थोड़ा सा पर्सनल स्पेस या जगह होती है। जितनी किसी घुम्मकड़ या यात्री को आराम करने के लिए चहिए।जैसे एक छोटी जगह में एक आरामदायक बेड, एयर कंडीशन,पर्याप्त मात्रा में लाइट ,पंखे, हेड फ़ोन 🎧 ,एक छोटा टीवी, इत्यादि कैसे छोटी सी जगह का इस्तेमाल सही प्रकार से किया जाता है। कोई इनसे सीखे।

Photo of मेरा पहला पॉड कैप्सूल स्टे – मुझे लगा मैं अंतरिक्ष यात्री बन गया हू 😁 #HomeawayfromHome by KAPIL PANDIT
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एक हॉल टाइप जगह पर पहले से तैयार पॉड या कहे कैप्सूल जैसी संरचना वाले कुछ छोटे छोटे खोपचे जैसे कुछ होते है।उन्हें रखा गया था। मेरे वाले हॉल में 12 पॉड थे।
जैसे ही आप अपने कैप्सूल में जाते हो और अपना गेट बंद कर लेते हो अब ये आपका अपना छोटा सा ठिकाना होता है। कैप्सूल के अंदर मुझे तो ये फीलिंग आई की तुम्हारा भाई
स्पेस यात्री बन गया है। और मंगल गृह की यात्रा पर है। कैप्सूल के अंदर वो नीली सी रोशनी। संतुलित तापमान, आरामदायक बिस्तर।लैपटॉप पर काम करने के लिए एक छोटा टेबल,एक छोटा सा टीवी भी था।अपने इलेक्ट्रॉनिक उपकरणों को चार्ज करने के लिए पर्याप्त सौकिट,एक बड़ा सा शीशा, और भी तरह तरह के बटन लाइट और तापमान नियंत्रित करने के लिए, इत्यादि।
आसान भाषा में बोले तो इतनी छोटी सी जगह में वो सब कुछ था जिसकी मुझे जरूरत थी। या कोई सरल स्वभाव का घुमक्कड़ जिसकी कल्पना कर सकता हो। हा एक डर था की कही ये कैप्सूल लॉक हो गया तो मैं तो भरी जवानी में मर जाऊंगा , कही मेरा दम तो नही घुट जाएगा इसमें , इस तरह के थोड़े उल जलूल विचार आ रहे थे मन में। मगर ऐसा कुछ भी नही था। पहली बार किसी भी काम को करो तो थोड़ा अजीब लगता ही हैं। लगभग 2 दिन रहा अच्छा समय गुजरा।

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अपने अपने कैप्सूल या पॉड में आपकी गोपनीयता भी बनी रहती है। जब आप पॉड में होते हो तब आप अलग ही दुनिया में होते हो। ऐसा मैने महसूस किया ।वाकई लगा की भारत सरकार के इसरो या अमेरिका के नासा द्वारा संचालित किसी
स्पेस प्रोग्राम का सहभागी बन गया हु। बड़ा ही भविष्य से भरपूर, रहस्य और रोमांच से भरपूर अनुभव था।
पॉड और कैप्सूल के बाहर कॉमन जगह होती है। जहां आपको आपका लॉकर भी मिलता है। आप अपना सामान और कैप्सूल लॉक करके बाहर भी जा सकते हो।कॉमन टॉयलेट और किचन एरिया भी था। हालाकि मैने वहा खाना नही खाया। टॉयलेट एरिया में साफ सफाई अच्छी थी। अब तो देश में और भी ऐसे पॉड कैप्सूल हॉस्टल खुल गए है। लेकिन मुझे मेरा पहला अनुभव हमेशा याद रहेगा।

अर्बन पॉड कैप्सूल कॉन्सेप्ट हॉस्टल।
पता – अंधेरी ईस्ट मेट्रो के नजदीक मुम्बई महाराष्ट्र।
किराया – उस समय मैंने लगभग 700 रुपए ख़र्च किए थे।
जिंदगी एक बार मिली है।इसे यूंही न जाने दे
नए नए अनुभव लेकर ऐसे ही आगे बढ़ते रहे।

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