![Photo of होली के पूर्व संध्या पर मोती डूंगरी गणेश जी मंदिर जयपुर में उत्सव by Ajay Singh Chouhan](https://static2.tripoto.com/media/filter/nl/img/2491951/Image/1710958542_img_20240320_200950.jpg.webp)
पवित्र स्थानों के रूप में मंदिरों का अत्यधिक महत्व है जहां भक्त ईश्वर से जुड़ सकते हैं और आध्यात्मिक प्रथाओं में संलग्न हो सकते हैं। वे धार्मिक पूजा के केंद्र बिंदु के रूप में कार्य करते हैं, भक्तों को विभिन्न देवताओं के प्रति अपनी श्रद्धा और भक्ति व्यक्त करने के लिए एक भौतिक स्थान प्रदान करते हैं। मंदिर केवल प्रार्थना के स्थान नहीं हैं; वे सांस्कृतिक और धार्मिक गतिविधियों के जीवंत केंद्र हैं, समारोहों, अनुष्ठानों और त्योहारों की मेजबानी करते हैं जो परंपराओं की समृद्धता का जश्न मनाते हैं। ये पवित्र स्थल प्राचीन ज्ञान के भंडार के रूप में भी कार्य करते हैं, धर्मग्रंथों, ग्रंथों और शिक्षाओं को रखते हैं जो विश्वासियों को उनकी आध्यात्मिक यात्रा में मार्गदर्शन करते हैं। इसके अलावा, मंदिर समुदाय की भावना को बढ़ावा देने और सामाजिक संपर्क, धर्मार्थ कार्य और सामूहिक पूजा के लिए एक मंच प्रदान करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं। आस्था और भक्ति के प्रतीक के रूप में, मंदिर श्रद्धा और विस्मय को प्रेरित करते हैं, जीवन के सभी क्षेत्रों से तीर्थयात्रियों और साधकों को अपनी पवित्र दीवारों के भीतर दिव्य उपस्थिति का अनुभव करने के लिए आकर्षित करते हैं।
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यह ब्लॉग जयपुर के मोती डूंगरी गणेशजी मंदिर के बारे में है । मोती डूंगरी एक छोटी सी पहाड़ी है जिसके चारों ओर जयपुर शहर पनपता है। मोती डूंगरी का अर्थ मोती की पहाड़ी है, क्योंकि यह पहाड़ी वास्तव में मोती की बूंद जैसी दिखती है। पर्यटक जयपुर के सबसे शुभ और महत्वपूर्ण धार्मिक मंदिर, प्रसिद्ध गणेश मंदिर में पूजा करने के लिए वहां जाते हैं। गणेश मंदिर का निर्माण सेठ जय राम पालीवाल ने 18वीं शताब्दी की शुरुआत में किया था। एक किंवदंती है, मेवाड़ के राजा एक लंबी यात्रा के बाद अपने महल वापस जा रहे थे और एक बैलगाड़ी पर एक विशाल गणेश मूर्ति ला रहे थे। राजा ने निर्णय लिया कि जहां भी बैलगाड़ी रुकेगी, वह भगवान गणेश की मूर्ति के लिए एक मंदिर बनवाएगा। जाहिर तौर पर गाड़ी मोती डूंगरी की तलहटी में रुकी, जहां आज मंदिर स्थित है।
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यह लेख लिखे जाने की दिनांक यानी 20 मार्च 2024 को मैंने भगवान गणेश जी के प्रसिद्ध मंदिर पर कुछ समय गुजारा । कुछ ही दिन में होली का त्यौहार आने को है और इसी सिलसिले में आज जगह का माहौल बहुत ही असाधारण था । वैसे तो मोती डूंगरी में हमेशा ही चहल पहल बनी ही रहती हैं पर त्यौहारी समय में चकाचौंध और भी अद्भुत हो जाती है । मंदिर के बाहर संध्याकाल में भजन गायन और पारंपरिक कलाकारों की नृत्य प्रस्तुति आयोजन देखने को मिला । हमेशा की तरह मंदिर के बाहर शहरवासियों द्वारा लिए गए नए वाहनों की पूजा की प्रक्रिया तो जारी थी ही, जो कि एक तरह से जयपुर संस्कृति का अभिन्न हिस्सा हो गया है । होली के सिलसिले में मंदिरों को खूबसूरत लाइटिंग से सजाया भी गया है । मंदिर के बाहर प्रसाद की दुकानों की कोई कमी नही है । बिरला मंदिर भी पैदल चलने की दूरी पर ही स्थित है । बिरला मंदिर के सामने मुख्य रोड पर स्ट्रीट फूड के विकल्प बहुतायत में मिल जाएंगे । तो कुल मिलाकर मोती डूंगरी गणेश जी के मंदिर दर्शन और आस पास की जगहें, यहां आने की चाह रखने वाले लोगों को अच्छा अनुभव प्रदान करेंगी, इसी आशा के साथ मैं अपने लेख को विराम देता हूँ ।
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मोती डूंगरी गणेशजी मंदिर का कोई प्रवेश शुल्क नही है यहां लिखा गया ट्रिप कॉस्ट व्यक्तिगत व्यय है ।
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आप सभी साथी पाठकों और पर्यटन समुदाय के सदस्यों का लेख पढ़ने के लिए बहुत आभार ।