होली क्या है, रंगों का त्यौहार। ना बाबू, ये है हल्ला गुल्ला, शोर शराबा और थोड़ा बहुत रंग। रंगों का ये त्यौहार दुनिया भर के टूरिस्टों को भारत खींचता है, पर अगर आपने ये त्यौहार देखा है, तो इसके दुष्प्रभाव को भी जानते होंगे। मैंने इस त्यौहार पर लोगों को कुछ ज़्यादा ही मदहोश होकर नाचते गाते मौज मारते देखा है, उनको दीन दुनिया की कोई फ़िक्र नहीं है।
आप बस सोचो कि आपके सामने ढेर सारे लोग खड़े हैं, जिनके हाथ में ख़ूब सारा केमिकल वाला रंग लगा है। उनको ना तो आपके मन की कोई परवाह है, ना ही उनको कोई डर आपके बुरा मानने का। इस मौक़े पर ट्रैवल करने का मन बना लिया तब तो क़यामत ही आ गई मानो।
मतलब होली के दिन कहीं ट्रैवल करने से बेकार फैसला शायद कोई ना हो, बस ये तस्वीरें देख लीजिए, अन्दाज़ा लग जाएगा।
1. कौन बोला होली मन को शान्ति और सुकून देने वाला त्यौहार है, इस दिन तो बस शोर और अशांति होती है।
2. होली ने अपना पारम्परिक आकर्षण खो दिया है। अब ये महज़ एक नौटंकी बन के रह गया है।
3. इसका आनन्द केवल असभ्य लोग ले सकते हैं। सभ्य इंसानों से इसका कोई वास्ता नहीं।
4. विदेशी लोग इससे होने वाले दुष्प्रभाव जानते हैं, इसीलिए बस इसे दूर से देखते हैं।
5. इन रंगों के लगाने से आपकी त्वचा का क्या होगा, इसका अन्दाज़ा न लगाने वाले को है, और ना ही उसे, जिसे लगाया जा रहा है।
6. होली सब जगह एक जैसी ही होती है। लोग पागल होकर नाचते गाते हैं, कहीं विशेष जगह देखने का कोई मतलब नहीं।
7. पागलपन और अराजक होने में फ़र्क होता है। ये लोग इसे नहीं जानते, कोई सिस्टम ही नहीं है।
8. अगर आप ट्रैवलर होकर सोचते हो कुछ नया देखने मिलेगा, तो बहुत बड़े धोख़े में हो।
तो हमने तो आपको बता दिया कि इस होली घूमना आपके लिए कितना बुरा अनुभव हो सकता, क्या आपको भी ऐसा ही लगता है? ???? हमें कॉमेंट्स में बताएँ।
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