पुराने लखनऊ की इन जगहों को देखे बिना नवाबों के शहर की यात्रा अधूरी है!

Tripoto
Photo of पुराने लखनऊ की इन जगहों को देखे बिना नवाबों के शहर की यात्रा अधूरी है! by Rishabh Dev

लखनऊ को नवाबों का शहर कहा जाता है। उत्तर प्रदेश की राजधानी लखनऊ अपने इतिहास, तहज़ीब, शानदार आर्किटेक्चर और संस्कृति के लिए जाना जाता है। गोमती नदी के किनारे स्थित लखनऊ में एक तरफ़ आधुनिकता है तो वहीं यहाँ आज भी आपको पुराना लखनऊ देखने और सुनने को मिल जाएगा। लखनऊ वाक़ई में शानदार है। ऐसे ही नहीं कहते, ‘मुस्कुराइए आप लखनऊ में हैं’। जब आप लखनऊ को घूमेंगे तो वाक़ई में मुस्कुराएंगे। लखनऊ आएँ तो यहाँ की कुछ जरूरी जगहों को देखना ना भूलें।

1- बड़ा इमामबाड़ा

लखनऊ में स्थित बड़ा इमामबाड़ा को भूलभुलैया के नाम से भी जाना जाता है। बड़ा इमामबाड़ा लखनऊ की सबसे प्रमुख ऐतिहासिक स्थल और लोकप्रिय जगहों में से एक है। बड़ा इमामबाड़ा को अवध के नवाब आसफ़-उद-दौला ने बनवाया था। कहा जाता है कि 1784 में भयंकर अकाल पड़ा। तब लोगों को रोज़गार देने के लिए वाब आसफ़-उद-दौला ने भव्य स्मारक बनाने का फ़ैसला किया। बड़ा इमामबाड़ा को बनाने में 11 साल लगे और लगभग 20 हज़ार लोगों ने इस स्मारक को बनाने का काम किया। बड़ा इमामबाड़ा का मुख्य आकर्षण भूलभुलैया है। इसके अलावा यहाँ असफी मस्जिद और शाही बावली देखने लायक़ हैं।

2- छोटा इमामबाड़ा

लखनऊ के बड़ा इमामबाड़ा के पास में ही छोटा इमामबाड़ा स्थित है। छोटा इमामबाड़ा मुग़ल काल की संस्कृति और सुंदरता को बयां करती है। छोटा इमामबाड़ा को अवध के तीसरे नवाब मुहम्मद अली शाह ने शिया मुसलमानों के लिए एक मण्डली हॉल के रूप में बनवाया था। लगभग 180 साल से ज़्यादा पुरानी इस इमारत में नवाब अली शाह और उनकी माँ की क़ब्रें बनी हुई हैं। छोटा इमामबाड़ा अपने 5 मेहराबदार दरवाज़ों के लिए जानी जाती है। इस स्मारक को सफ़ेद संगमरमर, इंडो-इस्लामिक और फ़ारसी आर्किटेक्चर में बनाया गया। नवाबों के शहर लखनऊ में छोटा इमामबाड़ा को आपको ज़रूर देखना चाहिए।

3- रूमी गेट

लखनऊ में कई दिलचस्प जगहें हैं। इनमें से ही एक है, रूमी गेट। रूमी गेट को तुर्की दरवाज़े के नाम से जाना जाता है और इसे लखनऊ की शान भी कहा जाता है। नवाब असफउद्दौला ने इस दरवाज़े को 1783 में अकाल के दौरान लोगों के रोज़गार के लिए बनवाया था। रूमी गेट को बनने में लगभग 2 महीने का समय लगा। रूमी गेट को बनाने के लिए हर रोज़ 22 हज़ार लोग काम करते थे। रूमी गेट इस्तांबुल में बना बाब-ए-हुमायूं नामक एक पुराने गेट के समान है। रूमी दरवाज़ा 60 फ़ीट लंबा है और इस गेट पर नक्काशीदार फूल की कलियों की डिज़ाइन से सजाया गया था। रूमी गेट को देखे बिना लखनऊ की यात्रा अधूरी है।

4- दिलकुशा कोठी

लखनऊ के गलियारे में कई पुरानी इमारतें आज भी देखने लायक़ हैं। उन्हीं जगहों में से एक है दिलकुशा कोठी। दिलकुशा कोठी का निर्माण अवध के आख़िरी नवाब सआदत अली खान ने 1797 से 1814 के बीच करवाया था। इसे नवाबों के ब्रिटिश रेज़िडेंट गौर अजउली ने तैयार किया था। सालों पहले बनी यह शानदार कोठी बनाने के लिए लखौरी ईंटों का इस्तेमाल किया गया था। प्रभावशैली दिलकुशा कोठी अंग्रेज़ी बारीक शैली की उत्कृष्ट कृति है। इस शानदार कोठी को आज भूतिया कोठी भी कहा जाता है। लखनऊ घूमने आएँ तो इस कोठी को ज़रूर देखें।

5- ब्रिटिश रेजीडेंसी

लखनऊ में स्थित ब्रिटिश रेजीडेंसी प्रथम संग्राम की एक महत्वपूर्ण जगह है। अंग्रेजों के लिए नवाब आसफुद्दौला के शासनकाल में ब्रिटिश रेजीडेंसी का निर्माण 1775 में शुरू हुआ था। अवध की राजधानी फ़ैज़ाबाद से लखनऊ स्थानांतरित होने के बाद इस जगह का निर्माण शुरू हुआ था। नवाब ने अंग्रेजों की सुविधा को देखते हुए उन्हें दरिया के किनारे एक ऊंचे टीले पर बसाया।

1800 में नवाब सआदत अली खां के शासन में रेजीडेंसी बन कर तैयार हुई। पहले ईस्ट इंडिया कंपनी की तरफ से नियुक्त अधिकारी इसमें रहते थे। लखौरी ईंट और सुर्ख चूने से बनी इस दो मंजिले इमारत में बड़े-बड़े बरामदे और एक पोर्टिको शामिल था। रेजीडेंसी के नीचे आज भी एक बड़ा तहखाना है। 1857 में अंग्रेजों ओर क्रांतिकारियों के बीच युद्ध हुआ और क्रांतिकारियों ने 86 दिनों तक ब्रिटिश रेजीडेंसी पर क़ब्ज़ा बनाए रखा। ब्रिटिश रेजीडेंसी में आप उस समय के ग़दर के निशान आज भी देख सकते हैं।

6- घंटा घर

नवाबों के शहर लखनऊ में एक बेहद ऐतिहासिक और शानदार घंटा घर है। लखनऊ में स्थित घंटा घर देश का सबसे ऊँचा घंटा घर है। इस घंटाघर की ऊँचाई 221 फ़ीट है। इस घंटा घर का निर्माण 1881 में नवाब नसीर उद्दीन हैदर ने सर जॉर्ज कूपर के स्वागत में बनवाया था। सर जॉर्ज कूपर उस समय संयुक्त राज्यों के पहले लेफ्टिनेंट गवर्नर थे। इस घंटाघर को बनाने में लगभग 1.75 लाख रुपए की लागत आई थी। इस क्लॉक टावर को बनने में लगभग 6 साल का समय लगा। इस घंटा घर को हुसैनाबाद क्लॉक टावर के नाम से भी जाना जाता है। लखनऊ के क्लॉक टावर का निर्माण लंदन के बिग बेन की तर्ज पर ही किया गया था।

घंटा घर का पेंडुलम 14 फीट लंबा और डेढ़ इंच मोटा है। कहा ये भी जाता है कि इसकी सुईयों को लंदन से मंगवाया गया था। इसकी सबसे बड़ी सुई 6 फीट लंबी और छोटी सुई साढ़े चार फीट की है। घंटाघर में एक हाल और एक कमरा भी बना हुआ है। घड़ी तक जाने के लिए अंदर सीढ़ियां भी बनी हुई हैं। इसके अलावा लखनऊ में कई सारी जगहें हैं जिनको आप देख सकते हैं। इनमें छत्तर मंदिर, जामा मस्जिद, मोती महल, सआदत अली खान का मक़बरा और कैसरबाग पैलेस को देख सकते हैं।

क्या आपने नवाबों के शहर लखनऊ की यात्रा की है? अपने अनुभव को शेयर करने के लिए यहाँ क्लिक करें।

बांग्ला और गुजराती में सफ़रनामे पढ़ने और साझा करने के लिए Tripoto বাংলা और Tripoto ગુજરાતી फॉलो करें।

रोज़ाना टेलीग्राम पर यात्रा की प्रेरणा के लिए यहाँ क्लिक करें।

Further Reads