भारत की ऐतिहासिक विरासत के चर्चे केवल देश में ही नही बल्कि विदेश में भी होते आए हैं। यहाँ प्राचीन भारत के गौरवपूर्ण इतिहास को दर्शाते हुए किले और राजमहल हैं और प्रार्थना करने के लिए मंदिर, मस्जिद और गिरजाघर भी हैं। भारत में ऐसे भी ऐतिहासिक स्थल हैं जिनको देखने दूर-दूर से लोग आते हैं। ताजमहल, इंडिया गेट और लाल किला जैसे महान स्मारकों का जिक्र आते ही हर भारतवासी का सीना गर्व से चौड़ा हो जाता है। भारत में इनके जैसी तमाम जगहें हैं जिनको देखने सब आते हैं। लेकिन क्या आप जानते हैं हमारे देश में कुछ जगहें ऐसी भी हैं जो आज भी अनदेखी और अनसुनी हैं?
1. मलूटी
मलूटी झारखंड के छोटे से शहर शिकारीपाड़ा के नजदीक स्थित है जिसमें 72 टेराकोटा से बने मंदिर हैं। असलियत में इस जगह पर कुल 108 मंदिर हुआ करते थे लेकिन आज यहाँ केवल 72 मंदिर ही बचे हैं। इन मंदिरों के होने का श्रेय गोपालदास मुखर्जी को जाता है जिन्हें स्थानीय लोग बाटू दा के नाम से भी पुकारते हैं। बाटू दा के अथक प्रयासों के चलते आज मलूटी के आधे से ज्यादा मंदिर देखने लायक स्थिति में हैं। बाटू दा की कोशिशों को आगे बढ़ाते हुए झारखंड सरकार ने अब इन मंदिरों का व्यवस्थित रख रखाव की जिम्मेदारी अपने हाथों में ले ली है। मलूटी झारखंड की वो जगह है जिसको हर घुमक्कड़ को जरूर देखना चाहिए।
एंट्री फीस: फ्री
समय: सुबह से शाम तक
निकटतम रेलवे स्टेशन: रामपुरहाट रेलवे स्टेशन
2. रबदेन्त्से
रबदेन्त्से भारत की वो ऐतिहासिक जगह है जिसके बारे में भारतीयों को भी नहीं पता है। सिक्किम के सबसे पुराने मठों में से एक के नजदीक स्थित रबदेन्त्से पैलेस के अवशेष भारत की देखने लायक जगहों में से है। ये महल 1670 में टेनसंग नामज्ञा द्वारा बनवाया गया था। हालांकि आज ये पैलेस के अवशेष मात्र बाकी रह गए हैं जिनकी देखभाल भारत के आर्किलोजिकल सर्वे द्वारा की जाती है। इस पैलेस तक पहुँचने के लिए आपको मोनास्ट्री से 2 किमी. लंबा ट्रेक करना होता है। इस खंडहर हो चुके महल के आसपास घने जंगल भी हैं जिनमें ट्रेकिंग की जा सकती है। यदि आप किसी अनछुई जगह पर जाना चाहते हैं तो रबदेन्त्से अच्छा ऑप्शन है।
एंट्री फीस: फ्री
समय: सुबह 8 बजे से शाम 5 बजे तक
निकटतम रेलवे स्टेशन: न्यू जलपाईगुड़ी रेलवे स्टेशन
3. मध्यमहेश्वर मंदिर
मध्यमहेश्वर मंदिर भारत की उन अनदेखी जगहों में से है जिसका होना हर भारतीय नागरिक के लिए गर्व की बात है। समुद्र तल से लगभग 3265 मीटर की ऊँचाई पर स्थित उत्तराखंड का मध्यमहेश्वर मंदिर बेहद खास है। ये मंदिर भगवान शिव को समर्पित है जहाँ प्रार्थना करने के लिए गाँव के सभी लोग इकठ्ठा होते हैं। मध्यमहेश्वर मंदिर की लोकेशन भी बेहद खास है। मंदिर से आसपास के बेहतरीन नजारे दिखाई देते हैं जिनसे हर घुमक्कड़ का दिल खुश हो जाएगा। बर्फीले पहाड़ और हरे-भरे बुग्यालों का खूबसूरत मिश्रण इस मंदिर को देखने लायक बनाता है।
एंट्री फीस: फ्री
समय: सुबह से शाम तक
निकटतम रेलवे स्टेशन: देहरादून रेलवे स्टेशन
4. उंडावल्ली गुफाएँ
पत्थरों से बने ये मंदिर और स्मारक आंध्र प्रदेश के गुंटूर जिले में स्थित हैं। इन चार मंजिला गुफाओं में आपको तमाम हिंदू देवी-देवताओं की मूर्तियाँ और तस्वीरें उकेरी हुईं दिखाई देंगी। इन गुफाओं के अंदर भगवान विष्णु की एक विशाल मूर्ति भी है। आंध्र प्रदेश की ये गुफाएँ भारतीय आर्किटेक्चर को बखूबी दर्शाती हैं। यदि आप आंध्र प्रदेश घूमने जाने का प्लान बना रहे हैं तब आपको उंडावल्ली गुफाओं की यात्रा जरूर करनी चाहिए।
एंट्री फीस: 5 रुपए
समय: सुबह 9 बजे से शाम 5.30 बजे तक
निकटतम रेलवे स्टेशन: विजयवाड़ा रेलवे स्टेशन
5. तलातल घर
17वीं में बना तलातल घर अहोम साम्राज्य के राजा स्वर्गदेव रुद्र सिंघा द्वारा बनवाया गया था। कहा ये भी जाता है कि स्वर्गदेव रुद्र सिंघा अहोम साम्राज्य के सबसे शक्तिशाली राजाओं में से एक थे। तलातल घर अहोम साम्राज्य के शानदार आर्किटेक्चर के बेहतरीन उदाहरण है। लेकिन दुख की बात ये है कि अब ये जगह खंडहर मात्र रह गई है। रंगपुर के जोरहाट से केवल 60 किमी. की दूरी पर बना तलातल घर देखने लायक है। तलातल घर का इस्तेमाल पहले सैन्य शक्तियों द्वारा आर्मी बेस की तरह किया जाता था लेकिन आज ये जगह घुमक्कड़ों को खूब पसंद आती है।
एंट्री फीस: भारतीय पर्यटकों के लिए 15 रूपए और विदेशी पर्यटकों के लिए 300 रुपए
समय: सुबह से शाम तक
निकटतम रेलवे स्टेशन: सिंसागर रेलवे स्टेशन
6. नर्टियांग दुर्गा मंदिर
शिलोंग से लगभग दो घंटे दूरी पर बना नर्टियांग दुर्गा मंदिर केवल स्थानीय लोगों को ही नही बल्कि घुमक्कड़ों को भी अपनी ओर आकर्षित करता है। 500 साल पुराना ये मंदिर शक्ति हिंदू और खासी जैंतिया संस्कृतियों के मिश्रण का बेहतरीन उदाहरण है। नर्टियांग दुर्गा मंदिर में इन दोनों तरीकों से माँ दुर्गा को पूजा जाता है। मंदिर का प्रांगण भी बेहद खूबसूरत है। यदि आप सिक्किम में किसी ऐसी जगह पर जाना चाहते हैं जो सबसे अलग हो तो आप नर्टियांग दुर्गा मंदिर आ सकते हैं।
एंट्री फीस: फ्री
समय: सुबह 7 बजे से रात 8 बजे तक
निकटतम रेलवे स्टेशन: गुवाहाटी रेलवे स्टेशन
7. चंपानेर-पावागढ़ आर्किलोजिकल पार्क
1200 साल पुराने इतिहास को संजोए ये पार्क हिंदू और मुस्लिम धर्म के आपसी तालमेल का बेहतरीन उदाहरण है। चंपानेर का इलाका एक समय पर सोलंकी साम्राज्य के अंदर आता था 15वीं शताब्दी के बाद इस इलाके पर सुल्तान महमूद बेगदाद ने कब्जा कर लिया था। ये पूरा पार्क मंदिर, मस्जिद, किले और अन्य ऐतिहासिक स्मारकों से भरा हुआ है। यदि आपको इतिहास से लगाव है तो ये पार्क आपको बहुत पसंद आएगा। ये पार्क भारत की उन जगहों में से है जहाँ का इतिहास और कल्चर आज भी धार्मिक असमानताओं के नीचे दबा हुआ है। कम शब्दों में कहा जाए तो ये पार्क अपने आप में प्राचीन भारत के आइना जैसा है।
एंट्री फीस: 10 रुपए प्रति व्यक्ति
समय: सुबह 8.30 बजे से शाम 5 बजे तक
निकटतम रेलवे स्टेशन: वडोदरा रेलवे स्टेशन
8. ओसियां
राजस्थान को मंदिरों और किलों का गढ़ भी कहा जाए तो गलत नही होगा। अकेले राजस्थान में इतने महल, फोर्ट और मंदिर हैं कि इन्हें गिनना नामुमकिन है। इन्हीं सबके बीच ओसियन किसी रेगिस्तान में पानी मिलने की खुशी जैसा काम करता है। असल में ओसियां थार रेगिस्तान में मिलने वाले एक शाद्वल के नजदीक बना छोटा-सा इलाका है जो अक्सर डेजर्ट के सैंड ड्यून के आगे अनदेखा कर दिया जाता है। ओसियां 8वीं से 12वीं शताब्दी के बीच बनाए गए 16 बेहद खूबसूरत बौद्ध और जैन मंदिरों का घर है जिन्हें हर घुमक्कड़ को जरूर देखना चाहिए।
एंट्री फीस: फ्री
समय: सुबह से शाम तक
निकटतम रेलवे स्टेशन: जोधपुर रेलवे स्टेशन
9. अर्वलम गुफाएँ
नॉर्थ गोवा की अर्वलम गुफाओं को पांडव केव्स भी कहा जाता है। मान्यताओं के अनुसार महाभारत के समय पाँचों पाण्डव भाइयों ने वनवास के दौरान इसी गुफा में कुछ समय बिताया था। हालांकि महाभारत के अलावा ऐसी और भी कथाएँ हैं जिनसे इन गुफाओं को जोड़ा जाता है। कहा ये भी जाता है कि ये गुफाएँ बौद्ध और हिंदू धर्म से भी संबंधित थीं। पत्थर से बनी इन बेहतरीन गुफाओं में आप नक्काशी और पुराने समय में चलने वाली पेंटिंग भी देख सकते हैं। अर्वलम गुफाओं से हाइक करके आप अर्वलम वाटरफॉल भी देखने जा सकते हैं जो थोड़ी ही दूरी पर स्थित है।
एंट्री फीस: फ्री
समय: सुबह 8 बजे से दोपहर 1 बजे तक और दोपहर 2 बजे से शाम 5 बजे तक
निकटतम रेलवे स्टेशन: दाबोलिम रेलवे स्टेशन
10. शेट्टीहल्ली चर्च
कर्नाटक भारत के उन राज्यों में से है जिसका समृद्ध इतिहास हमेशा से देखने योग्य रहा है। कर्नाटक में ऐसे बहुत सारे महल और हवेलियाँ हैं जो देखने लायक हैं। इन तमाम चीजों के बीच कर्नाटक की हेमवती नदी के किनारे बना 200 साल पुराना शेट्टीहल्ली चर्च आपके अंदर बैठे जिज्ञासु को खुश कर देगा। इस चर्च की खासियत है कि हर साल बरसात के मौसम में ये पूरी तरह से पानी के नीचे डूब जाता है। नदी पर बने डैम की वजह से ऐसी स्थिति देखी जाती है। गर्मियों में पानी का स्तर कम होने के बाद ये चर्च वापस से दिखाई देने लगता है। फ्रेंच द्वारा बनाया गया दक्षिण भारत का ये नगीना देखने लायक है।
एंट्री फीस: फ्री
समय: सुबह से शाम तक
निकटतम रेलवे स्टेशन: हस्सन रेलवे स्टेशन
क्या आपने इनमें से किसी जगह की यात्रा की है ? अपने अनुभव को शेयर करने के लिए यहाँ क्लिक करें।
बांग्ला और गुजराती में सफ़रनामे पढ़ने और साझा करने के लिए Tripoto বাংলা और Tripoto ગુજરાતી फॉलो करें।
रोज़ाना टेलीग्राम पर यात्रा की प्रेरणा के लिए यहाँ क्लिक करें।