मुरैनाः प्राकृतिक और ऐतिहासिक जगहों का खजाना है मध्य प्रदेश का ये शहर

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Photo of मुरैनाः प्राकृतिक और ऐतिहासिक जगहों का खजाना है मध्य प्रदेश का ये शहर by Rishabh Dev
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मध्य प्रदेश घुमक्कड़ों के लिए एक पिटारा है। इसके अंदर जाने की जितनी कोशिश करेंगे कुछ न कुछ नया पाएँगे। मध्य प्रदेश में बहुत सारी जगहें हैं जहाँ टूरिस्टों की आवाजाही है। लेकिन कुछ जगहें ऐसी हैं जो ऐतहासिक और खूबसूरत होने के बावजूद बहुत कम लोग आते हैं। मध्य प्रदेश की एक ऐसी ही जगह है जहाँ बीहड़ हैं। जहाँ कभी बागी, डाकू रहा करते थे। आज आपको बताते हैं बुंदेलखंड के चंबल के ऐतहासिक शहर मुरैना के बारे में। क्यों आपको इस छोटी-सी जगह पर आना चाहिए? मुरैना में ऐसा क्या खास है? जो देखने लायक है।

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श्रेयः गोशैन।

मुरैना मध्य प्रदेश का एक शहर है जो ग्वालियर से 39 किमी. की दूरी पर है। मुरैना को देखने से पहले उसके बारे में भी जान लेना चाहिए। आज मुरैना एक बड़ा शहर है लेकिन कभी ये सिर्फ एक गाँव था। जहाँ आज मुरैना शहर है वहाँ से 8 किमी. दूर एक गाँव था, मुरैना। जहाँ आज शहर है उसके कुछ इलाके को सिकरवारी और कुछ इलाका तनवारगढ़ के नाम से जाना जाता था। मुरैना पर नागा, गुप्त, वर्धान, प्रतिहार, चंदेल और फिर मुगलों का शासन रहा। 1761 की पानीपत की लड़ाई में इस जगह पर सिंधिया घराने का कब्जा हो गया। 1948 में जब देश में उठक-पटक चल रही थी तब इस जगह का नाम पास के ही गाँव के नाम पर मुरैना रख दिया गया। मुरैना की सबसे प्रमुख नदी है चंबल। इसके अलावा कुँवर, आसन और डंक जैसी छोटी नदियाँ भी हैं।

क्या देखें?

1- बटेश्वर मंदिर

मुरैना में ऐतहासिक जगहों की भरमार है। आप इन जगहों को देखकर आश्चर्यचकित हो जाएँगे। उन्हीं में से एक है, बटेश्वर मंदिर। ये जगह लगभग 200 मंदिरों का एक समूह है। जिसमें भगवान शिव, विष्णु और हनुमान जी की मूर्तियाँ हैं। ये जगह ग्वालियर से लगभग 30 किमी. की दूरी पर है। 10 हेक्टेयर में फैली ये जगह चंबल घाटी की एक छिपी हुई जगह है। ये जगह अब भारत के पुरातत्विक सर्वेक्षण में आती है। कहा जाता है कि ये मंदिर 7वीं से 9वीं शताब्दी के बने हुए हैं। ऐतहासिक जगह तो ये है ही इसके अलावा आसपास की हरियाली भी इस जगह को खूबसूरत बनाती है। कभी मुरैना या ग्वालियर जाएँ तो इस जगह पर जाना ना भूलें।

2- सबलगढ किला

मुरैना से लगभग 70 किमी. दूर एक छोटा-सा कस्बा है, सबलगढ़। इस जगह को आज कोई न जानता हो लेकिन कभी इस जगह पर हर शासक की नजर रहती थी। इस जगह पर एक किला भी है जो उस समय के बारे में गवाही भी देता है। कहा जाता है कि इस जगह की स्थापना सबल नाम के गुर्जर ने की थी। 18वी शताब्दी में यहाँ करोली के यदुवंशी शासक गोपाल सिंह ने एक किले का निर्माण किया। बाद में मराठा, सिकरवार राजपूत और करोली शासकों ने बारी-बारी से शासन किया। बाद में इस जगह पर सिंधिया घराने का शासन हो गया। 100 फीट की ऊँची पहाड़ी पर बना ये किला देखने लायक है। किले का ज्यादातर हिस्सा जर्जर और टूटा-फूटा है लेकिन कुछ हिस्सा पूरी तरह से सही है। किले की नवल सिंह हवेली राजपूत वास्तुकला का शानदार उदाहरण है। यहाँ की ज्यादातर इमारतें मध्यवर्ती काल की है। अगर आप मुरैना आएँ तो इस जगह को भी देखा जा सकता है।

3- गन्ना बेगम का मकबरा

श्रेय: ग्वालियर प्लस।

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ग्वालियर से 25 किमी. दूर आगरा-मुंबई रोड पर एक रेलवे स्टेशन है, नूराबाद रेलवे स्टेशन है। वहीं पर गन्ना बेगम का मकबरा है। ये मकबरा मुगल काल का एक और शानदार उदाहरण है। छोटे और कई बड़े पिलरों से बना ये मकबरा देखने लायक तो है। ब्रिटिश अधिकारी कनिंघम ने इस मकबरे के बारे में लिखा है कि ये मकबरा मुगल सल्तनत के वजीर नूराबाद की बेगम का है। इस मकबरे को 1775 में वजीर गाजीउद्दीन ने बनवाया था। कहा जाता है गन्ना बेगम इतनी खूबसूरत थीं कि मुगल बादशाह मोहम्मद शाह का दिल उन पर आ गया था। आप मुरैना की इस जगह को भी अपनी बकेट लिस्ट में जोड़ सकते हैं।

4- चौसठ योगिनी मंदिर

मुरैना के उत्तर में एक जगह है, नरेसर। यहाँ सौ फीट की ऊँचाई पर एक मंदिर है, चौसठ योगिनी। इसकी बनावट को देखकर आपको लगेगा कि आपने संसद भवन को देख लिया है। कहा जाता है कि इसी जगह की तर्ज पर संसद भवन को बनाया गया है। 170 फीट के क्षेत्रफल में बनी ये जगह पूरी तरह से संसद भवन का एक नमूना है। इस मंदिर में चौसठ बड़े-बड़े कमरे और मंदिर है। मंदिर के बिल्कुल बीच में भगवान शिव का मंदिर है।

भारत में चौसठ योगिनी नाम के चार मंदिर हैं, दो मंदिर उड़ीसा में और दो मध्य प्रदेश में हैं। मुरैना का चौसठ योगिनी मंदिर सबसे पुराना मंदिर है और जो अच्छी स्थिति में भी है। ये मंदिर तंत्र-मंत्र के लिए जाना जाता था इसलिए इसे तांत्रिक यूनिवर्सिटी भी कहा जाता था। शानदार वास्तुकला वाले इस मंदिर तक पहुंचने के लिए 200 सीढ़ियों को चढ़ना होता है। जब आप यहाँ जाएँ तो मुरैना की सबसे फेमस जगह पर जाना न भूलें।

5-नेशनल चंबल सैंक्चुरी

नेशल चंबल सैंक्चुरी मुरैना से बहुत ज्यादा दूर नहीं है। यहाँ पर बहुत सारे जानवर मिल जाएँगे लेकिन ये सैंक्चुरी घड़ियाल के लिए फेमस है। ये जगह खास और खूबसूरत इसलिए भी है कि इसमें चंबल नदी भी आती है। मुरैना प्राकृतिक खूबसूरती की आनंद लेने के लिए चंबल नदी से अच्छी जगह कोई नहीं है। घड़ियाल के अलावा नदी के किनारे आपको मगरमछ, डाॅल्फिन और कछुआ भी देखने को मिल जाएँगे। इसके अलावा आपको साइबेरियन पक्षी भी इस नदी भी देखने को मिलेंगे। जब साइबेरियन पक्षी यहाँ आते हैं तो ये जगह और खूबसूरत हो जाती है। अगर आप मुरैना जाएँ तो नेशनल चंबल सैंक्चुरी जरूर जाएँ।

कहाँ ठहरें?

मुरैना मैदानी क्षेत्र है इसलिए आप यहाँ कभी भी जा सकते हैं लेकिन मेरी मानें तो यहाँ जाने का सबसे अच्छा समय है नवंबर से फरवरी का। बुंदेलखंड में गर्मी बहुत पड़ती है उस समय जाएँगे तो आप मुरैना को सही से नहीं देख पाएँगे। इसलिए सर्दियों में मुरैना जाएँ। मुरैना मध्य प्रदेश का एक बड़ा शहर है इसलिए आपको यहाँ होटल मिल जाएंगे। यहाँ आप अपने बजट के हिसाब से छोटे-बड़े होटल को ले सकते हैं। मुरैना में टूरिस्ट बहुत कम आते हैं इसलिए यहाँ हाॅस्टल जैसी कोई सुविधा नहीं है।

कैसे पहुंचे?

मुरैना रेल, फ्लाइट और सड़क मार्ग से अच्छी तरह से जुड़ा हुआ है। अगर आप ट्रेन से आने की सोच रहे हैं तो मुरैना में ही रेलवे स्टेशन है। इसके अलावा अगर आप फ्लाइट से आना चाहते हैं तो ग्वालियर में एयरपोर्ट है। ग्वालियर से मुरैना की दूरी 40 किमी. है। आप ग्वालियर से बस या टैक्सी बुक करके आ सकते हैं। इसके अलावा अगर आप अपनी गाड़ी से आना चाहते हैं तब भी बड़े आराम से आ सकते हैं। मुरैना के बारे में ज्यादातर लोगों को पता नहीं है लेकिन जब आप यहाँ आएँगे तो यकीन मानिए निराश नहीं होंगे।

क्या आपने कभी मध्य प्रदेश के मुरैना की यात्रा की है? अपने सफर का अनुभव यहाँ लिखें।

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