ग्वालियर फोर्ट: झांसी की रानी से लेकर राजा भोज और गंगू तेली की कहानियाँ लिए खड़ा है ये किला! 

Tripoto

इतिहास के पन्नों पर भारत गौरव से डटा हुआ है। भारतीय इतिहास जितना समृद्ध है, उसे समझना और सहेजना हमारी जिम्मेदारी है। घुमक्कड़ों को प्राकृतिक छटा जितना आकर्षित करता है, उतना ही ऐतिहासिक इमारतें और पुरानी जगहें भी अपनी ओर खींचती हैं। ऐतिहासिक जगहों पर जाने से आप ना केवल पर्यटन का सुख लेते हैं बल्कि अपने ज्ञान को भी बढ़ाते हैं। प्राकृतिक सौंदर्य, सांस्कृतिक विरासत, भौगोलिक स्थिति की वजह से मध्यप्रदेश वैसे भी टूरिस्टों की लिस्ट पर राज करता है लेकिन कई बेहतरीन जगहें अब भी नज़रों से ओझल हैं। यहाँ हम ऐसे ही ख़ास जगह के बारे में बताने जा रहे हैं जो कि अपने आप में इतिहास को समेटे हुए है।

श्रेय: फ्लिकर

Photo of ग्वालियर का क़िला, Gwalior, Madhya Pradesh, India by Rupesh Kumar Jha

'हिन्दुस्तान का दिल' कहे जाने वाले मध्य प्रदेश में लगभग 14 राजवंशों ने अपना उत्थान और पतन देखा है। इनमें मौर्य, राष्ट्रकूट व गुप्त वंश से लेकर बुंदेल, होल्कर, मुगल व सिंधिया जैसे राजवंश शामिल हैं। उस दौरान यहाँ के राजाओं ने अपने-अपने शासनकाल में कला व वास्तुशैली को विभिन्न रूपों में विकसित किया था। वास्तुकला के अनुपम नगीने से कम नहीं है, ग्वालियर का शानदार किला!

ग्वालियर फोर्ट क्यों है मशहूर?

श्रेय: विकिमीडिया

Photo of ग्वालियर फोर्ट: झांसी की रानी से लेकर राजा भोज और गंगू तेली की कहानियाँ लिए खड़ा है ये किला! by Rupesh Kumar Jha

अगर आप किलों और महलों को देखने के शौकीन हैं तो मध्यप्रदेश में आप भारत की संस्कृति और वैभव के परिपूर्ण ‘ग्वालियर किले’ को देख सकते हैं। गोपाचल पहाड़ी पर स्थित ग्वालियर शहर का प्रमुख स्मारक ‘ग्वालियर फोर्ट’ मध्यकालीन स्थापत्य के अद्भुत नमूनों में से एक है। 8वीं सदी में राजा मान सिंह तोमर ने इसका निर्माण करवाया था। 3 वर्ग किलोमीटर के दायरे में फैले इस किले की ऊँचाई 35 फीट है। लाल बलुए पत्थर से बना यह किला देश के सबसे बड़े किलों में शुमार किया जाता है। इतिहास पर गौर करें तो इस किले पर मुगलों से लेकर ब्रिटिश शासकों ने राज किया। ‘शून्य’ से जुड़े दस्तावेज जो कि करीब 1500 वर्ष पुराने हैं, इसी किले के एक मंदिर में पाए गए थे।

किला मान मंदिर पैलेस व गुजरी पैलेस इन दो भागों में बंटा है जिसे अब म्यूज़ियम बना दिया गया है। 15वीं शताब्दी में बनाया गया गुजरी महल राजा मानसिंह व रानी मृगनयनी के गहरे प्रेम का प्रतीक बताया जाता है। किले पर चलने वाला लाइट एंड साउंड शो टूरिस्टों को ख़ासा आकर्षित करता है जिसमें ग्वालियर के इतिहास की गाथा जानने को मिलती है। पर्यटन के लिहाज से यहाँ आएँगे तो आपका दिल बाग-बाग हो जाएगा।

श्रेय: फ्लिकर

Photo of ग्वालियर फोर्ट: झांसी की रानी से लेकर राजा भोज और गंगू तेली की कहानियाँ लिए खड़ा है ये किला! by Rupesh Kumar Jha

कैसी है किले की बनावट?

श्रेय: मोनीदीपा बोस

Photo of ग्वालियर फोर्ट: झांसी की रानी से लेकर राजा भोज और गंगू तेली की कहानियाँ लिए खड़ा है ये किला! by Rupesh Kumar Jha

बनावट की बात करें तो किला बेहद शौक से बनाया जान पड़ता है। किले में प्रवेश करने के लिए दो रास्ते हैं। पहला रास्ता ग्वालियर गेट व दूसरा ऊरवाई गेट है। गोपाचल पहाड़ी तक जाने वाली रास्तों की चट्टानों पर खूबसूरत नक्काशी देख सकते हैं। किले की बाहरी दीवारें 2 मीटर लंबी व 1 से 200 मीटर तक चौड़ी है। किले को मुख्य द्वार को हाथीपुल कहते हैं। स्तम्भों पर आपको ड्रैगन की नक्काशी देखने को मिलेंगी। फोर्ट कई स्मारक, मंदिर और अनेक महलों से सुसज्जित है। अगर आप यहाँ पहँचेंगे तो देखकर हैरत में पड़ जाएँगे। समृद्ध इतिहास की परतों को खोलता ये फोर्ट आपको अपनी ओर खींचता है।

लक्ष्मीबाई के बलिदान का गवाह

श्रेय: अनुमेहा गुप्ता

Photo of ग्वालियर फोर्ट: झांसी की रानी से लेकर राजा भोज और गंगू तेली की कहानियाँ लिए खड़ा है ये किला! by Rupesh Kumar Jha

ग्वालियर किला झांसी की रानी लक्ष्मीबाई के बलिदान का गवाह रहा है। उन्होंने अंग्रेजों के खिलाफ लड़ते हुए 1 जून 1858 को मराठा विद्रोहियों के साथ मिलकर इस किले पर कब्जा कर लिया था। इसके बाद 16 जून को जनरल ह्यूज़ के नेतृत्व वाली ब्रिटिश सेना ने किले पर हमला बोल दिया और इसी लड़ाई में 18 जून को रानी लक्ष्मीबाई को गोली लग गई और वो शहीद हो गईं। यहाँ उनकी याद में समाधि बनाई गई है और हरेक साल यहाँ एक शहीद मेले का आयोजन भी किया जाता है।

घूमने की अन्य जगहें

गोपाचल पर्वत

श्रेय: फ्लिकर

Photo of ग्वालियर फोर्ट: झांसी की रानी से लेकर राजा भोज और गंगू तेली की कहानियाँ लिए खड़ा है ये किला! by Rupesh Kumar Jha

ग्वालियर फोर्ट इसी पहाड़ी पर मौजूद है, जहाँ महलों और राजशाही इतिहास को जानने के बाद आप पहाड़ी पर ज़रूर घूमें। पहाड़ी पर लगभग 1500 मूर्तियाँ हौजूद हैं जिन्हें पहाड़ी चट्टानों को काटकर बनाया गया है। मूर्तिकला को जानने वाले लोग इसे बड़े चाव से देखते हैं। बताया जाता है कि ज्यादातर मूर्तियों का निर्माण तोमर वंश के राजा डूंगर सिंह और कीर्ति सिंह (1341-1479) ने अपने समय में कराए थे। यहाँ मौजूद भगवान पार्श्वनाथ की पद्मासन मुद्रा वाली मूर्ति को लोग चमत्कारी मानते हैं। 1527 में मुगल सम्राट बाबर ने किले पर कब्जा जमाने के बाद यहाँ की मूर्तियों को नुकसान पहुँचाया। टूटे मूर्तियों के टुकड़े आपको यहाँ देखने को मिलेंगे।

तेली का मंदिर

श्रेय: फ्लिकर

Photo of ग्वालियर फोर्ट: झांसी की रानी से लेकर राजा भोज और गंगू तेली की कहानियाँ लिए खड़ा है ये किला! by Rupesh Kumar Jha

आपने तो ये सुन ही रखा होगा, कहाँ राजा भोज, कहाँ गंगू तेली! जी हाँ, यहाँ तेली का मंदिर मिलता है जिसे प्रतिहार सम्राट मिहिर भोज ने बनवाया था। इसे तेली का मंदिर भले कहा जाता है लेकिन यहाँ भगवान विष्णु का मंदिर बनाया गया था जो कि बाद में शिव मंदिर के रूप में तब्दील हो गया। बताया जाता है कि ये तब्दीली मुगलों के आक्रमण के दौरान की गई। इसमें दक्षिण और उत्तर भारतीय स्थापत्य शैली का मिश्रण देखने को मिलता है।

जैन मंदिर

जानकर हैरानी हो सकती है कि ग्वालियर फोर्ट के अंदर ग्यारह जैन मंदिर हैं। 7वीं से 15वीं शताब्दी के बीच निर्मित सिद्धाचल जैन मंदिर की गुफाएँ देखने लायक है। वहीं उर्वशी किले में भी एक मंदिर मौजूद है जिसमें तीर्थंकरों की कई प्रतिमाएँ देखने को मिलती हैं। यहाँ जैन तीर्थंकरों की सैकड़ों मूर्तियाँ हैं जो कि कई फीट लम्बी हैं। उर्वशी मंदिर की सबसे बड़ी मूर्ति उर्वशी गेट के बाहर है जो 58 फीट 4 इंच ऊँची है।

ग्वालियर गुरुद्वारा

श्रेय: फ्लिकर

Photo of ग्वालियर फोर्ट: झांसी की रानी से लेकर राजा भोज और गंगू तेली की कहानियाँ लिए खड़ा है ये किला! by Rupesh Kumar Jha

सिखों के लिए इस स्थान का बड़ा महत्व है। यहाँ का दाता बंदी छोड़ गुरुद्वारा वर्ष 1970 में गुरु हरगोबिंद सिंह की याद में बनाया गया था। बता दें कि सिखों छठे गुरु हरगोबिंद साहिब को यहाँ गिरफ्तार किया गया था। जहाँगीर ने गुरु गोबिंद साहिब को दो साल तक कैद में रखा था। दिलचस्प बात ये है कि जब उन्हें रिहा किया गया तो उन्होंने अपने साथ बंदी 52 कैदियों को छोड़ने की गुजारिश की जो कि हिन्दू राजा थे।

इसके अलावे गरुड़ स्तंभ, सहस्त्रबाहु, मान मंदिर, जौहर कुंड, कर्ण महल, विक्रम महल, भीम सिंह राणा की छत्री सहित अनेक ऐसी जगहें हैं जो कि ग्वालियर में घूमा जा सकता है। इतिहास, आध्यात्म, वास्तुकला का संगम शहर ग्वालियर आपको स्पेशल एक्सपीरियंस कराता है।

कब और कैसे पहुँचें?

वैसे तो किला सालभर पर्यटकों के लिए खुला होता है लेकिन गर्मी और बरसात से बचना हो तो सर्दियों में यहाँ की यात्रा करें। ग्वालियर फोर्ट घूमने का सबसे बेहतरीन समय दिसंबर से लेकर मार्च तक का होता है। यहाँ आपको रहने के लिए ₹1000 से ₹3000 तक बजट होटल से लेकर लक्जरी होटल तक मिल जाते हैं।

फोर्ट मध्यप्रदेश के ग्वालियर जिले में है और यहाँ आप हवाई जहाज, ट्रेन और बस से आसानी से आ सकते हैं। ग्वालियर में हवाई अड्डा मौजूद है जहाँ आप दिल्ली, आगरा, इंदौर, भोपाल, मुंबई, जयपुर आदि शहरों से पहुँच सकते हैं। वहीं ग्वालियर में रेलवे स्टेशन है जो कि देश के कई प्रमुख शहरों से जुड़ी हुई है। ग्वालियर आने के लिए बस या फिर टैक्सी से आ सकते हैं। आगरा से नज़दीक होने की वजह से आप रोड ट्रिप भी प्लान कर सकते हैं।

अगर आप भी किसी ऐसी जगहों के बारे में जानते हैं तो Tripoto समुदाय के साथ यहाँ शेयर करें!

रोज़ाना वॉट्सऐप पर यात्रा की प्रेरणा के लिए 9319591229 पर HI लिखकर भेजें या यहाँ क्लिक करें

Further Reads