मध्य प्रदेश भारत के दिल में बसा है। ये राज्य शक्तिशाली बाघ का राज्य है, यह झरने, घने जंगलों और ऐतिहासिक खंडहरों का राज्य है, और ये राज्य हमारे गौरवशाली अतीत का राज्य है। मध्य प्रदेश को सैलानी अक्सर ज़्यादा मशहूर और आस-पास के दूसरे राज्यों के बीच नज़रअंदाज़ कर देते है। लेकिन मध्य प्रदेश भीड़-भाड़ से अलग लेकिन पर्यटक स्थलों से भरपूर, अपने आप में अलग ही जगह है। भीमबेटका में हजारों साल पुरानी गुफाएँ, खजुराहो के कामुक मंदिर, मांडू और ओरछा के विचित्र छोटे गाँवों के महल और किले, और कई राष्ट्रीय उद्यान मध्य प्रदेश को एक ऐसा राज्य बनाते हैं जिसे घूमने का अनुभव आप कभी नहीं भुला पाएँगे।
अगर राजस्थान हमारे समृद्ध देश का शाही अतीत है, तो मध्य प्रदेश ऐतिहासिक दिल है। आइए, भारत के दिल में, हमारे अविश्वसनीय अतीत पर एक नज़र डालें।
मध्य प्रदेश में घूमना-फिरना
मध्य प्रदेश राजमार्गों और रेलवे नेटवर्क के ज़रिए बाकी राज्यों से अच्छी तरह जुड़ा हुआ है। यहाँ पाँच हवाई अड्डे (ग्वालियर, जबलपुर, खजुराहो, भोपाल और इंदौर) भी हैं, जिनमें से दो अंतरराष्ट्रीय (भोपाल और इंदौर) हैं।ये सभी प्रमुख भारतीय शहरों से अच्छी कनेक्टिविटी रखते हैं। हालांकि, मध्य प्रदेश को देखने और समझने का सबसे अच्छा तरीका सड़क मार्ग है।
अगर आप राज्य को ड्राइव कर घूमना चाहते हैं तो आप किसी भी राज्य से एक सेल्फ ड्राइव कार किराए पर ले सकते हैं। आप इसके लिए टैक्सी भी ले सकते हैं। कीमतें ₹9 प्रति कि.मी. से शुरू होती हैं, जिसमें फ्यूल चार्ज, टोल शुल्क और दूसरे खर्च शामिल नहीं है।
मध्य प्रदेश की खोज
पहला दिन
मध्य प्रदेश घूमने की शुरुआत के लिए राजसी पहाड़ी किले से घिरा हुआ ग्वालियर सबसे अच्छी जगह होगी। ग्वालियर का किला शहर के आसमान को सजाता है वहीं विशाल जय विलास पैलेस आज़ादी के बाद शहर के बढ़ते महत्व की कहानी बयां करता है। विशाल जैन मूर्तियां और विनम्र पुरातात्विक संग्रहालय भी बेहद रोचक स्थान हैं।
ग्वालियर में क्या देखें
1. ग्वालियर किले पर जाकर अपने दिन की शुरुआत करें। भारतीय किलों के मोती के रूप में जाना जाने वाला यह किला, राजसी और अद्भुत है। किले में दो प्रवेश द्वार हैं: पूर्वी तरफ से प्रवेश के लिए चढ़ाई करनी होती है जो आपको किले का एक शानदार दृश्य पेश करती है, जबकि आप कार को पश्चिमी तरफ, उरवाई गेट तक ले जा सकते हैं। पश्चिम प्रवेश द्वार के रास्ते में आप उँचे खड़ी जैन संरचनाओं को भी देख सकते हैं।
प्रवेश शुल्क ₹75 है और बच्चों के लिए ₹40 है। किला सुबह 8 से शाम 6 बजे तक खुला रहता है।
2. किले के बाद राज्य पुरातत्व संग्रहालय जाएँ। 15 वीं शताब्दी के गुजरी महल में बने संग्रहालय का प्रवेश द्वार पर सरडुलस (पौराणिक मानव-शेर) आपका स्वागत करता है। अंदर हिंदू, जैन और बौद्ध मूर्तियों के बड़े संग्रह हैं।
भारतीयों के लिए प्रवेश शुल्क ₹10 और विदेशी नागरिकों के लिए ₹100 है। संग्रहालय मंगलवार से रविवार तक सुबह 10 से शाम 5 बजे के बीच खुला रहता है।
3. ग्वालियर किले पर आकर्षक लाइट एंड साउंड शो के साथ दिन को खत्म करें। यह सांस्कृतिक रूप से समृद्ध शहर के गौरवशाली इतिहास के बारे में जानने का एक शानदार तरीका है।
हिंदी में दो शो, शाम 6.30 बजे से 7.30 बजे होता है और अंग्रेजी में 7.30 बजे से 8.30 बजे। इसका टिकट ₹ 75 प्रति व्यक्ति है।
दूसरा दिन
आज, जय विलास पैलेस की यात्रा के साथ दिन की शुरुआत करें और इसे ओरछा में समाप्त करें।
जय विलास पैलेस में क्या देखें
1. महाराजा जयजी राव द्वारा 1874 में बनाया गया, शानदार जय विलास पैलेस, कट-ग्लास फर्नीचर, मृत बाघों और सिर्फ स्त्रियों के लिए बनाए गए सरोवर जैसी विचित्र चीजों से भरा है। महल और सिंधिया संग्रहालय में कुछ 35 कमरे हैं और किले से कैदियों द्वारा बनाए गए थे। शाही दरबार (दरबार हॉल) में दो 12.5 मीटर ऊंचे, 3.5 टन के झूमर हैं, जिन्हें दुनिया की सबसे बड़ी झूमर कहा जाता है। भोजन कक्ष में एक दिलचस्प रेलवे ट्रैक के मॉडल के चांदी की ट्रेन है जो माना जाता है कि खाने के बाद ब्रांडी और सिगार को मेज़ की चारो और पहुँचाती थी।
भारतीयों के लिए प्रवेश शुल्क ₹100 है। महल और संग्रहालय गर्मियों में सुबह 10 बजे से शाम 6 बजे और सर्दियों में सुबह 10 से शाम 5.30 बजे के बीच और मंगलवार से रविवार तक खुले रहते हैं।
2. जय विलास पैलेस को इत्मीनान से देखने के बाद, ओरछा के लिए प्रस्थान करें। ग्वालियर से 123 कि.मी. की दूरी पर स्थित, यह दो घंटे की ड्राइव है।
ग्वालियर में कहाँ ठहरें: ताज उषा किरण पैलेस और नीमराना का - दिओ बाग शानदार स्थान हैं। आप यहाँ बाकी विकल्प देख सकते हैं।
तीसरा दिन
ओरछा इतिहास और विरासत का एक बेहतरीन संगम है, जो एक शांत शहर में बसा हुआ है। राजपूत स्मारकों पर मुग़ल वास्तुकला की छाप का अहम नमूना ओरछा, शानदार महल, खूबसूरती से सजी मंदिर और शाही छत्रियों से सजा हुआ ह। इस छोटे से शहर को एक ही दिन में देखा जा सकता है, क्योंकि देखने के सभी स्थान एक दूसरे के 2-3 कि.मी. की दूरी पर ही हैं।
ओरछा में क्या देखें
1. ओरछा किला परिसर घूमने से अपने दिन की शुरुआत करें। किले की दीवारों के बीच एक बड़ा क्षेत्र, तीन महलों के साथ शामिल है। सबसे पहले है राजा महल, एक आलीशान शाही महल है जिसे देवताओं, पौराणिक जानवरों और लोगों के सामाजिक और धार्मिक कथाओं के चित्रों से सजाया गया है।
अगला है शीश महल, जिसे राजाओं के आने-जाने के लिए एक अतिथिगृह के रूप में बनाया गया था और अब एक होटल में बदल दिया गया। शीश महल के दोनों शाही सुइट शहर के का सुंदर नज़ारा पेश करते हैं और मेहमानों को शाही जीवन में एक छोटी सी झलक देते हैं। शीश महल के ठीक बगल में जहाँगीर महल है, जो भारत के तत्कालीन राजा जहाँगीर के लिए बनाया गया था, जो सिर्फ एक रात के लिए ओरछा में रुकने वाले थे। आज शाही महल में कई कमरे हैं, और बारीक जाली डिजाइन के काम वाली खिड़कियाँ हैं।
किले के परिसर में प्रवेश शुल्क ₹10 है। किला हर दिन सुबह 10 से शाम 5 बजे तक खुला रहता है। ओरछा किला परिसर का टिकट अपने पास रखें क्योंकि यह टिकट ये दूसरे दर्शनीय स्थलों में भी काम आएगा।
2. इसके बाद चतुर्भुज मंदिर का रुख करें, जिसकी शानदार ऊँची मिनारें शहर के हर कोने और गली से दिखाई देती है। मंदिर भगवान राम के लिए बनाया गया था लेकिन ये कभी वास्तविक मंदिर का रूप नहीं ले पाया। जो मूर्ति मंदिर के अंदर होनी थी उसे ओरछा के किले में रखवा दिया गया और तब से इस मंदिर क में कोई मूर्ति नहीं है। मंदिर की छत पर जाने के लिए आपको एक ऊँची और कुछ अंधेरी सढ़ियों को पार करना होगा। छत से आप बेतवा नदी और ओरछा किले का बेजोड़ नज़ारे का आनंद ले सकते हैं।
3. इसके बाद राम राजा मंदिर और लक्ष्मी नारायण मंदिर जाएँ। राम राजा मंदिर को मधुकर शाह की रानी के लिए एक महल के रूप में बनाया गया था, लेकिन इसे एक मंदिर में परिवर्तित कर दिया गया था। पौराणिक कथा के अनुसार ऐसा इसलिए किया गया क्योंकि मंदिर के अंदर रखी भगवान राम की मूर्ति स्थापना के बाद हिलाई नहीं जा सकी। आज मंदिर भारत में एकमात्र ऐसा मंदिर है जहाँ भगवान राम को भगवान के रूप में नहीं बल्कि राजा के रूप में पूजा जाता है।
राम राजा मंदिर सर्दियों (अक्टूबर- मार्च) में सुबह 9 बजे से 12.30 बजे और शाम 7 बजे से 10.30 बजे तक, और गर्मियों में (अप्रैल - सितंबर) सुबह 8 बजे से 12.30 बजे से और शाम 8 बजे से 10.30 बजे तक खुला रहता है।
लक्ष्मी नारायण मंदिर एक पहाड़ी की चोटी पर स्थित है और एक अनोखी बनावट वाला मंदिर है जहाँ बाहरी संरचना आकार तिकोने आकार की है जबकि अंदर का हिस्सा चौकोर है। लक्ष्मी नारायण मंदिर हर दिन, सुबह 10 बजे से शाम 5 बजे तक खुला रहता है।
4. आखिर में, शाही छत्रियों को देखने के लिए वक्त निकालें। ये मूल रूप से शाही राजाओं और उनके दरबार के उँचे पदाधिकारियों के मकबरे हैं। ये छत्रियाँ एक परिसर के अंदर हैं, जिसमें हर छत्रि के चारों ओर सुंदर गुलाब के बगीचे हैं। आप सभी छत्रियों की छत पर जा सकते हैं और बेतवा नदी के नज़ारों का आनंद ले सकते हैं। ये परिसर सुबह 10 बजे से शाम 5.30 बजे तक खुला रहता है।
4. ओरछा किले में एक साउंड एंड लाइट शो के साथ दिन का समापन करें और इस छोटे लेकिन शक्तिशाली शहर के राजाओं और रानियों के इतिहास के बारे में सीखें। इस शो की टिकट ₹100 है। मार्च से नवंबर तक, अंग्रेजी शो शाम 7.30 बजे होता है और हिंदी 8.45 बजे शुरू होता है। दिसंबर से फरवरी के बीच, अंग्रेजी में एक के लिए शाम 6.30 बजे और हिंदी के लिए 7.45 बजे हैं।
ओरछा में कहाँ ठहरें: ओरछा पैलेस एंड कन्वेंशन सेंटर और बुंदेलखंड रिवरसाइड कुछ अच्छे विकल्प हैं। आप यहाँ से भी दूसरे विकल्प देख सकते हैं।
चौथा दिन
अपनी यात्रा के चौथेदिन, ओरछा और खजुराहो की ओर प्रस्थान करें, जो ओरछा से 180 कि.मी. दूर, लगभग तीन से चार घंटे की ड्राइव पर है। कामुक मूर्तियों के साथ मंदिरों के समूह के लिए प्रसिद्ध, खजुराहो भारतीयों और विदेशियों के बीच एक लोकप्रिय पर्यटन स्थल है। 950AD से 1050AD के बीच बने ये मंदिर आश्चर्यजनक हैं और यहाँ तक कि सभी पर्यटकों के आकर्षन का केंद्र भी। यूनेस्को विश्व धरोहर स्थल के तौर पर शामिल खजुराहो के मंदिरों की मूर्तिकला ध्यान के कई रूपों, आध्यात्मिक शिक्षाओं, रिश्तेदारी, कुश्ती, राजसी गाथाएँ और सबसे अहम, कामुक कला को प्रदर्शित करते हैं।
खजुराहो में क्या देखें
1. सबसे पहले मंदिरों के पश्चिमी समूह पर जाएँ, जो शहर के सबसे अद्भुत और अच्छी तरह से संरक्षित मंदिर हैं। पश्चिमी समूह के मंदिरों में प्रवेश शुल्क ₹30 है। मंदिरों का दौरा करने के लिए कोई निश्चित समय नहीं हैं, लेकिन ये सूर्योदय से खुलकर सूर्यास्त के वक्त बंद हो जाते हैं।
2. आप बॉलीवुड के शहंशाह, अमिताभ बच्चन द्वारा सुनाए गए साउंड एंड लाइट शो के साथ दिन को समाप्त कर सकते हैं। टिकटों की कीमत बड़ों के लिए ₹200 बच्चों के लिए ₹100 है। शो अंग्रेजी और हिंदी दोनों में आयोजित किया जाता है और अंग्रेजी में शाम 6.30 बजे और हिंदी में शाम 7.40 पर है।
पाँचवा दिन
इस दिन की यात्रा बाकी मंदिर घूमने से शुरू कर बांधवगढ़ नेशनल पार्क पहुंचकर खत्म करें।
1. आज, मंदिर के अन्य दो मंदिर परिसरों, दक्षिणी और पूर्वी समूह की यात्रा के साथ दिन की शुरुआत करें। पूर्वी समूह में मूर्तिकला वाले कई जैन मंदिर हैं। दक्षिणी समूह में केवल दो मंदिर हैं। इनके लिए कोई प्रवेश शुल्क नहीं है और ये भी सूर्योदय से सूर्यास्त तक खुले रहते हैं।
2. चूंकि मंदिर के परिसरों के अलावा खजुराहो में देखने के लिए बहुत कुछ नहीं है, इसलिए अब आप बांधवगढ़ राष्ट्रीय उद्यान का रुख कर सकते हैं।
खजुराहो में कहाँ ठहरें: रमाडा खजुराहो और रैडिसन जैस होटल, खजुराहो के लोकप्रिय विकल्प हैं। आप यहाँ बाकी विकल्पों की तलाश कर सकते हैं।
छठा दिन
बांधवगढ़ राष्ट्रीय उद्यान खजुराहो से लगभग 230 कि.मी. दूर है, लगभग पाँच से छह घंटे की ड्राइव। बाघों के लिए भारत का सबसे प्रिय घर, बांधवगढ़ राष्ट्रीय उद्यान में दुनिया में सबसे ज्यादा रॉयल बंगाल बाघ पाए जाते हैं। बाघ के करीब पहुँचने पर जो खौफ और रोमांच का अनुभव शब्दों में बयां नहीं किया जा सकता।
बांधवगढ़ में क्या देखें
1. चूंकि आपने बांधवगढ़ पहुँचने के लिए लगभग छह घंटे की यात्रा की है, इसलिए इस दिन के लिए सबसे अच्छी चीज़ आराम होगी तो बस अपने आसपास के हरे-भरे जंगल की सुंदरता में खो जाइए।
सातवां दिन
1. आज, दिन की शुरुआत सुबह-सुबह जंगल सफारी से करें। अप्रैल से जून के महीनों में सफारी सुबह 5.30 बजे से शुरू होती है, फरवरी और मार्च के महीनों में 6 बजे और अक्टूबर से फरवरी के महीनों में 6.30 बजे। बांधवगढ़ राष्ट्रीय उद्यान स्तनधारियों (मैमल) की 37 से अधिक प्रजातियों, पक्षियों की 250 प्रजातियों और तितलियों की 80 प्रजातियों का घर है और भारत में बाघों को देखने के लिए सबसे अच्छी जगहों में से एक है।
2. आप अपनी यात्रा समाप्त करने से पहले दोपहर में दूसरी सफारी के लिए जा सकते हैं या अपने रिसॉर्ट में आराम कर सकते हैं।
बांधवगढ़ में कहाँ ठहरें: सायना टाइगर रिज़ॉर्ट बांधवगढ़ और टाइगर का डेन रिज़ॉर्ट अच्छे विकल्प हैं। आप यहाँ बाकी विकल्प देख सकते हैं।
तो चलिए हिंदुस्तान के दिल में झांकने की तैयारियाँ कर लीजिए और फटाफट मध्य प्रदेश की टिकट बुक कर लीजिए।
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