चलिए एक कहानी सुनाता हूं। बहुत पुरानी बात है, एक महिला एक दिन पहाड़ों में नदी में अपने कपड़े धो रही थी। तभी उसे एक सुंदर पत्थर दिखाई दिया। उसे वो पत्थर इतना अच्छा लगा कि वो उसको घर ले आई। रात को महिला ने पत्थर को देखा तो वो हैरान रह गई। रात के अंधेरे में पत्थर चमक रहा था। तभी से इस जगह का नाम सुंदरधुंगा हो गया। सुंदरधुंगा उत्तराखंड की सबसे खूबसूरत और अनछुई जगहों में से एक है। सही मायने में उत्तराखंड की खूबसूरती कर गवाह बनना है तो आपको सुंदरधुंगा आना चाहिए।
सुंदरधुंगा घाटी में इसी नाम की बेहद खूबसूरत नदी बहती है जो इसे और भी खूबसूरत बनाती है। सुंदरधुंगा घाटी अल्मोड़ा से कुछ ही किलोमीटर की दूरी पर है। इसके लिए आपको लोहारखेत जगह पर पहुँचना होगा जो अल्मोड़ा से लगभग 60 किमी. की दूरी पर है। इसके बाद आप सुंदरधुंगा जैसी खूबसूरत जगह पर पहुँच सकते हैं। इस वैली की खूबसूरती देखने के लिए आपको एक लंबा ट्रेक करना होगा। इस ट्रेक में आपको पिंडरी और कफनी ग्लेशियर ट्रेक भी मिलते हैं।
सुंदरधुंगा वैली ट्रेक
सुंदरधुंगा घाटी उत्तराखंड के कुमाऊँ में आती है। लोहारखेत और खाती गाँव होते हुए ये ट्रेक पिंडरी होते हुए 8 दिन तक आप इस घाटी में घूमते हैं। समुद्र तल से 6 हजार मीटर की ऊँचाई से भी ज्यादा वाला ये ट्रेक हर किसी के वश में नहीं हैं। अगर आपने पहले से कई ट्रेक किए हैं तब आपको ये ट्रेक करना चाहिए। मगर इतना पक्का है कि जो भी ये ट्रेक करेगा उसे हिमालय के सबसे खूबसूरत नजारों को देखने का मौका मिलेगा।
कब करें?
मानसून के मौसम में पहाड़ों में जाना सबसे खतरनाक माना जाता है। उस समय आपको पहाड़ों की यात्रा बिल्कुल भी नहीं करनी चाहिए। उत्तराखंड की सुंदरधुंगा वैली जाने के लिए सबसे बेस्ट टाइम अप्रैल से जून और सितंबर से अक्टूबर का माना जाता है। इस समय इस घाटी का मौसम भी खुशनुमा होता है और नजारे भी देखने को मिलते हैं। आपको एक बार जरूर इस खूबसूरत नजारों वाली घाटी में आना चाहिए।
लोहारखेत - धाकुरी - जटोली - कठालिया - मैकटोली टॉप/सुखराम केव - कठालिया - जटोली - धाकुरी - लोहाखेत
कैसै करें ट्रेक?
दिन 1: काठगोदाम से लोहारखेत
उत्तराखंड के काठगोदाम से अल्मोड़ा और बागेश्वर होते हुए लोहारखेत पहुँचिए। आप बागेश्वर में कुछ देर ठहर भी सकते हैं। बागेश्वर में लंच कीजिए और फिर यहाँ के बेहद प्राचीन मंदिर बगनाथ मंदिर को देखिए। बागेश्वर के बाजार से कुछ जरूरी चीजें खरीदिए और फिर लंच करके शाम तक लोहारखेत पहुँच जाइए। यहाँ पर रात में आप गेस्ट हाउस में ठहर सकते हैं।
दूसरा दिनः लोहारखेत से धाकुरी
लोहारखेत समुद्र तल से 1 हजार 720 मीटर की ऊँचाई पर स्थित है। यहीं से सुंदरधुंगा का ट्रेक शुरू होता है। शुरूआत में ट्रेक आसान लगता है। आप घने जंगलों के बीच से होकर आगे बढ़ते हैं। लगभग 10 किमी. का ट्रेक करने के बाद आप धाकुरी पहुँचेंगे। पहाड़ों के बीच मैदान देखकर आपको अच्छा लगेगा। यहाँ से हिमालय का नजारा देखकर हैरान रह जाएंगे। दूर तलक बर्फ से ढंकी नंद कोट, छांगुच और मैकोटी की चोटी बेहद खूबसूरत नजर आती हैं। इनको देखते हुए रात में सो जाइए।
दिन 3: धाकुरी से जटोली
अगले दिन जल्दी उठिए और आगे बढ़ना शुरू कीजिए। शुरू में रोडोडेंड्रोन के घने जंगल से होकर गुजरेंगे। इसके बाद पिंडारी ग्लेशियर ट्रेक के सबसे बड़े गाँव खाती को पार करेंगे। खाती पिंडरी और कफनी ग्लेशियर का आखिरी गाँव है। खाती गाँव पिंडर नदी के किनारे बसा हुआ है। ये गाँव समुद्र तल से 2,210 मीटर की ऊँचाई पर स्थित है। लगभग 15 किमी. चलने के बाद धाकुरी से जैतोली गाँव पहुँचेंगे। ये जगह समुद्र तल से 2,440 मीट की ऊँचाई पर स्थित है। जतोली में कैंप लगाकर रात गुजारें।
दिन 4: जतोली से कठालिया
अगले दिन आपको लगभग 13 किमी. की दूरी तय करनी होगी। इस ट्रेक में आप ज्यादातर समय ऊँचे-ऊँचे चीड़ के जंगलों से होकर गुजरेंगे। 8 किमी. चलने के बाद घुंगिआ धुआं पहुँचेंगे। यहाँ से आगे जाने के लिए आपको गाइड लेना होगा। आगे का ट्रेक कठिन है जो आपको बिना गाइड के करने में काफी मुश्किल होगी। सबससे अच्छा यही रहेगा कि आप ट्रेक की शुरूआत में ही गाइड करके आएं। इसके बाद आप कठालिया पहुँचेंगे। समुद्रतल से 3,206 मीटर की ऊँचाई पर स्थित ये जगह सुंदरधुंगा गाँव के रास्ते में पड़ती है। टेंट में आप यहीं पर रात में थकान दूर कीजिए।
दिन 5: कठालिया से मैकतोली टॉप/सुखराम केव
कठालिया से आगे जाने के लिए दो रास्ते हैं। जहाँ से दो अलग-अलग जगहों पर पहुँच सकते हैं, एक मैकटोली टॉप और दूसरा रास्ता जाता है सुखराम गुफा की ओर। दोनों की जगह कठालिया से लगभग 7 किमी. की दूरी पर हैं। मैकटोली टॉप समुद्र तल से 4,320 मीटर की ऊँचाई पर स्थित है। वहीं सुंदरधुंगा केव समुुद तल से 3,900 मीटर की ऊँचाई पर है। दोनों की जगह से अलग लेकिन हैरान कर देने वाले नजारे को देखने का मौका देता है। दोनों ही जगह में से किसी एक पर कुछ देर बिताइए और वापस कठालिया लौट आइए। व्यू प्वाइंट के नजारों को याद करते हुए टेंट में आराम कीजिए।
दिन 6: कठालिया से जतोली
ट्रेक पर जाना जितना कठिन होता है, उससे कहीं ज्यादा कठिन होता है वापस लौटना। आप थककर पूरी तरह से चूर हो गए होते हैं फिर भी चलते रहना पड़ता है। इस ट्रेक का बॉय बोलते हुए जतोली के लिए चलिए। लगभग 13 किमी. चलने के बाद आप जतोली पहुँचेंगे। यहाँ पर आप टेंट में रात गुजारें। पहाड़ों में होते हुए हम सिर्फ पहाड़ों को ही याद करते हैं। उन नजारों को याद करते हैं जो कुछ दिनों से हमारी आंखों के सामने हैं।
सातवां दिनः जतोली से धाकुरी
अगले दिन उठिए और खाती गाँव के लिए आगे बढ़िए। चलते हुए आपको ट्रेक आसान लगता है लेकिन संभलकर चलना बेहद जरूरी है। कुछ देर बाद आप खाती गाँव पहुँच जाएंगे। कुछ देर यहाँ रूकते हुए फिर से आगे चलना शुरू कीजिए। जतोली से 15 किमी. के चलने के बाद आप धाकुरी पहुँचेंगे। यहाँ पर रात को आराम करके थकान पूरी कर सकते हैं।
दिन 8: धाकुरी से लोहारखेत
ये सुंदरधुंगा ट्रेक का आखिरी दिन होगा। ब्रेकफास्ट करने के बाद आप धाकुरी से लोहारखेत के लिए निकलिए। लगभग 10 किमी. के ट्रेक के बाद आप लोहारखेत पहुँच जाएंगे। यहाँ से आप गाड़ी से अल्मोड़ा होते हुए काठगोदाम पहुँच जाएंगे। इसके बाद आपको जहाँ जाना हो, वहाँ जा सकते हैं। यकीन मानिए इस ट्रेक को करने के क बाद आप इसे कभी नहीं भूल पाएंगे। हर किसी को एक बार सुंदरधुंगा जरूर जाना चाहिए।
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