ग्रहण ट्रैवल गाइडः जन्नत जैसी खूबसूरती के लिए करें हिमाचल के इस गाँव की यात्रा

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पहाड़ों में होना एक अलग-सा एहसास होता है। इन वादियों में जितनी बार भी जाओ कुछ नया ही मिल ही जाता है। घुमक्कड़ी में सुकून भी ऐसी ही नई और कम देखी गई जगहों पर आकर मिलता है, बाकी तो सफर है चलता ही रहता है। हिमाचल प्रदेश भारत की सबसे खूबसूरत जगहों में से एक है। इसी प्रदेश में कई जगहें ऐसी हैं जिनके बारे में बहुत कम लोगों को पता है। कुछ जगहें तो ऐसी हैं जहाँ पहुँचना सबके बस की बात नहीं है। ऐसे स्थानों पर रोमांच के शौकीन लोग ही पहुँच पाते हैं। एडवेंचर से भरा हिमाचल प्रदेश का ग्रहण गाँव एक अलग ही कुदरती खूबसूरती लिए बैठा है। हर घूमने वाले को इस जगह पर आने का प्लान बनाना चाहिए।

ग्रहण

हिमाचल प्रदेश की पार्वती वैली बेहद खूबसूरत है। हिमाचल घूमने जाने वाला हर बंदा पार्वती घाटी जरूर जाना चाहता है। ऐसी घाटी में ग्रहण नाम का छोटा-सा गाँव है। कसोल जिले का ये गाँव समुद्र तल से 7,700 फीट की ऊँचाई पर स्थित है। ग्रहण गाँव में 50 घर हैं और इसमें लगभग 350 लोग रहते हैं। इस गाँव में कई खूबसूरत जगहें हैं जो देखने लायक हैं लेकिन यहाँ तक पहुँचना थोड़ा मुश्किल है। ग्रहण गाँव तक पहुँचने के लिए आपको कसोल से ग्रहण गाँव तक का लंबा ट्रेक करना पड़ेगा। प्राकृतिक सौंदर्यता के साथ एडवेंचर करना चाहते हैं तो हिमाचल प्रदेश की ये जगह बिल्कुल परफेक्ट है।

कैसे पहुँचे?

ग्रहण गाँव जाने के लिए आपको कसोल से ट्रेक करना होगा। इसलिए आपको सबसे पहले कसोल पहुँचना होगा।

फ्लाइट सेः अगर आप फ्लाइट से कसोल जाना चाहते हैं सबसे निकटतम भुंतर एयरपोर्ट है। भुंतर से कसोल सिर्फ 31 किमी. की दूरी पर है। भुंतर एयरपोर्ट देश के कई बड़े शहरों से जुड़ा हुआ है। भुंतर से कसोल आप आराम से पहुँच सकते हैं।

ट्रेन सेः यदि आप ट्रेन से कसोल जाने का प्लान बना रहे हैं तो पठानकोट सबसे नजदीकी रेलवे स्टेशन है। पठानकोट से कसोल की दूरी 150 किमी. है। आप बस से कसोल तक आराम से पहुँच सकते हैं।

वाया रोडः आप सड़क मार्ग से कसोल खूबसूरत नजारों को देखते हुए जा सकते हैं। अगर आप बस से जाने का सोच रहे हैं तो दिल्ली से आपको हिमाचल के लिए बस मिल जाएगी। जहाँ से आपको कसोल के लिए बस भी आराम से मिल जाएगी। अगर आप खुद की गाड़ी से हैं तब तो आपको कोई समस्या नहीं आएगी। पहाड़ों में गाड़ी से जाना जितना खतरनाक है, उतना ही खूबसूरत है।

ऐसे करें ट्रेक?

ग्रहण गाँव तक जाने का एक ही रास्ता है, आपको ट्रेक करना पड़ेगा। कसोल से ग्रहण गाँव लगभग 8 किमी. की दूरी पर है। कसोल से ग्रहण गाँव तक पहुँचने में लगभग 4-5 घंटे लगते हैं। अगर आपने पहले कभी ट्रेक नहीं किया है तो ट्रेकिंग की शुरूआत करने के लिए बढ़िया जगह है। ट्रेक बहुत कठिन नहीं है लेकिन नजारे बेहद खूबसूरत है। इस ट्रेक को पूरा करने के दो रास्ते हैं, एक छोटा लेकिन कठिन। दूसरा रास्ता लंबा है लेकिन आसान है।

ग्रहण ट्रेक जिस जगह से शुरू होता है, वहाँ कुछ दुकानें हैं। हो सकता है कि कुछ स्थानीय लोग अपने गाँव जा रहे हों तो आप भी उनके साथ-साथ चल सकते हैं। इससे ये फायदा होगा कि आपको इस जगह के बारे में काफी कुछ पता चल सकेगा और आपको बात करके अच्छा भी लगेगा। ग्रहण ट्रेक की शुरूआत में ही आपको बाएं तरफ ग्रहण नल्लाह बहता हुआ दिखाई देगा। ऐसी नदी में सफर में मिले तो घुमक्कड़ी और भी खूबसूरत हो जाती है। रास्ते में आपको साइनबोर्ड मिलेंगे जो ट्रेक के सही रास्ते पर जाने में मदद करेंगे।

थोड़ी देर चलने के बाद आप मैदानी रास्ते को छोड़कर पहाड़ी रास्ते पर पहुँच जाएंगे। इन वादियों की सांस थामने वाली हवा और नजारे आपको मदहोश कर देंगे। अगर मौसम अच्छा हुआ तो आपको ये ट्रेक और भी प्यारा लगेगा। रास्ते में आपको लकड़ी का ब्रिज मिलेगा। जिसको पार करके आप आगे बढ़ेंगे। पहाड़ों में अक्सर ऐसे कच्चे पुल ही लोगों की जरूरतों तक पहुँचने में मदद करते हैं। लगभग 3-4 किमी. के ट्रेक के बाद आपको रास्ते में एक ढाबा मिलेगा। जहाँ आप कुछ देर ठहरकर आराम कर सकते हैं और कुछ खा भी सकते हैं।

कुछ देर आराम करने के बाद आप फिर से अपने सफर को मंजिल की ओर बढ़ाएंगे। यहाँ से आपको ग्रहण गाँव जाने के दो रास्ते मिलेंगे। आप किसी भी रास्ते पर जाएं पहुँचेंगे ग्रहण गाँव ही। इन रास्तों में दूर तलक बर्फ से ढंके पहाड़ और जंगल दिखाई देंगे। ऐसे ट्रेक पर जाना हर किसी का सपना होता है। कुछ घंटे चलने के बाद आपको ग्रहण गाँव के पहाड़ी घर दिखाई देने लगेंगे। आप यहाँ पर बहुत कुछ कर सकते हैं। पहाड़ी गाँव का अनुभव हर घुमक्कड़ के लिए अनोखा लेकिन बेहद खूबसूरत होता है। खुली वादियों में खुद को महसूस करने के लिए ग्रहण परफेक्ट जगह है।

कब जाएं?

पार्वती वैली हिमाचल प्रदेश की सबसे ठंडी जगहों में से एक है। ज्यादातर समय ये जगह बर्फ ये जमी होती है। दिसंबर से मार्च के समय यहाँ पहुँचना बहुत कठिन होता है और सफर का मजा भी नहीं आता है। अगर आपको इस ट्रेक का आनंद लेना है तो इसके लिए सबसे बेस्ट टाइम अप्रैल से लेकर जून तक है। उसके बाद जुलाई-अगस्त में बारिश शुरू हो जाती है। मानसून में पहाड़ों में जाना सबसे बड़ी बेवकूफी होती है। मानसून में तो ग्रहण गाँव का ट्रेक करने का प्लान गलती से भी न बनाएं।

कहाँ ठहरें?

ग्रहण गाँव में ठहरने के लिए बहुत ज्यादा विकल्प नहीं हैं लेकिन कुछ जगहें हैं जहाँ आप ठहर सकते है। यहाँ पर आप होमस्टे और होटल में ठहर सकते हैं। ये होटल, गेस्ट हाउस और होमस्टे बहुत ज्यादा लग्जरी नहीं हैं तो बहुत ज्यादा महंगे भी नहीं है। यहाँ आप आराम से रात में ठहर सकते हैं और पहाड़ों में तारों भरे आसमां की रूहानी खूबसूरती के आगोश में जा सकते हैं।

कुछ सुझावः

1. ग्रहण एल्कोहल फ्री गाँव है, इसलिए अपने साथ शराब लेकर न जाएं।

2. ग्रहण ट्रेक आपको बिल्कुल सुबह-सुबह करना चाहिए, जिससे आप दिन के वक्त में ही ग्रहण पहुँच जाएं।

3. अपने साथ रेनकोट और कुछ खाने-पीने का सामान जरूर रख लें।

4. इस गाँव में कई होमस्टे हैं जिनको पहले से बुक करने की जरूरत नहीं है।

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