चुटकुलों का दौर हमेशा ही रहा है। चुटकुले की ख़ासियत है, चाहे जितना दमदार हो, बस एक ही बार हँसी आती है। ठीक ऐसी ही होती है घूमने की जगहें। पूरी दुनिया घूमने के बाद भी दिल करता है नई जगह तलाशने का। पूरा हिमाचल घूमने के बाद नई जगह तलाशना मुश्किल है। चलिए इस मुशकिल को थोड़ा आसान बनाते हैं। अगर आप भी बरोट नाम से ज़्यादा अवगत नहीं हैं तो हिमाचल में छिपी इस जन्नत से रूबरू होने का प्लान बना सकते हैं।
क्या ख़ास है बरोट में?
कुछ लोग इस बरोट को बड़ौत घाटी भी कहते हैं। मनाली और कुल्लू के बाद लोग नई जगह की तलाश में बरोट घाटी पहुँचते हैं। अगर बरोट की दूसरी नज़दीकी जगहों से तुलना की जाए तो काम थोड़ा कम खर्च में हो जाता है और भीड़ का सामना भी नहीं करना पड़ता।
आपने घूमने का प्लान किया है तो मॉनसून छोड़कर किसी भी सीज़न को चुन लें। और अधिक से अधिक तीन दिन का ही प्लान बनाएँ।
1. उहल नदी
थमसार ग्लेशियर का ठंडा पानी उहल नदी के रूप में यहाँ से गुज़रता है। इस सर्द पानी में नहाने का मौक़ा बहुत सोच समझकर इस्तेमाल करें। लोग यहाँ पर कैंप लगाते हैं और मछली पकड़ने भी जाते हैं। बरोट के मुख्य आकर्षणों में उहल नदी का नाम सबसे ऊपर है।
2. नारगू वन्यजीव अभयारण्य
उहल नदी के बाद दूसरे मुख्य आकर्षणों में नारगू का वन्यजीव अभयारण्य है। हिमालयन मोनाल, ब्लैक बियर और घोरायल की कई प्रजातियाँ यहाँ देखने को मिलेंगी। कुल्लू की ओर ट्रेकिंग करते हुए आप इस अभयारण्य की ओर पहुँच पाएँगे।
3. बरोट मन्दिर
उहल नदी के किनारे पर बना हुआ देव पाशाकोट मंदिर है। यहाँ पहुँचने के लिए आपको कुछ 15 मिनट की ट्रेकिंग करनी होगी।
4. चुराह घाटी
मंडी ज़िले में स्थित है चुराह घाटी। बरोट घाटी एक हिस्सा है चुराह घाटी का, जिसमें घूमने के लिए झिंगरी गाँव और हुरंग नारायण मंदिर आते हैं। यहाँ मंडी शिवरात्रि नामक उत्सव भी हर साल मनाया जाता है।
बरोट घाटी में क्या करें
1. ट्रेकिंग
ट्रेकिंग के दीवानों के लिए बरोट जन्नत है। यहाँ ट्रेकिंग के लिए आप कुल्लू, मनाली, बिलिंग और कोठी जा सकते हैं। बरोट से कोठी का ट्रेक 13 किमी0 का लम्बा रस्ता है जो जंगल से होकर गुज़रता है। प्रकृति का असली आनन्द लेना है तो यहाँ आना बिल्कुल ना भूलें।
2. मछली पकड़ना
ट्राउट मछलियों को पकड़ने का यहाँ बड़ा शौक़ है। लोग ढेरों की संख्या में मछलियाँ पकड़ने आते हैं। इसके लिए बस आपको इजाज़त चाहिए होती है ट्राउट फॉर्म ऑफ़िस की। अगर कभी मछली नहीं पकड़ी तो शुरुआत यहाँ से कर सकते हैं।
बरोट पहुँचना है काफ़ी आसान
मंडी ज़िले में पड़ने वाली ये घाटी मंडी से 66 कि.मी. की दूरी पर है, पर आती मंडी के अन्दर ही है। यहाँ तक दो तरीकों से पहुँच सकते हैं। पहला तो आता है मंडी से और दूसरा आता है जोगिन्दर नगर से।
सड़क मार्ग- बरोट के लिए आपको मंडी, जोगिन्दरनगर और पालमपुर से बस मिल जाएँगी। कोठीकोढ़, बड़ा ग्रेन और लाहुर्दी से जाने वाली बसें भी बरोट से होकर जाती हैं।
बस का किराया ₹950 तक रहेगा।
ट्रेन मार्ग- बरोट के सबसे नज़दीक रेलवे स्टेशन जोगिन्दर नगर का है जो केवल नैरो गेज वाली टॉय ट्रेन से होकर ही गुज़रता है। जोगिन्दर नगर के लिए पठानकोट से टॉय ट्रेन मिल जाएगी और पठानकोट तक ट्रेन दिल्ली से होकर जाती है। दिल्ली से पठानकोट का स्लीपर किराया ₹325 और एसी 3 टियर किराया ₹885 है।
पठानकोट से जोगिन्दर नगर का किराया आप ऊपर वाले चित्र पर देख सकते हैं।
हवाई मार्ग- सबसे नज़दीकी हवाई अड्डा गग्गल का है, जिसका दिल्ली से हवाई किराया ₹5,000 तक है। यहाँ से आपको बरोट के लिए टैक्सी मिल जाएगी।
अन्य मार्ग- एक और तरीका था ट्रॉली सिस्टम का। यह 1975 में बनाया गया था। उस वक़्त जब सड़क नहींं बनी थी। तब लोग ट्रॉली से ही जोगिन्दर नगर से बरोट तक जाते थे। अभी यह पंजाब प्रदेश बिजली विभाग के अधीन है और विशेष उत्सवों पर ही चलाया जाता है।
जाने का सबसे सही समय
मॉनसून को छोड़कर कभी भी। मॉनसून में जाएँगे तो बहुत सारे आकर्षण छूट जाएँगे। कारण है यहाँ बारिश के समय बादल फट जाना। भीषण बारिश से सारे प्लान चौपट हो जाएँगे। सर्दियों में लोग कम आते हैं और गर्मियों के मौसम में तापमान 16 डिग्री होने से जगहों पर अच्छी रौनक होती है।
Tripoto टिप्स
1. बरोट घाटी जा रहे हैं आप, नानी के घर नहींं। इसलिए होटल से लेकर बस, सबकी टिकट पहले ही बुक कर लें। ख़ुदा नख़्वास्ता अगर अन्त समय में टिकट बुक नहीं हुई तो भारी मुसीबत का सामना करना पड़ सकता है।
2. गर्मियों में भी जा रहे हों, तो भी साथ में स्वेटर और दूसरे गर्म कपड़े लेकर जाएँ। रात के समय तापमान तेज़ी से गिरता है।
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