भारत का एक बेहतर सुंदर और लोकप्रिय राज्य उत्तराखंड जो हिमालय के पास स्थित एक ऐसा पर्वत स्थल है जिसे देवभूमि भी कहा जाता है। हिमालय की खूबसूरती के साथ साथ उत्तराखंड अपने सांस्कृतिक सभ्यता और खूबसूरत प्राचीन मंदिरो के लिए भी प्रसिद्ध है।आज हम ऐसे ही एक ऐसे धार्मिक स्थल का जिक्र करने जा रहे हैं, जिसका संबंध पौराणिक काल से है।
गढ़वाल हिमालय की अद्भुत भूमि में, कार्तिक स्वामी मंदिर स्थित है।यह पवित्र मंदिर भगवान शिव के ज्येष्ठ पुत्र कार्तिकेय को समर्पित है और एक गहरी घाटी से घिरी एक संकरी पहाड़ी के अंत में सुशोभित है।यह हिंदुओं के पवित्र धार्मिक स्थलों में से एक है, जो भगवान शिव के पुत्र कार्तिक को समर्पित है।
कार्तिक स्वामी मंदिर
कार्तिकस्वामी मंदिर भगवान शिव के बड़े पुत्र भगवान कार्तिकेय को समर्पित है। यह शायद उत्तराखंड में कार्तिकेय का एकमात्र मंदिर है। मंदिर क्रौंच पर्वत के शीर्ष पर एक रिज पर स्थित है। हिंदू पौराणिक कथाओं के अनुसार, यह माना जाता है कि भगवान शिव ने एक बार अपने दोनों पुत्रों, कार्तिकेय और गणेश को ब्रह्मांड के सात चक्कर लगाने के लिए कहा था और जो इसे पहले पूरा करेगा, उसे पहले पूजा करने का सौभाग्य मिलेगा। जब भगवान कार्तिकेय ने अपनी यात्रा शुरू की, तो गणेश ने भगवान शिव के चारों ओर यह कहते हुए घेरा बना लिया कि वे उनके लिए ब्रह्मांड हैं। उनकी बुद्धिमत्ता से प्रभावित होकर, भगवान गणेश को सबसे पहले पूजा करने का वरदान मिला। इससे क्रोधित होकर कार्तिकेय ने श्रद्धा के रूप में अपने मांस और हड्डियों को भगवान शिव को अर्पित कर दिया। इस मंदिर में भगवान कार्तिकेय की अस्थियों की पूजा की जाती है।
गढ़वाल में यह मंदिर समुद्र तल से करीब 3050 मीटर ऊंचाई पर स्थित है। श्रद्धालुओं को मंदिर तक पहुंचने के लिए आपको 80 सीढ़ियां चढ़नी होंगी। यहां शाम की आरती बेहद खास होती है। इस दौरान यहां भक्तों का भारी जमावड़ा लग जाता है।इसके चारों तरफ बर्फ से ढकी हिमालय की चोटियां है जो इसे अलौकिक स्वरुप प्रदान करती हैं। कार्तिक महीने में यहां दर्शन करने से हर तरह के पाप नष्ट हो जाते हैं।अगर आप एडवेंचर का शौक रखती हैं और ट्रैक करना पसंद है तो इस मंदिर में दर्शन के लिए जरूर आए।
कार्तिक स्वामी मंदिर जाने का सही समय
मंदिर जाने का सबसे अच्छा समय अक्टूबर से जून तक है। कार्तिक पूर्णिमा के दौरान बड़ी संख्या में भक्त मंदिर आते हैं, जो आमतौर पर अक्टूबर और नवंबर के बीच मनाया जाता है। आप जून में कलश यात्रा के दौरान भी घूमने का प्लान बना सकते हैं।
कैसे पहुंचे कार्तिक स्वामी मंदिर?
दिल्ली से पहले आपको कश्मीरी गेट से देहरादून या ऋषिकेश आना होगा। फिर वही यहां से आपको रुद्रप्रयाग के लिए बस सुविधा उपलब्ध होगी।वहीं ये बस आपको उत्तराखंड के रुद्रप्रयाग जिले के बस स्टॉप तक ले जायेगी।रुद्रप्रयाग से आपको कनक चोरी गांव के लिए जीप मिल जायेगी जो कि आपसे मात्र 50 रुपये तक का ही किराया लेगी।यहां से आगे मंदिर का सफर आपको पैदल ही करना पड़ेगा।यदि आप रुद्रप्रयाग जायें तो कार्तिक स्वामी मंदिर ज़रूर जायें।यह आपके लिए अडवेंचर से भरा सफर होगा।
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